कल एक पोस्ट लिखी थी रेडियो पर दिये जा रहे भद्दे से कार्यक्रमों के बारे में, दरअसल रेडियो के बारे में लिखने बैठा था कुछ और पर लिख कुछ और ही गया। जब लिखने बैठो तो ऐसा ही होता है, खैर आज बात मैं करूँगा सही मुद्दे की, दो दिन पहले ऑफिस से जल्दी निकलना हुआ तो विविध भारती स्टेशन पर डॉक्टर से मिलिये कार्यक्रम आ रहा था जिसमें वे मधुमेह के बारे में बात कर रहे थे, आजकल मेरी कार के एफ.एम. सिस्टम में विविध भारती स्टेशन ही बाई डिफॉल्ट होता है।
डॉक्टर साहब मधुमेह के बारे में बहुत ही रोचक तरीके से जानकारी दे रहे थे, तो सोचा कि अपने पाठकों से भी उस जानकारी को साझा करना चाहिये। साथ ही बीच बीच में डॉक्टर साहब अच्छे गाने भी सुनवा रहे थे, जिसमें से अधिकतर देशभक्ति के गाने ही थे।
मधुमेह की जाँच के बारे में डॉक्टर साहब ने बताया कि खाली पेट रक्त की जाँच करवाना चाहिये कम से कम 12 घंटे की फास्टिंग हो और फिर उसके बाद कुछ खा पीकर 2 घंटे बाद पोस्ट शुगर भी जाँच करवाना चाहिये, अगर घर दूर है और नाश्ता नहीं कर सकते हों तो 75ग्राम ग्लूकोज को पानी में मिलाकर पिया जा सकता है, जो काम यह ग्लूकोज कर सकता है वही काम नाश्ता भी करता है। अगर खाली पेट शुगर 120-130 और पोस्ट मील याने कि खाने के बाद 200 शुगर आती है तो आप समझ जायें कि आपको मधुमेह रोग हो चुका है और आप अपने आप को दुरुस्त रखने में व्यस्त हो जायें।
मधुमेह के बारे में केवल रक्त की जाँच पर ही भरोसा करना चाहिये, पिशाब की जाँच पर नहीं। मधुमेह के रोगियों को अपने पैरों का विशेष ध्यान रखना चाहिये, जब जूते पहनें तो पहले देख लें कि जुते में कहीं कंकड़ पत्थर तो नहीं है, अगर घाव हो जाता है तो पैरों का घाव सूखना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। कई बार तो गैंगरीन जैसा रोग भी हो जाता है।
मधुमेह में रोगी सब कुछ खा सकता है, कोई भी फल, सब्जी और सलाद खा सकते हैं, केवल ध्यान रखना है कि ज्यादा कैलोरी खा ली हैं तो फिर खाना कम कैलोरी वाला खाना है, या दोनों ही खा सकते हैं, केवल स्वाद का ध्यान न रखें, अपनी कैलोरी का भी ध्यान रखें और सेहत का भी। फल आम, संतरा, मौसम्बी कुछ भी खा सकते हैं ध्यान रखें कि ज्यादा न खायें, जैसे कि अगर छोटा आम है तो पूरा आम खा सकते हैं और अगर बड़ा आम है तो दो फाँक खा सकते हैं।
अगर ज्यादा कैलोरी खा भी लेते हैं तो भी कोई समस्या नहीं है अगर आप उस कैलोरी को व्यायाम करके या फिर चलकर, दौड़कर जला लेते हैं। आपकी सेहत आपके हाथ है।
मैं खुद अभी अपने वजन को कम करने के लिये बहुत ही गंभीरता से सोच रहा हूँ, पर वाकई यह आलस ऐसी चीज है कि कुछ हो नहीं पाता है, केवल आलस ही नहीं बहुत सारी चीजें हमें हमारी व्यस्त जिंदगी से हटानी पड़ती हैं, पर शायद स्वास्थ्य से ज्यादा हमारी जिंदगी में हमारे लिये और हमारे परिवार के लिये कुछ नहीं है। आप भी अपना ध्यान रखें और कैलोरी जितनी कम लें अच्छा है, जितनी ज्यादा कैलोरी आप जला सकते हैं, जलायें क्योंकि उससे बेहतर कुछ और नहीं है।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (05-06-2015) को "भटकते शब्द-ख्वाहिश अपने दिल की" (चर्चा अंक-1997) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
फल की शर्करा हानिकारक नहीं है। आजकल फल ही खा रहा हूँ, चीनी बन्द।
एक लिमिट में खाई जाने वाली कोई भी चीज नुक्सान नहीं करती |
यदि कोई दैत्फिनेतिक हो जाए तो समस्याएँ तो बढ़नी ही हें |दैबितीज के नियंत्रण पर भी यही नियम काम करता है |
अपनी जवान पर काबू रख कर उसे नियंत्रित किया जा सकता है |
बहुत उपयोगी पोस्ट …आभार
जानकारी के लिए शुक्रिया।
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लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!