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About Vivek Rastogi

मैं २००६ से हिन्दी ब्लॉगिंग कर रहा हूँ, और वित्त प्रबंधन मेरा प्रिय विषय है। मेरा एक यूट्यूब चैनल भी है जिसे आप https://youtube.com/financialbakwas देख सकते हैं।

बैंकिंग में एक नया फ्रॉड

एक बंदे के पास बैंक की तरफ से फोन आया कि आपके रिवॉर्ड पॉइंट के बदले में आपके मोबाइल दिया जा रहा है, क्योंकि आपकी बहुत सारे रिवार्ड पॉइंट्स इकट्ठे हो गए हैं, तो आप अपना एड्रेस बता दीजिए आपके मोबाइल डिलीवर कर दिया जाएगा।

उसे बंदे के पास अगले दिन फोन डिलीवर हो गया। फिर उसके बाद बैंक से फोन आया कि अब आपको अपने सारे बैंकिंग ट्रांजैक्शन इसी फोन से करने हैं। यह बैंक की शर्त है, क्योंकि आपको यह फोन रिवॉर्ड पॉइंट के बदले में दिया गया है।

तो उसे बंदे ने उसे फोन पर बैंक के एप में लॉगिन किया और उपयोग करने लगा। लगभग 10 दिन के बाद जब वह अपने बैंक का स्टेटमेंट देख रहा था, तो उसे पता चला कि उसकी 2.80 करोड़ की एचडी प्रीमेच्योर हो गई है और कहीं और उसका पैसा ट्रांसफर हो चुका है।

अब बताइए – अगर आपके पास भी ऐसा फोन आएगा, तो आप क्या करेंगे? आप अपना कॉमनसेंस का उपयोग करेंगे या फिर नए फोन में बैंक की एप में लॉगिन करेंगे।

क्या ट्रम्प 1829 वाला दौर दुबारा ला रहे हैं?

अमेरिकी राजनीति में यह दौर असाधारण लग सकता है। विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रम्प के आलोचक उन्हें अभूतपूर्व रूप से चित्रित कर रहे हैं। नवंबर का चुनाव युगों के बाद वापसी का था- एक ऐसे व्यक्ति की सत्ता में वापसी होती है, जो यह मानता है कि उसके प्रतिद्वंद्वी ने चार साल पहले उससे राष्ट्रपति पद छीन लिया था। उद्घाटन के लिए उमड़ी भीड़ से वाशिंगटन की सांस्कृतिक और राजनीतिक व्यवस्था स्तब्ध थी।

ट्रम्प ने अपने राष्ट्रपति पद के अधिकार का प्रयोग करने में बिल्कुल समय बर्बाद नहीं किया। उन्होंने राजनीति, मीडिया, व्यवसाय और संस्कृति में देश के अभिजात वर्ग पर तुरंत हमला किया। सत्ता-विरोधी लोगों को जो कि संघीय सेवा में कर्मचारी थे, उनको धड़ाधड़ निकालना शुरू कर दिया। ट्रम्प ने कामचोरी, धोखाधड़ी, दुरुपयोग और अक्षमता के आरोपों को उचित ठहराया।

राष्ट्रपति के इन कार्यों ने आलोचक मीडिया और राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें एक राजा के रूप में चित्रित करने की कोशिश करी। उन्होंने डेनमार्क से शुरू करके विदेशी देशों के बहुत से नेताओं को नाराज़ किया – जहाँ उन्हें लगा कि कोई और देश अमेरिका में मिला लेना चाहिए। उन्होंने यह कहकर वैश्विक राय को और भड़का दिया कि पड़ोसी देश को राज्य बना दिया जाना चाहिए।

आर्थिक मोर्चे पर, उन्होंने उच्च टैरिफ का बचाव किया और ब्याज दरों को लेकर सेंट्रल बैंक को विरोध किया। लेकिन सच्चाई तो यह है कि जो कुछ भी ट्रम्प ने किया है, कुछ भी नया नहीं है। लगभग 200 साल पहले, एंड्रयू जैक्सन के रूप में अमेरिका ने यह सब पहले भी देखा है। 1828 में जैक्सन का चुनाव भी ऐसे ही हुआ था, जिन्होंने दावा किया था कि पिछले चुनाव में उन्हें “भ्रष्टाचार और सौदेबाज” के ग़लत संदेश हराया था।

1824 में, जैक्सन ने चार उम्मीदवारों की दौड़ में 40.5% जीत दर्ज करी, 24 राज्यों में से 11 पर कब्जा किया। लेकिन वे बहुमत से 32 इलेक्टर दूर थे। 47वें राष्ट्रपति कई मायनों में सातवें राष्ट्रपति की तरह हैं।

जब फरवरी 1825 में सदन में मत हुआ तो चार राज्य पलट गए जिन्होंने जैक्सन के विरोध में मतदान किया था। नवंबर में दूसरे स्थान पर रहे जॉन क्विंसी एडम्स ने 24 में से 13 राज्यों और व्हाइट हाउस पर कब्ज़ा कर लिया। जैक्सन ने कथित तौर पर कहा, “लोगों को” “धोखा दिया गया है”। “भ्रष्टाचार और षड्यंत्रों ने लोगों की इच्छा को हरा दिया।” उन्होंने चार साल बाद दक्षिण कैरोलिना के उप राष्ट्रपति जॉन कैलहॉन के साथ जीत दर्ज की।

जैक्सन के जीतने के समारोह के दौरान, जश्न मनाने वाले समर्थकों ने सड़कों को जाम कर दिया, कैपिटल को उनसे हाथ मिलाने के लिए भर दिया, फिर व्हाइट हाउस को घेर लिया। जैक्सन ने, श्री ट्रम्प की तरह, अपने समय की सरकार की निंदा की, 1824 में अपनी पत्नी से कहा कि वह “देश को लोकतंत्रवादियों के शासन से बचाएंगे।”

सत्ता संभालने के बाद, उन्होंने बहुत से सरकारी कर्मचारियों को तुरंत ही पद से हटा दिया, जैक्सन राष्ट्रपति पद की शक्ति बढ़ाना चाहते थे। उनके अत्याचारी कार्यों और कांग्रेस को नज़रअंदाज़ करने के कारण विरोधियों ने 1832 में उन्हें “राजा एंड्रयू प्रथम” कहकर प्रसिद्ध करने लगे, जो मुकुट और वस्त्र पहने हुए थे और राजदंड लिए हुए थे।

नेपोलोनिक युद्धों के दौरान जब्त किए गए अमेरिकी जहाजों के लिए लूट के दावों को लेकर उनका डेनमार्क और अन्य यूरोपीय शक्तियों के साथ विवाद हो गया। जैक्सन चाहते थे कि टेक्सास-जो 1836 में स्वतंत्रता की घोषणा करने से पहले मेक्सिको का हिस्सा था-एक राज्य बन जाए। उन्होंने “टैरिफ ऑफ़ एबोमिनेशन” की अध्यक्षता की, जो इतने अधिक थे कि 1832 में दक्षिण कैरोलिना ने उनसे अलग होने की धमकी दी। उन्होंने बैंक ऑफ़ अमेरिका की उच्च ब्याज दरों का कड़ा विरोध किया।

दोनों राष्ट्रपति आत्म-मुग्ध व्यक्तित्व वाले, कट्टर पक्षपाती और प्रतिशोध लेने वाले थे। लेकिन दोनों में उल्लेखनीय अंतर हैं। जैक्सन युद्ध नायक थे; ट्रम्प नहीं हैं। जैक्सन गरीबी में पैदा हुए थे, ट्रम्प अमीरी में। जैक्सन भ्रष्टाचार को रोकना चाहते थे; ट्रम्प को राष्ट्रपति-चुनाव के दौरान अपना स्वयं का क्रिप्टो जारी करने में कोई हिचक नहीं थी। जैक्सन ने राष्ट्रीय ऋणों का भुगतान किया; ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में इसमें भारी वृद्धि की।

जैक्सन ने लोकतंत्र का समर्थन किया और अधिक आर्थिक समानता के लिए काम किया। क्या ट्रम्प ऐसा करेंगे? समय बहुत अलग है और आज दांव पर भी बहुत कुछ लगा हुआ है। दुनिया आर्थिक रूप से बहुत अधिक परस्पर निर्भर और खतरनाक तरीके से चल रही है।

19वीं शताब्दी के मध्य में यूरोपीय शक्तियों के बीच युद्ध ने अमेरिका के लिए उतना खतरा पैदा नहीं किया था, जितना आज है। विशाल महासागर अब हमारी शांति और समृद्धि की गारंटी नहीं हैं। इन अतिरिक्त चुनौतियों के साथ, क्या राष्ट्रपति ट्रम्प अपने जैक्सनियन वादों को पूरा करेंगे? क्या सीमा की सुरक्षा पर उनकी प्रगति मुद्रास्फीति के अंत और सभी अमेरिकियों के लिए बढ़ती समृद्धि को आगे बढ़ा पायेंगे? क्या अमेरिका फिर से एक मजबूत, सम्मानित शक्ति के रूप में खड़ा होगा या कमजोर दिखाई देगा और अपना विश्वास बचा पायेगा? क्या संवैधानिक सुरक्षा व्यवस्था कायम रहेगी?

मंगोलिया का हीरो चंगेज खान

मंगोलिया में चंगेज खान की मूर्ति केवल एक पर्यटक आकर्षण नहीं है, बल्कि यह उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि है जिसने इतिहास की दिशा बदल दी। और मंगोलिया में जिसे हीरो माना जाता है। जिसने अपना साम्राज्य ईरान से लेकर यूरोप तक फैला रखा था।

मंगोलिया की जनजातियों को एकजुट करके अपने जीवनकाल में चीन, मध्य एशिया और फारस के अधिकांश हिस्सों पर विजय प्राप्त की। खानों की बाद की पीढ़ियों ने हमारी दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा साम्राज्य बनाया, जिसमें पूरा चीन, दक्षिण में बर्मा और वियतनाम, तिब्बत, भारत का ऊपरी आधा हिस्सा, पूरा साइबेरिया और मध्य एशिया, फारस, काकेशस, रूस, बाल्कन का बड़ा हिस्सा, पूर्वी और मध्य यूरोप शामिल थे।

मंगोल साम्राज्य की स्थापना की 800वीं वर्षगांठ के अवसर पर, मंगोलिया ने दुनिया की सबसे बड़ी घुड़सवार मूर्ति का निर्माण किया। अपने घोड़े पर चंगेज खान की 40 मीटर (120 फीट) ऊंची, चमचमाती, स्टेनलेस स्टील का स्मारक बनवाया।

मंगोलिया की आधी आबादी उलान बटार में रहती है, जहाँ चंगेज खान का स्टेचू बनाया गया है।

चंगेजखान जब किसी नए शहर या राज्य के पास जाते थे, तो वे मंगोलों के वैश्विक विजय अभियान के बारे में बताते हुए दूत भेजते थे। यदि शहर आत्मसमर्पण कर देता था, तो उसे कर देना पड़ता था और बढ़ती मंगोल सेना में योगदान देना पड़ता था, और उसे छोड़ दिया जाता था। यदि राज्य विरोध करते थे, तो शहर को नष्ट कर दिया जाता था और धन-संपत्ति छीन ली जाती थी। अभिजात वर्ग को मार दिया जाता था, और नागरिकों को गुलाम बना लिया जाता था। कई शहरों ने दूतों को मारकर इस विकल्प का जवाब दिया। कभी-कभी मंगोलों ने धैर्यपूर्वक यह समझाने के लिए दो या तीन दल भेजे कि क्या हो सकता है, फिर लूटपाट का दौर वहशी तरीके से शुरू करते थे।

मंगोलों को यूरोप पर कब्ज़ा करने से किसने रोका? इसकी वजह एक पारिवारिक झगड़ा बना। उत्तराधिकार की लड़ाई में चंगेज के बेटे यूरोप से वापस मंगोलिया आ गए। काफ़ी विवाद हुआ। यूरोपियों ने इस शांति का फ़ायदा उठाते हुए अपने झगड़े बंद कर दिए, बेहतर महल बनाए और खुद की रक्षा के लिए तैयारी की। नतीजतन, यूक्रेन और रूस को छोड़कर, यूरोप ने मंगोल शासन को रोक दिया।

चीन का बीजिंग शहर भी चंगेज खान ने बसाया था। प्लेग ने चंगेज खान का पूरा साम्राज्य खत्म कर दिया, यह भी कहना उचित होगा कि चीन से फैली यह प्लेग की बीमारी मंगोलों के कारण पूरी दुनिया में फैल गई।

भारत वे भी चंगेज खान ने बहुत लूटपाट की थी ज़ पर लूटपाट का धन किधर गया, यह आजतक कोई जान नहीं पाया।

ITC का demerger

ITC याने की Indian Tobacco Company का demerger हो रहा है। कई लोगों को पता नहीं कि डीमर्जर क्या होता है।

डीमर्जर एक कॉर्पोरेट एक्शन है जिसमें एक बड़ी कंपनी अपने एक या अधिक व्यवसायों को अलग करके नई कंपनियाँ बनाती है। ये नई कंपनियाँ फिर स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। इसके अपने फायदे और नुकसान होते हैं।

क्यों किया जाता है डीमर्जर?

  • फोकस बढ़ाने के लिए: कंपनी अपने मुख्य व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।
  • मूल्य बढ़ाने के लिए: अलग-अलग व्यवसायों का मूल्य, जब वे एक साथ होते हैं, उससे अधिक हो सकता है जब वे अलग हों।
  • विकास के लिए: अलग-अलग कंपनियाँ तेजी से बढ़ सकती हैं।

डीमर्जर के फायदे:

  • निवेशकों के लिए: निवेशकों को अलग-अलग कंपनियों में निवेश करने का मौका मिलता है।
  • कर्मचारियों के लिए: कर्मचारियों को नए अवसर मिल सकते हैं।
  • ग्राहकों के लिए: ग्राहकों को बेहतर सेवा मिल सकती है।

डीमर्जर के नुकसान:

  • लागत: डीमर्जर कम्पनी के लिये एक महंगी प्रक्रिया है।
  • जोखिम: डीमर्जर से कंपनी के शेयर की कीमत कम हो सकती है।

डीमर्जर से क्या होगा?

  • एक नई कंपनी: ITC होटल्स नाम से एक नई कंपनी बनेगी।
  • शेयरधारकों को लाभ: मौजूदा ITC शेयरधारकों को नई कंपनी के शेयर भी मिलेंगे।
  • बिजनेस में वृद्धि: दोनों कंपनियों को अपने-अपने क्षेत्र में बढ़ने का मौका मिलेगा।

कब होगा प्रभावी?
यह डीमर्जर 6 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा।


आपके लिए क्या मतलब है?

6 जनवरी को सुबह 9 बजे से 9.45 तक ITC और ITC Hotels का स्पेशल ट्रेडिंग सेशन होगा और इसमें दोनों शेयरों की प्राइज डिस्कवरी की जाएगी।

और फिर जो भी प्राइस डिस्कवर होगा, उससे 10 बजे से ट्रेडिंग शुरू हो जायेगी।

आईटीसी लिमिटेड के प्रत्येक शेयरधारक को मूल समूह ITC में उनके द्वारा रखे गए प्रत्येक 10 शेयरों के लिए आईटीसी होटल्स का एक शेयर दिया जाएगा।

आईटीसी के होटल बिजनेस की कुल संपत्ति 30 सितंबर, 2024 के अंत में 7,818.4 करोड़ रुपये थी। इसी अवधि के अंत में आईटीसी के कुल शुद्ध मूल्य का 9.5% था। आईटीसी होटल्स का बुक वैल्यू प्रति शेयर 37.57 रुपये प्रति शेयर है। अब देखते हैं कि ITC और ITC Hotels का क्या प्राइस डिस्कवर होता है।

फ़ोटो से आपको clearity मिल जायेगी।

त्रिफला जबरदस्त औषधि

त्रिफला जबरदस्त औषधि है, आयुर्वेद में लिखा है जो 10 साल तक त्रिफला लगातार ले लेता है। उसका कायाकल्प हो जाता है। हाँ इसके सेवन करने के तरीके मौसम के अनुसार बदल जाते हैं।

1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला 1:2:3 मात्रा वाला त्रिफला ही लेना चाहिये, हम अमेजन से मंगवाते हैं, लोकल में इधर अत्तार नहीं हैं। हमने थोड़े दिन पहले शुरू किया जबरदस्त फायदा है।

फायदे जो गिनाये जाते हैं वे इस प्रकार हैं –

एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।

दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।

तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।

चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है।

पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।

छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।

सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।

आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वृद्धाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।

नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है और सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।

दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है यानी गले में सरस्वती का वास हो जाता है

उर्मिला निंद्रा पर जागृति थियेटर पर प्ले

बहुत सालों बाद कल जागृति थियेटर में प्ले देखने गये नाम था ‘उर्मिला’।

आदिशक्ति माँ सीता की बहन उर्मिला, जब श्रीराम का विवाह सीता से हुआ, तब लक्ष्मण का विवाह उर्मिला से हुआ।

बनवास के समय लक्ष्मण दिन में श्रीराम व सीतामाता की सेवा करते थे, और रात्रि में रक्षा करते थे, लक्ष्मण ने निद्रादेवी से वरदान मांगा था कि उन्हें 14 वर्ष तक नींद न आये, तब निद्रादेवी ने एक शर्त पर यह वरदान देने को कहा कि कोई और तुम्हारी जगह 14 साल तक सोयेगा, तब उर्मिला ने लक्ष्मण की नींद ली।

दक्षिण भारत में कुम्भकर्ण निंद्रा के साथ ही उर्मिला निंद्रा की लोकोक्ति प्रचलित है। जैसे हमारे यहाँ ज्यादा सोने वाले को कुम्भकर्ण कहते हैं।

इस प्ले की मुख्य पात्र थी उर्मिला, जो अपनी नींद को सुला रही है, प्ले शानदार था, जबरदस्त लाइटिंग और कलाकारों ने अपने अभिनय से चार चाँद लगा दिये। इस प्ले में कालारियपट्टू बॉडी लैंग्वेज का भरपूर प्रयोग किया गया है। अभिनय के साथ ही जो व्यायाम इसमें किया गया है, वह अद्वितीय है, जिसके लिये बहुत ऊर्जा चाहिये।

फोटो ले नहीं पाये, क्योंकि फोन बंद करवा दिये गये थे, नहीं तो थियेटर की लाइटिंग के प्रभाव में कमी आ जाती है।

₹80 में नार्थ कर्नाटका थाली, जिसे जोलड़ा रोटी उटा भी कहते हैं।

लोग कहते हैं कि इधर सबसे सस्ती थाली मिलती है या उधर, पर मैंने बैंगलोर से सस्ती थाली कहीं नहीं खाई, मात्र ₹80 में नार्थ कर्नाटका थाली मिलती है, जिसे जोलड़ा रोटी उटा (oota) मील कहते हैं। oota का मतलब कन्नड़ में भोजन होता है।

इसमें पतली पतली ज्वार की 2 रोटी, 1 सब्जी, 1 दाल, चटपटी चटनी, स्प्रोउट सलाद, दही, चावल और सांभर मिलता है, साथ ही प्याज व तली हुई हरी मिर्च। सब्जी, दाल, चटनी व सांभर अनलिमिटेड होता है।

रोटी व चावल की मात्रा इतनी होती है कि आराम से एक व्यक्ति का पेट भर जाता है, क्योंकि चावल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, हम 2 लोग जाते हैं तो एक थाली का चावल लौटा ही देते हैं।

साथ ही अगर ज्वार रोटी और चाहिये तो भी ₹20 की और मिल जाती है। इन रेस्टोरेंट्स के नाम बसवेश्वरा काना वाली के नाम से होते हैं, कुछ ब्राह्मिन के नाम से भी होते हैं। पर जो स्वाद बसवेश्वरा रेस्टोरेंट्स में मिलता है, वह ब्राह्मिन में नहीं मिलता। हमारे घर के पास कम से कम 5-6 रेस्टोरेंट हैं। पर अधिकतर लोग इनको एक्सप्लोर ही नहीं कर पाते, क्योंकि उनको पता ही नहीं होता।

क्या आपके शहर में ₹80 में या इससे कम में थाली मिलती है?

#bengaluru

1 करोड़ या 90 लाख रुपये शेयर बाजार में कैसे गंवा देते हैं?

इतनी खबरें आती हैं कि फलाना ने 1 करोड़ या 90 लाख रुपये शेयर बाजार में गंवा दिये, मुझे तो आज तक समझ ही नहीं आया कि ऐसे कैसे गंवा सकते हैं, अपन ने तो कभी नहीं गंवाये, उल्टे कुछ गुना ज्यादा ही हो गये।

ऐसा ये लोग करते क्या हैं, यही समझ नहीं आया।

कल ही किसी से बात हो रही थी, तो वे बोले कि शेयर बाजार भयंकर रिस्की है, हमने कहा जहाँ रिस्क होगा वहीं रिवार्ड भी होगा, बिना रिस्क के रिवार्ड कैसा?

पता नहीं क्यों दुनिया को शेयर बाजारबसे रातभर में अमीर बनना है, भाई अनुशासन से शेयर बाजार के पैसे भरे समुंदर से समय समय पर एक लोटा निकालते जाओ, अब अगर बाल्टी भरकर निकालने जाओगे तो समुंदर आपकी बाल्टी ही साथ ले जायेगा। इधर बाल्टी लोटे को पैसे का पर्यायवाची समझें।

हमने कहा कि मैं जब से शेयर बाजार में आया हूँ, तबसे केवल एफडी के ब्याज से डबल कमाने की सोची, जब एफडी पर 9% ब्याज मिलता थाज़ तब भी शेयर बाजार से 18% साल का कमाने की सोचते थे, हालांकि यह अलग बात है कि शेयर बाजार ने कुछ सालों में 50% से ज्यादा रिवार्ड भी दिया, कुछ में 100% भी दिया।

आज भी अपना शेयर बाजार से लाभ हमें 18% ही कमाना है, पर तब भी यह 24% से नीचे जा ही नहीं पाता। हम कोई कठिन चीज नहीं करते, बस फोकस रहता है, जैसे ही प्रॉफिट मिले वह हाथ से जाना नहीं चाहिये। बिजली की तेजी से मौका ले लेना है, यहाँ सेकंड में खेल हो जाते हैं।

जैसे कल creditacc में अपनी नजरें जमी हुई थीं, सुबह सुबह एक बेहतरीन ट्रेड मिली, अपनी एंट्री हुई 873 के आसपास और बस 15-18 मिनिट में ही अपना प्रॉफिट बुक करने का टार्गेट 927 जो कि अपने 15 मिनिट के चार्ट पर 200dma का टारगेट से ऊपर था, परंतु हमें प्रोफिट ट्रेल किया, वरना भाव तो हमने 937 भी देखा था। अब हमने एक शेयर पर कमाई की ₹54 की जो कि लगभग 6% होता है। पर ऐसे मौके रोज नहीं आते। आते भी हैं तो पकड़ नहीं पाते।

मेरे कई दोस्त कहते हैं कि यार तुम हमको भी ऐसे टिप बता दिया करो, पर मैं उनको समझाते थक गया कि भाव सेकंड का गेम है, आप जब तक खुद नहीं सीखोगे तब तक शेयर बाजार से कमा ही नहीं सकते, टिप्स बिजनेस पर ध्यान न दो, अपना स्किल बढ़ाओ।

साल का 18% कमाना भी बहुत आसान है, वह भी निफ्टी 50 के शेयर से, आपको 200 dma को पकड़ना है, और जैसे ही 200 dma के नीचे लगातार 7 लाल केंडल मिल जायें, वह शेयर खरीद लो, और अपना प्रॉफिट बुकिंग का टारगेट 3% या 200 dma रख लें, अगले 3 से 30 दिन में आपको यह प्रॉफिट मिलना तय है। बस अपने नियमों को न भूलें।

सबकी अपनी अपनी स्ट्रेटेजी होती है, हम सिंपल रखते हैं, बाजार से पैसा बनाना बहुत आसान है, बस अनुशासन में रहें, नियमों का पालन करें, दिमाग को स्थिर रखें, इसके लिये सुबह रोज 1 घँटा ध्यान करें।

18% साल का कमाने के लिये आपको केवल 1.5% महीना कमाना है, बहुत आसान है। पर सबसे पहले अपने आक्रामक दिमाग को शांत रखिये।

ऐसी बातें और भी आगे पोस्ट में करते रहेंगे।

कानों का चक्कर

कई बार कान वही सुनते हैं जो सुनना चाहते हैं और इस चक्कर में कई बार गड़बड़ियां हो जाती हैं।

आज की गड़बड़ी बड़ी जबरदस्त रही, एक पारिवारिक आयोजन में जाना था। जिसकी डेट हमें आज की याद थी। पर मम्मी जी बोली कि बुधवार को जाना है और फिर तुरंत उन्होंने फोन लगाकर कंफर्म भी कर लिया।

हम गाड़ी धो रहे थे तब उन्होंने पूछा था कि आज गाड़ियां क्यों धो रहे हो तो हमने बोला कि आज वहां जाना है तो गाड़ी थोड़ी साफ सुथरी होगी तो अच्छा लगेगा।

अब जब बात हुई तब पता चला आयोजन आज नहीं चल ही है अपने ऊपर थोड़ा क्षोभ हुआ, सोचा कहीं बुढ़ा तो नहीं गए हैं या फिर अपने हिसाब से अपना मन अपनी बातें करने लगता है आजकल क्या हो गया है मुझे!

ऐसे ही अभी फ्लिपकार्ट मिनिट्स से ऑर्डर किया और तैयार होने के बाद पापाजी से पूछा समान आ गया क्या? वो बोले – नहीं आया। मैंने फिर एप्प पर देखा कि वाकई ऑर्डर हो भी गया था या नहीं, क्योंकि पेमेंट कन्फर्म होने के बाद मैंने मोबाईल का स्क्रीन बंद कर दिया था, देखा तो पता चला कि ऑर्डर तो हो गया है, पर फ्लिपकार्ट ने मिनिट्स का आधा घँटा कर दिया है। यह भी कन्फ्यूजन रहा।

हर शख्स के होते हैं कई चेहरे

कई बार सोचता हूँ जिनके बारे में ऐसा लगता है कि इनको मैं अच्छे से जानता हूँ, तो क्या सही लगता है?

जीवन का कोई एक पहलू नहीं होता, ऐसे ही चेहरे का, हर शख्स के होते हैं कई चेहरे, ऑफिस में किसी के सामने कुछ किसी ओर के सामने कुछ, बाहर कुछ, बाजार में कुछ, घर में पत्नी के सामने कुछ, माँ बाप के सामने कुछ, बच्चों के सामने कुछ।

शख्स एक ही है, पर वह दिखाता अलग अलग शख्सियत है। कहीं सीधा सादा, कहीं जालिम क्रूर, कहीं बेवकूफ, कहीं बुद्धिमान कहीं कमजोर, कहीं पागल प्रेमी, तो कहीं आज्ञाकारी।

बस ऐसे ही चोले ओढ़े जीवन बीतता जाता है, और ऐसे ही अपने आपको बड़ा आदमी समझते हुए एक दिन खुद को रहस्यमयी दिखाता हुआ,इस दुनिया से वह चल देता है।