उज्जैन विश्व के प्राचीन शहरों में है, और प्राचीन शहर ऊँगलियों पर गिने जा सकते हैं। उज्जैन सदियों से पवित्र एवं धार्मिक नगर के रूप में प्रसिद्ध रहा है। चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने यहाँ शासन किया उनके नाम पर ही भारत में विक्रम संवत चलता है। चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य के नौ रत्न थे महाकवि कालिदास, वेताल भट्ट, वराहमिहिर, वररूचि, अमरसिंह, धनवंतरी, क्षपणक, शंकु और हरिसेना। अपने अपने क्षैत्र में सारे रत्न धुरंधर थे।
महाकवि कालिदास की प्रसिद्ध कृतियाँ हैं मालविकाग्निमित्रम, अभिज्ञान शाकुंतलम, विक्रमोवर्शीयम, रघुवंशम, कुमारसंभवम, ऋतुसंहारं, मेघदूतं जिनको पढना और समझना अद्भुत है। वराहमिहिर ज्योतिष के विद्वान थे उनकी प्रसिद्ध कृति है पंचसिद्धान्तिका। वररूचि संस्कृत व्याकरण के आचार्य थे। अमरकोष अमरसिंह की देन है। धनवंतरी आयुर्वेदाचार्य थे। हरिसेना संस्कृत के कवि थे। उज्जैन महर्षि सांदीपनि की तपोभूमि है तो राजा भृतहरि की योगस्थली, हरिशचन्द्र की मोक्षभूमि और भगवान श्री कृष्ण की शिक्षास्थली भी रहा है।
उज्जैन में Drive लेकर प्राचीन शनि मंदिर, राजा जयसिंह द्वारा बनवाई गई वेधशाला, चिंतामन गणेश मंदिर, हाशमपुरा जैन मंदिर, अवंतिनाथ पार्श्वनाथ जैन मंदिर, श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, बड़ा गणपति, सम्राट विक्रमादित्य का सिंहासन, हरसिद्धी देवी, रामघाट, गैबी हनुमान मंदिर, गोपाल मंदिर, अंकपात, कालभैरव मंदिर, गढ़कालिका मंदिर, भृतहरि गुफा, योगी मत्स्येन्द्रनाथ की समाधि, सिद्धवट, कालियादेह पैलेस, मंगलनाथ, अंगारेश्वर, महर्षि सांदीपनी आश्रम, इस्कान मंदिर, फ्रीगंज स्थित घंटाघर, सिंधिया प्राचीन अनुसंधान केन्द्र, वाकणकर शोध संस्थान, कालिदास अकादमी देखा जा सकता है।
उज्जैन के प्राचीन और ऐतिहासिक स्थानों की Design देखने योग्य हैं। भूतभावन श्री महाकालेश्वर मंदिर का बारह ज्योतिर्लिंगों में विशिष्ट स्थान है, श्री महाकालेश्वर शिवलिंग दक्षिणमुखी होने के कारण विशेष महत्व रखता है, महाकाल मंदिर के गर्भगृह की छत पर लगा रूद्र यंत्र विशेष दर्शनीय है और इसका वैज्ञानिक महत्व है। मंगलनाथ को भगवान मंगल का जन्म स्थान माना जाता है, कहते हैं कि यहाँ भातपूजा से मंगल का असर कुँडली पर विशेष प्रभाव डालता है, कर्क रेखा उज्जैन से गुजरती है इसी कारण राजा जयसिंह ने उज्जैन में वेधशाला का निर्माण करवाया था, जिसे जंतर मंतर भी कहा जाता है, सम्राट यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र, भित्ति यंत्र, दिगांश यंत्र और शंकु यंत्र को वैज्ञानिक तरीके से बनाया गया है और आज भी बहुत से लोग यहाँ पर शोध करने आते हैं।
उज्जैन बस, ट्रेन और वायु तीनों संसाधनों से Connect है, उज्जैन इंदौर से केवल 55 किमी की दूरी पर स्थित है, मुँबई, दिल्ली, चैन्नई और कलकत्ता से सीधे ट्रेन यहाँ के लिये उपलब्ध हैं, बसों से भी उज्जैन पहुँच सकते हैं। अगर आप वायुयान से यात्रा कर रहे हैं तो निकटतम हवाईअड्डा इंदौर है और लगभग सभी बड़े शहरों से सीधे फ्लाईट उपलब्ध है, इंदौर हवाईअड्डे से उज्जैन टैक्सी के द्वारा या बस के द्वार पहुँचा जा सकता है।
उज्जैन में 2016 में सिंहस्थ महापर्व होने वाला है जो कि 22 अप्रैल से 21 मई 2016 (30 दिनों) के दौरान होगा। सिंहस्थ को कुँभ मेले के नाम से भी जाना जाता है और यह बारह वर्षों में एक बार उज्जैन में लगता है, उज्जैन में यह महापर्व सिंह राशि में होता है इसलिये यह सिंहस्थ कहलाता है। इस बार सिंहस्थ का कुल क्षैत्र 3000 हेक्टेयर से ज्यादा होगा, सिंहस्थ को दौरान होने वाले स्नानों में स्नान करने का विशेष महत्व है।
उज्जैन Made of Great है, जीवन में एक बार उज्जैन आना आपके जीवन को सुकून से भरने के लिये पर्याप्त है।
बढिया जानकारियां..
जानकारी तो बढ़िया है | मै भी उज्जैन में था और बड़े गर्व का अनुभव हुआ वहां जाकर |