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किसका झंडा (Flag) विश्न में सबसे ऊँचा फहराया जाता है? Which flag is hoisted long?

किसका झंडा (Flag) विश्न में सबसे ऊँचा फहराया जाता है? Which flag is hoisted long?

सारी लड़ाईयाँ केवल बंदूकों और तोपों से नहीं लड़ी जाती हैं, और खासकर जबकि यह भारत और पाकिस्तान के बीच की बात हो। पिछले कुछ महीनों से भारत और पाकिस्तान के बीच झंडे की ऊँचाई पर तनातनी चल रही है, भारत के बाघा अटारी सीमा पर झंडे की ऊँचाई इसका कारण है।

भारत के बाघा अटारी सीमा पर झंडा फहराने के 8 महीने बाद, पाकिस्तान ने अपने 70वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 14 अगस्त को भारत के झंडे से 50 फिट ऊँचा झंडा फहराया।

पाकिस्तान के इस झंडे को दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा झंडा माना जा रहा है, साथ ही विश्व में आठवाँ ऊँचा झंडा है। पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मध्यरात्रि में बाघा अटारी सीमा के पास यह झंडा फहराया।

8 मार्च 2017 को जब भारत ने 350 फिट ऊँचा झंडा बाघा सीमा पर फहराया, यह झंडा 20 किमी दूर लाहौर से भी देखा जा सकता था। पाकिस्तान ने ऊँचे झंडे पर भारत के बीएसएफ से आपत्ति दर्ज करवाई कि यह जासूसी करना का एक तरीका है और इस झंडे में जासूसी कैमरे लगे हैं, जो कोई देख नहीं सकता है। जिससे भारत पाकिस्तान की खुलाआम जासूसी करेगा। परंतु, भारत ने जबाब दिया कि हमने झंडा फहराने से कोई भी नियम नहीं तोड़ा है और पंजाब के मंत्री अनिल जोशी ने बड़ा बयान दिया कि यह हमारे भारत का झंडा है और अपनी सरजमीं पर हमें इसे फहराने से कोई नहीं रोक सकता।

फिर भी, तिरंगा याने कि भारत के झंडे को कई बार उतारना ही पड़ा, इसका कारण बाघा सीमा पर बहुत तेज चलने वाली हवायें हैं, जिससे एक महीने में 4 बार झंडा फट चुका था। कहा जा रहा है कि ऊँचा झंडा बनाने वालों ने बाघा सीमा पर चलने वाली तेज गति से चलने वाली हवाओं को ध्यान में रखकर झंडा नहीं बनाया था। बाद में जुलाई 2017 में पाकिस्तान ने कहा कि वह भी 400 फीट ऊँचा झंडा स्वतंत्रता दिवस पर फहरायेगा। अफवाह है कि इस झंडे को जिस टॉवर पर फहराया गया है, उस पर हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगे हैं जो कि भारतीय सीमा के अंदर तक जासूसी कर सकते हैं।

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि चीन ने इस झंडे को प्रायोजित किया है, जिसकी कीमत लगभग 7 करोड़ रूपये आई है। कहा यह भी जा रहा है कि इसके ऊपर हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगा रखे हैं जो कि न केवल अटारी तक जूम करके देख सकते हैं बल्कि अमृतसर के पास भारतीय सेना का खसास कैंट और बीएसएफ के हैडऑफिस तक जासूसी कर सकता है। इस टॉवर को इस तरह से बनाया गया है कि कम से कम एक दर्जन पाकिस्तानी जवान इस पर खड़े हो सकते हैं और भारतीय सीमा की जासूसी कर सकते हैं।

Indian Flag 350 Ftभारत का झंडा (तिरंगा)

360 फीट ऊँचाई

लागत 2.43 करोड़ रूपये और 1.25 लाख रूपये प्रति झंडे की कीमत

मरम्मत का खर्च 15 लाख रूपये

 

 

Pakistani 400 ft Flagपाकिस्तानी झंडा

400 फीट ऊँचाई

लागत 7 करोड़ रूपये

झंडे का आकार 120×80 फीट

 

Jeddah Flagpole Saudi Arabia 561 ftसऊदी अरब के जेद्दाह में झंडा

जेद्दाह में झंडा फहराने के विश्व में सबसे ऊँचा बिना किसी सहारे के स्तम्भ है जो कि सन 2014 में बनाया गया था। इसकी ऊँचाई 171 मीटर (561 फीट) है। झंडा फहराने के स्तम्भ को बनाने में 500 टन स्टील का उपयोग हुआ है, केवल झंडे का वजन ही 570 किलो है। झंडे का आकार 162×108 फीट का है।

 

Dushanbe flagpole tajikistan 541 ft
Dushanbe flagpole tajikistan 541 ft

दुशान्बे का झंडा फहराने का स्तम्भ, तजाकिस्तान

दुशान्बे का झंडा फहराने का स्तम्भ विश्व का दूसरा ऊँचा स्तम्भ है। यह पैलेस ऑफ नेशन्स के ठीक सामने दुशान्बे में है। इसकी ऊँचाई 154 मीटर (541 फीट) है।

 

 

 

national flag square azerbaijan 162 meter
national flag square azerbaijan 162 meter

राष्ट्रीय ध्वज स्कवेयर, अजरबैजान

पहले यही ध्वज सबसे ऊँचा था और इसी के नाम पर सबसे ऊँचा ध्वज होने का कीर्तिमान था। इसकी ऊँचाई 162 मीटर है, और इसकी बनाने की शुरूआत 30 दिसंबर 2007 को अजरबैजान के राष्ट्रपति द्वारा की गई थी।

 

 

 

panmunjom flagpole north korea 323 ft
panmunjom flagpole north korea 323 ft

पन्मुनजोम का झंडा फहराने का स्तम्भ, उत्तर कोरिया

जब दक्षिण कोरिया ने दाइसोंग-डोंग में 323 फीट ऊँचा झंडा फहराने का स्तम्भ बनाया, तब उत्तर कोरिया ने जबाब में उससे ऊँचा स्तम्भ बनाया। पन्मुनजोम स्तम्भ उत्तर कोरिया के किजोंग-डोंग में 525 फीट ऊँचा है और लंबे समय तक इसे विश्व का सबसे ऊँचा झंडा होने का गौरव प्राप्त था।

 

 

 

ashgabat flagpole turkmenistan 436 ft
ashgabat flagpole turkmenistan 436 ft

अश्बागात का झंडा फहराने का स्तम्भ, तुर्कमेनिस्तान

अश्बागात का स्तम्भ बिना किसी सहारे के खड़ा हुआ विश्व का पाँचवे नंबर का स्तम्भ है। इसकी ऊँचाई 436 फीट है, यह तुर्कमेनिस्तान में 2008 में बनाया गया था।

 

 

 

Raghadan Flagpole Jordan
Raghadan Flagpole Jordan

राघदान का झंडा फहराने का स्तम्भ, जॉर्डन

राघदान का झंडा फहराने का स्तम्भ जॉर्डन के अम्मान में 416 फीट ऊँचाई का है, और यह स्टील से बना हुआ है। यह राघदान पैलेस के रॉयल घराने अल-मैक्वार में फहराया हुआ है। इसे 10 जून 2003 को फहराया गया था, और इसे राजधानी के 20 किमी दूर से भी देखा जा सकता है।

 

पेट्या या नोटपेट्या एक रहस्य (Mystery of Petya or NOTPetya)

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने पिछले मंगलवार को हुए पेट्या रैनसमवेयर के हमले को वाइपर का हमला बताया है। यह वायरस पेट्या रैनसमवेयर Petya Ransomware जैसा लगता है, परंतु दरअसल यह वाइपर है, वाइपर मतलब कि वाइप कर देने वाला नोटपेट्या NOTPetya या उड़ा देने वाला।

जब पेट्या रैनसमवेयर का हमला होना शुरू हुआ और बहुत सारे देशों में कंप्यूटर बंद होना शुरू हुए। उस समय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने यह नहीं सोचा था कि यह नये तरीके का मेलवेयर है, जो की रेन्सम नहीं मानता बल्कि कंप्यूटर का पूरा डाटा हमेशा के लिए खत्म कर देता है, मतलब की डाटा को करप्ट कर देता है।

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि शोधकर्ताओं ने कहा है जो भी वायरस मंगलवार को आया वह रैनसमवेयर था ही नहीं, दरअसल इसका मुख्य उद्देश्य हार्डडिस्क को और जितने भी कंप्यूटर उस नेटवर्क पर हैं उन सबको संक्रमित करना था। एक बार कोई भी कंप्यूटर वाइपर मैलवेयर से संक्रमित हो गया तो उसे करप्ट होने से कोई नहीं बचा सकता था।

कास्पेरेस्की के विशेषज्ञों ने बताया है कि यह जो नया वाइरस आया है पेट्या रैनसमवेयर के अपने सारे पुराने वर्जन से बिल्कुल अलग है।

अभी तक इस वायरस को कोई नया नाम नहीं दिया गया है इसीलिए इसे नॉटपेट्या भी कहा जा रहा है। यह हमला बहुत ही सुनियोजित तरीके से किया गया था, वाइपर जिसे कि नॉटपेट्या भी कहा जा रहा है, उसका खुद का कोई इंस्टॉलेशन ID नहीं है मतलब कि जब कोई भी वायरस या सॉफ्टवेयर कहीं पर भी संस्थापित होता है तो अपनी कोई पहचान जरूर पीछे छोड़ देता है। पर यहाँ पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस वायरस से होने वाले एंक्रिप्शन का डिक्रिप्शन नहीं हो पा रहा है।

साफ शब्दों में अगर कहा जाए तो इसका सार यह है कि जो भी इस वायरस का शिकार हुआ है उनका डाटा रिकवर नहीं किया जा सकता है। सन 2016 के लेटेस्ट वर्जन में इंस्टालेशन ID में रिकवरी की Recovery Key के लिए जरूरी जानकारी रहती थी। परंतु मंगलवार को हुए हमले के वायरस में इस तरह की जो इंस्टालेशन key मिली है उसका कोई लिंक नहीं है।

एसोसिएटेड प्रेस का कहना है कि यह जो साइबर आक्रमण हुआ है, उसका मुख्य मकसद पूरे विश्व को आर्थिक तौर पर नुकसान पहुँचाना है। वाइपर मैलवेयर का उपयोग रशिया और उसके पड़ोसी यूक्रेन पर किया गया था और इसके पहले हुए आक्रमण में जो कि वानाक्राई था, वह रैनसमवेयर था जिसमें वह पैसे उगाहते थे।

इस नए मैलवेयर के आक्रमण से यह तो साफ हो गया कि इस बार का निशाना यूक्रेन के व्यापारी, यूक्रेन का व्यापार, और यूक्रेन की सरकार थी। किसी भी वायरस में रैनसमवेयर का मेन कंपोनेंट स्मोक स्क्रीन होता है।

इस वायरस से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है और उस नुकसान का अनुमान अभी भी लगाया जा रहा है। कुछ ATM वापस से शुरू हो चुके हैं और कुछ बैंकों ने अपना कार्य सीमित रूप में करना शुरू किया है। जो नुकसान लगाया गया है वह करोड़ों रुपए का नहीं, बल्कि अरबों रुपए का है। यह नुकसान केवल यूक्रेन का लगाया गया है। माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार लगभग 64 देशों में इस मैलवेयर ने आक्रमण किया है जिसमें रशिया, जर्मनी और अमेरिका भी शामिल है। आने वाले दिनों में हम मैलवेयर वायरस, रैनसमवेयर वायरस और नए तरह के वायरस के द्वारा आक्रमण होने की पूरी संभावना है।

https://mykalptaru.com/petya-ransomware-attack/

https://mykalptaru.com/risk-from-cyber-crime/

साइबर क्राइम (Cyber Crime) से होने वाले खतरे

अधिकतर संगठित साइबर क्राइम (Cyber Crime) धन के लिए ही किए जाते हैं जिसमें सबसे ज्यादा फ्रॉड बैंकिंग में होते हैं। जब हैकर कारपोरेट खातों पर अटैक करते हैं, जिससे बहुत ही कठिन सुरक्षा चक्रों को तोड़कर वह सारी सुरक्षा को धता बता देते हैं। लेकिन अगर हैकिंग के पीछे बड़े कारण देखें तो वह है धन, याने कि पैसा जल्दी से जल्दी पैसा कमाना। धन के लिए हैकिंग करना व किसी और चीज के लिए हैकिंग करने में दोनों का अनुपात 99 और 1 का है। हैकिंग में जिन टूलों की मदद ली जाती है वे हमेशा साइबर पर ही गुप्त तरीके से रखे जाते हैं, जो सबसे खतरनाक बात है। यही टूल और वायरस साइबर और कंप्यूटर दोनों के लिए समान रूप से खतरनाक है, इसके लिए वायरस से निपटने वाली कंपनियाँ और हैकिंग से निपटने वाली कंपनियों को दोनों ही प्रकार के खतरों से निपटना आना चाहिये। नॉर्थ कोरिया की स्पेशल फोर्सेस ने साइबर हथियार विकसित कर लिया है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण बैंक ऑफ बांग्लादेश का है। 81 मिलियन डॉलर की लूट में रशिया की  साइबर सिक्योरिटी कंपनी का दावा है कि यह लूट नार्थ कोरिया की स्पेशल फोर्स का कारनामा है।
हमारे पास इस तरह के विशेषज्ञ होना चाहिए जो कि डिजिटल क्राइम इंवेस्टिगेशन कर सकें, डिजिटल फॉरेंसिक इंवेस्टिगेशन कर सकें। हमारे पास आधुनिक फॉरेंसिक लैब होनी चाहिये, जहां पर क्लासिक डिजिटल और मैलवेयर फॉरेंसिक दोनों सुविधाएं उपलब्ध हों और यह फॉरेंसिक लैब हमारे देश के कंप्यूटरों को सुरक्षा भी प्रदान कर सके। इस तरह की फॉरेंसिक लैब में हमारे बहुत सारे हैकर्स होने चाहिए जो की एक क्लोज ग्रुप के जैसा काम करें। यह फॉरेंसिक लैब हमारे भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी सुरक्षा करने में सक्षम होने चाहिए। जब तक आप साइबर क्रिमिनल को पहचानोगे नहीं, तब तक आप उन्हें पकड़ भी नहीं पाओगे। तो इंफ्रास्ट्रक्चर और ह्यूमन इंटेलिजेंस स्केल बहुत जरूरी है इस फॉरेंसिक लैब में कम से कम 500 लोग होना चाहिए और इन फॉरेंसिक लैब को आईटी कंपनियाँ, बीएफएसआई सेक्टर यूनिट्स, सरकारी एजेंसियाँ और कंपनियाँ जिनके ब्रांड प्रसिद्ध हैं, उन सबको सेवाएं देनी चाहिए

हमें बहुत ही मजबूत साइबर क्राइम सेल चाहिए जिससे कि यह हम सुनिश्चित कर सकें कि जो भी हमारा क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर है, उसके ऊपर हैकर आक्रमण ना कर सकें। साधारणतया हैकर उन्हीं क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को हैक करने की कोशिश करते हैं, जहाँ से उन्हें बहुत सारे पैसे मिलने की उम्मीद होती है। अगर क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जो कि सुरक्षित है, वह इसलिए क्योंकि बहुत सारे लोग उस पर एक साथ आक्रमण नहीं कर रहे हैं। अगर बहुत सारे हैकर एक साथ इन क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर आक्रमण करें तो वह इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित नहीं रहेगा

इन फॉरेंसिक लैब्स के लिए बड़े क्लाइंट हो सकते हैं बैंक फाइनेंशियल सर्विसेस कंपनियाँ, बीमा कंपनियाँ, मिलिट्री सरकारी कंपनियाँ, स्टॉक मार्केट।

जापान और जर्मनी अपने कंप्यूटर नेटवर्क और इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करने में सबसे आगे हैं, और सब जगह जब तक कोई घटना नहीं हो जाती तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जाती। तभी इस तरह की घटनाओं को रोकने की कोशिश की जाती है जब कोई हमला होता है। इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि जब तबियत खराब होगी तभी हम उसे ठीक करने की सोचेंगे।

रैनसमवेयर वानाक्राई WannaCry Ransomware एंटरप्राइज यूजर्स के लिए इस साल की सबसे बड़ी शिक्षा है, अब 2017 के बाद वाले भविष्य में आप सुनिश्चित कर लें या तो आपके पास बैकअप हो हमेशा या फिर आप इंटरनेट या कंप्यूटर को उपयोग करना बंद कर दें।

उक्तियाँ हमारे जीवन को नई दिशा देती हैं

आज सुबह जब मैं सोकर उठा तो मेरे लिए एक उदासी भरे दिन की शुरुआत थी। मैं किसी परेशानी को लेकर असमंजस की स्थिति में था। सुबह उठने के बाद नित्य कर्म से निवृत्त होकर रोज ही उक्तियाँ लिखता था, पर आज बेटेलाल को स्कूल भेजने की तैयारी में जुट गया। मैं अपने आपको कहीं व्यस्त रखना चाह रहा था । बहुत ही धीमी गति से वक्त व्यतीत हो रहा था। मैं किसी चीज को अपने से परे धकेलना चाह रहा था, पर वह चीज धकेली ही नहीं जा रही थी। Continue reading उक्तियाँ हमारे जीवन को नई दिशा देती हैं

अनलिमिटेड डाटा मोबाइल और ब्रॉडबैंड पर (Fair usages Policy)

आज इंटरनेट हमारे लिए जीवन की बहुत ही महत्वपूर्ण चीज हो गई है, और इंटरनेट का उपयोग करने के लिए मोबाइल डाटा या ब्रॉडबैंड महत्वपूर्ण है। इंटरनेट के इस युग में हमारे अधिकतर उपकरण इंटरनेट से जुड़ गए हैं, लेकिन केवल इंटरनेट से जुड़ना ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि साथ ही इंटरनेट की रफ्तार भी अच्छी होनी चाहिये। अगर आपका डाटा प्लान एक या 2 GB, 4जी डाटा 1 दिन का देता है, तब आप दिन के आखिर में अनुभव करेंगे कि आपके इंटरनेट की रफ्तार बहुत कम हो चुकी होगी । वह इसलिए नहीं कि आपके उपकरण थक गए हैं बल्कि इसलिए क्योंकि हर डाटा यूसेज के पिछले फेयर यूजर्स पॉलिसी (Fair Usages Policy) होती है।

फेयर यूजेस पॉलिसी (Fair Usages Policy) क्या होती है?

इंटरनेट सेवा प्रदाता या अगर मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करते हैं तो फिर टेलीकॉम कंपनी, जो भी इंटरनेट डेटा आप उपयोग में ला रहे हैं, उसकी खपत को रिकॉर्ड करते हैं कि आपने कितना डाटा अभी तक उपयोग कर लिया है। कई बार आपको यह मैसेज भी आ जाता है कि आप अपनी यूजेस लिमिट को खत्म करने वाले हैं। अधिकतर प्रीपेड मोबाइल यूजर्स जब भी अपनी लिमिट को क्रॉस करने वाले होते हैं, तो या तो इंटरनेट सर्विसेज बंद हो जाती है या फिर अतिरिक्त शुल्क देना होते हैं।

Fair usages policy
Fair usages policy

फिर भी कई कंपनियाँ अपने डाटा प्लान में अनलिमिटेड इंटरनेट उपयोग का दावा करते हैं, लेकिन आपको पता होना चाहिए अनलिमिटेड डाटा में भी एक लिमिट होती है। केवल आप उतना ही डेटा उपयोग कर सकते हैं और यह लिमिट इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी कभी भी बताती नहीं है परंतु एक बार जब आप अपनी लिमिट की बैंडविड्थ को क्रॉस कर देते हैं तो इंटरनेट की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती है। जैसे कि हमारे पास एक 5 एमबीपीएस बैंडविड्थ का एक प्लान है आज इसका की फेयर यूजर्स लिमिट 20 जीबी 1 महीने की है आपकी डाउनलोड कि डाटा स्पीड 1 एमबीपीएस हो जाएगी जब आप 20 GB डेटा का उपयोग कर लेंगे। यह 1 एमबीपीएस की रफ्तार और भी कम हो सकती है, यह आपके डाटा प्लान पर निर्भर करती है और यह इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी के फेयर यूजेस पॉलिसी पर निर्भर करती है। इसके पीछे इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी यह कारण भी देते हैं कि अगर आपको उतनी ही बैंडविड्थ दी जाती रही तो अन्य उपयोगकर्ताओं के अनुभव अच्छे नहीं होंगे क्योंकि उन्हें कम रफ्तार मिलेगी और आप अपना डाटा लिमिट खत्म कर चुके हैं।

क्या फर्क पड़ता है?

इंटरनेट का उपयोग और अधिक डेट डाटा की जरूरत भारत में एकदम से बढ़ गई है, मोबाइल ट्रॉफिक 2016 में 2015 की अपेक्षा 29 प्रतिशत बढ़ गया है। यह Nokia की भारत मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडेक्स 2017 के आंकड़े हैं। यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि पहले डाटा पर लोड 128 पेटा बाइट था वह अब 165 पेटा बाईट हो गया है। पेटा बाइट्स मतलब एक पेटाबाइट में 1024 टेराबाइट होते हैं और एक टेराबाइट में 1024 गीगाबाइट डाटा होता है यानी कि गीगा बाईट मतलब कि GB टेराबाइट मतलब कि TB और पेटाबाईट मतलब PB।

अगर आप ऑनलाइन कोई भी लाइव टेलीकास्ट देखना चाहते हैं वह भी हाई डेफिनेशन पर जैसे की YouTube या किसी और वीडियो ऑन डिमांड प्लेटफॉर्म पर तो आपको रोज का कम से कम एक जीबी डाटा अच्छी बैंडविड्थ के साथ चाहिए तो इस तरह के उपयोगकर्ता भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।

आपको क्या करना चाहिए?

अगर आपका डेटा का उपयोग बहुत ज्यादा है तो आपको सबसे पहले अपने इंटरनेट सेवा प्रदाता की फेयर यूजेस पॉलिसी जान लेना चाहिए। अगर आपका उपयोग फेयर यूजेस पॉलिसी से ज्यादा होता है, तो आप को हर महीने अपने डेटा का उपयोग जो भी आप कर रहे हैं उसके ऊपर ध्यान रखना चाहिए। अपने डेटा के उपयोग की जानकारी अपने इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी के एप्लीकेशन से कर सकते हैं आजकल सभी कंपनियां अपने ऐप देती हैं जिसके ऊपर रियल टाइम डाटा यूजेस पता चलते रहते हैं अगर आप अपनी लिमिट से ज्यादा डेटा का उपयोग करते हैं तो आप अपने इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी से बार्गेन करिए और उनसे ज्यादा डाटा की मांग करिए वह भी कम पैसे में । अगर वह नहीं देते हैं तो फिर आप किसी ओर इंटरनेट सेवा सेवा प्रदाता कंपनी को ढूँढिए, क्योंकि बहुत सारे ब्रॉडबैंड प्लान ऐसे भी हैं जहां पर कोई लिमिट नहीं है।

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Petya ransomware attack पेटया रैनसमवेयर अटैक

केवल 6 हफ्ते पहले ही वानाक्राई रैनसमवेयर से पूरा विश्व लड़ रहा था और अब फिर से पूरा विश्व एक और रैनसमवेयर अटैक याने कि Petya ransomware attack  से थर्रा रहा है लोग अभी वानाक्राई के अटैक को भूल भी नहीं पाए थे की पेटया रैनसमवेयर आ गया।

Petya Ransomware Attack
Petya Ransomware Attack

यह साइबर आक्रमण सबसे पहले यूक्रेन में हुआ था, साथ ही Central Bank, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, यहां तक की चरनेबल न्युक्लियर फैसिलिटी और बहुत सारी यूरोप, नॉर्थ अमेरिका और यहां तक कि आस्ट्रेलिया की भी संस्थाएं चपेट में है अभी रैनसमवेयर आक्रमण हुए कुछ ही समय बिता है और लगभग 2000 आक्रमण रिकॉर्ड किए जा चुके हैं अभी तक 64 देशों से रैनसमवेयर अटैक की सूचना आ चुकी है।

अभी तक प्राप्त सूचनाओं के अनुसार पेटया रैनसमवेयर वायरस मॉडिफाई वर्जन है जो की गोल्डन आई और वानाक्राई एलिमेंट्स को मिलाकर बनाया गया है।

इस वायरस में गोल्डन आई वायरस जो की पूरी हार्ड डिस्क को एंक्रिप्ट ही नहीं करता था बल्कि पूरे नेटवर्क को अनुपयोगी बना देता था, साथ में वही विंडोज की नीली स्क्रीन जो कि वानाक्राई का फीचर है दिखाता है जिससे अब तक तीन लाख कंप्यूटर पूरे विश्व में संक्रमित हैं।

इसके पहले की माइक्रोसॉफ्ट अपने सिक्योरिटी पेच रिलीज कर पाता नए रैनसमवेयर वायरस के अटैक ने बहुत सारे कंप्यूटरों को संक्रमित कर दिया है और जिन कंप्यूटरों पर नए पैचेस आ भी गए हैं उनपर भी पेटया रैनसमवेयर आक्रमण कर सकता है।

लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी और सारे विश्व की साइबर सिक्योरिटी कंपनियां इस आक्रमण की तहकीकात में लगी हुई हैं। यहां तक कि कुछ शोधकर्ताओं ने अस्थायी तरीका इस वायरस से बचने का दिया है, पर सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि एक रैनसमवेयर अटैक के 6 हफ्ते के बाद ही एक और बड़ा रैनसमवेयर का हमला कैसे हो गया?

जो भी इस आक्रमण के पीछे हैं, उनके ईमेल एड्रेस से जो भी बिटकॉइन रेनसम के रूप में ट्रांसफर होने वाले थे, उन सबको होस्ट कंपनीयों ने डिसेबल कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अगर रैनसमवेयर के आक्रमण के कारण अगर कोई फिरौती में बिटकॉइन देता है तो वह उसका उपयोग नहीं कर पाएंगे, मतलब नगद नहीं मिल पाएगा।

बहुत सारे सबूत इस बात के भी मिले हैं कि गोल्डन आई पेटया रैनसमवेयर जिन लोगों ने भी फैलाया है, उनका मकसद फिरौती की रकम उगाहना नहीं था बल्कि डाटा को खराब करना था । जिस तरीके से रैनसम मांगी जा रही थी, उससे यह बात पता चली है । लेकिन जिन लोगों ने रैनसम दे भी दी उनके डाटा सुरक्षित मिल ही गए इसकी भी कोई रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है।

केवल 6 हफ्ते में इतना बड़ा रैनसमवेयर आक्रमण हुआ है जोकि वानाक्राई से भी ज्यादा तगड़ा था। अब इस बात की क्या गारंटी है कि आने वाले निकट भविष्य में कोई और रैनसमवेयर अटैक नहीं होगा और अगर रैनसमवेयर अटैक हुआ तो हम उसके लिए कितने तैयार हैं। इस बार रैनसमवेयर से और ज्यादा लोग संक्रमित होंगे।

रैनसमवेयर अटैक से बचने के लिए आपको क्या करना होगा –

आप अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर के सारे नई पैचेस डाउनलोड कर लें । अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर अप टू डेट रखें और ध्यान रखें कि किसी भी लिंक पर क्लिक करें तो सोच समझकर करें।कोई भी ईमेल का अटैचमेंट डाउनलोड ना करें। केवल यह दो तरीकों से आपके कंप्यूटर में रैनसमवेयर का आक्रमण हो सकता है। अगर आपने इतना एहतियात रखा तो आप रैनसमवेयर वायरस के आक्रमण से बच सकते हैं।

अच्छी नींद का कारोबार

कौन कितना दौलतमंद है, ताकतमंद है, इसे जानने के लिए उसकी नींद पर गौर करें। आजकल नींद का कारोबार प्रगति पर है और तरह तरह के शोध और प्रयोग हो रहे हैं।

क्या कभी ऐसा भी हो सकता है कोई आवाज़ लगाता हुआ आये, नींद ले लो नींद, इतने रुपए किलो नींद ले लो। तो क्या आप कभी नींद खरीद पाएंगे। या बाजार जाएं और बाजार से अपने लिए कुछ घंटों की आरामदायक नींद खरीद कर ला पाएं। हो सकता है कि तकनीक के कारण भविष्य में यह भी संभव हो।

इस बारे में बहुत शोध हुए हैं जिसमें नींद को केंद्र में रखा गया है, और पता लगाने की कोशिश की गई कि नींद गहरी आने के लिए या कितने समय सोना चाहिए, उसके लिए किन तत्वों का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन शोध भी तभी काम आते हैं जब हम उनके बताए गए रास्तों को बहुत ही गंभीरता से अपने जीवन में उतारें।

नींद ना आने के कारण सबसे बड़ी समस्या होती है हमारा दिन, हमारी दिनचर्या पूरी तरह से हमारी नींद पर निर्भर करती है क्योंकि नींद ना आने से हम हमेशा ही कहीं ना कहीं नींद के नशे में कुछ प्रतिशत हमेशा रहते हैं। जिससे हम हमारे दिमाग को पूर्णतया अपने किसी काम में नहीं लगा पाते हैं, और हम कई बार कुछ चाहे-अनचाहे गलतियाँ कर ही देते हैं।

vividus mattress

केवल नींद लेना ही महत्वपूर्ण नहीं है। अच्छी नींद लेना महत्वपूर्ण है।अच्छी नींद के लिए अपने दिमाग को शांत रखना जरूरी है। नींद के लिए जो वातावरण चाहिए वह जरूरी है, जिसमें बिस्तर की गर्मी, सिर के नीचे लगाने वाला तकिया, ओढ़ने के लिए चादर और आप क्या पहन कर सो रहे हैं, इन सब की भी बहुत अहम भूमिका है। हमें समय से सोने के अलावा, हमारी नींद भी गहरी हो अच्छी हो, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। अभी स्वीडिश ब्रांड होस्टन ने विविड्स नाम का 96 लाख रुपए का गद्दा बनाया है। जिसे वह कहते हैं कि यह सही तरह से नींद पूरी करने के लिए बनाया गया है, जिसके अंदर कोई भी गर्म करने वाली रबर या प्लास्टिक मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है और वह गद्दा केवल ऑर्डर पर बनाते हैं। कंपनी इस गद्दे को विश्व का सबसे बेहतरीन बिस्तर बता रही है।

 

Dreem Hedset
Dreem Hedset

आजकल ऐसी बहुत सी मशीनें आ रही हैं जो आपकी नींद को रिकॉर्ड करती है, जो बैंड आप हाथ में पहन लेते हैं या फिर कई ऐप है जो स्मार्टफोन में उपलब्ध हैं, जिससे पता चलता है कि आप किस प्रकार की नींद ले रहे हैं। लेकिन यह सारे गेजेट्स नींद अच्छी बनाने में सहायक नहीं हैं। अभी सिलिकॉन वैली में एक गैजेट डिजाइन हुआ है जो कि लगभग $400 में प्री ऑर्डर पर उपलब्ध है और उनका दावा है कि ड्रीम हेडसेट लगाने से आप बहुत गहरी नींद में सो पायेंगे। वैसे कई लोगों का मानना है कि सिल्क के तकिए के कवर हैं तो उससे नींद बहुत अच्छी आती है।

यह कहना वाकई बड़ा मुश्किल है कि नींद का गणित क्या है? नींद के कारोबार में हमें किस चीज का ध्यान रखना चाहिए? क्या हमें बराबर थकान होनी चाहिए या फिर हमें हमारे विचारों के ऊपर नियंत्रण करना चाहिए या जो हम पहनकर सोते हैं, ओढ़ते हैं बिछाते हैं, उनमें बदलाव किया जाना चाहिए। यह शायद बेहद निजी और गोपनीय अनुभव होते हैं और सब के लिए अलग अलग अनुभव होते हैं।

इंसान और अविष्कार

इंसान जबसे इस दुनिया में आया है तब से ही वह अपने अविष्कार का लोहा मनवाते आया है, पहले नग्न रहते थे, फूल पत्ती खाते थे, धीरे धीरे अपने को ढंकने के लिये फूल पत्तियों का उपयोग किया और जो जानवर उनको परेशान करते थे, इंसान ने जाना होगा कि जब जानवर जानवर को मारकर खा सकता है और इंसान को भी मारकर खा सकता है तो इंसान ने भी जानवर को मारा होगा और अपने आप को बचाया होगा। स्वाद के लिये जब मांस को पकाया होगा तो उसमें ज्यादा स्वाद आया होगा। उसी तरह से कंदमूल को भी जब आग पर पकाया तो उसका स्वाद बेहतर लगा होगा। तो ये सब पहले अविष्कार थे, धीरे धीरे इंसान ने अपनी जरूरत के लिये और भी चीजों को सोच समझकर बनाया, जैसे चाकू, चूल्हा, पहनावा और जानवरों को आवागमन का साधन बनाकर यात्रा करना।

इंसान और अविष्कार
इंसान और अविष्कार

यह बात हुई पुरातन काल की, तो उस समय इंसान के पास कुछ था ही नहीं तो इंसान ने सबसे पहले अपनी जरूरत की चीजों पर काम करना शुरू किया, जिससे उसे सुविधा हो और कम मेहनत में ज्यादा काम करे, जिन भी नई चीजों को बनाया गया उसे अविष्कार ही कहा जायेगा, क्योंकि वह दुनिया में पहले से उपलब्ध नहीं थी और उस अविष्कार के उपयोग से हर कोई लाभांवित हुआ।

जब अपनी जरूरत की चीजें पा ली गईं तब सबसे पहले बचने वाले समय के उपयोग के लिये खेलों, नाटक, गाने, नृत्य, चित्रकारी आदि का अविष्कार हुआ। इन सब विधाओं के आने से न केवल इंसान की क्षमताओं का पता चला बल्कि इंसान कितना कल्पनाशील हो सकता है, यह भी निखर कर सामने आया। कई चीजों में इंसान को बहादुरी दिखानी होती थी, इससे इंसान के साहस और बहादुरता को और निपुण किया गया।

हर अविष्कार के पीछे कोई न कोई तकलीफ हमेशा ही जुड़ी होती है, जब तक इंसान को तकलीफ नहीं होती है तब तक वह किसी अविष्कार के लिये उद्यत नहीं होता, इंसान में आलस्य की भावना शायद जरूरत के अविष्कारों के बाद से ही ज्यादा जोर देने लगी होगी। पहले शारीरिक श्रम होता था और इसके लिये शारीरिक क्षमताओं पर ध्यान दिया जाता था, शारीरिक क्षमताओं वाला श्रम और खेल दुनिया सामने देख सकती थी तो उससे किसी एक इंसान को बहादुर या साहसी मान लिया जाता था जो कार्य कोई अन्य नहीं कर सकता था या फिर दूसरों के लिये कठिन होता था। अब शारीरिक श्रम की मात्रा कम हो गई है ऐसा कह सकते हैं, क्योंकि अब तो बहुत सी मशीने इंसान ने बना ली हैं।

अब मानसिक श्रम ज्यादा है, जिसमें कोई आपके पास बैठा व्यक्ति भी आपकी क्षमताओं का आंकलन नहीं कर सकता है, क्योंकि इसमें कई बार तो किसी को पता ही नहीं होता है कि कौन ज्यादा मानसिक श्रम कर रहा होता है। अब तो खैर जैसे जैसे हम तकनीक जगत में उन्नत होते जा रहे हैं, वैसे वैसे मानसिक श्रम को भी विभिन्न श्रेणियों में बाँटा जा रहा है।

शारीरिक श्रम के कार्यों में अधिक लोगों का जुड़ाव नहीं होता था, मतलब कि पहले ही आंकलन कर लिया जाता था कि इस कार्य के लिये कितने लोगों को श्रम लगेगा, उसमें भी अगर कोई अपने श्रम को बचाने के लिये अविष्कार कर ले तो उसे बेहतर माना जाता होगा। वैसे ही मानसिक श्रम में अपना समय और अच्छे से कार्य करने के लिये थोड़ा साहस अपने भीतर भरना होता है और हम नित नये अविष्कार कर सकते हैं। किसी को उन अविष्कारों के बारे में बतायें या न बतायें यह हमारे ऊपर निर्भर करता है।

CBSE ने OTBA को बंद करने की घोषणा कर दी है।

OTBA याने कि Open Text Based Assessment जो कि Central Board of Secondary Education (CBSE) ने दो वर्ष पूर्व शुरू किया था। अब इस सत्र से CBSE ने OTBA को बंद करने की घोषणा कर दी है।

OTBA को 9 व 11 वीं के छात्रों के लिये शुरू किया गया था, OTBA के बारे में जानकारी इस प्रकार है – Continue reading CBSE ने OTBA को बंद करने की घोषणा कर दी है।

पॉकीमोन गो Pokémon Go

Pokémon Go
Pokémon Go

पॉकीमोन गो Pokémon Go एक खेल है जो कि मोबाईल फोन पर खेला जाता है, पिछले कुछ समय से उस खेल में मोबाईल गेमिंग की दुनिया में तहलका मचा रखा है। आधिकारिक तौर पर भारत में भी अब गूगल प्ले स्टोर पर पॉकीमोन गो खेल उपलब्ध है। इस खेल को नियान्टिक इनकार्पोरेशन नाम की कंपनी ने बनाया है और इस खेल को ऑफिशियली 6 जुलाई 2016 को रिलीज किया गया था।

पॉकीमोन गो Pokémon Go को एन्ड्रॉयड और एप्पल दोनों पर खेला जा सकता है, यह खेल फ्री है आप इसे डाऊनलोड कर सकते हैं यह 84.4 एम.बी. का है। इस खेल को खेलने के लिये आपको जीपीएस और डाटा कनेक्शन दोनों ही चाहिये होता है और कई बार यह खेल आपका कैमरा भी उपयोग करता है। यह खेल लोकेशन बेस होने के कारण रियल फीलिंग देता है।

इस खेल को खेलने के पहले आपको अपने आपको रजिस्टर करना होता है, आप अपने जीमेल खाते से भी लॉगिन कर सकते हैं। उसके बाद आपको पॉकीमोन स्टॉप पर से बॉल और अंडे लेने होते हैं और जब भी आप पैदल घूमते हैं तो आपको मोबाईल पर पॉकीमोन दिखते हैं तो आपको उन पॉकीमोन को बॉल फेंककर पकड़ना होता है और कई जगहों पर इनके जिम भी होते हैं।

इसमें कई तरह के पॉकीमोन होते हैं जो कि आपको पकड़ने होते हैं और इस खेल में कई लेवल हैं, जो कि आपको पॉइंट्स और पॉकीमोन के आधार पर बढ़ते हैं। जितना आप पैदल चलेंगे उतने ज्यादा पॉइंट्स आपको मिलते जायेंगे और आपके पॉकीमोन शक्तिशाली होते जायेंगे।

Gameplay screenshots of Pokémon Go
Gameplay screenshots of Pokémon Go

तो यह तो आप समझ ही गये होंगे कि पॉकीमोन खेल में चलना बहुत पड़ता है, अगर आप वाहन पर हैं तो एकदम से आपको चेतावनी मिल जायेगी कि आप वाहन चलाते समय पॉकीमोन गो नहीं खेलें, और अपने आस पास का ध्यान रखें। बेहतर है कि जब भी आप इस खेल को खेलें अपने आसपास भी ध्यान रखें और सावधानी पूर्वक खेलें।

विदेश में कई तरह की दुर्घटनायें हो चुकी हैं कि पॉकीमोन गो खेलते खेलते ही हाईवे और सड़कों पर आ गये और भयानक दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। कई लोग आपस में टकरा चुके हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। ध्यान रखें कि खेल मनोरंजन के लिये बनाया गया है, परंतु मनोरंजन जान से ज्यादा कीमती नहीं है।

कई देश पॉकीमोन गो Pokémon Go को खेलने के लिये अपने नागरिकों के लिये चेतावनी जारी कर चुके हैं और कई शहरों में इस खेल को खेलने के लिये प्रतिबंध की भी बात की गई है। कई सार्वजनिक स्थानों पर पॉकीमोन गो खेलने के प्रतिबंध के बोर्ड लगाये गये हैं।

इस खेल के बारे में वर्ष 2014 में पहली बार सोचा गया था और 2016 में जब पॉकीमोन गो को रिलीज किया गया तो केवल कुछ ही देशों में इस खेल को डाऊनलोड के लिये दिया गया, धीरे धीरे जब कंपनी अपने सर्वरों को स्टेबल करने लगी तो उन्होंने अपना विस्तार बढ़ाना शुरू किया, 7 जुलाई 2016 को जब पॉकीमोन गो को बाजार में उतारा गया तो निन्टेन्डो कंपनी के शेयर 10 प्रतिशत बढ़ गये थे और 14 जुलाई तक तो शेयरों के भाव में 50 प्रतिशत का उछाल देखा गया, क्योंकि यह खेल रातोंरात प्रसिद्ध हो चुका था। इस तरह का कोई और खेल मोबाईल गेमिंग की दुनिया में पहली बार उतारा गया था।