भारतियों पहले कामचोरी छोड़ो, काम करना सीखो और घर में अपने समान के लिये इतनी जगह बनाओ, सस्ती चीजों को उपलब्ध करवाओ, ये चीनी समान का बहिष्कार करने से कुछ नहीं होगा, चीन नहीं तो कोरिया या फिर कहीं और का समान खरीदोगे।
चाईना के समान का बहिष्कार करने वालों पहले यह सुनिश्चित करो कि भारत की तकनीक की रीढ़ चीन समान पर न हो, बताओ कि कौन सी चीज मैक इन इंडिया है –
- राऊटर
2. मोडेम
3. लेन केबल
4. एडाप्टर
5. डिश
6. मोबाईल
7. मोबाईल टॉवर में लगने वाला समान
8. कैमरे
9. द्रोन
और भी बहुत कुछ समान होगा। घर पर उपयोग किये जा रहे समान –
- टीवी
2. फ्रिज
3. वाशिंग मशीन
4. लेपटॉप
5. मोडेम
6. मोबाईल
7. गेम्स (सोनी, माइक्रोसॉफ्ट)
8. कार में लगने वाले समान
9. बाईक में लगने वाले समान
10. किचन में बहुत से समान
महफूज भाई का कहना है कि –
ज़र्रे ज़र्रे में इंडिया के चाइना है…
काजल कुमार जी का कहना है –
मैं तो सभी पर Made in India लिख कर ही प्रयोग करता हूं जी
हमने लिखा –
हम use in india करते हैं जी
दिवांशु निगम लिखते हैं –
जिसके ऑप्शन इंडिया में उपलब्ध हैं, उसमें तो करना शुरू करें , बाकी भी होगा । धीरे धीरे ही होगा ।
दूसरी बात, आज के युग में कोई देश अकेले सब कुछ नहीं बना सकता । एक दुसरे पर निर्भरता रहती ही है । चीन की भी है पर उसे झटका लगना ज़रूरी है ।
यहाँ तो बड़ी मुश्किल से कुछ मिलता है जो मेड इन चीन ना हो , पर कोशिश कर रहे हैं । अगर हम थोड़ा भी कर पाए तो बहुत होगा ।
बाकी सब कुछ इंडिया में बनने का वेट करते रहे तो शायद अगले कई सदियों तक करेंगे ।
अपने अपने सोचने का तरीका है । बीते दिनों रविश कुमार मेरी जैसी सोच वालों को महामूरख कह दिए । शायद वो महात्मा गांधी को भी कह देते जब तक पूरे देश में पहनने के बराबर खादी ना बना पाओ तब तक विदेशी कपड़ों का बहिष्कार मत करो ।
मजेदार बात ये भी है कि बात बात पर पतंजलि प्रोडक्ट्स का विरोध करने वाले भी आजकल यही ज्ञान दे रहे हैं । सब माया है
और इस पर हमने प्रतिक्रिया दी –
कृप्या ऑप्शन बतायें, हम तो कोशिश हमेशा करते हैं कि भारतीय कंपनियों के ही उत्पाद खरीदें, पर धीरे धीरे लगभग सभी जगहों पर विदेशी कंपनियों का कब्जा होता जो रहा है, यहाँ तक कि मॉल में खरीदने की जगह हम सामान छोटी दुकान से खरीदने शुरू कर दिये, परंतु यह भी दीगर बात है कि हम अमेजन के डिस्काऊँट को इग्नोर तो नहीं कर सकते तो जो भी पैक आईटम हैं वो ग्रोसरी अमेजन से ही मँगाते हैं। हमारी देशी कंपनी फ्लिपकार्ट ग्रोसरी वाले मामले में फेल हो गई और उन्होंने ग्रोसरी स्टोर बंद ही कर दिया।
पतंजलि के उत्पाद ही सबसे पहले अमेजन पर खाली होते हैं, तो इससे भी पता चलता है कि पतंजलि के उत्पादों की माँग बहुत ही ज्यादा है।
पतंजलि के आऊटलेट्स पर उनके खुद के उत्पाद उपलब्ध नहीं हैं, बहुत मारामारी है, हम नवदर्शनम का आटा खाते हैं, सबसे बढ़िया आटा है, परंतु यहाँ उपलब्धता की बहुत मारा मारी है। केवल मेक इन इंडिया से कुछ नहीं होगा, उसकी सप्लाय भी अच्छी करना होगी और इसके लिये सरकार को ही कोई अच्छा इनिशियेटिव लेना चाहिये।
कमल शर्मा जी का कहना है –
चीन को झटका देने के लिए पहले देश में अच्छी क्वॉलिटी की चीजें बनाओ और वह भी सस्ते प्राइस पर। भारतीय कंपनियों ने सदैव लूटा। स्कूटर तक लड़की के जन्म लेने के समय बुक करवाना पडता था और शादी के समय मिल पाता था। तत्काल चाहिए तो कंपनियां ही लूटती थी। यह तो एक उदाहरण मात्र है। पी वी नरसिंहाराव ने अर्थव्यवस्था को खोला और विदेश से कंपनियां भारत आई तो क्या स्कूटर और क्या कार..सब कुछ धड़ाधड मिलने लगा और देसी कंपनियों एंटी डम्पिंग से लेकर विदेशी कंपनियों को भगाने की गुहार लगाती है। कामचोर कर्मचारी निजीकरण से डरते हैं और निजी वाले विदेशी से।
बहुत ही सुंदर लेख है, हमें प्रस्थिती को समझने की आवश्यकता है।
बाजार में नजर सामान पर और ध्यान अपनी जेब पर होता है. ग्राहक वही खरीदता है जो उसके बजट में बढ़िया हो. उस वक्त किसी का उपदेश ध्यान में नहीं रहता. हम सब जितनी मर्जी फेसबुक और वाट्स एप में समर्थन या विरोध में पोस्ट लिखें उसका एक प्रतिशत भी प्रभाव नहीं पड़ेगा. हाँ गरीब व्यापारी थोड़ा डर जायेगा, पोस्ट लिख कर हम सब कुछ लाइक-कमेन्ट पा जायेंगे और मीडिया में किसी को विद्वता दिखाने का अवसर मिल जायेगा.