कल गुड़गाँव में केवल दो घंटे की बरसात हुई जिसका असर यह हुआ कि गुड़गाँव जो कि सायबरसिटी के नाम से उत्तर में जाना जाता है, जाम में फँस गया। सायबर सिटी के नाम से केवल मशहूर है – गुड़गाँव, पर सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है, अच्छा पब्लिक ट्रांसपोर्ट पहली प्राथमिकता होनी चाहिये, पर इसका कहीं से कहीं कोई नामोनिशान नहीं है। खैर बैंगलोर इसका एक अच्छा उदाहरण है।
तो इस सायबरसिटी में कल हमने 25 मिनिट का रास्ता ढ़ाई घंटे में तय किया, और हर जगह जाम लगा हुआ था, हालांकि प्रशासनिक अमला बहुत देर से जागा और फिर प्रशासनिक अमला भी सड़क पर व्यवस्था ठीक करता नजर आया, हमने गुड़गाँव में पहली बार प्रशासनिक अमले को व्यवस्था ठीक करते देखा। हालांकि बाद में देखा कि दूसरी तरफ की लेन जहाँ का ट्रॉफिक सामान्य है, उधर से किसी मंत्री संत्री की गाड़ी को रांग साईड से निकाल कर ले गये, अगर यही हरकत हम लोग करते तो यही प्रशासनिक अमला गाड़ी खड़ी करवा
लेता, हालांकि बहुत से लोग रांग साईड से जा रहे थे।
गुड़गाँव में लोग लाल बत्ती को भी हरी बत्ती समझ कर निकल लेते हैं, ऐसा लगता है कि लोगों को रतोंधी हो गयी है, हमें कई बार लगता है कि हमें रंगों की पहचान होनी बंद हो गई है, अगर अपन यातायात के नियमों का पालन करें तो पीछे वाला हॉर्न मारमार कर परेशान कर देता है।
यहाँ की पुलिस को मैंने कभी भी (एकाध बार छोड़कर) बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था सँभालते नहीं देखा, यातायात पुलिस यहाँ केवल एक किताब लेकर घूमती है, जिसे चालान बुक भी कहते हैं, और लोगों को रोककर उन्हें परेशान कर या तो चालान काटते हैं या फिर कुछ ले देकर छोड़ दिया जाता है।
कल के जबरदस्त जाम का मूल कारण हमें लगा कि हर तरफ पानी भरा हुआ है, गुड़गाँव में पानी निकलने की कहीं जगह नहीं है, मेट्रो के नाम पर पूरा गुड़गाँव खुदा पड़ा है, पिछले एक वर्ष से देख रहे हैं, स्थिती जस की तस है, एक महीने पहले अंग्रेजी अखबार ने सड़कों पर गढ्ढों की खबर प्रमुखता से छापी थी, और तभी एकाएक प्रशासन ने सुध ली और सारे गढ्ढों को भी दिया गया, फिर से अखबार में खबर छपी तो सड़क बनवा दी गई, और वो कागजी लाखों रूपयों की सड़क कल के दो घंटों की बारिश में बह गई। पता नहीं कि अब लोग कहने लगेंगे कि ये तो गुड़गाँव में विकास का पानी बह रहा है, जो कि आप की आँखों को कुछ और ही दिख रहा है।
हम भी सायबरसिटी में विकास की बयार देखना चाहते हैं, जहाँ लोग महँगा किराया देने को मजबूर हैं, महँगी सब्जियाँ और फल भी खरीदने को मजबूर हैं और ऑफिस जाने के लिये पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपलब्ध नहीं होने से रोज ऑटो की लूट मची हुई है। सरकार को राज्य में सबसे
ज्यादा आय देने वाले शहर का यह हाल है तो पता नहीं विकास की बयार कहाँ से चलेगी।
ट्विटर से गुड़गाँव के कुछ फोटो –
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन हास्य कवि ओम व्यास 'ओम' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।