एलन मस्क और ओपनएआई

क्या आपने सुना कि एलन मस्क ने ओपनएआई को 97 बिलियन डॉलर में खरीदने की कोशिश की? लेकिन ये सिर्फ एक ऑफर नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी चाल थी, जिसके पीछे का मकसद ओपनएआई और इसके सीईओ सैम ऑल्टमैन को नीचे लाना था। इस दिलचस्प कहानी को थोड़ा और करीब से बताता हूँ।

एलन मस्क, जिन्हें हम टेस्ला और स्पेसएक्स के लिए जानते हैं, ने 2015 में ओपनएआई की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। उस समय उनका मिशन था कि आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) को पूरी इंसानियत के फायदे के लिए बनाया जाए, ना कि कॉर्पोरेट मुनाफे के लिए। लेकिन 9 साल बाद, 2024 में चीजें बदल गईं। ओपनएआई ने अपनी नॉन-प्रॉफिट स्ट्रक्चर को छोड़कर एक “कैप्ड-प्रॉफिट” मॉडल अपनाया, जिससे निवेशकों को 100 गुना रिटर्न मिल सकता था। लेकिन मस्क को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया।

मस्क का मानना है कि ओपनएआई ने अपना वादा तोड़ा। लेकिन असली वजह कुछ और गहरी है। मस्क जानते हैं कि जो भी AGI को सबसे पहले बनाएगा, वही भविष्य पर राज करेगा। और ये रेस सिर्फ सबसे स्मार्ट AI बनाने की नहीं है, बल्कि सबसे ज्यादा कंप्यूटिंग पावर जुटाने की है। पिछले 5 सालों में AI की लागत 25 गुना बढ़ गई है। माइक्रोसॉफ्ट ने ओपनएआई में 13 बिलियन डॉलर डाले हैं, और अब ओपनएआई 40 बिलियन डॉलर और जुटाने की कोशिश में है। ये रेस अब सिर्फ उन कंपनियों के लिए है जो ट्रिलियन डॉलर की लीग में हैं।

तो मस्क ने क्या किया? उन्होंने ओपनएआई के खिलाफ एक चाल चली। 97.4 बिलियन डॉलर का एक फर्जी ऑफर दिया, जिसका मकसद था ओपनएआई की फंडिंग को रोकना और उसे वापस नॉन-प्रॉफिट बनने पर मजबूर करना। ओपनएआई ने इसे सीधे तौर पर “हैरासमेंट” करार दिया। लेकिन मस्क का असली प्लान क्या है? दरअसल, ओपनएआई को दिसंबर 2025 तक एक पब्लिक बेनिफिट कॉर्पोरेशन बनना है, वरना उनकी फंडिंग रुक जाएगी। और मस्क का मुकदमा इस डेडलाइन को खतरे में डाल रहा है। अगर ओपनएआई हार गई, तो उनकी फंडिंग खत्म हो जाएगी, और बिना फंडिंग के वो इस रेस में पीछे रह जाएगी।

लेकिन मस्क का असली मकसद अपनी AI कंपनी xAI को आगे लाना है। वो जानते हैं कि AI की रेस में जीत दिमाग से नहीं, बल्कि पैसे से मिलेगी। और इस रेस में सबसे ज्यादा फायदा उन कंपनियों को होगा जो “पिक्स एंड शोवेल्स” बेच रही हैं—यानी क्लाउड कंपनियां, चिपमेकर्स और डेटा सेंटर ऑपरेटर्स।

टेक्नोलॉजी की दुनिया में असली जीत हाइप से नहीं, बल्कि सही रणनीति से मिलती है।

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