त्रिफला जबरदस्त औषधि है, आयुर्वेद में लिखा है जो 10 साल तक त्रिफला लगातार ले लेता है। उसका कायाकल्प हो जाता है। हाँ इसके सेवन करने के तरीके मौसम के अनुसार बदल जाते हैं।
1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला 1:2:3 मात्रा वाला त्रिफला ही लेना चाहिये, हम अमेजन से मंगवाते हैं, लोकल में इधर अत्तार नहीं हैं। हमने थोड़े दिन पहले शुरू किया जबरदस्त फायदा है।
फायदे जो गिनाये जाते हैं वे इस प्रकार हैं –
एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।
दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।
तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।
चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है।
पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।
छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।
सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।
आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वृद्धाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।
नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है और सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।
दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है यानी गले में सरस्वती का वास हो जाता है
इतनी खबरें आती हैं कि फलाना ने 1 करोड़ या 90 लाख रुपये शेयर बाजार में गंवा दिये, मुझे तो आज तक समझ ही नहीं आया कि ऐसे कैसे गंवा सकते हैं, अपन ने तो कभी नहीं गंवाये, उल्टे कुछ गुना ज्यादा ही हो गये।
ऐसा ये लोग करते क्या हैं, यही समझ नहीं आया।
कल ही किसी से बात हो रही थी, तो वे बोले कि शेयर बाजार भयंकर रिस्की है, हमने कहा जहाँ रिस्क होगा वहीं रिवार्ड भी होगा, बिना रिस्क के रिवार्ड कैसा?
पता नहीं क्यों दुनिया को शेयर बाजारबसे रातभर में अमीर बनना है, भाई अनुशासन से शेयर बाजार के पैसे भरे समुंदर से समय समय पर एक लोटा निकालते जाओ, अब अगर बाल्टी भरकर निकालने जाओगे तो समुंदर आपकी बाल्टी ही साथ ले जायेगा। इधर बाल्टी लोटे को पैसे का पर्यायवाची समझें।
हमने कहा कि मैं जब से शेयर बाजार में आया हूँ, तबसे केवल एफडी के ब्याज से डबल कमाने की सोची, जब एफडी पर 9% ब्याज मिलता थाज़ तब भी शेयर बाजार से 18% साल का कमाने की सोचते थे, हालांकि यह अलग बात है कि शेयर बाजार ने कुछ सालों में 50% से ज्यादा रिवार्ड भी दिया, कुछ में 100% भी दिया।
आज भी अपना शेयर बाजार से लाभ हमें 18% ही कमाना है, पर तब भी यह 24% से नीचे जा ही नहीं पाता। हम कोई कठिन चीज नहीं करते, बस फोकस रहता है, जैसे ही प्रॉफिट मिले वह हाथ से जाना नहीं चाहिये। बिजली की तेजी से मौका ले लेना है, यहाँ सेकंड में खेल हो जाते हैं।
जैसे कल creditacc में अपनी नजरें जमी हुई थीं, सुबह सुबह एक बेहतरीन ट्रेड मिली, अपनी एंट्री हुई 873 के आसपास और बस 15-18 मिनिट में ही अपना प्रॉफिट बुक करने का टार्गेट 927 जो कि अपने 15 मिनिट के चार्ट पर 200dma का टारगेट से ऊपर था, परंतु हमें प्रोफिट ट्रेल किया, वरना भाव तो हमने 937 भी देखा था। अब हमने एक शेयर पर कमाई की ₹54 की जो कि लगभग 6% होता है। पर ऐसे मौके रोज नहीं आते। आते भी हैं तो पकड़ नहीं पाते।
मेरे कई दोस्त कहते हैं कि यार तुम हमको भी ऐसे टिप बता दिया करो, पर मैं उनको समझाते थक गया कि भाव सेकंड का गेम है, आप जब तक खुद नहीं सीखोगे तब तक शेयर बाजार से कमा ही नहीं सकते, टिप्स बिजनेस पर ध्यान न दो, अपना स्किल बढ़ाओ।
साल का 18% कमाना भी बहुत आसान है, वह भी निफ्टी 50 के शेयर से, आपको 200 dma को पकड़ना है, और जैसे ही 200 dma के नीचे लगातार 7 लाल केंडल मिल जायें, वह शेयर खरीद लो, और अपना प्रॉफिट बुकिंग का टारगेट 3% या 200 dma रख लें, अगले 3 से 30 दिन में आपको यह प्रॉफिट मिलना तय है। बस अपने नियमों को न भूलें।
सबकी अपनी अपनी स्ट्रेटेजी होती है, हम सिंपल रखते हैं, बाजार से पैसा बनाना बहुत आसान है, बस अनुशासन में रहें, नियमों का पालन करें, दिमाग को स्थिर रखें, इसके लिये सुबह रोज 1 घँटा ध्यान करें।
18% साल का कमाने के लिये आपको केवल 1.5% महीना कमाना है, बहुत आसान है। पर सबसे पहले अपने आक्रामक दिमाग को शांत रखिये।
कई बार कान वही सुनते हैं जो सुनना चाहते हैं और इस चक्कर में कई बार गड़बड़ियां हो जाती हैं।
आज की गड़बड़ी बड़ी जबरदस्त रही, एक पारिवारिक आयोजन में जाना था। जिसकी डेट हमें आज की याद थी। पर मम्मी जी बोली कि बुधवार को जाना है और फिर तुरंत उन्होंने फोन लगाकर कंफर्म भी कर लिया।
हम गाड़ी धो रहे थे तब उन्होंने पूछा था कि आज गाड़ियां क्यों धो रहे हो तो हमने बोला कि आज वहां जाना है तो गाड़ी थोड़ी साफ सुथरी होगी तो अच्छा लगेगा।
अब जब बात हुई तब पता चला आयोजन आज नहीं चल ही है अपने ऊपर थोड़ा क्षोभ हुआ, सोचा कहीं बुढ़ा तो नहीं गए हैं या फिर अपने हिसाब से अपना मन अपनी बातें करने लगता है आजकल क्या हो गया है मुझे!
ऐसे ही अभी फ्लिपकार्ट मिनिट्स से ऑर्डर किया और तैयार होने के बाद पापाजी से पूछा समान आ गया क्या? वो बोले – नहीं आया। मैंने फिर एप्प पर देखा कि वाकई ऑर्डर हो भी गया था या नहीं, क्योंकि पेमेंट कन्फर्म होने के बाद मैंने मोबाईल का स्क्रीन बंद कर दिया था, देखा तो पता चला कि ऑर्डर तो हो गया है, पर फ्लिपकार्ट ने मिनिट्स का आधा घँटा कर दिया है। यह भी कन्फ्यूजन रहा।
कई बार सोचता हूँ जिनके बारे में ऐसा लगता है कि इनको मैं अच्छे से जानता हूँ, तो क्या सही लगता है?
जीवन का कोई एक पहलू नहीं होता, ऐसे ही चेहरे का, हर शख्स के होते हैं कई चेहरे, ऑफिस में किसी के सामने कुछ किसी ओर के सामने कुछ, बाहर कुछ, बाजार में कुछ, घर में पत्नी के सामने कुछ, माँ बाप के सामने कुछ, बच्चों के सामने कुछ।
शख्स एक ही है, पर वह दिखाता अलग अलग शख्सियत है। कहीं सीधा सादा, कहीं जालिम क्रूर, कहीं बेवकूफ, कहीं बुद्धिमान कहीं कमजोर, कहीं पागल प्रेमी, तो कहीं आज्ञाकारी।
बस ऐसे ही चोले ओढ़े जीवन बीतता जाता है, और ऐसे ही अपने आपको बड़ा आदमी समझते हुए एक दिन खुद को रहस्यमयी दिखाता हुआ,इस दुनिया से वह चल देता है।
IIT Dhanbad के दलित का जो केस आया है जिसमें वह समय से फीस जमा नहीं कर पाया और इस कारण उसे एडमिशन नहीं दिया गया तब वह कोर्ट के पास गया और कोर्ट ने आदेश दिया की इस नौजवान को एडमिशन दिया जाए।
उस नौजवान के परिवार ने फीस के लिए पूरे गांव से चंदा लिया, इंग्लिश में जिसे क्राउड फंडिंग कहा जाता है, फीस भी मात्र ₹17,000 थी, कोई ऐसा सिस्टम जरूर होना चाहिए कि ऐसा हम लोगों को भी पता चले और हम उनकी मदद कर पायें।
हम सोचते हैं हम मदद कर देंगे लेकिन हमें सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती और बहुत सारे टैलेंटेड बुद्धिमान नौजवान इन सब चीजों से महरूम रह जाते हैं।
हालांकि हमारा सिस्टम इस मामले में बहुत तेज होना चाहिए लेकिन लचर है, इसके लिए कोई तो प्लेटफार्म होना चाहिए जिससे की मदद एकदम से मिल पाए और केस genuine है यह भी साबित हो पाए।
क्यों हमारे राजनेता इन सब में आकर मदद नहीं करते? उनका सामाजिक दायित्व सबसे पहले बनता है। क्या वे जनता को पढ़ा लिखा नहीं देखना चाहते?
Google अभी तक फैमिली प्लान के हर महीने ₹189 ले रहा था, अक्टूबर से ₹299 कर दिये, हमने गूगल की यह शर्त नहीं मानी और अपना सब्सक्रिप्शन कैंसल कर दिया।
क्यों मानें गूगल की शर्त, अब वीडियो के बीच में विज्ञापन आयेंगे, तो ठीक है भई देख लेंगे, अगर ज्यादा विज्ञापनों ने परेशान किया तो फिर रिन्यू करवाने की सोचेंगे।
पर ऐसी मनमानी भी गजब है कि भाव 50% से ज्यादा ही बढ़ा दिये, 10-20% समझ में भी आती है, लगता है कि गूगल भी खुद की भारत सरकार समझने लगा। कि कोई कुछ नहीं कहेगा।
ये कोई इनकम टैक्स थोड़े ही है कि गूगल जबरदस्ती हमसे ले लेगा, यह सेवा है जो हमारी मर्जी पर निर्भर करती है, नेटफ्लिक्स भारत में ज्यादा चल नहीं रहा था तो उसने अपने दाम कम कर दिये, पर गूगल के जलवे ही अलग हैं।
इस बार स्वतंत्रता दिवस पर यह कितने ही लोगों से सुना कि जो संकल्प लिया है वह पूरा करेंगे – 2047 तक विकसित भारत।
मैंने पूछना चाहा पर ऐसा लगा कि जबाब कोई नहीं देना चाहता, बस लोग भी जुमला पसंद हो गये हैं।
विकसित भारत में क्या जनता भी आती है, या इस विकसित भारत का मतलब केवल अर्थव्यवस्था से कि हम नम्बर 1 बन जायेंगे, पर 80 क्या उस समय हम 100 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देंगे।
कैसा होगा विकसित भारत, इसकी संकल्पना में जनता कहीं है या केवल जनता से टैक्स वसूल कर विकसित भारत बनना है।
जनता के लिये, विकसित भारत के लिये क्या क्या जतन किये जा रहे हैं, उसका कहीं उदाहरण नहीं मिला।
नये सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं।
नये सरकारी चिकित्सालय खोले जा रहे हैं।
नये सरकारी परिवहनों को उतारा जा रहा है, उनकी देखभाल ठीक से हो रही है।
नये एयरपोर्ट्स तक सार्वजनिक परिवहनों की बढ़िया पहुँच है।
सड़कों पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिये, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाया जा रहा है।
नौकरियों के लिये युवाओं को भरपूर रोजगार के मौके मिल रहे हैं।
व्यापार को खोलने की जरूरी प्रक्रिया में क्या पारदर्शिता लाई जा रही है, कोई टाईम लिमिट सेट की गई है।
स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल के लिये क्या किया जा रहा है।
बिजली 24 घण्टों मिले, इसके लिये क्या किया जा रहा है।
यह तो बहुत थोड़े से बिंदु हैं, इनकी सूची बहुत लंबी है, पर ऐसा कुछ हो रहा है जिससे लगे कि हम विकसित देश बन पायेंगे, अब केवल 22 साल ही बचे हैं 2047 आने में, 2024 तो गिन ही नहीं रहे क्योंकि लगभग निकल ही चुका है।
जब राधिका गुप्ता को मैंने पहली बार शार्क टैंक में देखा और आत्मविश्वास से भरपूर आवाज सुनी तो अच्छा लगा, फिर किसी पॉडकास्ट में सुन रहा था तो पता चला कि इन्होंने एक किताब भी लिखी है, पर इस पॉडकास्ट में राधिका नहीं थीं, किसी और ने इस किताब का नाम लिया था। सोचा चलो पढ़ते हैं, देखते हैं कि एक एंटरप्रेन्योर की यात्रा कैसी रही और उनके क्या अनुभव रहे।
हम किंडल पर पढ़ते हैं, किताब में अब वह फील नहीं आती, आदत की बात है।
किताब में बहुत ही अच्छे से कई महत्वपूर्ण चीजों को विस्तार में लिखा गया है, क्यों कुछ चीजें जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, डर सबको लगता है, पर जीत आपको ही पाना होगी। मुझे लगता था हो upenn से पढ़ा है, उसको कैसा डर, पर पता चला डर तो उसको भी था। जीवन में कभी कोई मौका न छोड़ना, आपको लग रहा है कि इतने सारे लोगों में मेरा ही क्यों होगा, पर हो सकता है कि वह मौका केवल आपके लिये ही हो।
रिजेक्शन, हर कोई रिजेक्ट होता है और उससे तकलीफ होती है, पर हार न मानकर बस आप गैंडे की खाल पहनकर परिस्थितियों का सामना करते जाओ, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। हाँ बचपन से अपने अंदर कोई न कोई एक शौक जरूर रखें और उस शौक को पैशन जैसा जीवन में रखें।
कितनी रिस्क कहाँ लेनी चाहिये, छोटी छोटी चीजें कैसे आपके लिये पावरफुल हो सकती हैं। हर बार दुनिया ही यही नहीं होती, आपको अपने लिये दुनिया को ठीक करना होता है।
नेटवर्किंग क्यों जरूरी है, इसके क्या फायदे होते हैं, इसके बारे में विस्तार से उदाहरणों के साथ लिखा है, जॉब क्यों बदलना चाहिये, पैसे के बारे में कैसे सोचना चाहिये, अगर आपको इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के हिसाब से पैसे कम मिलते हैं, तो भी कोई बात नहीं, जब तक कि आपको लगता है कि अब ज्यादा ही फायदा उठाया जा रहा है।
कैसे कुछ लोग वर्क लाइफ बेलेंस की जगह अब इंटीग्रेशन की बात कर रहे हैं, जिससे वे परिवार और ऑफिस के बीच सामंजस्य बनाये रख सकें।
मुझे लगता है कि उन चंद क़िताबों में से है, जिसे सभी लोगों को पढ़ना चाहिये, खासकर जो बच्चे अपनी प्रोफेशनल लाईफ शुरू करने जा रहे हैं।
अलका याग्निक की खबर सुन हम चौंके, कि वे सोकर उठीं और उनकी सुनने की क्षमता खत्म हो गई। बहुत क्रूरता है यह शरीर के साथ, भले वह मांसपेशियों ने किया या नसों ने।
कुछ दिनों पहले हम भी सोकर उठे और ऐसा लगा कि हमारे सीधे कान से हमको बहुत कम सुनाई दे रहा है, हम बहुत घबराए, फिर अनुलोमविलोम किया कि कान खुल जाये, पर कुछ नहीं हुआ, जब सुबह 10 बजे ऑफिस की मीटिंग शुरू हुई, तब भी यही हाल था, तब मैंने टीम्स में announce कर दिया कि कहीं कोई मेरे लिये कोई मैसेज हो तो प्लीज मेसेज कर दें, आज कान हड़ताल पर हैं।
अगले दिन डॉक्टर को दिखाने गये, तो फॉर्मेलिटी करने के बाद बोले सब ठीक है, विटामिन C की गोली खाओ।
फिर एक कलीग से बात हुई तो वे बोलीं कि उनके हसबैंड को सेम 2 सेम समस्या हुई थी, पर उन्होंने इग्नोर कर दिया, जब 7 दिन के बाद गये तो पता चला कि उनके एक कान का 50% हियरिंग लॉस हो चुका है। कोई नर्व से यह समस्या होती है।
खैर अब मेरे कान ठीक ठाक हैं, घर पर जब कोई ऐसी बात जो सुनना नहीं होती है तो प्रतिक्रिया नहीं देता, तो घरवालों को समझ आ जाता है कि ये आदमी सर्टिफाइड बहरा है। वैसे भी बहुत सी बातें मुझे सुनाई नहीं देतीं, पता नहीं यह आदत है या समस्या।