जीवन एक अनंत यात्रा है – मेरी कविता

जीवन एक अनंत यात्रा है

जिसे हम खुद ही खोदकर

और कठिन करते जा रहे हैं

अपने अंदर खोदने की आदत

विलुप्त होती जी रही है

हर किसी नाकामी के लिये

आक्षेप लगाने के लिये

हम तत्पर होते हैं

यह गहनतम जंगल है

जिसमें आना तो आसान है

निकलना उतना ही कष्टकारी है

पीढ़ी दर पीढ़ी कठिनाईयों के दौर

खुद ही बढ़ाते जा रहे हैं

न सादगी रही

न संयम रहा

बस अतिरेक का दावानल है

गुस्से की ज्वाला है

जीवन अमूल्य है

जिसे हम बिसार चुके हैं।

4 thoughts on “जीवन एक अनंत यात्रा है – मेरी कविता

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-04-2017) को <a href= “छूना है मुझे चाँद को” (चर्चा अंक-2936) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर…!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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