हम आधुनिक युग में इतने रम गये हैं कि आपस के रिश्तों में इतनी दूरियाँ हो गई हैं जो हमें पता ही नहीं चलती हैं, Real Togetherness हम भूल चुके हैं, जब हम आपस में समय बिताते थे,प्रकृति के अनूठे वातावारण में एक दूसरे के साथ घूमने जाते थे, खेलते थे और जीवन को सही मायने में जीते थे, हम एक दूसरे के बारे में ज्यादा जानते थे, आपस के रिश्ते बहुत मजबूत थे, हम लोग पहले Real Togetherness को फील करते थे। हमेशा ही हम अपने दोस्तों और भाईयों के साथ अपनी खुशियाँ बाँटते थे। अब डिजिटल के साथ जमाना बदल रहा है, हम फेसबुक, व्हॉट्सएप पर ज्यादा पाये जाते हैं। हम उन लोगों के साथ ज्यादा समय बिताना पसंद करते हैं जो हमारे आसपास नहीं हैं और हम अपने आसपास के लोगों को भूल जाते हैं।
जब हम घर में साथ में बैठे होते हैं तब भी सभी लोग अपने अपने गैजेट्स में खोये रहते हैं और एक दूसरे से बात करने की फुरसत ही नहीं होती है, सबकी अपनी अपनी प्रायोरिटिज हो जाती हैं किसी को मोबाईल पर किसी गेम का कोई लेवल पार करना है, तो किसी को अपना कोई सीरियल देखना है और कोई अपने मित्रों से मोबाईल पर किसी भी मैसेन्जर पर चैटिंग करते हैं, पर साथ के लोगों पर हम ध्यान नहीं दैते हैं।
अगर हम प्रकृति के पास समय बिताना शुरू करें तो हम आपस में Real Togetherness को फील कर सकते हैं, मैं कुछ दिनों पहले बोन्साई पौधों के बारे में पढ़ रहा था, तो पढ़कर ऐसा लगा कि मुझे बोन्साई पौधों को उगाना चाहिये और इसमें अपने परिवार को भी शामिल करना चाहिये, जिससे हम साथ में कुछ समय भी बितायेंगे और प्रकृति के बारे में ज्यादा जानेंगे, पौधे का देखभाल के लिये सभी चिन्तित भी रहेंगे और चाहेंगे कि पौधा अच्छे से बड़ा भी होगा।
इससे पूरे परिवार का जिम्मेदारी भी होगी और अगर कोई एक भी इस गतिविधि में शामिल नहीं होता है तो उसे भी बुरा लगेगा, परिवार के हर सदस्य को पौधे की प्रगति जानने की पूरी उत्सुकता रहेगी, और बोन्साई को किस आकार में ढालना है हम उस पर चर्चा भी करेंगे, प्लानिंग करेंगे, अपने विचारों को एक दूसरे के साथ बाँटेंगे और आपम में हमेशा कुछ बताने की उत्सुकता रहेगी। केवल एक बोन्साई पौधे से हम अपने पूरे परिवार को एक नये सूत्र में बाँध सकते हैं।
बोन्साई में कौन सी खाद पड़ेगी, बोन्साई का आकार वायर से बाँध कर तय करना है या धागे से बाँधकर तय करना है, किस आकार में बोन्साई अच्छा लगेगा, कौन से पेड़ के रूप में उसे बड़ा करना चाहिये। जब हम आपस में मिलकर तय करेंगे कि पानी कितना देना है, धूप में कितनी देर रखा जाना चाहिये, घर के अंदर कितनी देर रखना चाहिये। Real Togetherness को फील करने का सबसे अच्छा तरीका एक यह भी है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (22-10-2015) को “हे कलम ,पराजित मत होना” (चर्चा अंक-2137) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
विजयादशमी (दशहरा) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन – आजाद हिन्द फौज का 72वां स्थापना दिवस में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।