बीमा आपको गलत तरीके से बेचा गया है, यह भी आपको साबित करना होता है, नहीं तो कई बार बीमानियामक और बीमा लोकापाल भी आपकी कोई मदद नहीं कर सकते हैं ।
एक ईमानदार सरकारी अधिकारी के बारे में बात करते हैं, लगभग 4 वर्ष पूर्व वे सेवानिवृत्त हुए ही थे और उन्हें लगभग 40 लाख रूपये निवेश करने थे, वे बहुत ही ईमानदार थे तो उनके पास इन रूपयों के अलावा और कुछ भी नहीं था, उनके निवेश करने के लक्ष्य साफ थे पहला नियमित आय और तीन वर्ष बाद उनकी बेटी की शादी के खर्च के लिये रकम चाहिये थी। एक निजी बैंक के बहुत ही अच्छे पॉलिसी बेचने वाले अधिकारी ने उन्हें यूनिट लिंक्ड बीमा प्लॉन याने कि यूलिप जिसमें कि इक्विटी का हिस्सा ज्यादा था, खरीदने के लिये प्रेरित किया और बैंक अधिकारी ने बताया कि यह बहुत ही सुरक्षित और बेहतरीन निवेश होगा, इससे आपकी जिंदगी बिल्कुल ही बदल जायेगी ।
तीन वर्ष होने पर निवेशक ने पाया कि उनका निवेश केवल 29 लाख रूपये रह गया है, जिसमें कि पहले तीन वर्षों में उनके यूलिप में से अच्छे खासे शुल्क बीमा कंपनी और बैंक ने वसूल कर लिये थे, और अगर वे उस पॉलिसी को सरेंडर करते तो केवल 14 लाख रूपये मिलते । उन सज्जन को लगा कि मेरे साथ धोखा हुआ है और बस ह्रदयाघात नहीं हुआ । और उन्होंने बैंक और बीमा कंपनियों को शिकायत करना शुरू की, परंतु बैंक और बीमा कंपनियाँ से उन्हें कोई जबाव नहीं मिला।
आखिरकार उन्होंने बीमा लोकापाल के पास शिकायत करने के निश्चय किया और जब बीमा लोकापाल के पास उन्होंने शिकायत की तो प्रथमदृष्टया ही साबित हो गया कि यूलिप इन सज्जन को गलत तरीके से बेचा गया है और यह मिससेलिंग का केस है। पर मिससेलिंग को सिद्ध कैसे किया जाये ? सौभाग्यवश उन सज्जन के पास यूलिप खरीदने के दौरान बताये गये सारे कैलकुलेशन और दस्तावेज जो कि बैंक और बीमा कंपनियों ने उन्हें दिया थे वे मौजूद थे, जिसमें कि उन्होंने दर्शाया हुआ था कि किस प्रकार से उनके निवेश को पंख लग जायेंगे और आने वाले समय में उनका निवेश सुरक्षित तरीके से बहुत ज्यादा हो जायेगा।
और इन कैलकुलेशन और दस्तावेज के कारण बीमा कंपनी को उन सज्जन को पूरे पैसे लौटाने पड़े, पर ऐसे भाग्यशाली लोग कितने होंगे जो ये सारे कागज जिनको मिलते होंगे और वे सँभाल कर रखते भी होंगे, वैसे तो जो भी लोग मिससेलिंग करते हैं या इस तरह की गतिविधियों में लिप्त रहते हैं वे इस तरह के सारे कैलकुलेशन और दस्तावेज निवेशक के हाथों आने ही नहीं देते हैं, वे कोई सबूत छोड़ते नहीं हैं ।
ध्यान रखने योग्य बातें –
जब भी कोई बीमा या वित्तीय उत्पाद खरीदें, हमेशा कैलकुलेशन और दस्तावेज अपनी मास्टर फाईल में सँभाल कर रखें, जिससे अगर बेचा गया उत्पाद आगे अच्छा नहीं करे तो ये कैलकुलेशन और दस्तावेज आपके मददगार साबित हों ।
बीमा क्षेत्र में ………..आपने गूढ बातों को बहुत ही सरलता से बताया है , आपकी विशेषज्ञता का लाभ हिंदी पाठकों/दोस्तों को मिल रहा है । शुक्रिया और शुभकामनाएं विवेक जी , लिखते रहें
नेक सलाह
मुझे जैसे युवाओं के लिए ऐसे पोस्ट हमेशा ही फायदेमंद रहते हैं, जिनके लिए ऐसी पोलिसी किसी तिलिस्म से कम नहीं होती है. शुक्रिया. 🙂
बेहद हि काम कि सलाह धन्यवाद