आज हम सिगरेट के बारे में बात करेंगे । कल जब ऑफिस से घर के लिये निकले तो सूरज अपने शाम के चरम पर था, जैसे कोई दिया बुझने से पहले जमकर लौ देता है, जैसे कि सप्ताहांत के दो दिनों में सूरज अपने न निकलने का मलाल निकाल रहे हों, या फिर बादलों से खुद को छिपाने का बदला ले रहे हों। घर पहुँचे तो बाजार जाने के लिये बेटेलाल तैयार थे, उन्होंने पहले ही अपने सामान की सूचि जो कि उन्हें अपने विद्यालयीन प्रोजेक्ट के लिये चाहिये थी, हमें व्हाट्सएप कर दी थी। नहीं तो घर पहुँचकर हम डायरी पढ़ते और फिर सामान दिलवाने ले जाते, तो इस नई तकनीक ने पता नहीं कितना हमारा समय बचा दिया।
घर पहुँचते ही बेटेलाल ने कहा कि डैडी कल हमारे विद्यालय से हमें सिलोखेड़ा गाँव में ले जाने वाले हैं, वह गाँव हमारे विद्यालय ने गोद ले रखा है जैसे कि कन्हाई गाँव गोद ले रखा है। मैं बेटेलाल का चेहरा देखे जा रहा था और सोच रहा था, कि विद्यालय ने गोद लेने का मतलब बच्चों को कितनी जल्दी समझा दिया है और बच्चे भी अपने गोद लिये हुए गाँव के लिये सामान लेकर जा रहे हैं, जिससे उन्हें कपड़े का थैला बनाना था और गाँव वालों का वे थैले बनाकर देते और उन्हें थैले बनाना सिखाते। गाँव वालों के साथ यह प्रयोजन करने का मतलब यह समझाना है कि पोलीथीन की थैली से प्रदूषण फैलता है, तो पोलीथीन की जगह कपड़े के थैले का प्रयोग करें।
हम उन्हें बाजार लेकर गये पर प्रोजेक्ट के लिये जो सामान चाहिये था वह नहीं मिला, हमने कहा कोई बात नहीं, अपने शिक्षक को कह देना कि हमें बाजार में यह सामान नहीं मिला, फिर किसी और प्रोजेक्ट के लिये बारिश के कुछ फोटेग्राफ्स कलर प्रिंट निकलवाने थे, जो फोटो प्रिंट करने थे वे हमारे बेटेलाल ने हमें ईमेल कर दिये थे और हमने उन्हें एक वर्ड डाक्यूमेंट में करके पेनड्राईव पर सेव कर लिया, और फिर उसी पेनड्राईव से प्रिंट आउट की दुकान से प्रिंट निकलवा दिये। पता नहीं आजकल विद्यालय बच्चों से क्या क्या करवाते हैं।
सुबह से बेटेलाल का पेट खराब था, बताया कि विद्यालय में एक उल्टी भी हुई तो उनके शिक्षक ने उन्हें एक दवाई भी दी जिससे थोड़ा आराम मिला, और दोपहर से घर आने के बाद वे पेटदर्द की शिकायत कर रहे थे। हम बड़े दिनों बाद बाजार आये थे तो हमने अपने और भी काम साथ में निपटा लिये। हम एक जगह खड़े थे तो वहीं से एक लड़की और एक लड़का निकले और लड़की के हाथ में सिगरेट थी और धूम्रपान का आनंद ले रही थी, लगभग दस कदम दूर जाकर वे लोग दो लड़कियों के साथ जाकर खड़े हो गये, हम तब तक दुकानदार से बात कर रहे थे, हमने बेटेलाल की और देखा तो क्या देखते हैं कि ये भाईसाहब बड़े ध्यान से मुंह खोलकर औचक से उन चारों की और देख रहे थे, वे चारों आपस में एक ही सिगरेट से धूम्रपान कर रहे थे, तभी बेटेलाल को हमारा ध्यान आया होगा, हमारी और देखा तो शर्मा गये और हमसे आकर चिपक गये और बताने लगे कि डैडी वो देखो आंटी लोग सिगरेट पी रही हैं, हमने उन्हें बताया कि ये सब तो सामान्य है, इसमें इतना चौंकने वाली बात क्या है।
फिर घर आते समय हम उनके साथ बहुत सी अलग तरह की बातें करते हुए आये, जिससे उनका ध्यान धूम्रपान वाली बात से हट जाये और उन्हें बताया भी कि दुनिया में ऐसी बहुत सी बातें हो रही हैं जिसका तुमको पता नहीं है, तो ऐसे आश्चर्य करने वाली कोई बात नहीं है, अभी ऐसे कई वाकये आपकी जिंदगी में आयेंगे।
दुनिया में ऐसी बहुत सी बातें हो रही हैं जिसका तुमको पता नहीं है, तो ऐसे आश्चर्य करने वाली कोई बात नहीं है ! बिल्कुल सही कहा आपने ! लेकिन अभी बेटेलाल ज़रा छोटे हैं , सब सीख जाएंगे