कई बार सोचता हूँ जिनके बारे में ऐसा लगता है कि इनको मैं अच्छे से जानता हूँ, तो क्या सही लगता है?
जीवन का कोई एक पहलू नहीं होता, ऐसे ही चेहरे का, हर शख्स के होते हैं कई चेहरे, ऑफिस में किसी के सामने कुछ किसी ओर के सामने कुछ, बाहर कुछ, बाजार में कुछ, घर में पत्नी के सामने कुछ, माँ बाप के सामने कुछ, बच्चों के सामने कुछ।
शख्स एक ही है, पर वह दिखाता अलग अलग शख्सियत है। कहीं सीधा सादा, कहीं जालिम क्रूर, कहीं बेवकूफ, कहीं बुद्धिमान कहीं कमजोर, कहीं पागल प्रेमी, तो कहीं आज्ञाकारी।
बस ऐसे ही चोले ओढ़े जीवन बीतता जाता है, और ऐसे ही अपने आपको बड़ा आदमी समझते हुए एक दिन खुद को रहस्यमयी दिखाता हुआ,इस दुनिया से वह चल देता है।
एक अमीर बाप की औलाद का किस्सा सुनाता हूँ, जिसने अपनी रेस्टोरेंट चैन खोली और वह बुरी तरीके से फेल हुई, रेस्टोरेंट बिजनेस में फेल होना मतलब पब्लिक फेलियर होता है। उसके बाद उसने अपना घर बेचकर वापस से एक नया बिजनेस शुरू किया और आज उसका टर्नओवर 800 करोड़ के आसपास है।
राजीव बहल जिनका ब्रांड था फन फूड, उनके बेटे हैं विराज बहल। विराज अपने पिताजी का बिजनेस जॉइन करना चाहते थे, पर पिता ने मना कर दिया और कहा कि जाओ पहले 3 लाख रुपये खुद से कमाकर लेकर आओ, तब इस बिजनेस में एंट्री मिलेगी। जो कि आज लगभग 16 लाख रुपए के बराबर होते हैं तब उसने मर्चेंट नेवी में नौकरी करके 2002 में 3 लाख कमा लिये।
उसके बाद अगले 6 साल में बाप बेटे ने मिलकर फन फूड को एक बहुत बड़ा ब्रांड बना दिया। तब राजीव ने विराज को कहा कि मैं नहीं चाहता कि जिन कठिनाइयों के दौर से मैंने जीवन निकला है, उन कठिनाइयों को मेरे बेटा देखे और मैं चाहता हूँ कि मैं अपने बेटे को अच्छा खासा पैसा दूँ जिससे उसे आगे जीवन में कोई तकलीफ ना उठानी पड़े।
तब उन्होंने अपनी 25 वर्ष पुरानी फन फ़ूड कंपनी Dr Oetkar को ₹110 करोड़ में बेच दी।
तब विराज ने अपने हिस्से में आए पैसे से एक रेस्टोरेंट चैन खोलने का फैसला किया, जिसका नाम था पॉकेट फुल। 4 साल तक वह अपने रेस्टोरेंट चैन को प्रॉफिटेबल बनाने की कोशिश करता रहा लेकिन नहीं हुआ। इससे उसे भयंकर फाइनेंशियल नुकसान हुआ पर उसकी भी जिद थी कि वह कुछ अलग करेगा।
उसने अपनी आखिरी संपत्ति जो कि उसका घर था वह भी बेच दिया और उससे उसने एक बड़ी जमीन खरीद कर फैक्ट्री बनाई। जिसमें वह सॉस बनाने लगा। फैक्ट्री बनाने के बाद पहले साल तो रेस्टोरेंट बिजनेस से भी बुरा रहा और वह बड़े कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए तरसता रहा। यह इतना भयावह हो चुका था कि उसके पास सैलरी देने के लिए पैसे भी नहीं थे।
थोड़ी हिम्मत रखने के बाद और बार-बार कंपनियों को ऑर्डर के लिये परेशान (गिड़गिड़ाने के बाद) करने के बाद आखिर कर विराज को डोमिनोस से 70 टन सॉस का आर्डर मिला। उसके बाद तो विराज के पास केएफसी, पिज़्ज़ाहट, टैको बेल व अन्य कंपनियों से ऑर्डर की लाइन लग गई।
बिजनेस ही क्यों? क्योंकि यही विराज का लक्ष्य था और B2B में कैश फ्लो अच्छा होता है, जिसके कारण बिजनेस अच्छा चल पाता है।
अपने सॉस को अच्छा बनाने के लिए विराज ने जुगाड़ लगाई, आने वाले गेस्ट को वह अलग-अलग सॉस परोसता था और जो भी सॉस गेस्ट और लेते थे, तो इसका मतलब इस सॉस का स्वाद अच्छा होता था और उनका स्वाद बढ़ाने के लिए काम करता था। बिजनेस में जिन सॉस के आर्डर बड़े होते थे और जल्दी निकलते थे उन उत्पादों पर विराज ज्यादा ध्यान देने लगा।
अगर उनके प्रारंभिक प्रोडक्ट को देखें तो वे सब इंटरनेशनल टेस्ट के थे, हाँ उसमें भारतीय टेस्ट का ट्विस्ट डाल दिया गया था। क्योंकि भारत में तो हर 100 किलोमीटर में स्वाद ही बदल जाता है। भारत में सॉस का लीडर बनने के लिए उसे इंटरनेशनल स्वाद में लीडर बनाना था, जो कि विराज का इनोवेशन था सॉस का स्वाद शुद्ध हो हेल्दी हो, इसी के दम पर वह भारत में सॉस का लीडर बन गया।
कल काशी की एक ग्राउंड रिपोर्ट देख रहा था जिसमें अस्सी कॉलोनी को अवैध बताकर हटाने का नोटिस दिया गया है। रहवासी कह रहे हैं कि सरकार सारे 300 घर और उनमें रह रहे लोगों को वहीं दबा दे, और उनकी समाधि पर कॉरिडोर बनवा दे।
वहीं कुछ बनारसियों को सुनना आनंद देता है, एक बनारसी का कहना था कि बनारस मुक्ति उतपन्न करता है, यहाँ लोग मुक्ति के लिये मरने आते हैं, ये घूमने का नया शौक सरकार ने लगा दिया है, मुक्ति शांति के साथ होती है, ऐसे भीड़भाड़ रहेगी तो मुक्ति कैसे मिलेगी।
क्या मुक्ति को बाबा विश्वनाथ के नाम के विक्क़स के नाम पर आम जनता से छीन लियक जायेगा, काशी में हर घर में 1-2 विग्रह होते थे, ऐसा मैंने उज्जैन के पुराने घरों में भी देखा, कोरिडोर बनाने के नाम पर वे सब विग्रह धराशायी कर दिये गये।
नई चीज बनाने के लिये अपनी पुरानी संस्कृति को इस तरह नष्ट करके हम विश्व को क्या संदेश दे रहे हैं, माँ गङ्गा भी स्वच्छ होने की राह देख रही हैं, खुलेआम नालों का पानी अब भी माँ गङ्गा में बहाया जा रहा है। क्या मुक्ति को भी अब लक्जिरियस चीज बना दिया जायेगा।
जब पांडवों ने माता कुंती की साथ पांचाल याने कि द्रुपद राज्य की ओर कूच किया, तो गन्धर्व वाली कथा तो सबको पता ही है, जब अर्जुन ने गंधर्व को हरा दिया तब गंधर्व ने अर्जुन को तपतीनंदन और तापत्य कहा जिससे अर्जुन ने पूछा कि हे गंधर्व आपने मुझे इन संबोधन से क्यों पुकारा।
तब अर्जुन को गंधर्व ने बताया कि सूर्यदेवता की एक पुत्री थीं और सावित्रीदेवी की छोटी बहन थीं। जिसका नाम तपती था और वह स्त्रियों में अनुपम सुंदरी थी, तब सूर्यदेव को उनके विवाह चिंता हुई, पर भगवान सूर्य ने तीनों लोकों में किसी भी पुरुष को ऐसा नहीं पाया, जो रूप शील गुण और शास्त्रज्ञान की दृष्टि से उसका पति होने योग्य हो।
उन्हीं दिनों महाराज ऋक्ष के पुत्र राजा संवरण कुरुकुल के श्रेष्ठ व बलवान पुरुष थे, और उन्होंने सूर्यदेव की आराधना आरंभ की, अतः राजा संवरण को ही तपती के योग्य पति माना।
अब आगे कहानी बढ़ती है कि राजा संवरण जंगल में शिकार करने जाते हैं व पर्वत पर चले जाते हैं तो राजा का घोड़ा भूख प्यास से पीड़ित होकर मर जाता है और राजा पैदल ही पर्वत शिखर पर घूमने लगते हैं, वहीं उन्होंने एक सुंदर स्त्री को विचरण करते देखा, राजा उस पर मोहित हो गये, राजा ने उससे सुंदर स्त्री अपने नयनों से अभी तक देखी नहीं थी, और कामबाण से पीड़ित हो गये। तब राजा ने लज्जारहित होकर उस लज्जाशील और मनोहारिणी कन्या से पूछा कि तुम कौन हो, राजा ने कन्या की बहुत तारीफ की, पर कन्या ने कोई जबाब नहीं दिया और वह अन्तर्धान हो गई। राजा उन्मत्त होकर इधर उधर भ्रमण करने लगे और विलाप करते हुए मूर्क्षित होकर निश्चेष्ट पड़े रहे।
तब वह तपती ने फिर से राजा संवरण के सामने मुस्कराते हुए अपने आपको प्रकट किया। तब तपती ने कहा आप सम्राट हैं आपको मोह के वशीभूत नहीं होना चाहिये, राजा ने आँखें खोलीं, पर राजा के अन्तःकरण में तो कामजनित अग्नि जल रही थी। और राजा ने कहा कि मैं काम से पीड़ित तुम्हारा सेवक हूँ, तुम मुझे स्वीकार करो अन्यथा मेरे प्राण मुझे छोड़कर चले जायेंगे, हे सुंदरी तुम्हारे लिये कामदेव मुझे अपने तीखे बाणों द्वारा बार बार घायल कर रहे हैं। मुझे कामरूपी महासर्प ने डस लिया है। अब मुझे किसी और स्त्री को देखने में रूचि भी न रही। तुम आत्मदान देकर मेरे उस काम को शांत करो। मुझसे गंधर्व विवाह करो।
तब कन्या कहती है कि मेरे पिता विद्यमान हैं, आपको उनसे मुझे मांगना पड़ेगा। हे राजन जैसे आपके प्राण मेरे अधीन हैं, उसी प्रकार आपने भी दर्शनमात्र से ही मेरे प्राणों को हर लिया है। मैं अपने शरीर की स्वामिनी नहीं हूँ, इसलिये आपके समीप नहीं आ सकती, क्योंकि स्त्रियाँ कभी स्वतंत्र नहीं होतीं। आपको पति बनाने की इच्छा कौन कन्या नहीं करेगी।
आप यथासमय नमस्कार, तपस्या, और नियम से सूर्यदेव को प्रसन्न कर मुझे माँग लीजिये। मैं उन्हीं अखिलभुवनभास्कर भगवान सविता की पुत्री और सावित्री की छोटी बहन तपती हूँ। यह कहकर कन्या चली गई। राजा फिर मूर्छित होकर गिर पड़े। फिर उनके मंत्री सेना के साथ ढूँढते हुए पहुँचे व राजा को को देखकर राजमंत्री व्याकुल हो गये, राजा को देखकर अनुमान लगाया कि वे भूख प्यास से पीड़ित और थके मांदे हैं, मुकुट छिन्न भिन्न नहीं है अतः राजा युद्ध में घायल नहीं हुए हैं। मंत्री ने राजा के मस्तक को कमल के सुगंध से युक्त ठंडे जल से सींचा। राजा को होश आया और मंत्री को रोककर सेना को वापिस लौटा दिया।
उसके बाद राजा संवरण ने उसी पर्वत पर सूर्य की आराधना की व अपने पुरोहित मुनि वसिष्ठ का मन ही मन स्मरण किया। 12 दिन बाद वसिष्ठ आये, और राजा ने तपती को पाने के लिये सूर्यदेव से मिलने के लिये निवेदन किया, वसिष्ठ गये और सूर्यदेव से तपती को राजा संवरण के लिये ले आये। और राजा ने तपती का पाणिग्रहण किया और वशिष्ठ जी से आज्ञा लेकर उसी पर्वत पर विहार करने लगे। राजा संवरण ने 12 वर्षों तक उसी पर्वत पर विहार किया और कुरू को उत्पन्न किया था। अतः उसी वंश में जन्म लेने के कारण आप लोग तापत्य हुए।
उन्हीं कुरु से उत्पन्न होने के कारण सब लोग कौरव तथा कुरुवंशी कहलाते हैं। इसी प्रकार पुरु से उत्पन्न पौरव और अजमीढ़कुल वाले आजमीढ़ तथा भारतकुल वाले भारत कहलाते हैं।
अब मुझे ऐसा लगता है कि अपने वंश के लोगों के ऐसे कारनामे सुनकर आदमी खुश होगा या दुखी होगा, कि कैसे कामी आदमी लोग हमारे पितामह थे।
लाक्षागृह कांड के बाद जब पांडव गुप्त रूप से निवास कर रहे थे और वृकोदर भीमसेन ने बकासुर राक्षस को मार दिया, उसके बाद एक ब्राह्मण उसी जगह रुकने आया, जहाँ पाण्डु गुप्त रूप से रह रहे थे। उसने पांचाल और पांचाली की कथा उन्हें सुनाई और बताया कि पांचाल देश में पांचाली का 75 दिन बाद स्वयंवर है, व पांचाल देश बहुत अच्छा है, व रमणीय है, मतलब कुक मिलाकर बहुत तारीफ करी, तो कुंती ने पांडुओं को कहा कि हम भी इन्हीं ब्राह्मण के साथ द्रुपद चलते हैं।
तभी सत्यवतीनन्दन व्यासजी उनसे मिलने के लिये वहाँ आये और उन्हें कथा सुनाई कि – किसी समय तपोवन में एक ऋषि की सुंदर कन्या रहती थी, परंतु दुर्भाग्य से वह पति न पा सकी। तब उसने उग्र तपस्या करके शिवजी को प्रसन्न किया व कहा कि – मैं सर्वगुणसम्पन्न पति चाहती हूँ, इस वाक्य को 5 बार कहा। तब भगवान शिव ने कहा -तुम्हारे पाँच भारतवंशी पति होंगे। तब कन्या बोली कि – मैं आपकी कृपा से एक ही पति चाहती हूँ। तब भगवान ने कहा तुमने मुझसे पाँच बार कहा है कि मुझे पति दीजिये। अतः दूसरा शरीर धारण करने पर यह वरदान फलित होगा।
वह महाराज पृषत की पौत्री सती साध्वी कृष्णा (द्रोपदी) तुम लोगों की पत्नी नीयत की गई है, अतः महाबली वीरों तुम अब पांचाल नगर में जाकर रहो, द्रोपदी को पाकर तुम सभी लोग सुखी होओगे।
पहले सब कुछ पूर्वनिर्धारित रहता था, और कुछ ही लोगों को यह जानकारी होती थी, जिससे वे उन कार्यों को सिद्ध करने में सहयोग करते थे। आजकल ऐसे कुछ लोग दुनिया में दिखते ही नहीं, इसलिये हम लोग जान ही नहीं पाते कि किसने किसके लिये तपस्या करी, इसी चक्कर में घर में शायद झगड़े भी बहुत होते हैं। इन कुछ लोगों को वापिस इस दुनिया में आकर मार्गदर्शन करना चाहिये।
गणतंत्र दिवस पर सोसायटी में कार्यक्रम हुआ, जिसमें झंडा फहराया गया, फिर भाषणबाजी हुई, और गाने गाये गये, कविताओं का वाचन हुआ।
जब पहला गाना गाया गया – जीरो दिया मेरे भारत ने, तब हम भी साथ में ऑडिएंस में खड़े होकर पूरा ही गाना साथ में गुनगुना लिये, तो हमारे पड़ौसी पास ही खड़े थे, कहने लगे बहुत ही बढ़िया गाना है पर हमने पहली बार सुना, हमने कहा यह मनोज कुमार का गाना है और फ़िल्म पूरब और पश्चिम का है। बेटेलाल का फेवरेट गाना है, कई बरसों तक यह गाना 1 या 2 बार रोज ही हमारे घर में बजता रहा है। ये पड़ौसी विशाखापत्तनम से हैं।
फिर एक मैडम हैं वे आईं, उनकी आवाज बहुत बुलंद है और कविताओं को पढ़ने के लिये वैसी ही आवाज चाहिये। वे अधिकतर रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ती हैं, बहुत सी कविताएं उन्हें याद हैं, इस बार उन्होंने हिमालय पर लिखी गई कविता -मेरे नगपति मेरे विशाल कविता का पाठ किया। ये भोपाल से हैं तो उनका हिन्दी उच्चारण बहुत शुद्ध है। यह हमें याद नहीं थी, पर सुनकर आनंद लिया।
बाद में उन्होंने एक और कविता गाई –
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती — स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती —
जो कि जयशंकर प्रसाद ने लिखी थी, हमने यह कविता साथ में पूरी गुनगुनाई, यह चाणक्य में हमने सुनी थी, और फिर इतनी सुनी कि दिल में अंकित हो चुकी है। इस पर भी पड़ौसी बोले यह भी हमने पहली बार सुनी, इट्स लुक्स लाइक आई एम वेरी पूअर इन आल दिस, हम बकस मुस्कुरा दिए और कहा आप किसी और में अच्छे होगे।
एक हमारे बहुत ही अच्छे मित्र हैं, बढ़िया सेट हैं, शेयर बाजार में जो भी निवेश करना चाहते हैं वे हमसे पूछते रहते थे, फिर एक दिन बोले कि आप हमारे लिये एक एकाउंट में ट्रेडिंग करिये, हमने कहा हम तो ऑप्शन सेलिंग करते हैं, वे बोले तो बताइये मिनिमम कितना कैपिटल लगेगा, हमने कहा कि 1.5 लाख से शुरू कर सकते हैं, पर आपकी होल्डिंग को हम कोलेट्रोल पर लेकर मार्जिन मनी के लिये उपयोग करेंगे तो वे बोले हाँ यह भी ठीक है, तो कैश 1.5 लाख और कोलेट्रोल से लगभग 1.2 लाख मिल गया, जिसे हम केवल एडिशनल मार्जिन के लिये ही उपयोग करते हैं।
वे बोले आप अपनी फीस भी बता दो, तो हमने कहा कि हम कैपिटल का हर महीने 1% फीस ले लेंगे, पर प्रॉफिट की फुल गारंटी नहीं है, लॉस भी हो सकता है, पर हमारी फीस में कोई बदलाव नहीं होगा। हमारे मित्र ने कहा कोई नहीं जो आप कहते हैं, वह सब हम मान लेते हैं, आप बस हमारे एकाउंट में ट्रेडिंग करिये और longterm पोर्टफोलियो भी बना दीजिये। हमने अगस्त 2023 से उनके एकाउंट में काम करना शुरू किया। कैपिटल के अनुसार ही ट्रेड लिये, कभी 3% मिला तो कभी 6%, बाजार के ऊपर निर्भर करता है। सितंबर में एक ट्रेड ज्यादा drawdown दिखा रही थी, हमें पूरी उम्मीद थी कि मार्जिन नहीं भरना पड़ेगा, पर वह ट्रेड ब्रोकर ने मार्जिन न होने के कारण लॉस में स्क्वेयर ऑफ कर दी, सितंबर का महीना नुकसान में नहीं रहा पर 5% प्रॉफिट की जगह मात्र ₹480 का प्रॉफिट हुआ, तब मित्र को समझ आया कि मार्जिन की कमी के कारण गड़बड़ हुई, उन्होंने एकदम अक्टूबर की शुरुआत में ₹50,000 और डाल दिये, इस प्रकार कैश अब 2 लाख हो चुका था।
सारे चार्जेस और ब्रोकरेज के बाद प्रॉफिट अब इस प्रकार है – अगस्त 2023 – ₹9,493 सितंबर 2023 – ₹480 अक्टूबर 2023 – ₹9,477 नवंबर 2023 – ₹8,575 दिसंबर 2023 – ₹4,593 जनवरी 2024 – ₹14,178
कुल प्रॉफिट – ₹47,685 चार्जेस व ब्रोकरेज के बाद – ₹46,638
जनवरी 2024 से अब वे हर महीने ₹50,000 इस एकाउंट में डाल रहे हैं, तो अब कैपिटल कैश का 2.50 लाख और प्रॉफिट है, तो जब भी हमें कोई बढ़िया शेयर दिखता है तो हम उसे longterm होल्डिंग में खरीद देते हैं, एक शेयर हमने उनके लिये 100 qty खरीदी थी, अब वह 40% प्रोफिट में है, वहीं एक साल में यही कमाई बढ़कर कम से कम 250% हो जायेगी। अभी यह काम हम व्यवसायिक तरीके से नहीं कर रहे हैं पर लगता है कि जल्दी ही शुरू करना चाहिये, एक हमारे मित्र हैं ब्रोकर कम्पनी में बड़ी पोज़िशन पर हैं, वे कई बार कह चुके कि आराम से इसे ₹10 करोड़ तक ले जा सकते हैं, पर हमें कोई जल्दीबाजी नहीं है, अभी नौकरी कर रहे हैं, तो घरवाली को सबकुछ सीखा दिया है, तो हम चैन से नौकरी करते हैं, और ट्रेडिंग घरवाली करती है, अगर कहीं कोई समस्या होती है, तो हम देख लेते हैं। क्योंकि मुख्य चीज है monitoring करना, तो उसके लिये हमें घरवाली की भरपूर मदद मिल जाती है, अब एक प्रकार से उनका ही यह बिजनेस है, हम केवल मेंटर हैं। अब वे चार्ट रीडिंग बेहतरीन करती हैं, ब्रेकआउट, सपोर्ट रेसिस्टेंस सब कुछ खुद निकाल लेती हैं। बस ऐसा जीवनसाथी हो तो जीवन आसान हो जाता है।
अब हमारे मित्र हमसे कई बार कह चुके हैं कि आप अपनी फीस ले लीजिये, हमने कहा जब जरूरत होगी ले लेंगे, कम से कम एक नया फोन तो सालभर की फीस से आ ही जायेगा।
ये आज इसलिये लिखा कि कई लोग चेलेंज करते हैं कि अपना प्रॉफिट दिखाओ, तो आप इसे डेमो अकॉउंट के तौर पर देख सकते हैं, क्योंकि हम आपना प्रॉफिट सार्वजनिक नहीं करना चाहते। प्रॉफिट का स्क्रीनशॉट भी लगा रहे हैं।
और ध्यान रखें कि हम अभी किसी का पैसा मैनेज कर पाने की स्थिति में नहीं हैं, हम अपने प्रॉफिट से पूर्णतया संतुष्ट हैं, हम न ट्रेनिंग देते हैं, न कोई टिप्स, बस सीखने पर जोर देते हैं, नई स्ट्रेटेजी देखते रहते हैं और अपनी स्ट्रेटेजी में और सुधार करते रहते हैं।
जो हमेशा सीखता रहेगा, वही जीवन में आगे बढ़ पायेगा। अगर आपमें पास ठीक ठाक कैपिटल है तो आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि आप शेयरबाजार के इस समुंदर से कितना कमा सकते हैं।
अगली पोस्ट में बेटेलाल के बारे में लिखेंगे, कि वो कितना सीखे, कैसे सीखे, और निवेश में क्या करते हैं।
शेयर बाजार में एक से एक गुरु हैं, पर कोई खुलकर नहीं सिखाता और जो सिखाता है और फेमस हो जाता है वो कहीं न कहीं किसी स्कैम में फंस जाता है या फंसा दिया जाता है। यह पैसा है ही ऐसी चीज। खुलकर सिखाने का मतलब बारीकी से एक एक चीज, कि कैसे चार्ट काम करता है, स्मार्ट मनी कैसे पोजिशन लेती है, और स्मार्ट मनी की तरह कैसे पोजिशन लेकर शेयर बाजार से फायदा उठाया जाये, मतलब कि कब खरीदना है ओर कब बेचना है।
इस मामले में मैं नीतीश कुमार NKStocktalk सर का फैन हूँ, प्यूर टेक्निकल बातें करते हैं, सिंपल फंडे समझाते हैं, 99% साइकोलॉजी ठीक करने की बात करते हैं। केवल 1% सिखाते हैं, क्योंकि सीखने के लिये होता ही उतना है। वे फालतू की बातें करते नहीं या ये कहें कि उनको करना नहीं आता तो ज्यादा बेहतर होगा।
मैं उनके बहुत से फंडे अपने ट्रेड्स में इस्तेमाल करता हूँ, और उन्होंने गांववालों की भाषा में अपनी शब्दावली रखी है, जैसे हवा चिप्स, हिलेगा मिलेगा, हिलेगा मिलेगा उनकी सबसे बेहतरीन स्ट्रेटेजी लगी, इस इंडिकेटर को आप अपने हिसाब से इम्प्रूव भी कर सकते हैं। cnbc में भी उनको कई बार बुलाया गया, पर उनकी भाषा व उदाहरण नहीं जमे तो उनको बैन कर दिया गया।
आजकल वे केवल बास्केट पर जोर देते हैं, बताते हैं कि कैसे बास्केट बनाई जाये, कैश स्टॉक से ही सालभर में 50% से ज्यादा कमाई कैसे की जाये, इत्यादि इत्यादि। NKStocktalk के नाम से ही सर का यूट्यूब चैनल और टेलीग्राम चैनल है।
कल fno वाली पोस्ट के बाद कई कमेंट व मैसेज आये कि उनको fno सीखना है, मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि रिस्क कैसे मैनेज करना है वो सीखना सबसे जरूरी है, बाजार के धुरंधर आपके पैसे पर निगाहें लगाये बैठे हैं। और वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा रिटेलर बिना सीखे बाजार में आये। वही उनका प्रॉफिट है।जब कोई लॉस लेगा, तभी किसी का प्रॉफिट होगा। मैं सिखाना नहीं जानता, क्योंकि मैंने भी सिस्टेमेटिक ढंग से नहीं, बल्कि over the time सीखा है। इसके लिये बहुत से यूट्यूब चैनल हैं जो निस्वार्थ भाव से सिखा रहे हैं, जब आप खुद थोड़ा बहुत सीख जायेंगे, तो आपको खुद समझ आ जायेगा कि कौन सिखा रहा है और कौन बेवकूफ बना रहा है।
यह किसी की भी मार्केटिंग नहीं है, आगे भी और इसी तरह की पोस्ट लिखते रहेंगे, बस इतना ही कहना चाहते हैं कि सीखने के लिये कम से कम 2 साल पेपर ट्रेड करिये, उसके बाद पैसों से ट्रेड करिये। बस आपको सीरियसनेस समझ आनी चाहिये।
हमारे एक बहुत बड़े सीनियर से कल बात हो रही थी, 4 वर्ष पहले वे रिटायर हुए और उनका अच्छा खासा पोर्टफोलियो था, मतलब की शेयर भी एक से एक थे, सब टॉप के शेयर बहुत ही सस्ते भाव के, यह समझ लीजिये कि उनका 80 लाख के लगभग का पोर्टफोलियो था, और उनकी इन्वेस्टमेंट लगभग 15 लाख रही होगी, वे कल बता रहे थे कि रिटायमेंट के बाद खर्च के लिये उसमें से लगभग 20 लाख निकाल लिये।
फिर कोविड के दौरान उन्हें लगा फ़्यूचर एंड ऑप्शन में ज्यादा तेजी से पैसा बनाया जा सकता है, तो उन्होंने fno को बिना सीखे समझे, इसमें काम शुरू कर दिया, जब कुछ लॉस हुआ, तब वे मुझसे कनेक्ट हुए, मैंने उन्हें fno की बहुत सी बारीकियों को समझाया व सलाह दी कि चूँकि आप रिटायर हो चुके हैं और fno में ट्रेडिंग के लिये बहुत अनुभव की आवश्यकता होती है और सिस्टमेटिक काम करना होता है, वरना जैसे पैसा आता है, उससे डबल स्पीड से पैसा वापिस चला जाता है।
जब नया पैसा बाजार में आता है, मतलब नया नवेला ट्रेडर, तो वो दुनिया में सलाह देनेवाले को बेवकूफ समझता है, और वो सोचता है कि उसे ही सब कुछ पता है, उसे समझ तब आता है जब उसका सब कुछ बर्बाद हो गया होता है। यही सर के साथ हुआ, वे बोले अरे विवेक अब तो मैं fno में एक्सपर्ट हूँ, तुम फालतू डराते हो, मैंने उन्हें तब भी बहुत समझाने की कोशिश करी थी, पर ये को नशा है न, जो मजा देता है, वो सोचने समझने की शक्ति खत्म कर देता है। शेयर बाजार में आने के पहले हमेशा अपना मनोविज्ञान ठीक कर लेना चाहिये। सर को बिना सीखे समझे, दूसरों की टिप पर या अपनी खुद की कोई स्ट्रेटेजी से पैसे बनाने थे, कितने बनाने थे, यह उन्हें क्लियर ही नहीं था।
यह बात तो समझ लीजिये कि शेयर बाजार पैसों का समुद्र है, तो आप समुद्र को लूट नहीं सकते, किनारे लहरों की आवाजें बहुत अच्छी लगती हैं पर जब आप किनारे से लहरों के पास जाते हैं तो लहरें आपको समुद्र में खींचने का प्रयास करती हैं, जो इस स्किल को नहीं जानते वे समुद्र में अपनी जान दे देते हैं। आपको कितना पानी इस समुद्र से निकालना है, यह निश्चय कर लेना चाहिये। आप लोटा भरेंगे तो समुद्र को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर अगर बाल्टी भरने जायेंगे तो निश्चित ही समुद्र आपकी बाल्टी अपने साथ ले जायेगा, या फिर बाल्टी से पानी निकालने की कला में सिद्धहस्त होना पड़ेगा।
हम लोटा भरने में विश्वास रखते हैं, हर महीने अपनी कैपिटल का 2 से 4% रिस्क मैनेजमेंट के साथ निकालते हैं। जो कि साल का एवरेज लगभग 40% से ऊपर होता है, 40% प्रॉफिट कम नहीं होता, बस संयम रखना पड़ता है।
fno में लॉस ही होता है ऐसा है, यह एक हैज़ इंस्ट्रूमेंट है और इसलिये इसे fno एक साथ कहा जाता है, फ्यूचर और ऑप्शन बहुत कमाल की चीज है, अगर बारीकियों को सीख लिया जाये, वरना तो यह ऐसी तलवार है किधर भी चलाओ, खून आपका ही बहेगा।
सर ने बस ऐसे ही अपना fno का सफर जारी रखा और कई बार या ये कहना बेहतर होगा कि लगभग रोज ही अगले दिन का प्रिडिक्शन पूछते थे, जो उनकी ट्रेड के रिलेटेड होते थे, मैंने उनको उनकी गलतियों के बारे में समझाने की कोशिश करी, और कहा कि मैं आपकी ट्रेड नहीं सुधार सकता क्योंकि मेरा ट्रेड लेने का माइंडसेट अलग है, आपका अलग, पर वही नशा उनको समझने ही नहीं देता था, लॉस से प्रॉफिट में ट्रेड जाने की संभावना हमेशा तलाशते थे। फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने मेरे ग्रुप के कुछ और मित्रों को भी कॉल करना शुरू किया और ट्रेड पर बात करते थे, पर सबने यही समझाया कि ऐसे fno में काम नहीं किया जाता। पर उनको न समझना था, और न वे समझे।
कल जब मैंने उनका मैसेज व्हाट्सऐप पर देखा तो शाम को फोन किया और मैं यह जानकर शॉक्ड था कि उनका बचा हुआ सारा पैसा लगभग 60 लाख वे fno में गंवा चुके हैं। जबकि मैंने उन्हें कई बार कहा था कि सबसे पहले आप ये काम बंद करो, साइक्लोजी ठीक करिये, वे नहीं माने। अब उनके पास कैपिटल नहीं बचा और अपने रिटायरमेंट फंड, जो कि अलग से रखा है, उससे कुछ करना चाहते हैं, हमने कहा कि उस फ़ंड को हाथ ही न लगाना, नहीं तो आप सड़क पर आ जाओगे।
ये सब बताने का केवल यही मकसद है कि आप पहले सीखें, बाजार कहीं नहीं जा रहा, पर अगर नहीं सीखेंगे तो बर्बाद हो जायेंगे।
इस बार के अमेजन प्राइम डे में बेटेलाल के लिए नया फोन तो ले लिया। पुराने फोन के साथ एक्सचेंज ऑफर उपलब्ध तो थे, परंतु जब पेमेंट पेज पर आते थे तो लिखा हुआ आता था कि यह फोन बिना एक्सचेंज के आपके पिनकोड पर उपलब्ध है, मतलब कि बेंगलुरु में एक्सचेंज उपलब्ध नहीं था।
फिर हमने अमेजन कस्टमर केयर पर बात करी, पर समस्या का हल नहीं निकला, उन्होंने कहा कि यह कूरियर की प्रॉब्लम है। कूरियर वाले एक्सचेंज को सपोर्ट नहीं कर रहे है। हमने कई और पिन कोड पर एक्सचेंज के साथ डिलीवरी करने का ट्राई किया, तो लगभग सब जगह वही मैसेज हमें दिखाई दिया।
फोन लेना जरूरी था तो हमने ले लिया। फिर उसके बाद हम यह सोचने लगे अब इस पुराने फोन को कैसे ठिकाने लगाया जाए, क्योंकि कुछ ही दिनों में वह बेकार हो जाता फोन 6 वर्ष पुराना हो चुका था और बॉडी तथा स्क्रीन में थोड़ा डैमेज भी था।
इंटरनेट पर घूमते हुए हमें रिसाइकल डिवाइस कंपनी का पता चला और हमने ऑनलाइन पुराने फोन के डिटेल डाल दिये, जिसमें कि हमारे पुराने फोन की कीमत लगभग ₹3100 दिखा रहा था और अमेजॉन वाउचर लेने पर 10% एक्स्ट्रा दे रहा था तो लगभग हमें ₹3400 का एस्टीमेट मिला।
आज रीसाइकिल डिवाइस (recycledevice) से उनका बंदा आया और फोन चेक करने के बाद हमें बताया की बॉडी ज्यादा ही डैमेज है, इसके लिए हम टोटल ₹3000 दे पाएंगे हमने तत्काल ही हाँ कर दी और उन्होंने हमारा आधार कार्ड लिया और आधार कार्ड का ओटीपी भेजकर आधार कार्ड से वेरीफाई किया। हमने पूछा ऐसा क्यों कर रहे हो तब वे बोले रेगुलेटरी अथॉरिटी का नया फरमान है कि एक्सचेंज के समय ओरिजिनल मोबाइल का डब्बा, चार्जर मोबाइल के साथ लेना जरूरी है। यह कदम इसलिए है इससे चोरी का मोबाइल एक्सचेंज में नहीं जा सकेगा साथ ही सेकंड हैंड मार्केट में चोरी का मोबाइल कोई खरीद नहीं पाएगा।
तब हमें ध्यान आया कि फ्लिपकार्ट ने अब ओरिजिनल मोबाइल के डब्बे के साथ चार्जर भी लेना शुरू कर दिया है इसके बिना वह एक्सचेंज नहीं लेते।
हमने उनसे पूछा आप इस मोबाइल का आखिर करोगे क्या? तो वह बोले इसके अंदर के पार्ट्स जो सही सलामत हैं उसकी वैल्यू बहुत ज्यादा है, इसलिए हमें इसमें भी बहुत फायदा है।