OTBA याने कि Open Text Based Assessment जो कि Central Board of Secondary Education (CBSE) ने दो वर्ष पूर्व शुरू किया था। अब इस सत्र से CBSE ने OTBA को बंद करने की घोषणा कर दी है।
OTBA को 9 व 11 वीं के छात्रों के लिये शुरू किया गया था, OTBA के बारे में जानकारी इस प्रकार है –
- CBSE ने OTBA कक्षा 9 के लिये हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान एवं समाजशास्त्र विषयों के लिये व कक्षा 11 के लिये प्रमुख विषयों में कुछ जैसे कि अर्थशास्त्र, जीवविज्ञान, भूगोल के लिये मार्च 2014 से लागू किया था।
- छात्रों को परीक्षा के दौरान प्रश्न के उत्तर लिखते समय अपने नोट्स या कॉपी देखकर लिखने की छूट थी।
- OTBA के अंतर्गत छात्रों को चार माह पूर्व ही पाठ्यसामग्री दे दी जाती थी एवं उनको वह पाठ्य सामग्री व केस स्टडीज जो भी वे बनाते थे, उनको परीक्षा के दौरान लाने की छूट थी।
- OTBA को शुरू करने का मुख्य मकसद था कि जो पारंपरिक शिक्षा प्रणाली चली आ रही है, उससे हटकर कुछ अलग करें, छात्र केवल रट्टा ही न लगायें बल्कि अपनी जानकारी सही तरीके से लिख पायें।
अब CBSE ने दो वर्षों के बाद घोषणा कर दी है कि OTBA बंद किया जा रहा है, अब छात्र अपने साथ पाठ्य सामग्री को परीक्षा के दौरान नहीं ले जा सकेंगे और उपयोग नहीं कर सकेंगे। OTBA शुरू करने का मुख्य उद्देश्य छात्रों की छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकालना था, प्रतिभा को निखारना था, जो कि हर छात्र में होती है और उसे पहचानना बहुत जरूरी होता है।
CBSE ने दो वर्षों तक OTBA को लागू करने के साथ ही स्कूलों के साथ बहुत गहन एवं सूक्ष्म अध्ययन भी किया तो पाया कि छात्र OTBA का गलत फायदा उठा रहे हैं व स्कूलों से भी नकारात्मक रपट मिली। OTBA से छात्रों की याद करने की प्रवृत्ति में कमी आई और बहुत ही ज्यादा रचनात्मक परिणाम भी नहीं देखने को मिले। इससे छात्रों को पढ़ाई के तनाव से भी मुक्ति मिली थी।
अब कई छात्रों एवं अध्यापकों को कहना है कि OTBA से छात्रों को बेहद मदद मिली एवं सबसे अच्छी बात थी कि रट्टा लगाना बंद हो गया था। OTBA बंद करना अच्छे छात्रों के लिये भी ठीक नहीं है क्योंकि वे अपने कठिन पाठों में से कुछ बिंदुओं को लेकर अपनी रचनाधर्मिता से सवालों का जबाब देते थे, जो कि OTBA का मुख्य मकसद भी था। इससे छात्र खुद का दिमाग लगाकर अच्छे तरीके से उत्तर दे सकते थे।
वहीं कुछ शिक्षाविदों का कहना है कि OTBA में बहुत सारी कमियाँ थीं जिसके चलते छात्र पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते थे और उनको पाठ्यसामग्री के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी, वे परीक्षा में सीधे पाठ्यसामग्री या बनाये हुए नोट्स को वैसा का वैसा ही कॉपी कर देते थे, जिससे उनके दिमाग की उर्वरकता घटी व उनको पढ़ाई से भटकाने का काम किया। अब OTBA हटाने के बाद हर छात्र को संपूर्ण पाठ्यसामग्री को फिर से याद करना होगा और अब वापिस से छात्र नंबरों के चक्कर में फँसे रहेंगे।
OTBA के बारे में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रकार के विचार सामने आये हैं, और CBSE ने फिलहाल तो OTBA को इस सत्र से स्थगित कर दिया है। अब देखना होगा कि छात्रों की रचनात्मकता को OTBA की अनुपस्थिती में कैसे उभारा जायेगा।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति …. Nice article with awesome explanation ….. Thanks for sharing this!! 🙂 🙂