कल एक कलीग से बात हो रही थी, वो बता रहे थे कि उनकी माताजी बताती हैं 1971 के युद्ध में जब उनके पिताजी भी हिस्सा लेने गए, वे नेवी में थे और नेवी की कॉलोनी में रहते थे। किसी को पता नहीं था कि वे कहाँ जा रहे हैं।
कुछ दिनों बाद समाचार आया कि पाक के तारपीडो ने हमारे एक जहाज को उड़ा दिया है और वो समुद्र में डूब गया है, तो पूरी कॉलोनी शोक में डूब गई गई थी, किसी के घर 2 दिन तक चूल्हा तक नहीं जला था।
जब तीसरे दिन खबर आई कि आईएनएस खुखरी डूबा है, तब जाकर इनके यहाँ मातम शोक कम हुआ, पर खुखरी पर सवार जवानों के घर पर मातम गहरा गया था।
युद्ध का उन्माद केवल जनता के लिये रोमांच है, पर वे खुद लड़ना नहीं चाहते, अगर इतना ही लड़ने की इच्छा है तो आप प्रण कीजिये कि अपने घर से कम से कम एक बच्चे को युद्ध के लिये सेना में भेजेंगे।
केवल जानकारी के लिये बता दूँ कि ये मुस्लिम मित्र हैं, पर जब भारत ने पाक के ऊपर नभ से कार्यवाही की, तो उनकी खुशी देखते नहीं बन रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो खुद एक जंग जीतकर आ रहे हैं, कल जब पाकिस्तान ने नभ से आक्रमण किया तो बहुत खिन्न थे, और केवल एक वाक्य था कि इनको तो नक्शे से मिटा देना चाहिये, पर इसमें भारत फिर से 1947 की वित्तीय परिस्थितियों में पहुँच जायेगा, क्योंकि वे खुद एक बड़े वित्तीय विश्लेषक हैं।
कल शेयर बाजार बहुत अच्छा कर रहा था, और निफ्टी 125 अंक ऊपर तथा बैंक निफ्टी ३५० अंक ऊपर लगभग 27180 के आसपास था, जैसे ही सवा ग्यारह की पाकिस्तानी हवाईजहाजों के भारत में घुसने की खबर आई, और पुष्टि हुई, अचानक से बाजार में बिकवाली आ गई, और निफ्टी 175 अंक नीचे तथा बैंक निफ्टी 450 से ज्यादा अंकों से नीचे था।और 12 बजे से ही नो ट्रेड के मैसेज भी आने लगे, कि डन फॉर द डे। चित्र में देख सकते हैं कि कैसे बैंक निफ्टी लुढ़का और फिर लगभग बाजार में नो ट्रेड डे ही रहा।
खुद सोचिये कि वित्तीय बाजार इतनी सी घटना को इतना गंभीरता से लेता है तो युद्ध की परिस्थितियों में क्या होगा, हालांकि हमारे कई मित्र कल कराँची स्टॉक एक्सचेंज के 1700 अंक नीचे याने कि लगभग 4% नीचे था, उसकी काफी खुशियाँ मना रहे थे।