IIT Dhanbad के दलित का जो केस आया है जिसमें वह समय से फीस जमा नहीं कर पाया और इस कारण उसे एडमिशन नहीं दिया गया तब वह कोर्ट के पास गया और कोर्ट ने आदेश दिया की इस नौजवान को एडमिशन दिया जाए।
उस नौजवान के परिवार ने फीस के लिए पूरे गांव से चंदा लिया, इंग्लिश में जिसे क्राउड फंडिंग कहा जाता है, फीस भी मात्र ₹17,000 थी, कोई ऐसा सिस्टम जरूर होना चाहिए कि ऐसा हम लोगों को भी पता चले और हम उनकी मदद कर पायें।
हम सोचते हैं हम मदद कर देंगे लेकिन हमें सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती और बहुत सारे टैलेंटेड बुद्धिमान नौजवान इन सब चीजों से महरूम रह जाते हैं।
हालांकि हमारा सिस्टम इस मामले में बहुत तेज होना चाहिए लेकिन लचर है, इसके लिए कोई तो प्लेटफार्म होना चाहिए जिससे की मदद एकदम से मिल पाए और केस genuine है यह भी साबित हो पाए।
क्यों हमारे राजनेता इन सब में आकर मदद नहीं करते? उनका सामाजिक दायित्व सबसे पहले बनता है। क्या वे जनता को पढ़ा लिखा नहीं देखना चाहते?