Category Archives: अर्थ प्रबंधन

खाद्य सुरक्षा बिल / घोटाला / रेटिंग एजेन्सियाँ / जीडीपी / फ़ायदे

    कोल स्कैम घोटाला २६ लाख करोड़ का हुआ (विश्लेषकों के अनुसार), सरकार (सीएजी) के अनुसार १.८६ लाख करोड़ नंबर सामने आया । नया खाद्य सुरक्षा बिल के लिये जो राशि सरकार ने उजागर की है वह है १.२५ लाख करोड़ रूपये जो कि सरकार के ऊपर भार है, मतलब यह देखिये कि भारत के ६१ करोड़ लोगों के लिये १.२५ करोड़ रूपये भारी पड़ रहे हैं, परंतु कोलगेट घोटाला जो कि इससे कहीं ज्यादा था तब सारी रेटिंग एजेंसियाँ चुप बैठी थीं, तब हमारा जीडीपी पर पड़ने वाला फ़र्क क्या इन रेटिंग एजेंसियों को समझ नहीं आ रहा था । जब जनता के लिये सरकार खर्च कर रही है तो रेटिंग एजेंसियों को लगने लगा कि इससे भारत में कुछ हद तक सुधार की गुंजाइश है तो एकदम से “रेटिंग गिर सकती है” का बयान आ गया।

    हालांकि सरकार का कहना है कि जीडीपी १% तक कम हो सकती है परंतु यह सरकारी आँकड़ा है, अगर सही तरीके से इस आँकड़े को देखा जाये तो यह आँकड़ा ३% के भी ऊपर है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक बहुत बड़ा बोझ होगा। क्या रेटिंग एजेन्सियों ने कभी भारत में हुए बड़े घोटालों से होने वाली हानि का आकलन हमारी अर्थव्यवस्था के लिये किया है, अगर नहीं तो वाकई इसके पीछे की वजह जानने वाली है। क्यों हमारे भारत के बड़े बड़े घोटालों का आर्थिक विश्लेषण कर रेटिंग कम नहीं की गई, क्या इसका कुछ हिस्सा इन रेटिंग एजेन्सियों की जेब में भी जाता है ?

    जितने भी बड़े बड़े घोटाले हुए हैं, वे पिछले ९ वर्ष में प्रतिवर्ष ३% जीडीपी के घोटाले हुए हैं, अगर हमारा लक्ष्य ५.२% है तो वह आराम से ३% ज्यादा होता और हम ८.२% के जीडीपी की रफ़्तार से बढ़ रहे होते । रूपये की गिरते साख के चलते यही लक्ष्य ४.८% पर फ़िर से निर्धारित किया गया है। हालांकि जितने भी वित्तीय आँकड़े बताये जाते हैं वे सब एक बहुत बड़े आंकलन पर दिये जाते हैं, जिसकी तह में कोई नहीं जाना चाहता। क्या हमारी अर्थव्यवस्था की वाकई कोई बेलेन्स शीट है। कम से कम हमें पता तो चले कि इतना पैसा अगर टैक्स से सरकारी खजाने में आ रहा है तो वह खर्च किधर हो रहा है।

    सरकारी खजाने के खर्च से जीडीपी पर सीधा असर पड़ता है। अब इस १.२५ लाख करोड़ के खाद्य बिल से कितना फ़ायदा गरीब लोगों को मिलता है, वह तो भविष्य ही बतायेगा, और कितना फ़ायदा इन गरीब लोगों के हाथों में अन्न पहुँचाने वालो को होगा यह भी भविष्य ही बतायेगा। वाकई अन्न गरीबों तक पहुँचता है या फ़िर एक नया खाद्य घोटाले की नींव सरकार ने रखी है।

    परंतु अगर वाकई ईमानदारी से इस योजना को लागू किया जाता है और पूरा का पूरा पैसे का फ़ायदा गरीबों तक पहुँचता है, तो इसके फ़ायदे भी बहुत हैं, यह कुपोषण से लड़ने में मददगार होगा, सरकार पर स्वास्थ्य योजनाओं के मद में किये जाने वाले खर्च में आश्चर्यजनक रूप से कमी आयेगी। स्वास्थ्य सुविधाएँ और भी बेहतर हो सकेंगी, स्तर अच्छा होगा। निम्न स्तर के व्यक्ति भी अच्छे स्वास्थ्य के चलते बेहतर कार्य कर सकेंगे, बुनियादी स्तर की शिक्षा का फ़ायदा ले सकेंगे। अपनी मेहनत करके भारत के विकास में अतुलनीय योगदान दे सकेंगे।

रूपये की विनाशलीला देखने के लिये तैयार हैं ?

    आजकल सब और चर्चा में डॉलर और रूपया है और जब से रूपया १०० रूपया पौंड को पार किया है तब से पौंड भी चर्चा में है। कल ही एक परिचित से बात हो रही थी, तो वे कहने लगे कि हमारे भारत पर तो ब्रिटिश का शासन था फ़िर हमारे ऊपर यह डॉलर क्यों हावी है, हमारे विनिमय तो पौंड में होना चाहिये। हमने उन्हें समझाया कि डॉलर को विश्व में मानक मुद्रा का दर्जा मिला हुआ है, डॉलर से लड़ने के लिये यूरोपीय देशों ने यूरो मुद्रा की शुरूआत की थी, नहीं तो उन्हें सब जगह डॉलर से उस देश की मुद्रा का विनिमय करना पड़ता था। अब उन्हें यूरो मुद्रा का विनिमय यूरोपीय देशों में नहीं करना पड़ता है।

    डॉलर क्यों पटकनी दे रहा है रूपये को, यह समझने की कोशिश करें तो लुब्बा लुआब यह है कि हमने आयात ज्यादा किया और निर्यात कम किया, याने कि विदेशी मुद्रा जो कि मानक मुद्रा डॉलर है वह हमारे खजाने से ज्यादा गई और मानक मुद्रा डॉलर हमारे खजाने में कम आई, खैर इस बात का ज्यादा मायने भी नहीं है क्योंकि डॉलर हमारे रूपये के मुकाबले अभी ओवररेटेड है, अगर वाकई असली दाम इसका देखा जाये तो लगभग २० रूपये होना चाहिये। और डॉलर अभी तीन गुना ज्यादा दाम पर व्यापार कर रहा है।

Rupees vs USD

USD Vs INR

    हमारी जीडीपी याने कि सकल घरेलू उत्पाद लगातार कम होती जा रही है, हमने पिछले ९ वर्षों में  मान लो कि रत्न आभूषण ५०० अरब डॉलर के आयात किये और लगभग ३५० करोड़ के रत्न आभूषण हमने निर्यात किये तो हमें पिछले ९ वर्षों में लगभग १५० करोड़ का विशुद्ध घाटा हुआ है। इसी प्रकार पेट्रोलियम और गैस में जमकर घाटा हुआ है, कुछ अंदरूनी कलह के कारण और कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठानों की जिद के कारण । भारत विश्व में उत्पादित सोने और पेट्रोल के बहुत बड़े भाग  का उपयोग करता है।

    स्वतंत्रता के बाद से भारत का रूपया कभी राजनैतिक कारणों से तो कभी व्यापारिक कारणों से तो कभी आर्थिक नीतियों से मात खाता आया है, हमारे भारत के पास बेहतरीन काम करने वाले लोग हैं, बेहतरीन वैज्ञानिक हैं, पर उन्हें भारत के लिये उपयोग करने के लिये ना ही राजनैतिक इच्छाशक्ति है और ना ही आर्थिक जगत की इच्छाशक्ति है। अगर कुछ और बड़ी कंपनियाँ भारत की बाहर व्यापार करने लगें तो डॉलर की नदियों का मुख भारत की और होगा।

    अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ अपने लाभ का एक बड़ा हिस्सा मानक मुद्रा याने कि डॉलर में विनिमय कर भेज देती हैं। हम भारतवासियों को भी समझना होगा कि हमें घरेलू उत्पादों का ज्यादा उपयोग करना चाहिये, जिन उत्पादों से डॉलर बाहर जा रहा है, उन उत्पादों को उपयोग करने से बचना चाहिये।

    मुद्रा गिरने से हमारे भारत के आर्थिक हालात बेहद खराब हो सकते हैं, इसका सीधा असर बैंक में बड़े बड़े ऋण पर पड़ेगा, बाहर पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पड़ेगा ये दो बड़े भार होंगे हमारी अर्थव्यवस्था पर, वैसे ही राष्ट्रीयकृत बैंकें ४ % से ज्यादा एन.पी.ए. याने कि जो ऋण डूब चुके हैं, से लड़ रही हैं, और अब यह व्यक्तिगत मुश्किलें बड़ाने वाला दौर होगा, अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर कुछ ही दिनों में दिखना शुरू हो जायेगा, जब पेट्रोलियम पदार्थों के भाव आसमान छूने लगेंगे तो इसका सीधा असर हमारी दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पड़ते देर नहीं लगेगी। जब रूपया ३३% गिर चुका है तो अब पेट्रोलियम के भाव में ३३% की तेजी का अंदाजा लगा ही सकते हैं। सरकार भी कब तक राजनैतिक कारणों से रूपये के गिरने के कारण महँगाई से जनता को बचा पायेगी, और अगर यह भार जनता पर नहीं डाला गया तो भारत के खजाने पर सीधा असर पड़ेगा।

    हमारा कैश इन्फ़्लो तो उतना ही रहने वाला है वह तो डॉलर के महँगे होने से या रूपये के गिरने से ज्यादा नहीं होने वाला है, तो अब भविष्य के संकेत ठीक नहीं है, जितनी बचत अभी तक कर लेते थे, अब वह बचत भी बहुत कम होने वाली है। अभी भी अगर इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो रूपये की विनाशलीला देखने के लिये तैयार रहना होगा।

घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये–क्या है यह !! (Earn 25000 to 75000 per month from Share Market, How ?)

    बाजार में कई वर्षों से देख रहे हैं, लोग / कंपनियाँ आती हैं और दावा करती हैं कि एस.एम.एस. और ईमेल के द्वारा हम दिन में इतने कॉल देंगे, और इससे आप शेयर बाजार से बहुत सारा धन कमा सकते हैं । शेयर बाजार में लोग इनके चंगुल में फ़ँस भी जाते हैं, क्योंकि सभी लोग जल्दी से जल्दी धन कमा लेना चाहते हैं। पर अगर किसी से पूछो कि धन कमाकर क्या करेंगे तो उनके पास केवल जबाब होता है कि ऐश करेंगे, ऐश में क्या करेंगे वे नहीं बता पाते हैं।
    हम अपने मुख्य बिंदु पर बात करते हैं, क्या वाकई एस.एम.एस. / ईमेल पर आई टिप्स से पैसा कमाया जा सकता है ? शायद हाँ भी और नहीं भी !! इसका जबाब वाकई बहुत मुश्किल है, बाजार में सबसे मुख्य होता है समय के साथ चलना, जिसने जरा सी भी चूक की, फ़िर भले ही वह एक मिनिट की ही हो, उसे भरपूर घाटा उठाना पड़ सकता है और हो सकता है कि इस गलती से उसे भरपूर फ़ायदा भी मिल जाये।
    एस.एम.एस. में मुख्यत: इक्विटि (Equity) के नाम के साथ खरीदने या बेचने का रेट भेजा जाता है, टार्गेट भेजा जाता है और स्टॉप लॉस भेजा जाता है। लोग केवल टार्गेट पर ध्यान देते हैं स्टॉप लॉस कभी भी नहीं लगाते हैं, कम से कम मैंने तो बहुत ही कम लोगों को स्टॉप लॉस का उपयोग करते देखा है। जो समझदार होते हैं वे इन एस.एम.एस. टिप्स को लेते जरूर हैं, परंतु अपने अनुभव से अपने पैसे को बाजार में लगाते हैं। क्योंकि ये एस.एम.एस. भेजने वाली कंपनियाँ बहुत छोटे छोटॆ अक्षरों में अपने दस्तावेजों में लिखती हैं, कि होने वाली लाभ या हानि की जिम्मेदारी कंपनी की नहीं होगी, यह निवेशक (Investor) का व्यक्तिगत निर्णय है। कंपनी लीगल तरीके से साफ़ बच निकलती हैं।
    आजकल कई कंपनियाँ ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी अपडेट कर रही हैं, परंतु जरूरत है अपने अनुभव से ही निवेश करने की, ये कंपनियाँ तो निवेशक (Investor) से मोटी रकम (Charges) वसूलती हैं और अलग हो जाती हैं, परंतु निवेशक (Investor) इनके बिछाये जाल में फ़ँस जाता है। कई समाचार पत्रों में हमने विज्ञापन देखा है कि “घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये” (Earn 25000 to 50000 per month from Share Market, How ?), परंतु यह इतना आसान भी नहीं है, जितना कि विज्ञापन पढ़ने के बाद लगता है।
    सेबी को अब इन कंपनियों के मोबाईल कॉल और एस.एम.एस. खंगालने की आजादी मिली है, अब देखते हैं कि सेबी कैसे बहुत सारी छद्मवेशी कंपनियों पर क्या कार्यवाही करती है, जो कि बिना किसी विश्लेषण (Analysis) के निवेशकों (Investors) को चूना लगा रही हैं, वैसे भी अगर इन कंपनियों को बाजार की इतनी जानकारी होती है तो खुद ही फ़्यूचर ऑप्शन (Future Options) में पैसा (Fund) लगाकर धन कमा लें, क्यों बाजार में जानकारी बेचें ? कुछ लोग फ़ँस जाते हैं और कुछ लोग इनके चंगुल से बचे रहते हैं ।
    आगे इस बारे में कोई भी कदम उठायें तो सोच समझ कर उठायें, किसी की कॉल १०० प्रतिशत सही नहीं हो सकती, क्योंकि वह बाजार में इतना सारा धन लगाकर किसी भी एक शेयर को ऊपर नीचे नहीं कर सकता है यह केवल और केवल व्यक्तिगत निवेशक (Investor) के लिये जोखिम (Risk) है।

केवल आपने खुद को ही सुरक्षित कर रखा है या परिवार को भी..

    अब आगे मित्र से बात जारी रही, हमने पूछा अब एक बात बताओ कि आपने आपातकाल के लिये क्या व्यवस्था कर रखी है, वह बोला अरे अपने एक इशारे पर सारे काम हो जाते हैं, हमने कहा भई हकीकत की धरातल पर उतर आओ और सीधे सीधे साफ़ शब्दों में बताओ, अगर बीमारी का क्षण आ गया या फ़िर मान लो बीमारी ऐसी है कि चिकित्सालय में भी ना रहना पड़े और चिकित्सक ने घर पर ५०  दिन का आराम बता दिया या मान लो बिस्तर पर एक वर्ष तक रहना पड़ा, उस दिशा में क्या करोगे, क्योंकि आपको वेतन के साथ तो ५० दिन की छुट्टी मिलना मुश्किल है, आप वेतन के साथ ज्यादा दिन की छुट्टी पर नहीं रह सकते, तब आप अपने परिवार का खर्च कैसे उठाओगे ?

family     मित्र ने कहना शुरू किया कि बीमारी के लिये हमने मेडिक्लेम ले रखा है और दूसरी स्थिति के लिये हमने कभी सोचा ही नहीं कि ऐसा भी हो सकता है या यह भी कह सकते हैं कि हमें इस स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है हमें पता नहीं। वैसे हमें लगता है कि हमें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। हमने कहा भाई परिस्थितियाँ कभी किसी को बताकर इंतजार करवाकर नहीं आतीं, बेहतर है कि हम उन परिस्थितियों का आकलन करके पहले से ही उसकी व्यवस्था करके रख लें, ताकि हम उन परिस्थितियों से बेहतर तरीके से निपट सकें।

     अब मित्र ने कहा कि अच्छा यह बताओ कि कैसे निपटा जा सकता है ? हमने उनसे पूछा कि ये बताओ तुमने मेडिक्लेम कितना ले रखा है, वे बोले हमने अपना मेडिक्लेम २ लाख रूपये का ले रखा है। हमने पूछा और परिवार का मेडिक्लेम, वे बोले नहीं परिवार का मेडिक्लेम नहीं ले रखा है, हमने उनसे कहा कि आपातकाल केवल तभी नहीं आता जब खुद बीमार हों, परिवार का कोई भी सदस्य बीमार हो सकता है तो बेहतर है कि परिवार के लिये एक मेडिक्लेम लो जिसमें सारे सदस्य बीमित हों।

     हमने कहा कि आप कम से कम ५ लाख का फ़ैमिली फ़्लोटरfamily-floaters मेडिक्लेम बीमा लो, आजकल वैसे ५ लाख भी कम पड़ते हैं, पर फ़िर भी आपात स्थिति से निपटने के लिये बहुत हैं, फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम का फ़ायदा यह है कि परिवार के चारों सदस्य ५ लाख से बीमित हैं और चारों में से कोई भी एक ५ लाख तक फ़ायदा उठा सकता है या फ़िर एक से ज्यादा सदस्य भी, बस चारों सदस्य मिलकर ५ लाख तक का ही चिकित्सकीय व्यय से बीमित हैं और उससे ज्यादा लेना है तो उसके लिये आजकल टॉप अप सुविधा भी उपलब्ध है, जो कि आप हर वर्ष अपने हिसाब से कम ज्यादा कर सकते हैं।

     अब आगे बतायेंगे कि कैसे दूसरी स्थिति से निपटा जाये “चिकित्सक ने घर पर ५० दिन का आराम बता दिया और करना भी जरूरी है, उस दिशा में क्या करोगे ?” क्या आपने भी कभी सोचा है ? तो बताइये ?

यूलिप मिस सेलिंग, ५ वर्ष में पैसे दोगुने हो जायेंगे

    अब हमारे मित्र ने कहा – “एक पुराने दोस्त हैं उन्होंने हमे एल आई सी का एक यूलिप (ULIP)  का प्लॉन बेचा था और हमसे कहा था कि भाई इसमें तुम ३ लाख ५० हजार निवेश करो और तुमको पाँच वर्ष बाद इसके ७ लाख रूपये मिल जायेंगे, अब उस प्लॉन को लिये हुए ३ वर्ष से ज्यादा हो गये हैं और मेरे फ़ंड की आज की कीमत जो है वह २ लाख ६८ लाख रूपये हो गई है, अब हमारे मित्र कहते हैं कि तुम इस पैसे को यहाँ से निकाल लो और कहीं और लगा लो। मैंने तो उसको बहुत गाली दी कि तुमने तो बहुत विश्वास से कहा था कि ५ वर्ष में पैसे दोगुने हो जायेंगे, पर हुए नहीं और कम ही हो गये, अब तो जितने रूपये मैंने निवेश किये थे उतने भी नहीं बचे।

    हमने कहा तुम्हारे साथ भी मिस-सेलिंग का केस हुआ है, और अधिकतर ऐसा अपने परिचित ही करते हैं जो कि तुम्हें आराम से बरगला कर ऐसी पॉलिसियाँ बेच देते हैं, ऐसे लोग हमारे पास भी आये थे, हमने उनसे इस पॉलिसी पर ऐसे ऐसे सवाल पूछे कि वे अपने बगलें झाँकते नजर आये। और हमने उनको यह भी समझा दिया कि आप लोग केवल अपने फ़ायदे के लिये यह पॉलिसी बेच रहे हो, ना कि हमारे फ़ायदे के लिये।

    अगर आप वाकई हमारे हितैषी होते तो हमें यूलिप लेने की सलाह ही नहीं देते और बताते कि आप सावधी बीमा (Terma Insurance) लें और बाकी के पैसे जो कि आप यूलिप में प्रीमियम के रूप में जमा कर रहे हैं वह कहीं और निवेश करें, आप बताते कि निवेश और बीमे को आपस में मिलायें नहीं। क्योंकि निवेश और बीमा अगर दोनों एक साथ हों तो दोनों ही काम ठीक से नहीं होते।

    हमने अपने मित्र से पूछा कि बताओ कि तुम्हारा परिवार को तुमने कितने रूपये से सुरक्षित कर रखा है, मतलब कि तुमने अपने अपना कितना बीमा करवा रखा है, हमारे मित्र ने कहा हमने लगभग ४० लाख रूपये का बीमा करवा रखा है, हमने कुछ कहा नहीं क्योंकि हमें पता है कि उन्होंने वाकई में अपने बीमा की कोई गणना की ही नहीं है, क्योंकि अगर २ लाख का बीमा आप लगभग २८ वर्ष की आयु में एल आई सी में लेते हैं तो अंदाजन उसकी किश्त ही १५ हजार के आसपास आती है, जिसमें केवल २ लाख का बीमा मिलता है, और वे हमें ४० लाख का बीमा बता रहे हैं तो २८ वर्ष की आयु के हिसाब से भी गणना की जाये तो उनकी प्रीमियम ही लगभग ३ लाख रूपया सालाना होनी चाहिये। जो कि व्यवहारिक रूप से संभव ही नहीं है।

    हमने फ़िर उन्हें अपनी एक पुरानी पोस्ट पढ़वाई –

बीमा और निवेश अलग अलग हैं, समझिये.. | जब उन्होंने यह पोस्ट पढ़ी तो बोले अरे भाई यही तो हमारी समस्या है, और तुमने कितने आसान रूप से इसका हल बता दिया।

    हमने कहा कि अगर तुम १५००० रूपये का सावधि बीमा (Term Insurance) ले लो तो यह मान लो कि तुम अपने परिवार को लगभग ५० लाख की सुरक्षा दे सकते हो, और बाकी का पैसा वाकई में निवेश करें।

अपने भविष्य के लिये अपने वित्तीय पक्ष को कैसे मजबूर करें.. एक दिलचस्प वार्ता अपने परम मित्र के साथ..

   अभी दो दिन के लिये हम सप्ताहांत में उज्जैन आये तो हमने अपने बहुत पुराने सुख के साथी (मित्र के वाक्य) को याद किया और वो एकदम हमारे पास आ गये। वे हमारे उन मित्रों में से हैं जिनके साथ हमने अपनी जिंदगी के बहुत से यादगार पल गुजारे हैं।

   जब बात ऐसे ही चलने लगी तो कहने लगे यार कुछ समझ नहीं आता कि निवेश कैसे किया जाये, कहाँ किया जाये, किस तरह से किया जाये। हमने कहा आजकल तो सारी चीजें ऑनलाईन उपलब्ध हैं, क्यों नहीं तुम ऑनलाईन ले लेते, मित्र ने कहा कि ये सब तुम्हारे लिये बहुत आसान है, अपने लिये नहीं, और नेट पर वित्तीय लेनदेन (Financial Transactions) हमें ठीक नहीं लगता है। हमने कहा कि हम तो अधिकतर यही कोशिश करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा ऑनलाईन लेनदेन कर लें, जिससे इधर उधर आने जाने की असुविधा से बच सकें।

    अब आई मुद्दे की बात, किस कैसे निवेश करें, हमने कहा सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि आपकी जरूरतें क्या हैं, आपके क्या गोल हैं, जिसके लिये आपको निवेश करना है, तो वह अपने पूरे भोलेपन से बोले – “अरे भाई यह सब तो हम पहली बार सुन रहे हैं, अपना तो दिमाग सुनकर ही चकरा रहा है, जरा खुलकर समझाओ” ।

    हमने कहा देखो व्यक्ति के जीवन में कुछ गोल्स होते हैं जिन्हें उसे अपने वित्तीय जीवन में पा लेना चाहिये अगर निवेश में थोड़ा अनुशासन और नियमितता हो तो यह सारे गोल्स पाना बहुत ही आसान हैं । हमने कहा आमतौर पर व्यक्ति के जीवन में ५ गोल्स होते हैं –

१. कार

२. घर

३. बच्चों की पढ़ाई

४. बच्चों की शादी

५. सेवानिवृत्ति

    आप अपने लिये और भी गोल्स बना सकते हैं, अपनी जरूरतों के अनुसार और बचत को नियमित रूप से बढ़ाते जायें, जैसे कि अगर आप अपने वित्तीय जीवन की शुरूआत में २ हजार रूपये बचत कर रहे हैं, तो कोशिश करें कि हर वर्ष याद हर दूसरे वर्ष उस बचत में वृद्धि करें और अपने गोल्स को जल्दी से जल्दी पा लें।

    अब हमारे मित्र बोले कि चलो अब यह तो समझ में आया, अब हमें यह भी बताओ कि हम हमारी बेटी के लिये १५ वर्ष बाद १५ लाख रूपया चाहते हैं जो कि उसे पढ़ाई में काम आयें, तो कितना और कैसे निवेश करें ?

    हमने कहा भाई तुमको लगभग ३५०० रूपये हर महीने १५ वर्ष तक जमा करने होंगे, यह हम तुमको तब बता रहे हैं जबकि तुम अगर सिप के द्वारा म्यूचयल फ़ंड में जमा करते हो, और हम औसतन ११% के रिटर्न के हिसाब से बता रहे हैं, परंतु बाजार के प्रदर्शन से हम इतना तो कहते हैं कि कम से कम तुमको १५% रिटर्न मिलेगा जो कि लगभग २४ लाख रूपया होता है। अगर जोखिम नहीं लेना है तो थोड़ा ज्यादा निवेश हर माह करना होगा और उसे रिकरिंग डिपोजिट में जमा करते जाओ।

    अब हमारे मित्र बोले कि चलो हम ३५०० रूपया हर माह जमा करेंगे, कैसे करें यह और बताओ, हमने कहा कि जिस भी बैंक में तुम्हारा बचत खाता है उसे बैंक में चले जाओ और उनसे कहो कि मुझे २ म्यूचयल फ़ंड की सिप लेनी है –

१. २००० रूपये प्रतिमाह की IDFC Premium Fund – Growth – Direct

२. १५०० रूपये प्रतिमाह की HDFC Top 200 – Growth – Direct

    अब तुम पहली बार म्यूचयल फ़ंड में निवेश कर रहे हो तो पहली बार बैंक तुमसे KYC का फ़ॉर्म भरवायेगा और फ़िर म्यूचयल फ़ंड की सिप शुरू हो जायेगी।

    और भी बहुत सी बातें हुईं, जानकारियों पर बहुत ही अच्छी बातें हुईं.. जो अगली कुछ और पोस्टों में..

जीवन की कठिनाइयों में परिवार का साथी बीमा

    जीवन बहुत कठिन है और जीवन में कई तरह की कठिनाइयाँ पल familyपल पर आपका इंतजार करती हैं, जिससे जूझते हुए हम जीवन को सुखद एवं सफ़ल बनाते हैं। जीवन में कई आपातकाल भी आते हैं, जहाँ ना अपने काम आते हैं और ना ही पराये काम आते हैं। इसके लिये हमें खुद ही तैयारी करनी पड़ती है, सोचना पड़ता है, योजना बनानी पड़ती है।

    मनुष्य के जीवन के आपातकाल कौन से होते हैं, आपातकाल मुख्यत:money उसे कह सकते हैं, जब आप वाकई कठिनाई में हों और कोई रास्ता ना सूझ रहा हो और उस समय अपना / पराया कोई सहायता नहीं करने आता । सुख में तो सभी आपके साथ हैं परंतु दुख में कोई दूर दूर तक नहीं दिखता ।

जीवन की सबसे ज्यादा कठिनाई के क्षण होते हैं –

insurance१. मौत

२. बीमारी

३. दुर्घटना

    इन तीनों ही स्थिति में परिवार टूट जाता है और कहीं ना कहीं सहारा ढूँढ़ता है, और इन तीनों से परिवार को केवल बीमा से सुरक्षित किया जा सकता है ।

१. मौत

 

२. बीमारी

 

३. दुर्घटना

सावधि जीवन बीमा (Term Insurance)

Mediclaim Insurance / Critical Insurance

Personal Accidental Insurance

   इस प्रकार उपरोक्त कठिनाइयों से बीमा द्वारा परिवार को सुरक्षित किया जा सकता है। एवं साथ में परिवार को आपातकाल के लिये इनका उपयोग भी बताना चाहिये। जिससे परिवार बीमे का सही उपयोग कर पाये और उस आपातकाल वाले कठिन क्षणों में बीमे से उसे साहस बँधे, क्योंकि अधिकतर आपातकाल में धन की कमी बहुत महसूस होती है और आजकल महँगाई सर चढ़कर बोल रही है।

बिना पेन कार्ड के म्यूचयल फ़ंड माइक्रो निवेश सुविधा (Without PAN !!! Invest in Micro Investment Facility)

    बिना पेन कार्ड के म्यूचयल फ़ंड में निवेश करना बहुत मुश्किल है, वह भी जब से नियामक ने KYC के नियम म्यूचयल फ़ंड खरीदने के लिये लागू कर दिये हैं, तब २०११ में नियामक ने म्यूचयल फ़ंड खरीदने के लिये जिन लोगों के पास पेन कार्ड नहीं थे उन लोगों के लिये नियामक ने माइक्रो निवेश सुविधा उपलब्ध करवाई ।

    अभी हाल ही में रिलायंस म्यूचयल फ़ंड ने भी माइक्रो निवेश सुविधा (Micro Investment Facility) उपलब्ध करवाई है, जो कि बाजार में १४ जून से आम निवेशक के लिये उपलब्ध है।

     माइक्रो निवेश सुविधा के तहत निवेशक वर्षभर में ज्यादा से ज्यादा केवल ५०,००० रूपये का निवेश कर सकता है, फ़िर भले ही वह निवेश सिप (SIP – Systematic Investment Plan) या फ़िर एक मुश्त (LumpSum Investment) हो, पर कुल मिलाकर दोनों या एक निवेश ५०,००० रूपयों से ज्यादा नहीं होना चाहिये। और यह ५०,००० रूपये अप्रैल से मार्च के मध्य ही निवेशित होने चाहिये, याने कि अगर किसी को अपना निवेश जारी करना है तो उसे वित्तीय वर्ष का पालन करना होगा ।

    इस सुविधा को केवल वही निवेशक ले सकेगा जिसके पास अधिकृत रूप से पेन कार्ड नहीं है, और अगर अगर निवेशक उस वित्तीय वर्ष के मध्य में इस योजना से निकास करता है तो वह उस ५०,००० रूपये की लिमिट में नहीं आयेगा।

    यह सुविधा केवल व्यक्तिगत, एन आर आई, अल्पवयस्क संरक्षक के साथ, एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय एवं संयुक्त खाते को उपलब्ध है। पहले खातेधारी के पास पेन कार्ड नहीं होना आवश्यक शर्त है । अन्य श्रेणियाँ जैसे PIO, HUF, QFI, Non-Individuals इस सुविधा का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

म्यूचल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ? (Mutual Funds DOS and DON’TS)

    माइक्रो निवेश सुविधा में निवेश करने के लिये निवेशक को निम्न दस्तावेज निवेशक सुविधा केन्द्र पर जमा करने होंगे –

१. साधारण आवेदन पत्र

२. PAN Exempt KYC Reference No (PEKRN) acknowledgement issued by KRA. For more details click here

    यहाँ निवेशक को ध्यान रखना चाहिये कि वह एक वित्तीय वर्ष में केवल ५० हजार रूपये ही निवेश कर सकता है।

micro investment facility

    ऊपर दिये गये उदाहरण में एक्स महाशय एकमुश्त और सिप के जरिये एक वित्तीय वर्ष में जो निवेश कर रहे हैं, वह ५०,००० रूपये से कम है इसलिये यह वैधानिक है, परंतु वाय महोदय का निवेश एक वित्तीय वर्ष में ५०,००० रूपयों से ज्यादा हो रहा है इसलिये इनका आवेदन पत्र ही अस्वीकार कर दिया जायेगा।

एक और क्रेडिट कार्ड (One More Credit Card)

    हमने क्रेडिट कार्ड (Credit Card) लगभग ६ वर्ष पहले उपयोग करना शुरू किया था, तब हमें ज्यादा जानकारी नहीं थी सैलेरी बैंक अकाँऊट (Salary Account) ने हमें क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के लिये कहा तो हमने भी ले लिया।  क्रेडिट कार्ड (Credit Card) लेने के पहले इसके उपयोग और जीवनक्रम की पूर्ण जानकारी ले ली गई, उसका फ़ायदा यह है कि आज तक हमने लेटफ़ीस (Late Fees) और किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क (Extra Charges on Credit Card) किसी भी क्रेडिटकार्ड (Credit Card) बैंक को नहीं दिया है।
credit card
    क्रेडिटकार्ड की सबसे अच्छी सुविधा यह लगती है कि आप बैंक के धन को ५० दिन तक उपयोग में ला सकते हैं और आखिरी दिन के एक दिन पहले का बैंक के अपने अकाऊँट से ऑटो डेबिट सुविधा से जोड़ दें तो आपको ध्यान भी नहीं रखना होगा कि क्रेडिट कार्ड के भुगतान की आखिरी दिनांक क्या है । नहीं तो लेट होने पर क्रेडिट कार्ड बैंकों की ब्याज दर ३२ से ४८ प्रतिशत सालाना तक होती हैं, इसलिये हमेशा खरीददारी करते समय याद रखें कि आपको इस खरीद का भुगतान आज अपनी जेब से नहीं परंतु आज से ५० दिन बाद या उस क्रेडिट कार्ड के बिल के जीवनक्रम के अनुसार करना ही है।
    क्रेडिटकार्ड की क्रेडिट की लिमिट अधिकतर मासिक आय पर निर्भर करती है, हमने तो सबसे कम लिमिट करवा रखी है क्योंकि अधिक लिमिट मतलब अधिक खतरा.. खतरा खरीददारी से नहीं.. खतरा धोखे से चोरी से.. जितनी कम क्रेडिटकार्ड की लिमिट होगी उतनी ही कम जिम्मेदारी अपने ऊपर होगी।
    बीच में पिछले वर्ष एक क्रेडिटकार्ड बैंक ने फ़ोन करके कहा कि पहला वर्ष यह कार्ड मुफ़्त है और अगर आपको अच्छा लगे इसके फ़ीचर अच्छे लगें तो आप इसे ९९९ रूपये में नवीनीकरण करवा सकते हैं। हमने कार्ड ले लिया तो हमारा पुराना कार्ड का उपयोग बंद हो गया, केवल उस कार्ड का उपयोग पेट्रोल भरवाने तक ही सीमित रह गया और सारे लेने देन व्यवहार इस नये क्रेडिट कार्ड पर आ गये, इसका एक फ़ीचर जो हमें बेहद पसंद है वह है ५% कैश बैक। याने कि निर्धारित दुकानों से एक हजार के ऊपर खरीदारी करने पर ५% कैश बैक मिल जाता है, हमें यह कार्ड बहुत अच्छा लगा, और हमने इस वर्श इसका नवीनीकरण भी करवा लिया ।
    अभी पिछले महीने फ़िर एक क्रेडिट कार्ड कंपनी से फ़ोन आया कि यह आपके कंपनी के कर्मचारियों के लिये विशेष ऑफ़र है और लाईफ़ टाईम फ़्री कार्ड है, इसमें आपको हर १०० रूपये की खरीदारी पर १ रिवार्ड पाईंट मिलेगा जिसकी कीमत ७५ पैसे होगी उसे आप कैश में भी उपयोग कर सकते हैं या फ़िर जेपी एयर माईल्स खरीद सकते हैं । हमने फ़िर से सोचा और उनको मना कर दिया कि हमारे पास पहले से ही अच्छा कार्ड है और अब एक और कार्ड लेने का बिल्कुल मन नहीं है, परंतु कार्ड बेचने वाले भी बिल्कुल निपुण होते हैं, उन्होंने कहा “सर, इसमें मूवी भी एक पर एक टिकट फ़्री है”, हमने कहा “पर एक टिकट के पैसे तो देने ही पड़ेंगे ना !!, और हम मूवी नहीं देखते”, तो थकहार कर  कहा कि “आप देख लो थोड़े दिन उपयोग करके, फ़िर अच्छा नहीं लगे तो सरेंडर कर देना”, हमने फ़िर से सोचा और देखा कि शायद कहीं फ़ायदा है, तो यह कार्ड भी ले लिया।
    अब क्रेडिट कार्ड का बिल देखते हैं तो बिल की रकम कुछ ज्यादा ही लगती है परंतु जब एक एक ट्रांजेक्शन देखते हैं, तो पता चलता है कि फ़ालतू का खर्च कुछ भी नहीं है जिसे अगले महीने से ना किया जाये । हाँ यह है कि अब हम नकद में बहुत ही कम ट्रांजेक्शन करते हैं। अब नये कार्ड का उपयोग करके देखा जायेगा, कि वाकई कितना फ़ायदा होता है।

हम स्वभाव से ही तामसी होते जा रहे हैं..

यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत् ।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ॥ १० ॥ अध्याय १७

    अर्थात – खाने से तीन घंटे पूर्व पकाया गया, स्वादहीन, वियोजित एवं सड़ा, जूठा तथा अस्पृश्य वस्तुओं से युक्त भोजन उन लोगों को प्रिय होता है, जो तामसी होते हैं ।

    आहार का उद्देश्य आयु को बढ़ाना, मस्तिष्क को शुद्ध करना तथा शरीर को शक्ति पहुँचाना है, प्राचीन काल में विद्वान पुरुष ऐसा भोजन चुनते थे, जो स्वास्थ्य तथा आयु को बढ़ाने वाला हो, यथा दूध के व्यंजन, चीनी, चावल, गेंहूँ, फ़ल तथा तरकारियाँ । ये भोजन सतोगुणी व्यक्तियों को अत्यन्त प्रिय होते हैं। ये सारे भोजन स्वभाव से ही शुद्ध हैं ।

    आजकल हम दोपहर का टिफ़िन ले जाते हैं, जो कि वाकई तीन घंटे से ज्यादा हमें रखना पड़ता है और वह बासी हो गया होता है, सब्जी का रस सूख गया होता है, दाल बासी हो गई होती है । अब हम स्वभाव से ही तामसी होते जा रहे हैं, कहने को भले ही मजबूरी हो परंतु सत्य तो यही है।

    हमारा जीवन जीने का स्तर अब तामसी हो चला है, जहाँ हमें अपना समय चुनने की आजादी नहीं है और वैसे ही बच्चों को भी हम आदत डाल रहे हैं, जैसे बच्चों को सुबह आठ बजे स्कूल जाना होता है और उनका भोजन का समय १२ बजे दोपहर का होता है तो वे कम से कम ४-५ घंटे  बासी खाना खाते हैं, यह बचपन से ही तामसी प्रवृत्ति की और धकेलने की कवायद है। बच्चों को स्कूल में ही ताजा खाना पका पकाया दिया जाना चाहिये। जिस प्रकार पूर्व में आश्रम में शिष्यों को ताजा आहार मिलता था।

    अगर हमारे पुरातन ग्रंथों में कोई बात लिखी गई है तो उसके पीछे जरूर कोई ना कोई वैज्ञानिक मत है, बस जरूरत है हमें समझने की ।