Category Archives: अर्थ प्रबंधन

डीमैट के जरिये म्यूचयल फ़ंड में निवेश करने के फ़ायदे..

डीमैट के जरिये म्यूचयल फ़ंड में निवेश करने का सबसे बड़ा फ़ायदा होता है कि आपको किसी भी पेपर पर हस्ताक्षर नहीं करने होते हैं, जब आप ऑफ़लाईन याने कि किसी ब्रोकर या सीधे कंपनी से म्यूचयल फ़ंड लेते हैं तो उसमॆं आपको बहुत सारे पेपर पर हस्ताक्षर करना पड़ते हैं, और नये निवेश के लिये, स्थानांतरण और निवेश निकालने के लिये भी पेपर का ही उपयोग करना पड़ता है।

डीमैट के जरिये निवेश करने से आपको किसी भी पेपर का सहारा नहीं लेना पड़ेगा, निवेश संबंधित सारे लेने देन बिना किसी पेपर के कर सकते हैं । डीमैट में निवेश लेने से ऐसा कोई फ़ायदा नहीं है कि आपको रिटर्न ज्यादा मिल सके, क्योंकि इसका आपके निवेश पर कोई असर नहीं होने वाला है। डीमैट के जरिये निवेश करने से केवल आपको निवेश करने की सुविधा अच्छी हो जाती है, आप आराम से निवेश कर सकते हैं।

बस यहाँ पर आपको डीमैट के शुल्क जो भरने पड़ते हैं वे तो लगेंगे ही उसके अलावा आपको म्यूचयल फ़ंड खरीदने और बेचने का ब्रोकरेज भी देना पड़ेगा जो कि अलग अलग ब्रोकरेज कंपनियों के अलग अलग होते हैं। बस इससे निवेश की सुविधा अच्छी हो जाती है, आप ऑनलाईन खरीद सकते हैं, ब्रोकरेज हाऊस की ब्रांच में डीलर को फ़ोन करके भी खरीद सकते हैं ।

पैसे पेड़ पर उगते हैं पता बता रहे हमारे बेटे लाल…

जब हम घर पर रहते हैं तो बेटेलाल को हम ही सुबह उठाते हैं, और कुछ संवाद भी हो जाते हैं, कुछ दिनों पहले महाराज अपनी एक किताब गुमा आये और अब बोल रहे हैं कि पैसे दे दीजिये हम नई किताब खरीद लायेंगे। अपनी आदत के अनुसार हमने कह दिया “पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं” और अब तो यह हमारे प्रधानमंत्री जी ने भी पुष्ट कर दिया है।

हमने कहा बेटेलाल पहले जाकर अपनी किताब ढूँढ़ो जैसे डायरी गुमी थी और बाद में मिल गई वैसे ही वह भी मिल जायेगी, चिंता मत करो। पर ये महाराज आश्वस्त हैं नहीं मिलेगी। तभी हमने फ़िर से बोला बेटा पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं, तो हम तो इसके लिये पैसे नहीं देने वाले हैं।

पैसे का पेड़

हमें तभी बेटेलाल का जबाब मिला “हमें कुछ नहीं पता, हमें तो किताब लेनी है, और पैसे चाहिये!!!”, हमने फ़िर से कहा बेटा पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं, कहते हैं – “पैसे पेड़ पर उगते हैं”, हमने कहा फ़िर पता बताओ हम अभी वहीं से पैसे तोड़ लाते हैं और प्रधानमंत्री जी को भी बता देते हैं, बेटेलाल पूछते हैं कि ये प्रधानमंत्री जी कहाँ रहते हैं, हमने कहा दिल्ली में रहते हैं, बेटेलाल कहते हैं “उईई मैं तो इतनी दूर नहीं जा रहा उनको बताने कि पैसे का पेड़ कहाँ है”, हमने कहा अच्छा हमें तो बता दो।

बेटेलाल कहते हैं “वो पेड़ यहाँ बैंगलोर में थोड़े ही है, वह तो जयपुर में है, जयपुर में कांदिवली गाँव है, हमने कहा ओय्ये कांदिवली तो मुँबई में है, तो बेटेलाल कहते हैं अच्छा जयपुर की जगहों के नाम बताओ, हमने कहा हमें भी पता नहीं तो कहते हैं कि पुर्रपुर्रपुरम में है।

खैर यह संवाद तो इतना ही रहा, पर इतने संवाद में यह बात समझ में आ गई कि बेटेलाल को भी पता है कि पैसे का पेड़ नहीं है और कहीं उगते भी नहीं है, उनके लिये तो डैडी ही पैसे का पेड़ हैं, बस डैडी को हिलाओ और पैसे गिरने लगेंगे । मैं भी बेटे की मासूमियत भरी बातों को कहीं और से जोड़कर देखने लगा और अब सोच रहा हूँ कि काश मैं भी बच्चों जैसा पावन पवित्र मन वाला होता और इन बातों को यहीं खत्म कर कहीं किसी और काम में व्यस्त हो जाता ।

बैंक ने क्रेडिट रेटिंग के कारण गृहऋण देने से मना किया (Bank rejected Home loan due to Credit rating..)

कुछ दिनों पहले अपने एक सहकर्मी से बात हो रही थी, वे अपने लिये एक फ़्लैट ढूँढ़ रहे थे, अब वे किसी क्रेडिट कार्ड कंपनी और बैंक से बात कर रहे थे। उनसे पूछा कि क्या बात है – तो पता चला कि क्रेडिट रेटिंग के कारण गृह ऋण में बहुत परेशानी आ रही है।
हमारे सहकर्मी की तन्ख्वाह भी अच्छी खासी है, जिसे देखकर शायद ही कोई बैंक उन्हें ऋण देने से मना करे। परंतु उनकी क्रेडिट रेटिंग याने कि क्रेडिट स्कोर काफ़ी कम था, क्रेडिट रेटिंग सिबिल (CIBIL) द्वारा प्रदत्त की जाती है। सिबिल आपके सभी तरह के वित्तीय लेनदेन पर नजर रखता है, और लेनदेन के स्वभाव पर भी नजर रखता है और क्रेडिट रेटिंग के लिये उनका खुद का फ़ोर्मुला है, जिससे किसी भी व्यक्ति विशेश का क्रेडिट रेटिंग पता चल जाता है। आजकल किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान में ऋण लेने जायें तो सबसे पहले वह क्रेडिट रेटिंग देखते हैं।
हमारे सहकर्मी को बैंक ने बताया कि आपकी क्रेडिट रेटिंग बहुत कम है और बावजूद आपकी अच्छी तन्ख्वाह होने के, आपको ऋण देना बहुत मुश्किल है, आप क्रेडिट कार्ड कंपनी से बात करें और देखें तो शायद आपकी क्रेडिट रेटिंग थोड़ी अच्छी हो जाये और हमें ऋण देने में आसानी हो।
उन्होंने पहले ५-६ क्रेडिट कार्ड ले रखे थे, परंतु कभी बकाया नहीं रखते थे, और केवल शौक के लिये ५-६ क्रेडिट कार्ड ले रखे थे, क्योंकि इन कार्डों की कोई सालाना फ़ीस नहीं थी। फ़िर बाद में उन कार्डों की बराबर से मैनेज नहीं कर पाते थे, तो उन्होंने एक क्रेडिट कार्ड छोड़कर बाकी सभी क्रेडिट कार्ड सरेंडर कर दिये। इसी में से एक सिटीबैंक का एक क्रेडिट कार्ड भी था, और उन्होंने उसका भी पूरा बकाया भर दिया था परंतु फ़िर भी उनकी क्रेडिट रेटिंग रिपोर्ट में सैटलमेंट लिखा हुआ था, उस समय हमारे सहकर्मी ने पूछताछ नहीं की थी, कि सैटलमेंट क्यों लिखा है, और न ही उन्हें इसका मतलब पता था।
अब जब बैंक वालों ने ऋण देने में नाटक किये तो इन्हें पता चला कि सैटलमेंट मतलब कि जब आप आखिरी भुगतान कर रहे हैं, तो आपने क्रेडिट कार्ड कंपनी या ऋण प्रदाता के साथ आखिरी भुगतान में कुछ मोलभाव किया तो उसे सैटलमेंट कहा जाता है। और इस सैटलमेंट शब्द के कारण क्रेडिट रेटिंग पर बुरा असर पड़ता है।
जब आप अपना खाता बंद करवा रहे होते हैं तो कई बार कई क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ और ऋण प्रदाता कंपनी बदमाशी करती हैं, और साधारण भुगतान को सैटलमेंट कहकर दर्शाती हैं, ध्यान रखें साधारण भुगतान सैटलमेंट नहीं कहलाता है, इसके लिये जरूरी हो तो कानून का भी सहारा लिया जा सकता है।
आज हमारे सहकर्मी को इतनी परेशानी आ रही है, केवल एक छोटे से क्रेडिट कार्ड के सैटलमेंट शब्द से, ध्यान रखें सावधानी रखें जब भी क्रेडिट कार्ड या ऋण खाता बंद करें।
अगर ध्यान नहीं दिया तो आपके क्रेडिट रेटिंग की हालत खराब होगी और बैंक गृह ऋण क्या कोई भी ऋण देने से मना कर सकती है।

भारत में सिगरेट का धंधा Cigarette in my hand

क्या कोई जानता है कि भारत सरकार मौत का धंधे वाली कंपनी में एक बड़ी पार्टनर है। हम बात कर रहे हैं आई.टी.सी. कंपनी की, ITC( Indian Tobacco Company) जो कि भारत में सिगरेट की एक बड़ी निर्माता कंपनी है और शेयर बाजार में इसके शेयर के भाव पिछले कुछ वर्षों अच्छे खासे बढ़े हैं।
सरकार की इस मौत के धंधे में 35.89% हिस्सेदारी है जिसका मूल्य लगभग 40,000 करोड़ रूपये बैठता है। और शेयर बाजार में ITC को बड़ा लिक्विडिटी वाला शेयर माना जाता है।
जानकर शायद आश्चर्य हो कि इस 35.89% में सरकार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी भारत में जीवन बीमा बेचने वाली LIC का है 12.92%| एक तरफ़ लोगों को जीवन बीमा बेचती LIC और दूसरी तरफ़ मौत के धंधे में हिस्सेदार।
दूसरी बड़ी कंपनी है SUUTI जी हाँ ये वही है UTI वाली, मौत के इस धंधे में इनकी हिस्सेदारी 11.59% है। बाकी तो सरकारी कंपनियों की फ़ेहरिस्त लंबी है जैसे – न्यू इंडिया इंश्योरेन्स
कंपनी, जनरल इंश्योरेन्स ऑफ़ इंडिया, ओरियेंटल इंश्योरेन्स कंपनी, नेशनल इंश्योरेन्स कंपनी इत्यादि ।
 
जब सारी बीमा कंपनियाँ अपने मुनाफ़े के लिये मौत के धंधे में हिस्सेदार हैं तो क्या इनके व्यापारिक सिद्धातों पर ऊँगली नहीं उठनी चाहिये।
ये देखिये ITC के रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट – यह पूरी रिपोर्ट आप यहाँ पर क्लिक करके भी पढ़ सकते हैं।

 

 

तंबाखू से होने वाले कैंसर से होने वाली मौत के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं, हर वर्ष कैंसर से मरने वाले लोगों की तादाद हमारे पड़ोसी मुल्क के द्वारा आतंकवाद में होने वाली मौतों से कहीं ज्यादा हैं। इसका मतलब ? और दूसरी तरफ़ सरकार का ही स्वास्थ्य विभाग जनजागृति के नाम पर विज्ञापन और इलाज पर करोड़ों रूपया फ़ूँक रही है।

गैरी लॉयर का एक प्रसिद्ध गाना था – Cigarette in my hand यह देखिये –

 

The very famous antismoking campaign from ‘Bombay hospital’

I remember the time, I had my first hook
Try it just once, friends gently provoked
Friends told me yes, light a ciggy for a start
you would like the fire in a pretty girls laugh

With a cigarette in my hand I felt like a man
cigarette in my hand I felt like a man

My hero look so right
with a cigarette on his lips
Could I go wrong if I follow his tips
On the job I learnt a thing or two
cigarette had a place in every work day too
cigarette started every hour of my day
couldn’t get out of the habit, no way

With a cigarette in my hand I felt like a man
cigarette in my hand I felt like a man.

In moments that were a little a lonesome,
cigarette and I were happy twosome
cigarette slowly became my crunch
energy and stamina are lost very much
until one day I couldn’t on my feet
smoke made me feel real dead meat
then I realized I have paid a price.

With a cigarette in my hand, I was a dead man.

सावधान ! कहीं बैंक खाते से पैसा गायब ना हो जाये (Be Alert ! for your money in Bank..)

हमारे मित्र के साथ एक दिन बड़ा धोखा हुआ, रात को दो बजे एकाएक उनके बैंक से फ़ोन आया कि “क्या आपने कोई स्टैन्डिंग इंस्ट्रक्शनस दे रखा है”
हमारे मित्र ने कहा “नहीं, पर क्या हुआ, क्या बात है ?”
बैंक से जवाब मिला “आपके खाते से हर दो मिनिट में एक हजार रूपये ट्रांसफ़र हो रहे हैं।”
हमारे मित्र ने उसी समय नेटबैंकिंग से अपना एकाऊँट देखा तो वाकई तब तक एक हजार के लगभग २० ट्रांजेक्शन हो चुके थे, और हर दो मिनिट में एक हजार कहीं ट्रांसफ़र हो रहे थे। बैंक ने तत्काल हमारे मित्र को कहा कि बेहतर यह है कि हम इस एकाऊँट को बंद कर देते हैं, जिससे कम से कम यह ट्रांसफ़र तो रुक जायेगा।
और बैंक ने हमारे मित्र का एकाऊँट बंद कर दिया, तब तक एक हजार के ४२ ट्रांजेक्शन हो चुके थे, सुबह हमारे मित्र बैंक गये और तहकीकात की, पता चला कि कहीं से ए.टी.एम. चैनल से किसी ने हमारे मित्र के एकाऊँट को हैक कर दिया था। जो कि बैंक के निगरानी तंत्र में नहीं आता, वह ए.टी.एम. चैनल वीसा इंटरनेशनल चैनल के अंतर्गत आता है। बैंक ने हमारे मित्र से पूछा कि “क्या कहीं पर आपने अपना एकाऊँट नंबर की जानकारी दी थी ?”
उस समय तो हमारे मित्र को याद नहीं आया, बाद में हमारे मित्र सायबर पुलिस के पास एफ़.आई.आर. दर्ज करवाने गये और बैंक से पुलिस ने जरूरी जानकारी ली, तो आखिर आई.पी. एड्रेस यू.के. का निकला। पुलिस ने कहा कि पैसा तो मिल जायेगा परंतु इसमें लगने वाला समय कम से कम २-३ वर्ष होगा और इसी बीच आपको कई बार कई जगहों पर परेशान भी होना होगा। उस समय हमारे मित्र एक निजी समस्या से भी उलझ रहे थे तो मानसिक रूप से परेशान तो थे ही, सो उन्होंने निर्णय लिया कि इन ४२ ट्रांजेक्शनों का घाटा ही सहन कर लिया जाये, क्योंकि प्रोफ़ेशन में इतना समय तो होता नहीं कि कई बार कई जगहों पर चक्कर लगा लिये जायें।
परंतु हाँ सायबर पुलिस ने उन्हें यह जरूर बता दिया कि बैंक एकाऊँट की जानकारी कैसे हैकर्स को मिली, हुआ यूँ कि इस सब घटना के १-२ दिन पहले ही उनके जीमेल एकाऊँट पर कोई मेल आयी थी, जिसमें फ़्लिपकार्ट से कोई किताब खरीदने का ऑफ़र था, और हमारे मित्र को वह किताब भा गई, सो उन्होंने वहीं से लिंक पर क्लिक करके उस किताब का भुगतान कर दिया। वह ईमेल नकली था, और फ़्लिपकार्ट की मिरर साईट (डुप्लिकेट) पर जिसे कि अधिकतर हैकर्स जानकारी जुटाने के लिये उपयोग करते हैं, ले गया और वहाँ से उनके बैंक के एकाऊँट की सारी जानकारी उस हैकर्स तक पहुँच गई।
जरूरी बातें जो इस धोखे से हमें सीखनी चाहिये –
किसी भी ईमेल से सीधे क्लिक करके कभी भी भुगतान ना करें, अगर खरीदना है या भुगतान करना है तो पहले साईट पर जायें और फ़िर भुगतान करें।
इस हैक में दीगर बात यह है कि हैकर को केवल बैंक का नाम और एकाऊँट नंबर का पता होना चाहिये, जिससे वह सीधे ए.टी.एम. चैनल में अपने मैसेज भेजकर यह कारनामा कर सकते हैं, अधिकतर यह चैनल सुरक्षित होते हैं, परंतु हैकर कहीं ना कहीं से मौका ढूँढ़कर अपना काम कर ही जाते हैं।
फ़्लिपकार्ट से खरीदते वक्त ध्यान रखें कि आपका एड्रेस बार ऐसा हो –
flipkart safe address
और नीचे यह भी दिख रहा हो –
flipkart safe and security msg
अपनी सुरक्षा अपने ही हाथ है, कोशिश करें कि हमेशा सावधानी बरतें क्योंकि बैंक में रखा आपका पैसा आपकी गाढ़ी कमाई का है, और थोड़ी सी चूक से आप इसे गँवा सकते हैं। हमेशा पासवर्ड और कस्टमर नंबर लिखने के लिये वर्चुअल की बोर्ड का उपयोग करें।
virtual keyboard
मजे की बात यह रही कि हमारे मित्र को फ़्लिपकार्ट से किताब भी मिल गई।

एफ़डीआई का हल्ले के बहाने महँगाई और रूपये के अवमूल्यन पर भी चिंतन, हलकान है जनता.. [FDI, Inflation and Depreciation of Rupee… my views]

जहाँ देखो वहीं विदेशी खुदरा दुकानों का हल्ला मचा हुआ है और जनता महँगाई के मारे हलकान हुई जा रही है। महँगाई सर चढ़कर बोल रही है।

किसान को सब्जी का क्या भाव मिलता है और दुकानें किस भाव में बेचती हैं यह एक शोध का विषय है। और अगर शोध किया जाये तो शायद दुनिया चकित रह जायेगी कि किसान को टमाटर का ३ रू. किलो मिलता है और जनता दुकानदार को ४० रू. किलो दे रही है, तो बाकी का बीच का ३७ रू. ये बड़े खुदरा दुकानों के मालिक खा रहे हैं।

जब मुंबई में थे तो वहाँ कोई भी सब्जी कम से कम ४० रू. किलो मिलती थी और अधिकतर तो १६० रू. किलो तक भाव होते थे। पता नहीं कहाँ से महँगाई आई, और यही सब्जी चैन्नई या बैंगलोर में देखें तो अधिकतम ४० रू. किलो सब्जी मिल रही है। टमाटर मुंबई में आज भी ४० रू. किलो हैं और यहाँ बैंगलोर में १६ रू. किलो मिल रहे हैं।

खैर नेता लोग चिल्ला रहे हैं कि विदेशी खुदरा दुकानें आ गईं तो हम आग लगा देंगे, खुलने नहीं देंगे, परंतु क्यों नहीं खुलने देंगे ये नहीं बता रहे हैं, जब रिलायंस रिटेल खुल रहा था तब भी लोगों ने बहुत तोड़ फ़ोड़ की थी, अब हालत यह है कि वही तोड़ फ़ोड़ करने वाले लोग रिलायंस रिटेल से समान खरीद रहे हैं।

थोड़े दिनों बाद विरोधी स्वर विदेशी खुदरा दुकानों के फ़ीता काटते नजर आयेंगे। जनता को समझाइये कि विदेशी खुदरा दुकानों से क्या नुक्सान होगा। आज अखबार में पढ़ा कि जयपुर में कैनोफ़र ने जयपुर के सभी थोक अंडा व्यापारियों से करार कर लिया है, अब सभी खुदरा व्यापारियों को अंडे मिलना बंद हो जायेगा। पहली बात तो यह उन थोक व्यापारियों की गलती है जिन्होंने ये करार किये हैं और वैसे भी भारत है जहाँ हर चीज का जुगाड़ होता है, जब सरकार जुगाड़ से चल सकती है तो ये व्यापार क्या चीज है। खैर आगे क्या होगा यह तो ये करार कार्यांन्वयन होने के बाद ही पता चलेगा। हमारे खुदरा व्यापारी कोई ना कोई तोड़ निकाल ही लेंगे।

ऐसा नहीं है कि मैं विदेशी खुदरा दुकानों का समर्थक हूँ परंतु हाँ यह अर्थव्यवस्था के लिये ठीक होगा और रूपये के अवमूल्यन होने से कुछ हद तक रोकेगा। परंतु रूपये का अवमूल्यन रोकने के लिये क्या इस तरह के हथकंडे अपनाना उचित है ? कतई नहीं !

परंतु नेता जनता को कितना बेवकूफ़ बनायेंगे, अगर इन नेताओं ने घोटाले नहीं किये होते, भ्रष्टाचार पर लगाम कसी होती और भारत के विकास में उस रूपये का योगदान किया होता तो शायद रूपये के मूल्य का अवमूल्यन नहीं होता उल्टा डॉलर कमजोर होता, परंतु सरकार विदेशी लोगों को बाजार में भी तरह तरह के साधन उपलब्ध करवाती है कि ये लोग आसानी से भाग लेते हैं, और जनता ठगी से देखती रह जाती है।

जरूरत है सरकार में नेताओं में विकास की इच्छाशक्ति की कमी की, अगर इन नेताओं में यह इच्छाशक्ति आ जाये तो हम विकास के पथ पर अग्रसर होंगे। लोग कहते हैं कि दस वर्ष में हम नंबर वन बना देंगे, पिछले पाँच वर्ष में भारत को कौन से नंबर पर लाये हैं, ये तो सब जानते हैं।

बात रही [बेचारे] खुदरा दुकानदारों की तो वे बेचारे तो रोजमर्रा कि चीजों को बेचकर अपना घर चला लेंगे। जैसे अगर आपको ब्रेड लेने जाना हो तो आप विदेशी खुदरा दुकानों में तो नहीं जायेंगे ना, बस ऐसे ही बहुत सारी चीजें हैं जो कि आप बिना पार्किंग में अपनी गाड़ी लगाये लेना चाहेंगे या घर से गाड़ी नहीं निकालकर पास के दुकान से लेंगे। तो सरकार को यह समझ लेना चाहिये कि १० लाख से ज्यादा जनता वाले शहर बहुत समझदार हैं।

मुंबई में जहाँ हम रहते थे वहाँ भी आसपास बहुत मॉल थे, परंतु लगभग सभी लोग एक किराने वाले से ही समान लेते थे, वजह वह कीमत में सीधी छूट देता था और उसकी स्कीमें भी आकर्षक होती थीं। फ़िर घर पहुँच सेवा, आप जाकर बोल दीजिये और घर पर समान पहुँच जायेगा। अगर आपकी घर से निकलने की इच्छा नहीं है तो केवल फ़ोन लगा दीजिये और समान घर पर होगा। उस किराना व्यवसायी का स्वभाव बहुत अच्छा था और मृदु भाषी है। यह सब बातें कहाँ देशी और कहाँ विदेशी खुदरा दुकानों पर मिलेंगी।

म्यूचल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ? (Mutual Funds DOS and DON’TS)

म्यूचयल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ?

Grow your investment

एकदम कमाई की उम्मीद न करें। अपने निवेश को बढ़ने के लिये समय दीजिये। यह बिल्कुल ऐसा है जैसे कि एक पौधा लगाया फ़िर उसकी सिंचाई की और जब तक बड़ा ना हो जाये तब तक इंतजार किया, पौधे को भी पेड़ बनने में समय लगता है, वैसे ही निवेश से कमाई के लिये भी वक्त लगता है। रातों रात कहीं से भी निवेश में कमाई नहीं होती है। साथ ही आपको पर्याप्त अनुमान होना चाहिये कि आपके निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अपने फ़ंड स्कीम के एन.ए.वी. को रोज न देखिये, रोज एन.ए.वी. देखने से अच्छा है कि कुछ समय अंतराल में देखा जाये।

अपने निवेश की सारी जानकारी एक डायरी में लिखें जिसमें कि म्यूचयल फ़ंड स्कीम नाम, फ़ोलियो नंबर इत्यादि सब दर्ज करें।

यह भी सुनिश्चित कर लें कि फ़ंड हाऊस के पास आपके सारे संपर्कों की जानकारी होनी चाहिये, जैसे कि पत्राचार का पता, मोबाईल नंबर, ईमेल पता। अगर इनमें से कुछ भी बदलता है तो फ़ंड हाऊस को एकदम सूचना देनी चाहिये।

अपने सारे निवेशों में नामांकन जरूर करें, साथ ही यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि नामिनी को निवेश के बारे में बतायें या ना बतायें।

Mutual Fund Investment म्यूचयल फ़ंड में निवेशक होने से आप अपने निवेश का स्टेटमेंट प्रथम बार निवेश करने के बाद प्राप्त करने के पात्र हैं, और उसके बाद नियमित रूप से कम से कम छ: महीने की अवधि में मिलना चाहिये। अगर आपको कोई स्टेटमेंट नहीं मिला है तो फ़ंड हाऊस के ग्राहक संबंध केन्द्र से थोड़ी पूछताछ करने की चेष्टा करें । आपको स्टेटमेंट आराम से मिल जायेगा।

एक बार फ़ंड हाऊस से मिलने वाले सारे पत्राचार को जरूर देख लें। अगर आपको लगता है कि स्कीम अपने निवेश के मूल रूप से कुछ अलग कर रही है तो अपने वितरक या सलाहकार से विचार विमर्श करके देख लें कि यह बदलाव आपके निवेश के उद्देश्य के अनूकूल है या नहीं। अगर नहीं, तो तुरंत किसी और स्कीम में निवेश करें और जो कि आपके लक्ष्य को पूर्ण करती दिखे और स्कीम बदल लें।

अगर आपके निवेश अपने लक्ष्य प्राप्त कर लें, तो अपने निवेश को निकाल लें, यहाँ तक कि आपको लगे कि आगे आने वाले वर्षों में निवेश काफ़ी अच्छा हो जायेगा तब भी निकाल लें। हमेशा याद रखें कि आप अपने निवेश के प्रति भावुक रहें ना कि अपने स्टॉक और फ़ंड स्कीम के लिये।

अपने निवेशित म्यूचयल फ़ंडों की प्रगति देखते रहें [Tracking your Mutual Funds)

अपने म्यूचयल फ़ंड के परिणामों को देखते रहें –

आपके द्वारा निवेशित म्यूचयल फ़ंड का स्टेटमेंट तो आपको नियमित रूप से मिलता ही होगा, जो कि फ़ंड हाऊस के द्वारा सीधे भेजा जाता है। सभी फ़ंड हाऊस अपने सभी निवेशकों को स्टॆटमेंट नियमित रूप से भेजते हैं, अभी हर फ़ंड हाऊस अपने अपने निवेशकों को स्टेटमेंट भेजते हैं, जल्दी ही नियामक द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब सारे म्यूचयल फ़ंड के स्टेटमेंट एक ही साथ मिल जाया करेंगे, मतलब कि अलग अलग म्यूचयल फ़ंड हों तब भी आपको एक ही स्टेटमेंट मिलेगा। जिससे निवेशक को अपने निवेश परिणामों को देखने में और रखने में आसानी होगी।

Track your mutual funds

आप अपने निवेश किये गये म्यूचयल फ़ंडों की एन.ए.वी. AMFI की वेब साईट www.amfindia.com पर देख सकते हैं। आप और भी बहुत सारी वेब साईटों पर एन.ए.वी. देख सकते हैं।

आप एन.ए.वी. और उससे संबंधित जानकारी दो प्रमुख रजिस्ट्रारों की वेबसाईट पर भी देख सकते हैं।

कार्वे – www.karvymfs.com

काम्स – CAMS – www.camsonline.com

सभी फ़ंड हाऊस की अपनी वेबसाईट होती है, जहाँ आप अपने निवेशित फ़ंडों के बारे में तो जानकारी ले ही सकते हैं, साथ ही अपने निवेश को के प्रगति भी देख सकते हैं।

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की (Yes Bank Saving Interest Rate increased to 6%)

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की, भारतीय रिजर्व बैंक ने बचत खातों में ब्याज दरों को नियंत्रण मुक्त किया और अगले ही दिन यस बैंक ने अखबार में २% ब्याज दर बढ़ाने का विज्ञापन भी दे दिया।
जबकि और किसी बैंक ने अभी बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं लिया है, अगर जल्दी ही मुख्य बैंकों ने बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं किया तो उनके पास से कारपोरेट सैलेरी के एकाऊँट तो जाने की संभावना ज्यादा है ही और उस सैलेरी एकाऊँट के कारण जो व्यापार बैंकों को मिलता है वह भी उनसे छिन जायेगा।
क्योंकि आमतौर पर सैलेरी एकाऊँट जहाँ होता है वहीं पर सब अपनी बचत जमा करते हैं, फ़िर भले ही वह एफ़.डी. हो या म्यूचयल फ़ंड और वहीं से ॠण भी लेते हैं, लोग किसी और बैंक जाना पसंद नहीं करते हैं। २% ब्याज दर का बढ़ना मतलब अभी जितना ब्याज मिल रहा है उससे आधा ब्याज ज्यादा मिलेगा।
अब इंतजार है और भी बैंकों के बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का, नहीं तो ग्राहक तो वहीं जायेगा जहाँ पर उसे ज्यादा फ़ायदा होगा।

निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ? (Where and how to Invest ? what is the best investment ?)

निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ?

इस तरह के बहुत सारे प्रश्न मन में घुमड़ते रहते हैं और हम यही चीज हमेशा ढूँढ़ते रहते हैं।

    निवेश सभी जगह करना चाहिये और कहाँ और कैसे करना चाहिये यह पूर्णतया: व्यक्तिगत होता है, यह निर्भर करता है कि निवेशक की उम्र क्या है, उसकी क्या वित्तीय और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ हैं और निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता ।

    जैसे हमें भोजन में रोज अलग अलग व्यंजन चाहिये कोई एक व्यंजन जो हमें अच्छा लगता है उसे हम लगातार नहीं खा सकते, अगर खा भी लिया तो एक समय के बाद उसी प्रिय व्यंजन से चिढ़ हो जाती है, इसलिये सभी व्यंजन का उपभोग करते हैं, वैसे ही निवेश है, अगर कोई एक निवेश की जगह पसंद है तो ये हो सकता है कि आपका जोखिम ज्यादा हो और फ़ायदे की जगह नुक्सान ज्यादा हो जाये या फ़िर साधारण फ़ायदा भी न हो। एक अंग्रेजी की कहावत है कि अपनी फ़लों की डलिया में सभी प्रकार के फ़ल रखें।

    उम्र के अनुसार निवेशक को निवेश करना चाहिये, उम्र निवेश के लिये एक बहुत बड़ा कारक है। साधारण सिद्धांत यह है कि जितनी उम्र है उतना प्रतिशत निवेश हमेशा सुरक्षित जमा में करें, जैसे कि पी.पी.एफ़. (PPF), एफ़.डी. (FD), किसान विकास पत्र और इसी प्रकार के अन्य निवेश, इसमॆं अपना पी.एफ़. (PF) भी जोड़ें क्योंकि यह भी एक सुरक्षित निवेश ही है। अपनी उम्र को १०० में से घटा लें, अब जितनी उम्र है उतना निवेश तो सुरक्षित निवेश में ही करना है और बाकी का बचा हुआ अपने जोखिम और जानकारी के अनुसार निवेश करना है, जैसे कि शेयर (Equity), म्य़ूचयल फ़ंड (Mutual Fund), कमोडिटी (Commodity), Metal (सोना, चांदी), जमीन इत्यादि।

    अगर एक २२ वर्षीय युवक / युवती कहे निवेश के लिये तो उसे सलाह होगी कि वे अपनी बचत का २२ % निवेश सुरक्षित जमा में करे । और बाकी का ८८ % बाजार में निवेश करे।

    परंतु ध्यान रखें व्यक्ति खासकर नौकरी पेशा व्यक्ति को जोखिम ४५ वर्ष तक की आयु तक ही लेना चाहिये उसके बाद उसे अपना निवेश सुरक्षित जगह में ही करना चाहिये, क्योंकि जो जोखिम वाले निवेश हैं उनकी समय सीमा कम से कम १० वर्ष माननी चाहिये तभी ये निवेश अच्छे रिटर्न दे सकते हैं।