व्हाईट हाऊस की फ़ेन्स वायर को जोड़ने के ठेके के लिये तीन ठेकेदार आये, जिसमें एक जापान से, दूसरा भारत से और तीसरा चीन से था।
तीनों व्हाईट हाऊस की टूटी हुई फ़ेन्स वायर को देखने गये।
जापानी ठेकेदार ने अपना नाप लेने वाले फ़ीता निकाला और उससे कुछ नाप लेने लगा, उसके बाद पेन्सिल लेकर कुछ गणित करने लगा। फ़िर बोला “ठीक है” मैं इस काम को $900 में कर दूँगा। ($400 लगने वाले सामान के, $400 कारीगरों के, $100 मेरा लाभ)
फ़िर चीन के ठेकेदार ने भी उसी तरह से सब नापजोख किया और बोला कि मैं यह काम $700 में कर दूँगा। ($300 लगने वाले सामान के, $300 कारीगरों के, $100 मेरा लाभ)
भारतीय ठेकेदार ने बिना नापजोख किये फ़िर व्हाईट हाऊस के अधिकारी की तरफ़ देखकर बोला “$2700”।
उस अधिकारी को बहुत आश़्चर्य हुआ और बोला कि तुमने इन लोगों की तरह कुछ नापा भी नहीं और कुछ गणित भी नहीं किया फ़िर तुमने ये हिसाब कैसे किया ?
भारतीय ठेकेदार ने चहककर बोला “$1000 मेरे, $1000 आपके, और इस चीन वाले को हम लोग फ़ेन्स वायर जोड़ने के लिये दे देंगे।”
सरकारी अधिकारी का जबाब था “ठीक है, ये ठेका आपका”।
kya khoob likha hai vivekji, badhai.
yahaan bhi aayen. http://gubaar-e-dil.blogspot.com
hahahahaha….. bahut sahi…
चलो भारतीय सफल हुआ
हा हा!! यही सफल तरीका है.
बहुत सुना है यह। किसी साम्यवादी ने भारत और अमेरिका की कॉस्ट पर चीन के फायदे के लिये रचा प्रतीत होता है। और इससे चीन के प्रति रत्ती भर भी श्रद्धा उत्पन्न नहीं होती!
@ज्ञानदत्तजी – मैंने भी यह किस्सा कहीं सुना था मैंने सोचा अगर यह जालतंत्र पर होगा तो सबके विचार जानने को मिलेंगे। धन्यवाद आपका।
जरुर यह हिन्दुस्तानी हमार ताऊ ही होगा
hahahahaha………..aaj ka sabse safal tarika sirf hindustani hi sikha sakte hain .
हा हा हा हा हा . . . !
हिन्दुस्तानी जिन्दबाद . . .
Lekin ye to dhoka hai kya hum aise hi paise kamayege
जी हाँ आपकी बात बिल्कुल ठीक है पर कहीं न कहीं यह किस्सा हमारे तंत्र पर बिल्कुल सटीक बैठता है।