भारत में नोट छापने की प्रक्रिया

भारत सरकार जब नये नोट छापती है तो इसकी क्या प्रक्रिया होती है, इस बारे में ज्यादा जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं है, तो सोचा इस पर जानकारी दी जाये।

ज्यादा नए नोट छापने से भारत की अर्थव्यवस्था हिल सकती है, क्योंकि इससे मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) बढ़ सकती है, जिससे चीजों के दाम बढ़ जाते हैं और लोगों की खरीदारी शक्ति कम हो जाती है। इससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है और देश की मुद्रा का मूल्य भी गिर सकता है।

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इसलिए, भारत की अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए, नए नोट छापने की प्रक्रिया को बहुत ही सावधानीपूर्वक और विज्ञानी तरीके से किया जाता है। नए नोट छापने का निर्णय रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) द्वारा किया जाता है, जो सरकार की सलाह भी लेता है। आरबीआई नए नोट छापने के लिए देश की आर्थिक नीतियों और लक्ष्यों के अनुसार काम करता है, जैसे कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना, विदेशी मुद्रा आरक्षण को बढ़ाना, बैंकों को पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराना और नोटों की सुरक्षा और गुणवत्ता को बनाए रखना।

आरबीआई नए नोट छापने के लिए देश की जीडीपी (ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट), राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट), विकास दर (ग्रोथ रेट) और बाजार की मांग (मार्केट डिमांड) को भी ध्यान में रखता है। आरबीआई नए नोट छापने के लिए अपनी आर्थिक विश्लेषण और आंकड़ों के आधार पर एक वार्षिक योजना बनाता है, जिसे नोट छापने की आवश्यकता (इंडेंट) कहते हैं। इस योजना को सरकार के साथ समन्वय करके निर्धारित किया जाता है।

  • – नये नोट छापने के लिए जरूरी प्रिंटिंग पेपर का उत्पादन दो मिलों में होता है- होशंगाबाद (मध्यप्रदेश) और मैसूर (कर्नाटक) में। इन मिलों से प्रिंटिंग पेपर पाने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय चाहिये।
  • – नये नोट छापने के लिए जरूरी स्याही के लिए 1 साल पहले आर्डर देना होता है। स्याही का उत्पादन देवलाली (महाराष्ट्र) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में होता है।
  • – नये नोट छापने की पूरी प्रक्रिया के लिए 3 साल तक की एडवांस प्लानिंग की जरूरत होती है।
  • – नये नोट छापने का काम चार प्रिंटिंग प्रेसों में होता है- नाशिक (महाराष्ट्र), देवास (मध्यप्रदेश), मैसूर (कर्नाटक) और सलबोनी (पश्चिम बंगाल) में। इन प्रेसों में से दो आरबीआई के अधीन हैं और दो भारतीय सिक्का और नोट मुद्रण निगम (बीएनपीएम) के अधीन हैं।
  • – नये नोट छापने के बाद, वे आरबीआई के भंडारों में भेजे जाते हैं, जहां से वे विभिन्न बैंकों को वितरित किए जाते हैं।

यह एक बहुत ही जटिल और सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसमें कई चरण और अधिकारियों का सहयोग होता है।

भारत में नोट की सुरक्षा प्रक्रिया बहुत ही जटिल और सटीक होती है। इस प्रक्रिया में नोटों के कागज, स्याही, डिजाइन, प्रिंटिंग और वितरण के लिए कई चरण और उपकरणों का इस्तेमाल होता है। नोटों की सुरक्षा प्रक्रिया कुछ प्रकार होती है –

  • – नोटों के कागज का निर्माण रजिस्ट्री कागज़ से होता है, जिसे अंग्रेज़ी में “Rag Paper” कहा जाता है। यह कागज़ एक खास प्रक्रिया के माध्यम से बनाया जाता है ताकि यह नकल करना मुश्किल हो।
  • – नोटों में सुरक्षा थ्रेड्स और वॉटरमार्क का इस्तेमाल होता है जो नकल करने से रोकते हैं। वॉटरमार्क नोट के कागज के अंदर विशेष प्रकार की नमी को दर्शाता है जो नकल करने से नहीं दिखती है।
  • – नोटों में विभिन्न सिक्योरिटी फीचर्स भी होते हैं, जैसे कि होलोग्राम, मैग्नेटिक इंक, और माइक्रोप्रिंटिंग, जो नकल करने को रोकते हैं।
  • – नोट के कागज को केमिकल ट्रीटमेंट के माध्यम से भी विशेष बनाया जाता है ताकि यह नकल करने से बचा जा सके।
  • – नोटों का डिजाइन भारतीय सिक्का और नोट मुद्रण निगम (बीएनपीएम) द्वारा किया जाता है, जो एक सरकारी संस्था है। नोटों का डिजाइन राष्ट्रीय गौरव, सांस्कृतिक विरासत, विकास और प्रौद्योगिकी को दर्शाता है।

उम्मीद है आपको जानकारी पसंद आई होगी।

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