कई बार कान वही सुनते हैं जो सुनना चाहते हैं और इस चक्कर में कई बार गड़बड़ियां हो जाती हैं।
आज की गड़बड़ी बड़ी जबरदस्त रही, एक पारिवारिक आयोजन में जाना था। जिसकी डेट हमें आज की याद थी। पर मम्मी जी बोली कि बुधवार को जाना है और फिर तुरंत उन्होंने फोन लगाकर कंफर्म भी कर लिया।
हम गाड़ी धो रहे थे तब उन्होंने पूछा था कि आज गाड़ियां क्यों धो रहे हो तो हमने बोला कि आज वहां जाना है तो गाड़ी थोड़ी साफ सुथरी होगी तो अच्छा लगेगा।
अब जब बात हुई तब पता चला आयोजन आज नहीं चल ही है अपने ऊपर थोड़ा क्षोभ हुआ, सोचा कहीं बुढ़ा तो नहीं गए हैं या फिर अपने हिसाब से अपना मन अपनी बातें करने लगता है आजकल क्या हो गया है मुझे!
ऐसे ही अभी फ्लिपकार्ट मिनिट्स से ऑर्डर किया और तैयार होने के बाद पापाजी से पूछा समान आ गया क्या? वो बोले – नहीं आया। मैंने फिर एप्प पर देखा कि वाकई ऑर्डर हो भी गया था या नहीं, क्योंकि पेमेंट कन्फर्म होने के बाद मैंने मोबाईल का स्क्रीन बंद कर दिया था, देखा तो पता चला कि ऑर्डर तो हो गया है, पर फ्लिपकार्ट ने मिनिट्स का आधा घँटा कर दिया है। यह भी कन्फ्यूजन रहा।