आज सुबह जब मैं सोकर उठा तो मेरे लिए एक उदासी भरे दिन की शुरुआत थी। मैं किसी परेशानी को लेकर असमंजस की स्थिति में था। सुबह उठने के बाद नित्य कर्म से निवृत्त होकर रोज ही उक्तियाँ लिखता था, पर आज बेटेलाल को स्कूल भेजने की तैयारी में जुट गया। मैं अपने आपको कहीं व्यस्त रखना चाह रहा था । बहुत ही धीमी गति से वक्त व्यतीत हो रहा था। मैं किसी चीज को अपने से परे धकेलना चाह रहा था, पर वह चीज धकेली ही नहीं जा रही थी।
बेटे लाल को स्कूल भेजने के बाद, मैं अपने आप को व्यस्त रखने के लिए कुछ और करना चाह रहा था। फिर उस असमंजस की स्थिति को खत्म करने के लिए सोचा कि जिस चीज के कारण असमंजस है सबसे पहले उस पर ही काम कर लिया जाए, जिससे दिमाग शांत हो जाएगा और मैं अपने ऑफिस के कुछ ईमेल रिप्लाई करने लगा। धीरे-धीरे मेरे दिमाग से थोड़ा गुबार छँटने लगा और असमंजस की स्थिति ठीक होती दिखने लगी।
सुबह सवेरे मैं खुद ही रोज कोट्स यानी की उक्तियाँ लिखता हूँ। यह उक्तियाँ पता नहीं मेरे पास कहाँ से आते हैं, परंतु जब मैं सुबह लिखने बैठता हूँ तो अपने आप ही लिखे जाने लगते हैं। इन उक्तियों को पढ़ने से यह फायदा है कि किसी ना किसी को कोई ना कोई राह मिल ही जाती है। मैं भी ऐसी ही कोई उक्ति सुबह ढूँढ रहा था।
ईमेल भेजने के बाद सोचा कि चलो थोड़ा घूम आया जाए क्योंकि आज दौड़ने का बिल्कुल मन नहीं हो रहा था। घरवाली के साथ लगभग 4 किलोमीटर घूम कर आए। अनमने मन से ऑफिस के लिए तैयार हो गए तब तक मेरा मोबाइल भी पूरा चार्ज हो चुका था और मैं अपने मोबाइल पर मिस कॉल मैसेजेस और WhatsApp देख रहा था कि एक मैसेज देखकर मेरी आंखें चमकने लगी और मैं वापिस से पूरी तरह से अपने आप से प्रतिबद्ध होकर सारे असमंजसों से बाहर निकलने के लिये दृढ़ हो लिया। मैसेज का फोटो नीचे लगा रहा हूँ –
वाह ! ऐसी ही चमत्कारिक उक्ति एक दम नया संचार कर देती है ऊर्जा का … आप भी अच्छा लिखते हैं
महापुरुषों तथा महान विचारकों की उक्तियाँ, विचार व कथन हमेशा से ही हर मानव के लिए प्रेरणादायी रही है। इसका एक सबसे अच्छा कारण यह है कि हम उनके महानुभावों से सीखते, समझते और उसी विचार को अमल में लाते हैं।
अंत में लाजवाब लेखन सामग्री पढ़ाने के लिए विवेक सर आपका आभार व्यक्त करता हूँ। सादर … अभिनन्दन।।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-07-2017) को “गोल-गोल है दुनिया सारी” (चर्चा अंक-2656) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
डॉ कलाम खुद भी Pure Gold थे…
जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग…
बहुत शानदार लिखा आपने.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत पोजिटिव एनर्जी मिली इससे…आभार!!
#हिन्दी_ब्लॉगिंग