हरपीज के लक्षण पहचानना बहुत ही मुश्किल होता है, पर यह बेहद ही तकलीफदेह बीमारी है और इसको पहचानना केवल डॉक्टर के बस की है, हरपीज के लिये कोई दवाई अभी तक नहीं है। इसकी तकलीफ सहनी ही होती है।
लगभग पिछले सोमवार की रात की बात होगी, पीठ पर रीढ़ की हड्डी के पास एक दाना सा लगा और थोड़ी खुजली सी लगी। पर हमने खुजाये नहीं क्योंकि हमने ये सीखा है और जाना है कि अगर कहीं पर भी आपको खुजाने की इच्छा होती है तो उस जगह को नहीं खुजाना चाहिये नहीं तो वहाँ तकलीफ बढ़ती ही जाती है। हमारे शरीर कि डिजाईन ही इस प्रकार से किया गया है कि जब भी तकलीफ बड़ती है तो उस जगह मीठी खुजली मचनी शुरू हो जाती है और हम शरीर के इस डिजाईन के जंजाल में फँसकर खुजा भी लेते हैं।
फिर मंगलवार की रात को देखा तो उसी दाने के पास एक और दाना था, हमें लगा कि मच्छर ने काटा है और हम लगभग 10 बजे रात्रि में सो गये। परंतु रात्रि 12 बजे पेट में जो मरोड़ उठनी शुरू हुई और फिर लगभग 4 बार हम दस्त के लिये भागे, तो हमें बहुत ही ज्यादा कमजोरी आ चुकी थी। हमें लगा कि हमारा पेट रात के खाने को पचा नहीं पाया है और हम अपने पेट पर ज्यादती कर बैठे हैं परंतु बायें पेट की तरफ ऐसे लग रहा था कि हमारा पेट बाहर की और ही निकले जा रहा है, बिल्कुल भी चैन नहीं था। हम रात भर सो नहीं पाये, पर सुबह देर तक सोकर नींद पूरी कर ली।
दोपहर बाद हमें बाहर जाना था और लंबी ड्राइव थी, हम निकल लिये और अगले दिन वापिस भी आ गये। बस खाने पीने पर बहुत संयम रखा और खाने में सलाद, फल या खिचड़ी ही खाया। जिससे पेट बिल्कुल ठीक रहा। तब तक हमारे पीठ के दाने भी बिल्कुल वैसे ही रहे, उनमें कुछ बदलाव नहीं आया तो हमें लगा कि ये मच्छरों के काटे का निशान है, कुछ और नहीं है। हमने कोई क्रीम वगैराह भी नहीं लगाई और जिस दिन हमारा पेट खराब हुआ था उस दिन हमने एक इन्ट्राकुनाल जरूर खा ली थी, जिससे नींद पूरी हो जाये।
अगले दिन गुरूवार को भी हमरे पेट और पीठ पर कुछ और निशान से बन आये तब हमें लगा कि ये किसी बरसाती जहरीले कीड़े या मकड़ी ने हमें काट लिया है और अब उसका जहर फैल रहा है, हमने गूगल किया तो भी हमें गूगल के चित्रों से यही लगा, परंतु जब एकाएक रविवार को इसने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया तब हमें लगा कि ये कुछ गड़बड़ है, क्योंकि अब उन जगहों पर पानी भरने लगा था और फफोले से हो गये थे। परंतु तब तक रात हो गयी थी, हमने फोटो खींचकर फेसबुक पर डाल दिया और पता चला कि हरपीज जैसी कोई बीमारी है। हमें हरपीज के बारे में कुछ पता नहीं था।
कल सुबह हमने सबसे पहले डर्मेटोलॉजिस्ट को दिखाया और उन्होने बताया कि यह हरपीज है और यह अभी अपने रौद्र रूप में है, इसका कोई इलाज अभी तक नहीं बना है, अगर हरपीज होने के 24-48 घंटे में पता चल जाता है तो उसे एंटीबायोटिक से दबाया जा सकता है परंतु 48 घंटे बीत जाने के बाद इसका कोई भी इलाज संभव नहीं है, हमारे केस में यह एल 1 एल 2 लेबल का हरपीज है, जो कि शरीर की जिस नर्व में होता है तो वह नर्व जहाँ जहाँ तक जाती है तो वहाँ छत्तों में यह दाने होते हैं। इसमें बहुत दर्द होता है और मीठी खुजली होती है, परंतु हमें दर्द नहीं है, दर्द होने पर डॉक्टर स्टेरायड लिखते हैं जिससे मरीज ढंग से सो पाये।
हरपीज होने का मुख्य कारण है –
हमारे शरीर में चिकनपॉक्स के विषाणु याने कि वाइरस हमेशा ही रहते हैं, जब भी हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, हम बहुत ज्यादा थकान या तनाव में होते हैं तो इस वाइरस को सक्रिय होने का मौका मिल जाता है, या फिर हम किसी ऐसे मरीज के संपर्क में आ जाते हैं। हमें लगा कि हमारे केस में हम थकान में ज्यादा थे क्योंकि बहुत सारे काम एक साथ आ गये थे और रात को नींद न होने के कारण भी थकान ज्यादा ही थी। डॉक्टर में केवल एक क्रीम लगाने को दी है जिससे मीठी खुजली कम हो जायेगी और इन्फेक्शन नहीं फैलेगा। खाने में सब कुछ खा पी सकते हैं परंतु हम केवल सलाद और फल पर ही गुजार रहे हैं, और ताकत के लिये ड्रायफ्रूट्स खा रहे हैं। डॉक्टर ने बताया कि यह अपने आप ही 10-15 दिनों में खत्म हो जायेगा|