यारों का यार हमारा सरदार

दोस्त बहुत हैं पर गहरे दोस्त कम ही होते हैं, एक के बारे में लिखो तो दूसरे दोस्तों को बुरा लग सकता है, परंतु हम फिर भी अपने एक गहरे दोस्त के बारे में लिखते हैं, हमें पता है कि हमारे अन्य गहरे दोस्त हमारी बातों को ध्यान से पढ़ेंगे और हमें और ज्यादा प्यार करेंगे। अन्य दोस्तों की मैं कह नहीं सकता हूँ जिसमें से कुछ लोग तो बुरा भी मान जायेंगे और कुछ हौसलाफजाई करेंगे।

कॉलेज के बाद मैं एक कम्प्यूटर सेंटर पर कम्प्यूटर के कुछ कोर्स करने जाने लगा और वहीं शाम को हम दोस्त लोग इकट्ठे भी हो जाते थे और मिलकर अपनी शाम बिताते थे। वहीं कुछ और दोस्तों के दोस्त भी आ जाते थे, वहीं से हमारी दोस्ती की एक नई शुरूआत हुई। हमें नाम नहीं पता था, पर वह सिख था तो हम उसे सरदार ही कहते थे। हम ही क्या सारे ही लोग उसे प्यार से सरदार कहते थे।

यारों का यार सरदार
यारों का यार सरदार, साथ हैं हमारे एक और गहरे मित्र दद्दा

हम लोग कई जगह कई बार एक दूसरे से मिले, परंतु गहरे दोस्त नहीं बन पाये थे। गहरी दोस्ती के लिये जो प्यार और आपसी विश्वास चाहिये होता है वह हमारे बीच तब पनपा जब हम साथ में ही एक कंपनी में मुँबई में काम करने लगे और एक ही शहर के होने के नाते से वैसे भी हमें संबल मिलता था कि कोई तो है जो हमारे शहर का है, पहचान का है। कई बार ऐसा हुआ कि मुँबई से उज्जैन ट्रेन से आना जाना हुआ और कभी या तो हमारा सफर आकस्मिक होता था या सरदार का। और लगभग हमेशा ही हम दोनों में से किसी एक का टिकट लगभग कन्फर्म होता था। तो हमारे पास ट्रेन के स्लीपर में एक सीट सोने के लिये तो होती ही थी। एक बंदा सीट पर सोता और दूसरा स्लीपर के केबिन में नीचे अखबार बिछाने के बाद उस पर अपना बैडिंग खोलकर उसमें घुस जाता। वैसे बाद में हम लोग साथ ही टिकट करवा लेते तो सीट भी साथ ही होती थी।

हम साथ ही एक फ्लेट में रहते थे, साथ ही खाना होता था और हर छोटी से छोटी बात पर बहस भी होती थी। यहाँ हम साथ में 4 बहुत ही गहरे दोस्त रहते थे, कोई कुछ भी बोल देता तो कोई बुरा नहीं मानता था। दोस्ती में प्यार विश्वास बहुत जरूरी है। यह हमने साथ में रहते हुए सीखा।

सरदार से जब भी कुछ गड़बड़ होती या किसी बात को हँसी में उड़ाना होता तो कहता और आज भी कहता है यार सरदार हैं तुम तो आदमी हो, खुद समझदार हो। सरदार ज्यादा समझदार लगता है हमें तो कहता है कि आखिर हमने सिर पर डिश एन्टीन जो लगा रखा है। एक बार हम 6 लोग ट्रेन से उज्जैन जा रहे थे, तो एक मित्र ने आकर पूछा कि आप कितने आदमी हो, सरदार फट से बोला 5 आदमी, हमने कहा भाई 6 हैं तो बोला सही तो कहा मैंने 5 आदमी और 1 सरदार, अब 6 हुए। सरदार बहुत मजाकिया है, सरदारों पर ही किस्से सुनाकर वातावरण को बोझिल नहीं होने देता है। इतना अच्छा ह्यूमर है भाई का कि किसी को भी हँसने के लिये मजबूर कर दे।

आज भी जब कोई तकलीफ होती है तो हम आपस में बात कर लेते हैं। हमें पता है कि हम आपस में दुख सुख बाँट सकते हैं, भले ही अब रोज का मिलना न हो, पर हम दिल से इतने पास हैं कि दूरी दूरी नहीं लगती।

हमारा यार सरदार दोस्त हमें टशन देता है कि हम आपस में गहरे मित्र हैं। जी टीवी पर यारों की बारात शो आने वाला है, उसको देखकर हमने सोचा कि हम भी आज अपने गहरे दोस्त के बारे में लिखें।

http://www.ozee.com/shows/yaaron-ki-baraat

One thought on “यारों का यार हमारा सरदार

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (08-10-2016) के चर्चा मंच “जय जय हे जगदम्बे” (चर्चा अंक-2489) पर भी होगी!
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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