कई बार सोचता हूँ जिनके बारे में ऐसा लगता है कि इनको मैं अच्छे से जानता हूँ, तो क्या सही लगता है?
जीवन का कोई एक पहलू नहीं होता, ऐसे ही चेहरे का, हर शख्स के होते हैं कई चेहरे, ऑफिस में किसी के सामने कुछ किसी ओर के सामने कुछ, बाहर कुछ, बाजार में कुछ, घर में पत्नी के सामने कुछ, माँ बाप के सामने कुछ, बच्चों के सामने कुछ।
शख्स एक ही है, पर वह दिखाता अलग अलग शख्सियत है। कहीं सीधा सादा, कहीं जालिम क्रूर, कहीं बेवकूफ, कहीं बुद्धिमान कहीं कमजोर, कहीं पागल प्रेमी, तो कहीं आज्ञाकारी।
बस ऐसे ही चोले ओढ़े जीवन बीतता जाता है, और ऐसे ही अपने आपको बड़ा आदमी समझते हुए एक दिन खुद को रहस्यमयी दिखाता हुआ,इस दुनिया से वह चल देता है।
Google अभी तक फैमिली प्लान के हर महीने ₹189 ले रहा था, अक्टूबर से ₹299 कर दिये, हमने गूगल की यह शर्त नहीं मानी और अपना सब्सक्रिप्शन कैंसल कर दिया।
क्यों मानें गूगल की शर्त, अब वीडियो के बीच में विज्ञापन आयेंगे, तो ठीक है भई देख लेंगे, अगर ज्यादा विज्ञापनों ने परेशान किया तो फिर रिन्यू करवाने की सोचेंगे।
पर ऐसी मनमानी भी गजब है कि भाव 50% से ज्यादा ही बढ़ा दिये, 10-20% समझ में भी आती है, लगता है कि गूगल भी खुद की भारत सरकार समझने लगा। कि कोई कुछ नहीं कहेगा।
ये कोई इनकम टैक्स थोड़े ही है कि गूगल जबरदस्ती हमसे ले लेगा, यह सेवा है जो हमारी मर्जी पर निर्भर करती है, नेटफ्लिक्स भारत में ज्यादा चल नहीं रहा था तो उसने अपने दाम कम कर दिये, पर गूगल के जलवे ही अलग हैं।
Titan का नाम सबने सुना है, पर एक बात जो कम लोग ही जानते हैं कि टाइटन टाटा और तमिलनाडु सरकार का संयुक्त उपक्रम है। तमिलनाडु सरकार टाइटन में 28% शेयर होल्डिंग है, जो कि टाइटन की आज की वेल्युएशन की हिसाब से ₹87,000 करोड़ रुपये होती है। Titan शब्द भी टाटा इंडस्ट्री और तमिलनाडु से बना है।
टाइटन 1984 में शुरू हुई थी, जब एमजीआर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे। उस समय के निवेश ने तमिलनाडु को क्या गजब रिटर्न दिया है। आज टाइटन या तनिष्क की दुकान से बिकने वाला हर समान तमिलनाडु सरकार की अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है।
टाइटन का चैयरमेन एक आईएएस ऑफिसर होता है जो कि तमिलनाडु सरकार द्वारा नामांकित होता है। अभी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिमान दास जो कि तमिलनाडु के आईएएस कैडर से हैं, वे भी टाइटन के चैयरमेन रह चुके हैं।
अलका याग्निक की खबर सुन हम चौंके, कि वे सोकर उठीं और उनकी सुनने की क्षमता खत्म हो गई। बहुत क्रूरता है यह शरीर के साथ, भले वह मांसपेशियों ने किया या नसों ने।
कुछ दिनों पहले हम भी सोकर उठे और ऐसा लगा कि हमारे सीधे कान से हमको बहुत कम सुनाई दे रहा है, हम बहुत घबराए, फिर अनुलोमविलोम किया कि कान खुल जाये, पर कुछ नहीं हुआ, जब सुबह 10 बजे ऑफिस की मीटिंग शुरू हुई, तब भी यही हाल था, तब मैंने टीम्स में announce कर दिया कि कहीं कोई मेरे लिये कोई मैसेज हो तो प्लीज मेसेज कर दें, आज कान हड़ताल पर हैं।
अगले दिन डॉक्टर को दिखाने गये, तो फॉर्मेलिटी करने के बाद बोले सब ठीक है, विटामिन C की गोली खाओ।
फिर एक कलीग से बात हुई तो वे बोलीं कि उनके हसबैंड को सेम 2 सेम समस्या हुई थी, पर उन्होंने इग्नोर कर दिया, जब 7 दिन के बाद गये तो पता चला कि उनके एक कान का 50% हियरिंग लॉस हो चुका है। कोई नर्व से यह समस्या होती है।
खैर अब मेरे कान ठीक ठाक हैं, घर पर जब कोई ऐसी बात जो सुनना नहीं होती है तो प्रतिक्रिया नहीं देता, तो घरवालों को समझ आ जाता है कि ये आदमी सर्टिफाइड बहरा है। वैसे भी बहुत सी बातें मुझे सुनाई नहीं देतीं, पता नहीं यह आदत है या समस्या।
बेटेलाल का लर्निंग लाइसेंस के बाद टेस्ट और परमानेंट लाइसेंस इतनी आसानी से बन गया कि पता ही नहीं चला।
बेटेलाल जैसे ही अप्रैल में घर आये, हमने कहा कि लर्निंग लाइसेंस ले लो, और गाड़ी चलानी शुरू करो, बाईक और कार दोनों। पर वे केवल बाइक के लिये ही राजी थे, कहने लगे कि अभी कार की जरूरत नहीं है, पर बाईक की बहुत जरूरत पड़ती है। बिना गियर वाली बाइक तो हर कोई चला लेता है, पर गियर वाली बाइक की अपनी मुश्किलें होती हैं।
खैर बेटेलाल को बाईक पहले भी चलानी आती थी, पर प्रेक्टिस की जरूरत थी, तो करने लगेज रोज gym भी बाईक से जाने लगे, कल का टेस्ट बुक करवाया था, rto जाकर बस कागज वेलिडेशन करवाया और फोटो खींची गई, फिर सीधे टेस्ट हो गया। हमने पूछा भी कि पास या फेल, वे बोले कि sms आयेगा।
बेटेलाल तो जेब में पैसे रखकर ले गये थे और वहीं खड़े होकर कहने लगे कि इस आदमी ने अभी अभी 500 के 2 नोट कमाने का मौका गँवा दिया, उन्होंने कहीं तो ऑनलाइन पढा था कि रिश्वत देनी पड़ती है, तो हमने भी मना नहीं किया, कि तुम ये भी ट्राय कर लो।
पर गजब हुआ हम घर पहुँचे 2 बजे और 3 बजे sms आ गया कि pass हो गये, क्या ही झूम झूमकर खुश हुए, उनकी दादी जी कहने लगीं कि इतनी खुशी तो 12वीं पास होने की भी नहीं हुई थीं, बेटेलाल बोले ये मेरे कॉन्फिडेंस की exam था। और 10 मिनिट बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस ऑनलाइन वर्शन भी आ गया।
अब बेटेलाल को भी यकीन हो गया कि कुछ काम खुद से करवा लो तो ही ठीक रहता है, हमने भी यही सिखाया की न रिश्वत लो न दो।
कल काशी की एक ग्राउंड रिपोर्ट देख रहा था जिसमें अस्सी कॉलोनी को अवैध बताकर हटाने का नोटिस दिया गया है। रहवासी कह रहे हैं कि सरकार सारे 300 घर और उनमें रह रहे लोगों को वहीं दबा दे, और उनकी समाधि पर कॉरिडोर बनवा दे।
वहीं कुछ बनारसियों को सुनना आनंद देता है, एक बनारसी का कहना था कि बनारस मुक्ति उतपन्न करता है, यहाँ लोग मुक्ति के लिये मरने आते हैं, ये घूमने का नया शौक सरकार ने लगा दिया है, मुक्ति शांति के साथ होती है, ऐसे भीड़भाड़ रहेगी तो मुक्ति कैसे मिलेगी।
क्या मुक्ति को बाबा विश्वनाथ के नाम के विक्क़स के नाम पर आम जनता से छीन लियक जायेगा, काशी में हर घर में 1-2 विग्रह होते थे, ऐसा मैंने उज्जैन के पुराने घरों में भी देखा, कोरिडोर बनाने के नाम पर वे सब विग्रह धराशायी कर दिये गये।
नई चीज बनाने के लिये अपनी पुरानी संस्कृति को इस तरह नष्ट करके हम विश्व को क्या संदेश दे रहे हैं, माँ गङ्गा भी स्वच्छ होने की राह देख रही हैं, खुलेआम नालों का पानी अब भी माँ गङ्गा में बहाया जा रहा है। क्या मुक्ति को भी अब लक्जिरियस चीज बना दिया जायेगा।
अपने भारत में हवाईअड्डों पर सुरक्षा जबरदस्त रहती है और रहनी भी चाहिये। अब टर्मिनल 1 2 पर जाने के पहले बकायदा बड़े बड़े स्पीडब्रेकर बनाकर चेकपोस्ट पर ऑटोमेटिक गन्स के साथ सिक्योरिटी रहती है, अगर कोई भी उनको संदिग्ध दिखता है, तो गाड़ी से सवारियाँ उतारकर पूरी गाड़ी की तलाशी ली जाती है, पिछली बार जाते समय 1 परिवार को खड़ा कर रखा था, वे टैक्सी में थे, परिवार परेशान सा लग रहा था।
हम जब जापान जा रहे थे, तो अपने लेपटॉप बैग में इलोक्ट्रानिक आइटम का एक का पाउच अलग से रखते हैं। जब सिक्योरिटी से निकले तो हमारा लेपटॉप बैग को कन्वेयर बेल्ट के दूसरे ट्रेक पर डाल दिया, तो हमें लगा कि अपनी स्टील की बोतल में पानी है, इसलिये खाली करवायेंगे।
जब सिक्योरिटी के पास गए, तो पानी की बोतल का तो पूछा नहीं, केवल इलेक्ट्रॉनिक आइटम वाले पाउच को खाली करके दिखाने को कहा, हमने 8 AA बैटरी रखी हुई थीं, जिसमें 4 खुली हुई थीं और 4 पैक थीं, पूछने लगे कि ये 8 बैटरी क्यों, allow नहीं हैं, हमने कहा कि bp मशीन में 4 बैटरी एक बार में लगती हैं, तो कहने लगे bp मशीन दिखाओ, हमने कहा वो तो चैकइन में है, तो कहने लगे कि bp मशीन भी इसी के साथ लाना चाहिये। फिर 6 बैटरी हाथ में लेकर कहा कि बस 2 बैटरी ही ले जा सकते हैं, हमने कहा बची हुई 2 बैटरी उनके हाथ में रखते हुए कि आप ये भी रख लो, 2 बैटरी मेरे किस काम की, एक बार में 4 लगती हैं, कई बार बैटरी जल्द खत्म हो जाती है तो स्पेयर बैटरी रखकर ले जा रहे हैं, कि नये देश में कहाँ ढूँढते फिरेंगे।
तो उन्होंने कहा ये लो जी आप आठों बैटरी ले जाओ, फिर वे यूनिवर्सल ट्रेवल अडॉप्टर को घुमा घुमाकर देखने लगे, मुझे एक बार लगा कि मैं तो शक्ल से ही पढा लिखा दंगेबाज दिख रहा हूँ इन सिक्योरिटी वालों को, जबकि अच्छी ड्रेसिंग करके ट्रेवल कर रहा था। खैर हमने सारा सामान फिर से पैक किया और चल दिये।
जब जापान से वापिस आ रहे थे, तो वहाँ स्कैनिंग की कुछ अलग ही मशीन थीं, अपने यहाँ जैसे हाथ से स्कैनर से प्लेटफार्म पर खड़े होकर, हाथ साइड में करके स्कैन करते हैं, वहाँ ऐसा नहीं था , वहाँ ऑटोमैटिक स्कैनर लगा हुआ था, जिसमें जैसे हाथ पैर को करने के पॉइंट बने थे, बस वैसे करना था, प्रक्रिया वही थी, बस हैंड हैल्ड स्कैनर की जगह सब कुछ ऑटोमैटिक था।
जब कन्वेयर बेल्ट पर अपना समान रखा तो वहाँ फिर से अपना लेपटॉप बैग कन्वेयर बेल्ट से अलग करके लिया, हमें लगा फिर बैटरी का ही पंगा होगा, इस बार तो साथ में 6 AAA बैटरी भी थीं। पर उन्होंने पानी की बोतल निकाली और कहा पानी नहीं ले जा सकते, औऱ एक केन में कुप्पी लगी हुई थी, उसमें पूरा पानी खाली कर दिया, पलास्टिक की पानी बोतल पहले ही डस्टबीन में फिकवा दी थी। बस फिर हमें जाने दिया।
हमने सोचा बताओ दोनों जगह सुरक्षा की चिंता ही अलग अलग थीं, भारत में बैटरी असुरक्षित लगी, जबकि पानी से उन्हें कोई समस्या नहीं थी, पर जापान में पानी असुरक्षित लगा और बैटरी से उन्हें कोई समस्या नहीं थी।
18 मार्च की रात 9 बजे घर से बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 के लिये निकले और ट्रैफिक होने के बावजूद 10.20 पर पहुँच गये। हवाई अड्डे पर सुरक्षा अधिकारियों ने पासपोर्ट और टिकट देखा, फिर बोले कि फ्लाईट 2.40 की है, हमने कहा हाँ जी, पहले सोचा कि अभी बोलेंगे कि 20 मिनिट बाद आना, पर 4 घन्टे के पहले भी जाने दिया।
फिर अंदर पहुँचकर हवाईअड्डा निहारने लगे। जबरदस्त कलाकारी की गई है। सारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें यहीं से जाती हैं, और कुछ अंतर्देशीय उड़ानें भी यहाँ आती जाती हैं। बड़े दिनों बाद उड़ रहे थे, घर से अब 35 दिन बाहर भी रहना मन को थोड़ा अजीब कर रहा था।
फिर सहायता कर्मियों से पूछा कि जापान एयरलाइन्स का कौन सा काउंटर है, तो हमें बताया गया कि F काउंटर है, जहाँ के सारे बोर्डिंग पास काउंटर बंद थे, हम भी वहीं सामने पड़ी कुर्सी पर धरना देकर बैठ गये।
सोने की कोशिश करी, पर नींद उस समय आ ही नहीं रही थी। जब हम पहुँचे थे तब तीसरे यात्री थे, पर धीरे धीरे यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी, हमने aisle सीट ली थी, कि हमें किसी को परेशान न करना पड़े। विस्तारा के साथ जापान एयरलाइन्स वालों का गठबंधन है, तो जब काउंटर वाले आ गये, उसके बाद उन्होंने जापानी भाषा में कुछ कहा और सबने 90 डिग्री झुककर सभी यात्रियों का अभिवादन किया।
फिर चेकइन बैगेज लिया,हम 2 बैगेज 23 kg के ले जा सकते थे, पर एक बैग ही भरने में पसीने आ गए, खैर वजन हुआ 23.1 kg, हम घर से ही तोलकर ले गये थे। बोर्डिंग पास दिया, खाने में हमने इंडियन वेज मील लिया था, उसका एक पर्चा दिया कि, क्या क्या मिलेगा। कलर प्रिंट दिया, सोचा ये देखो बर्बादी।
हम चल दिये अंतरराष्ट्रीय प्रस्थान के लिये, वहाँ पहले बोर्डिंग पास स्कैन करवाया, और उसके बाद इमिग्रेशन, आश्चर्य हुआ कि अब इमिग्रेशन फॉर्म नहीं भरना पड़ता, इमिग्रेशन पर हमारा पासपोर्ट और बोर्डिंग पास लाया, हमसे पूछा कि कितने दिन के लिये और क्यों जा रहे हो, क्या काम करते हो, बस हो गया, पासपोर्ट पर सील लगाकर हमें छोड़ दिया।
अब सिक्योरिटी करनी थी, यह भी आसान थी, हमारे पास AA 8 बैटरी थीं, वे बोले इतनी बैटरी नहीं ले जा सकते, हमने कहा bp मशीन की है, तो बोले bp मशीब दिखाओ, हमने कहा वो तो चेकइन कर दी, तो बोले साथ में रखना चाहिये, वे बोले कि बस 2 बैटरी ले जा सकते हैं, हमने कहा एक बार में 4 लगती हैं, और बैटरी जल्दी खत्म हो जाती हैं, अगर allow नहीं है तो 2 भी क्या ही ले जाना है, सारी रख लो, फिर उसके मन में जाने क्या आया कि बोला, जाइये आप सारी ले जाइये।
फिर पहुँचे ड्यूटी फ्री, दारू की बोतलों को निहारा, रिटर्न के लिये बुक करने लगे तो बोले कि केवल 30 दिन आगे तो की ही बुक कर सकते हैं, आप ऑनलाइन बुक कर लेना। क्योंकि पहले बुक करने पर 10% का डिस्काउंट मिलता है।
टर्मिनल 2 बढ़िया बनाया हुआ है, कुछ फोटो भी लिये, फिर अपने C2 गेट पर आकर लंबी चेयर पर पैर पसारकर 2 घन्टे फ्लाइट उड़ने तक आराम किया। बैंगलोर से टोक्यो के लिये सुबह 3 बजे फ्लाइट उड़ी।
महाशिवपुराण में एक कथा है कि महर्षि अत्रि को प्यास लगती है तो वे अपनी पत्नी अनुसूया को अपना कमंडल देते है बोले कि मुझे प्यास लगी है, अनुसूया कमंडल लेकर जल लेने चल पड़ीं, अत्यंत गर्मी थी, तो आश्रम से निकलने के पहले ही अनुसूया को एक सुंदर स्त्री आती दिखाई दीं।
यह सुंदर स्त्री गङ्गा थीं जो अनुसूया के पतिव्रत धर्म व शिवजी की आराधना से प्रभावित थीं, तो उन्होंने सोचा कि ये अनुसूया कहाँ जा रही है, इसे क्या समस्या है। गङ्गा ने अनुसूया से पूछा कि आओ कहाँ जा रही हैं, अनुसूया ने परिचय पूछा और बताया कि कमंडल में पानी लेने जा रही हूँ।
तब गङ्गा ने बताया कि यहाँ तो कहीं दूर दूर तक पानी नहीं है, मैं एक गड्ढा खोदकर उसमें से तुम्हारे लिये पानी भर देती हूँ, तुम जल लेकर महर्षि अत्रि को पिला दो, तब अनुसूया ने कहा कि आप यहीं रुकें, अनुसूया कमंडल भरकर महर्षि अत्रि के पास गईं कर उन्हें जल पिलाया, तब अत्रि बोले कि बाहर तो गर्मी हो रखी है, कहीं दूर दूर तक जल का निशान नहीं है क्योंकि अभी तक बारिश नहीं हुई, तुम्हें इतना शीतल जल कहाँ से मिला।
तब अनुसूया ने पूरा वृतांत बताया, तब महर्षि अत्रि व अनुसूया बाहर आये व गङ्गा जी की स्तुति की, तब अनुसूया ने गङ्गा से निवेदन किया कि आप इसी गड्ढे में हमेशा हमारे पास रहें, जिससे हमेशा हमारे पास जल रहे, तब गङ्गा जी ने कहा – मैं रह सकती हूँ पर एक शर्त है कि अगर तुम मुझे अपने 1 वर्ष का पतिव्रत धर्म व शिवजी की तपस्या का पुण्य मुझे प्रदान कर दो। अनुसूया मान गईं और गङ्गा जी उस गड्ढे में प्रविष्ट कर गईं।
अनुसूया से 1 वर्ष के तप का पुण्य लेना Time Trading है, और गड्ढे में गङ्गा जी का प्रविष्ट होना Irrigation marvel है। हॉलीवुड वाले हमारे पुराणों से प्लॉट उठाकर फिल्मों की आधुनिक रूप देकर सुपर हिट बनाते हैं। और हमारे यहाँ लोग इन विषयों पर कुछ सोचते ही नहीं।
लाक्षागृह कांड के बाद जब पांडव गुप्त रूप से निवास कर रहे थे और वृकोदर भीमसेन ने बकासुर राक्षस को मार दिया, उसके बाद एक ब्राह्मण उसी जगह रुकने आया, जहाँ पाण्डु गुप्त रूप से रह रहे थे। उसने पांचाल और पांचाली की कथा उन्हें सुनाई और बताया कि पांचाल देश में पांचाली का 75 दिन बाद स्वयंवर है, व पांचाल देश बहुत अच्छा है, व रमणीय है, मतलब कुक मिलाकर बहुत तारीफ करी, तो कुंती ने पांडुओं को कहा कि हम भी इन्हीं ब्राह्मण के साथ द्रुपद चलते हैं।
तभी सत्यवतीनन्दन व्यासजी उनसे मिलने के लिये वहाँ आये और उन्हें कथा सुनाई कि – किसी समय तपोवन में एक ऋषि की सुंदर कन्या रहती थी, परंतु दुर्भाग्य से वह पति न पा सकी। तब उसने उग्र तपस्या करके शिवजी को प्रसन्न किया व कहा कि – मैं सर्वगुणसम्पन्न पति चाहती हूँ, इस वाक्य को 5 बार कहा। तब भगवान शिव ने कहा -तुम्हारे पाँच भारतवंशी पति होंगे। तब कन्या बोली कि – मैं आपकी कृपा से एक ही पति चाहती हूँ। तब भगवान ने कहा तुमने मुझसे पाँच बार कहा है कि मुझे पति दीजिये। अतः दूसरा शरीर धारण करने पर यह वरदान फलित होगा।
वह महाराज पृषत की पौत्री सती साध्वी कृष्णा (द्रोपदी) तुम लोगों की पत्नी नीयत की गई है, अतः महाबली वीरों तुम अब पांचाल नगर में जाकर रहो, द्रोपदी को पाकर तुम सभी लोग सुखी होओगे।
पहले सब कुछ पूर्वनिर्धारित रहता था, और कुछ ही लोगों को यह जानकारी होती थी, जिससे वे उन कार्यों को सिद्ध करने में सहयोग करते थे। आजकल ऐसे कुछ लोग दुनिया में दिखते ही नहीं, इसलिये हम लोग जान ही नहीं पाते कि किसने किसके लिये तपस्या करी, इसी चक्कर में घर में शायद झगड़े भी बहुत होते हैं। इन कुछ लोगों को वापिस इस दुनिया में आकर मार्गदर्शन करना चाहिये।