जापान की क्रांतिकारी हाइड्रोजन रणनीति

क्या आपने कभी सोचा कि हमारा भविष्य कैसा होगा, जब हम स्वच्छ और sustainable energy पर निर्भर होंगे? आज मैं आपको जापान की उस क्रांतिकारी हाइड्रोजन रणनीति के बारे में बताने जा रहा हूँ, जो ऊर्जा क्षेत्र में गेम-चेंजर है और पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है!

जापान, एक ऐसा देश जो प्राकृतिक संसाधनों की कमी से जूझता है, उन्होंने 2017 में दुनिया की पहली राष्ट्रीय हाइड्रोजन रणनीति बनाई। इसका लक्ष्य था एक ऐसी “हाइड्रोजन सोसाइटी” का निर्माण, जहाँ हाइड्रोजन का इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट, बिजली उत्पादन, स्टील उद्योग और यहाँ तक कि घरेलू गैस में हो। लेकिन क्या ये इतना आसान था? बिल्कुल नहीं! जापान ने अपनी रणनीति को और व्यावहारिक बनाया है, जिसे ‘Safety + 3E’ framework कहा जाता है—safety, energy security, economic efficiency और environmental sustainability।

जापान की ऊर्जा असुरक्षा उसे इस दिशा में प्रेरित करती है। 2023 में, जापान ने अपनी 87% ऊर्जा आयात की, क्योंकि 2011 के फुकुशिमा परमाणु हादसे के बाद न्यूक्लियर पावर पर भरोसा कम हुआ। Renewable energy की सीमाएँ और भौगोलिक चुनौतियाँ भी हैं। लेकिन जापान ने हार नहीं मानी! उसने हाइड्रोजन को अपनी ऊर्जा रणनीति का आधार बनाया। टोयोटा की फ्यूल-सेल तकनीक और दुनिया का पहला लिक्विफाइड हाइड्रोजन कैरियर, सुइसो फ्रंटियर, इसके उदाहरण हैं।

2023 में जापान ने अपनी रणनीति को अपडेट किया और 15 ट्रिलियन येन (लगभग 100 बिलियन डॉलर) का सार्वजनिक-निजी निवेश योजना बनाई। इसमें ग्रीन हाइड्रोजन पर जोर है, जो 2050 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी के लक्ष्य को पहुँचने में मदद करता है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार, 2050 तक वैश्विक हाइड्रोजन माँग 430 मिलियन टन तक पहुँच सकती है, जिसमें 98% low-emission hydrogen होगा।

लेकिन चुनौतियाँ भी हैं। ग्रीन हाइड्रोजन अभी महँगा है, और इसके storage व transportation की cost भी high है। अगर जापान हाइड्रोजन आयात पर निर्भर हुआ, तो ये उसकी energy insecurity को पूरी तरह खत्म नहीं करेगा। फिर भी, जापान का दृष्टिकोण हमें सिखाता है कि मुश्किल हालात में भी innovation और international partnerships के जरिए बदलाव संभव है।

हम भारत में भी इस प्रेरणा को अपना सकते हैं। हमारे पास सूरज और हवा जैसे नवीकरणीय संसाधन प्रचुर हैं। अगर हम हाइड्रोजन तकनीक पर निवेश करें, तो न केवल हमारा पर्यावरण स्वच्छ होगा, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा भी बढ़ेगी। आइए, जापान की तरह हम भी अपने भविष्य को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाएँ।
क्या आप हाइड्रोजन ऊर्जा को भारत का भविष्य मानते हैं?

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