Category Archives: अनुभव

परिवार ही प्राथमिकता

आज सुबह मित्र से बात हो रही थी, तो उन्होंने उनके दो सहकर्मियों के लिये बात करी, जिन्हें मदद की दरकार है –

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पहला बंदा मिडिल ईस्ट में काम कर रहा था, पर उसकी मम्मी की तबियत खराब थी, और अकेला वही देखभाल करने वाला था, कंपनी से छुट्टी माँगी तो नहीं मिली, वह नौकरी छोड़कर घर आ गया और अब 6 महीने की देखभाल के बाद उसकी मम्मी स्वस्थ हैं।
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दूसरा बंदा उसका बॉस उसे बहुत परेशान कर रहा था, गालियों से बात कर रहा था, यहाँ तक कि अगर परिवार में कोई बीमार हो तो अस्पताल तक ले जाने के लिये छुट्टी नहीं देता था, कहता था कि सबसे पहले मेरा काम, परिवार बाद में, उस बंदे को यह बात नागवर गुजरी और बस नमस्ते कर दिया उस कंपनी को, क्योंकि उसके लिये पहले उसका परिवार बाद में कुछ और।
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दोनों ही मामलों मे देखा कि परिवार ही सर्वप्रथम अपनी प्राथमिकता में होना चाहिये, न कि कुछ और, अगर सब कुछ पैसा होता है, ओर पैसा कमाने के बाद अगर खुशी बाँटने को परिवार ही साथ न हो तो, ऐसे पैसे का भी क्या मतलब।
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हम भी उनकी मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

मानसिक परेशानी

कुछ बातें जो हमें परेशान करती हैं, हमेशा ही दिमाग में घूमती ही रहती हैं। और हम उनके अपने दिमाग में घूमते रहने से ओर ज्यादा परेशान हो जाते हैं। दिन हो या रात हो, जाग रहे हों या सो रहे हों, बस वही बातें दिमाग में कहीं न कहीं घूमती रहती हैं। कई बार यह बड़ी मानसिक परेशानी की वजह हो जाती है। हम चाहे कुछ भी कर रहे हों, पर हमेशा ही वह परेशानी हमारे दिमाग में घूमती ही रहती है। दिमाग शांत नहीं रहता, हमेशा ही अशांत रहता है। दिमाग में जैसे कोई फितूर घुस गया हो।

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कई बार तो लगता है कि व्यक्ति साईको हो जाता है, हम कहीं भी कितना भी भाग लें, पर उन डर के विचारों से पीछा नहीं छुड़ा पाते हैं, और जब तक कि वह परेशानी सुलझ नहीं जाती, तब तक हम किसी भी बात को सही तरीके से कर ही नहीं पाते, अपना कोई भी मनपसंदीदा काम हो, कोई फिल्म ही क्यों न हो, या फिर आपका कोई प्रिय लेखक ही क्यों न हो। भले घर में मनसपंदीदा व्यंजन बना हो, पर जब इस प्रकार की परेशानी से जूझ रहे होते हैं तो वह भी अच्छा नहीं लगता।
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कहना आसान  है कि अपना ध्यान भटकाओ, उसके बारे में मत सोचो, कुछ ओर कर लो, कहीं घूम आओ, पर दरअसल परेशानी हमें छोड़ती ही नहीं, इसका एक कारण मुझे समझ आता है कि हम अपना आत्मविश्वास कमजोर कर चुके होते हैं और उसे हम अपने दैनिक जीवन की बहुत सी आदतों में प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं, कई बार अकेले में बैठकर रोने का मन करता है, कई बार कोने में घुटनों में छुपकर रहना चाहते हैं, तो कई बार हाथ पैर काँपने लगते हैं। यह सब बहुत ज्यादा नेगेटिव वातावरण ओर ज्यादा तकलीफदेह होता है।
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समस्या का समाधान बहुत सीधा नहीं है, क्योंकि किसी पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता है, और न ही किसी को मन की पीड़ा बताई जा सकती है। कई बार छोटी परेशानी भी हम बड़ी समझ लेते हैं ओर परेशान होते रहते हैं। ऐसे समय जितना हो सके अपने आपको अच्छे लोगों के सान्निध्य में रखने की कोशिश करें, नेगेटिविटी कम करें। ध्यान करें, सुबह शाम टहलने जायें, प्रकृति के बीच रहें। छोटी छोटी चीजों में अपनी खुशियाँ ढूँढ़ें। आपने जो उपलब्धियाँ अभी तक पाई हैं, उन्हें याद करें और उनसे पॉजीटिव ऊर्जा लें।
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क्या और भी कोई तरीका है, इन परेशानियों से छुटकारा पाने का, तो बताईये?

गुस्सा, क्रोध व गालियों का शिकार

क्या आपने कभी सोचा है कि समाज में अधिकतर लोग गुस्सा, क्रोध व गालियों का शिकार क्यों होते हैं, कोई भी बचपन से गुस्सा, क्रोध या गालियों का आदतन नहीं होता है। यह हमारे आसपास की सामाजिक व्यवस्था के कारण हम सीख जाते हैं। गुस्सा, क्रोध व गालियों में बहुत आत्मनिर्भरता है, जब गुस्सा क्रोध आयेगा तभी आपके मुँह से गालियों की बरसात होगी। गुस्सा आना न आना केवल और केवल आपके ऊपर निर्भर करता है।

गुस्सा हम कब करते हैं, अगर ध्यान से देखा जाये, तो उसके अपने कुछ पहलू होते हैं, पर मुख्य पहलू होता है कि हम किसी काम से खुश न होने पर गुस्सा होते हैं, गुस्सा क्रोध कई लोगों का भयंकर रूप से फूट पड़ता है तो कई लोग उस गुस्से को बेहतरीन तरीके से सीख लेते हुए निगल लेते हैं, परंतु यहाँ मुख्यत: बात यही है कि हमारी कोई बात पूरी नहीं होती है या फिर कोई काम हमारे मनचाहे तरीके से नहीं होता है, हम जैसा चाहते हैं वैसा नहीं होता है, तो गुस्सा अभिव्यक्ति के रूप में निकल आता है।
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गालियों का अपना गणित है, जब गुस्सा क्रोध की अभिव्यक्ति में व्यक्ति गुस्सैल होता है तो उसे अभिव्यक्त करने के लिये कठोर शब्द चाहिये होते हैं जिससे सामने वाला याने कि जिस पर गुस्सा किया जा रहा है, वह आहत हो, इसलिये गालियों का सहारा लिया जाता है, कई बार साधारण सी गालियों से ही काम चल जाता है और कई बार गुस्से से उस व्यक्ति के परिवार की महिलाओं को भी लपेट लिया जाता है। और इस गाली गलौच के चक्कर में कई बार बात इतनी बढ़ जाती है कि वह घटना अपराध का रूप ले लेती है।
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मैंने ऐसे भी वाकये देखे हैं जहाँ बरसों बरस की मित्रता केवल गाली गलौच के कारण खत्म होती देखी है। कई बार हम खुशी में गाली गलौच कर लेते हैं, परंतु ऐसे वाकये कम ही होते हैं, और यह उस परिवार या समाज पर भी निर्भर करता है, जहाँ हमारा उठना बैठना है। गाली गलौच दोस्तों में होना आम बात है, कहा जाता है कि जब तक गाली गलौच न हो तब तक दोस्ती पक्की नहीं होती है।
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आप बताईये क्या आप भी गालियों का सहारा लेते हैं जब आपको गुस्सा क्रोध आता है?

ब्लॉग के लिये विषय ही याद न रहना

मैं जब ब्लॉग लिखता हूँ तो ब्लॉग के लिये विषय कभी ढूँढ़ता नहीं, बल्कि उस समय जो भी मेरे मन मस्तिष्क में चल रहा होता है, उसी विचार पर ब्लॉग लिख देता हूँ। कई बार ऐसा भी होता है कि हम किसी विषय पर चिंतन कर रहे होते हैं और उससे निकलने के लिये हमें कई बार लिखना होता है तो वह खुद के विचार ब्लॉग के रूप में प्रकट होते हैं।

आज सुबह ऐसा हुआ कि मैं ध्यान में था, और विषय मेरे सामने से निकलने लगा, सोचा था कि उसी पर ब्लॉग लिखूँगा, परंतु हुआ यह कि जब ध्यान से उठा तब तक मैं उस विषय को ही भुला बैठा, तो ऐसा कई बार हो जाता है, कोई सामान्य सी बात भी याद नहीं आती है। मेरे साथ ऐसा कई बार हो चुका है, जैसे कि कुछ चीजें होती हैं जो हम कहीं लिखकर नहीं रखते, वह गोपनीय होती हैं, परंतु हमेशा ही हमारे जहन में रहती हैं, जैसे कि बैंक का लॉगिन आई डी, पासवर्ड, मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ कि लॉगिन आईडी याद ही नहीं आता, फिर उस काम को मुझे टालना होता और थोड़ी देर बाद अपने आप ही याद आ जाता है, फिर उस काम को आगे कर पाता हूँ।
मुझे लगता है कि यह सामान्य प्रक्रिया है, और शायद सबके साथ होता है, जैसे कि कई बार मैं फोन या हैंड्सफ्री अपने आसपास ही कहीं रख देता हूँ, ढ़ूँढ़ता हूँ तो नहीं मिलते हैं, फिर परेशान होकर घर में भी सबसे पूछता हूँ, अंतत: पता चलता है कि मैं अपने पास रखा हुआ हूँ और बस वहीं न देखकर सारे घर में ढ़ूँढ़ रहा हूँ। यही जीवन में भी होता है, कई बार हममें ऐसे बहुत से अच्छे गुण होते हैं, या बातें होती हैं, जिन्हें हम जानते नहीं, परंतु हम उन्हें सीखने या पढ़ने के लिये बेताब होते हैं।
विषय की यात्रा की भी अपनी ही एक कहानी है, जैसे कि आप ब्लॉग के लिये विषय ही याद न रहना पर ही यह ब्लॉग लिख दिया।  मन में कई बातें कई बार एक साथ, तो कई बार एक के बाद एक अपने आप चुपके से आने लगती हैं, और उन पर हमारा कोई वश नहीं होता। कई बार हमें सामान्य घटना में भी कोई अच्छा भाव मिल जाता है और कई बार हम उस पर गौर ही नहीं करते। इस मन की राह बहुत कठिन है।
बताईयेगा कि आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है, या होता है, या होता ही रहता है।

नीरस जीवन, दार्शनिकता और लालसा का अंत

कई बार मुझे लगता है कि मैं कुछ ज्यादा ही दार्शनिक हो जाता हूँ। दार्शनिक मतलब कि दर्शन की बात करने वाला, और कई बार ऐसा होता है कि मुझे खुद ही दर्शन समझ नहीं आता या फिर मैं दार्शनिकों से भागने की कोशिश करता हूँ, शायद यह मूड पर निर्भर करता है। मैं दार्शनिक प्रोफेशनल से नहीं हूँ तो यह मेरा शौकिया शगल भी हो सकता है। Continue reading नीरस जीवन, दार्शनिकता और लालसा का अंत

सफलता और असफलता घबराना क्यों

सफलता और असफलता घबराना क्यों
इंसान असफलता से घबराता है, क्योंकि इस प्राणी का सफलता का प्रतिशत ज्यादा होता है। पर क्या आपको पता है शेर जो कि जंगल का राजा होता है, जिससे सब डरते हैं उसके शिकार की सफलता का प्रतिशत मात्र 25% होता है और 75% बार उसे असफलता मिलती है, मतलब उसे 4 बार शिकार करने पर मात्र 1 बार ही शिकार होने की संभावना होती है। पर शेर शिकार करना छोड़कर घास, फूल पत्ती नहीं खाने लगता, क्योंकि प्रकृति का अपना नियम है, सबके खानपान निश्चित हैं। असफलता से दुखी न होकर अपनी प्रकृति पहचानें व सफलता की ओर अग्रसर हों, शेर बनने की जरूरत नहीं पड़ेगी, उससे पहले ही सफलता मिलनी निश्चित है, पर आपको उतनी ही लगन से व एकाग्रचित्त होकर सफलता के लिये प्रयासरत होना होगा।
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एंटरप्रेन्योरशिप के लिये आइडिया

अपने आइडिया लिखने आने चाहिये, अच्छी तरह से उन्हें प्रस्तुत भी करना आना चाहिये, पर एंटरप्रेन्योरशिप में आइडिया अगर केवल 1 पेज का भी हो, तो भी बहुत कुछ हो जाता है। इसी को फॉलो करते हुए कल बेटेलाल ने एक आइडिया जनरेशन किया, शुरुआत है, आगे बात तो बननी ही है, किसी न किसी आइडिया को हिट तो होना ही है, बस उसके पहले बहुत सारे आइडिया सोचने होंगे, लिखने होंगे, तभी तो अनुभव आयेगा।


कोरोना से बचकर रहना होगा

लोगों को जो लगता है वह लगता रहे, मुझे लगता है कि वैक्सीन का हो हल्ला है, दूर दूर तक इसके अते पते नहीं हैं, आज की दुनिया स्वार्थी व महाबेईमानी है वे बस ऐसे ही सपने बेचते रहेंगे। लगता कि कम से कम अगले 5 से 6 वर्ष तो घर के अंदर ही गुजारने होंगे, नहीं तो बाहर राक्षस हवा में बैठा इंतजार कर ही रहा है। बाहर जाने से बचें, बस यही एकमात्र उपाय है।
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ज्यादा रिश्ते बनाने से ओर उनको निभाने से हम कमजोर व दुखी होते हैं। अंतरतम में झाँकें, व सुखी रहें, यही एक कुँजी है।

811 Kotak में अपने नाम से 5 मिनिट में नया एकाउंट खुलवाया

कल से बेटेलाल की इंडिपेंडेंट बैंकिंग शुरू हो गई, 811 Kotak में अपने नाम से 5 मिनिट में नया एकाउंट खुलवाया और कुछ पैसे ट्रांसफर किये, तो बेटेलाल खुश कि अब उनके पास ऑनलाइन बैंकिंग है, UPI ID, NEFT, IMPS सब कुछ है। वहीं से सीधे म्युचुअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं।
बेटेलाल के नाम से खाता तब तक ऑनलाइन खुल नहीं सकता जब तक कि वे 18 वर्ष के न हो जायें, पर मनी मैनेजमेंट लेसन अभी से सीखना जरूरी है, जितना जल्दी सीखेंगे, उतना अच्छा रहेगा।
Kotak 811 में अमेजन का ₹250 का ऑफर चल रहा था तो हमने थोड़े ज्यादा पैसे जमा कर दिये, बेटेलाल कहने लगे अरे डैडी ये बहुत ज्यादा हैं, हमने कहा चिंता न करो सोमवार को वापिस ले लेंगे, बस जितने तुम्हारे हैं उतने ही इस खाते में रहेंगे। फिर भी कहते रहे कि डर लग रहा है।
फिर कहा कि कुछ ऑनलाइन खरीदना है, पर ऑनलाइन खरीदने का कॉन्फिडेंस नहीं है, जब भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करूँगा, आपके साथ बैठकर ही करूँगा, हमने कहा कि यह भी ठीक है।
#आत्मनिर्भर #भारत की ओर बढ़ते कदम
कुछ अन्य फेसबुक स्टेटस
अगर आपको समझ न आ रहा हो कि कौन सा पिज़्ज़ा ऑर्डर करें, मार्गरिटा आर्डर कर लीजिये।
मार्गरिटा पिज़्ज़ा वैसा ही है, जैसे म्युचुअल फंड में इंडेक्स फंड, जब कोई म्युचुअल फंड न समझ आये तो इंडेक्स फंड ले लेना चाहिये।
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आज सुबह मैं सपने में 10 वर्ष आगे पहुँच गया था, तो घूमता रहा भविष्य में, जब आँख खुली तो वर्तमान में,
बस कुछ शेयर्स की उस समय की कीमत याद रह गई, पर यहाँ पब्लिकली क्या किसी की प्राइवेटली भी नहीं बताऊँगा।
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आज फ़िल्म देखी “आपला मानूस”, मराठी फिल्म है, नाना पाटेकर ने पूरी फिल्म में समां बांध दिया, पारिवारिक परिस्थितियों में कैसे कैसे समीकरण बनते हैं, इस पर बहुत ही बारीकी से इस फ़िल्म की कहानी में काम किया गया है, कहानी में बेटे बहु व ससुर के संबंधों पर बहुत अच्छे से कार्य किया गया है, काश ऐसी फिल्में हिन्दी में भी बनती। एक बेहतरीन सस्पेंस थ्रिलर फिल्म जिसमें कहानी परिवार के रिश्तों के इर्दगिर्द घूमती है।

SIP से पैसा निकाला जाना चाहिये?

शेयर बाजार में उतार चढ़ाव आते रहते हैं, मेरे पास कुछ म्युचुअल फंड में SIP हैं जो कि लगभग 10 वर्षों से भी ज्यादा समय से चल रही हैं और लगभग सभी पर बेहतरीन रिटर्नस मिल रहे हैं, पर इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं उनका प्रॉफिट बुक कर लूँ, जब जरूरत होगी, तो ही SIP से पैसा निकाला जाना चाहिये।
मैंने शेयर बाजार में कई गिरावट के दौर देखें हैं, पर कभी मन ही नहीं हुआ, उन्हें निकालने का।
जी हाँ मैं शेयर बाजार को भी समझता हूँ, और म्यूचुअल फंड को भी, और मुझे गणित भी आती है, और यह भी ध्यान रखें कि आप शेयर बाजार में पैसा लगाने से थोड़ा बहुत कमाने से बहुत अमीर नहीं बन जाओगे, बस आपके पास कुछ हिस्सा अपने निवेश का ऐसा भी होना चाहिये जो कि शेयर बाजार में निवेशित हो।
जिसने पेशेंस से काम लिया है, वही सिकंदर है। संयम रखिये, अपना निवेश लंबे समय के लिये निवेशित रहना सीखिये।
यह स्टेटस अपने फेसबुक पर लिखा था, इस पोस्ट पर आये कमेंट्स
Kajal Kumar
2 म्यूच्यूअल फंड में 36 महीने की एसआईपी थी, दोनों खत्म हो चुके हैं. समझ नहीं आता कि यह पैसा निकाल लिया जाए अभी रहने दिया जाए
Vivek Rastogi
Kajal Kumar

इसलिये हमेशा ही परपेचुअल करवानी चाहिये, फिर जब मर्जी हो बंद कर दो

Alpana Sharma
Make different baskets is my funda
Shailendra Kumar Jha
Post me likhi baten bhai log pi jate hain…au ant me diye gaye nirdesh pe dhyan hi nahi dete
Rounak Jain
मेने आपसे hi inspire होकर इन्वेस्टमेंट चालू किया और आज ज़ोरदार कंडिशन में हु 😃
Vivek Rastogi
Rounak Jain

वाह, ऐसे कमेंट बहुत खुशी देते हैं ❤️

Kamal Sharma
इस बाजार का गणित सरल है, जो इस गणित को समझ गया, वह अपने निवेश पर कमाई करेगा।
Rakesh Kumar
SIP me kaise investment kre
निवेश करने के बहुत से तरीके हैं, अब तो बहुत ही आसान हो चुका है, आप कोई भी म्यूचुअल फंड की एप्प या किसी एग्रीगेटर की एप्प इंस्टाल कर लीजिये और मजे में निवेश करिये।

eSports इस्पोर्टस क्या होते हैं? हिन्दी में जानकारी

eSports इस्पोर्टस नई पीढ़ी के लिये जाना पहचाना नाम है, वहीं उनके अभिभावकों के लिये यह एक अंजान पहेली है, उन्हें इस बारे में शायद ही कुछ पता हो, और न ही इस बारे में कहीं ज्यादा लिखा गया है। इस्पोर्टस eSports वीडियो गेम्स मशीन के जरिये डिजिटल गेम्स में प्रतिस्पर्धा होती है, व इसमें कई टूर्नामेंट चलते रहते हैं, व ईनामी राशि भी बहुत बड़ी होती है।

eSports साधारणतया: Multiplayer Video Game होते हैं, जिसमें आप एक टीम का हिस्सा होते हैं और खेल में भाग लेते हैं, वहीं Individual भी हिस्सा लेकर खेल सकते हैं। इसमें गेमिंग प्रोफेशनल्स बहुत बड़े पैमाने पर हिस्सा लेते हैं, 2010 में यह और ज्यादा लोकप्रिय हुआ, क्योंकि उस समय इसमें Live Streaming और जुड़ गई, तो जो लोग नहीं खेल पाते थे, वे भी अब eSports के मजे लेने लगे।

विविध शैलियों के eSports आये जिसमें Multiple online battle arena (MOBA), First Person Shooter (FPS), Fighiting, Card Games, Battle Royales व Real Time Strategy (RTS) प्रमुख हैं। कुछ बेहद लोकप्रिय eSports फ्रेचाईजी हैं League of Legends, Dota, Counter-Strike, Overwatch, Super Smash Bros व StarCraft। बहुत से टूर्नामेंट होते हैं जैसे कि League of Legends World Championship, Dota 2’s International फाईटिंग वाले गेम्स के लिये Evolution Championship Series (EVO) व Intel Extreme Masters।

इन सबमें महत्वपूर्ण होते हैं स्पॉनसर्स जो कि eSports को बढ़ावा देते हैं जैसे कि Overwatch League। लेकिन फिर भी eSports को हमारे traditional गेमिंग से दूर ही रखा गया है, इसे ट्रू स्पोर्टस मानने से अभी भी विश्व की स्पोर्टस की कई संस्थायें इंकार करती हैं। परंतु जहाँ तक मुझे लगता है कि eSports जल्दी ही भविष्य में Olympic में जगह बना सकता है।

ऑनलाईन स्ट्रीमिंग वीडियो यूट्यूब YouTube व ट्विच Twitch पर उपलब्ध होती हैं। स्ट्रीमिंग के कारण eSports और ज्यादा popular हो रहे हैं। परंतु फिर भी इसमें खेलने वाले लड़के ज्यादा है और लड़कियाँ कम हैं, लगभग 85% व 15% का रेशो है। चीन व साउथ कोरिया eSports में यह मान लीजिये कि विश्व में प्रतिनिधित्व करते हैं वहीं जापान बहुत ही जल्दी अग्रणी पंक्ति में होगा। eSports यूरोप, अमेरिका में भी बहुत popular है वहाँ पर भी कई रीजनल व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन होते रहते हैं।

सोशल इन्फ्लूएँसर कैसे बनें How to become Social Influencer

सोशल इन्फ्लूएँसर Social Influencer के बारे में अभी एक पोस्ट लिखी थी, कि इससे भी अच्छा खासा पैसा बनाया जा सकता है, तो सभी की जिज्ञासा थी कि कैसे?

सोशल इन्फ्लूएँसर होता क्या है पहले यह समझ लें – जब एक या अधिक सोशन प्लेटफॉर्म पर आपके बहुत से फॉलोअर हों, फेसबुक पर कोई ज्यादा फायदा नहीं है, पर हाँ अगर ट्विटर, इंस्टाग्राम पर ज्यादा फॉलोअर हैं तो आपको फायदा होता है। सोशल इन्फ्लूएँसर अपनी बातों को समाज में पहुँचाते हैं, वे किसी एक मुद्दे की हो या विभिन्न मुद्दों पर, इससे लोग उनकी बातों को सपोर्ट करते हैं, समझते हैं व अपनी आवाज समझते हैं। समाज को लगता है कि वे इस व्यक्ति से कुछ सीख सकते हैं, यह अच्छा लिखता है या जरूरत के मुद्दों पर अपनी बात को सही प्रकार से कह सकता है।

बस इसी का फायदा ये सोशल इन्फ्लूएँसर उठाते हैं, जब इनके पास बहुत अधिक संख्या में फॉलोअर होते हैं, तो कई कंपनियाँ उनके पास अपने उत्पाद या अपने ब्रांड के प्रमोशन के लिये कंटेट मार्केटिंग कंपनियों के जरिये पहुँचती हैं, क्योंकि इनकी पहुँच सीधे कई फॉलोअर्स तक होती है यह अत्याधुनिक मार्केटिंग का तरीका मात्र है।

जितने ज्यादा आपके फॉलोअर्स होंगे, जितने ज्यादा उस कंटेट के व्यूज व लोगों का इन्वॉल्वमेंट होगा, उतनी ही ज्यादा आपकी क्रेडिटिबिलिटी होगी। यह सब रातोंरात हासिल नहीं किया जाता है, इसके लिये सिस्टमेटिक तरीके से आपको अपनी बातों को कई दिनों महीनों तक लगातार विभिन्न तरीकों से रखना होता है।

कमाई के अवसर बहुत ही अप्रितम हैं, निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के कंटेट पर लिखते हैं, तो उसी प्रकार के कंटेट की मार्केटिंग के लिये आपके पास आयेंगे, हर ट्वीट या इंस्टाग्राम पोस्ट स्टोरी का अपना एक रेट होता है। जो कि आपकी सोशल इन्फ्लूएँसर की छवि पर निर्भर करता है। एक ट्वीट पर लोग 7० रूपये से लेकर 1 लाख तक चार्ज करते हैं, कई बार रकम इससे भी ज्यादा होती है, वैसे ही इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ब्लॉग का मामला है। मैंने कई सोशल इन्फ्लूएँसर्स को देखा है कि वे कई मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं तो उनके पास कई प्रकार के एन्डोर्समेंट आते हैं और लगभग हर दूसरे दिन या हर दिन ही उनके पास कमाई के अवसर होते हैं।

अगर आपको लगता है कि आप भी सोशल इन्फ्लूएँसर बन सकते हैं तो कमाई को ध्यान में मत रखिये, पहले अपने आपको पहचानिये कि आप अच्छा क्या कर सकते हैं, और उस पर लिखकर अपने आपको सोशल इन्फ्लूएँसर के रूप में अपने आपको इस सोशन बाजार में स्थापित कीजिये।