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Iron Condor Adjustment

Iron Condor adjustment strategy कैसे बनायें

Iron Condor में adjustment करके हम अपनी risk बेहतर तरीके से manage करते हैं, यहाँ हमने may 2022 की expiry के strikes लिये हैं और यहाँ आप देख सकते हैं कि probability of profit 63% है। Iron Condor में एक ही समस्या है कि आपका Risk & Reward ratio बहुत ज्यादा है, अगर हम दो बार profit में रहते हैं और केवल एक बार loss करते हैं तो हमारा profit तो जायेगा ही साथ ही जेब का पैसा भी जायेगा।

अब हम देखेंगे कि इस Iron Condor में adjustments से कैसे अपने capital को protect करें। ध्यान रखें कि Adjustment के लिये हमें और पैसा चाहिये होगा, अगर आपके पास और capital नहीं है तो आपको अपनी positions को roll up या roll down करना होगा।

अगर Nifty तेज़ी से नीचे गिर रहा है तो यहाँ आप roll down कर सकते हैं, मतलब कि अपनी Call positions को और नीचे ले आयेंगे, वैसे ही अगर Nifty तेजी से बढ़ रहा है तो आप अपनी Put positions को ऊपर की ओर ले जायेंगे।

लेकिन जब हम कोई भी Strategy पर काम करते हैं, तो हमारे दिमाग़ में हमेशा ही adjustment strategy रहना चाहिये, यहाँ इस Iron condor में जब तक Nifty 16500 & 17700 के बीच में रहता है तो चिंता करने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि उस समय तक आपकी दोनों legs में आपको profit हो रहा होगा, Time Value decay के कारण। पर जैसे ही Nifty 17700 के ऊपर जाता है तो आप put की 16500 PE और 16000 PE positions को close करके और ऊपर की तरफ shift कर देंगे, मतलब कि 17000PE बेच देंगे और 16500 PE खरीद लेंगे।

अगर फिर भी Nifty continuous ऊपर की ओर जा रहा है, और 18200 Cross करने पर आ गया है तो आप 17000PE और 16500 PE position को और ऊपर shift करे देंगे। मतलब कि 17700PE & 17200PE। पर हमेशा ध्यान रखें कि हमें अपने Iron Condor को ITM याने कि In the money में जाने का इंतजार नहीं करना है। मतलब कि Adjustment 18200 के पहले ही कर लेना है, 18200 के cross करने का इंतजार नहीं करना है।और यहाँ Call के loss बुक करके और 300 या 500 strike ऊपर की position बना लेना है।

समस्या तब होती है जब Nifty जब थोड़ा ऊपर जाता है और हम अपनी position accordingly move करते हैं और फिर Nifty अगर crash कर दिया तो इसमें trap होने के chances ज्यादा होते हैं। इसके लिये हमें बाजार को मोटे तौर पर पढ़ना भी आना चाहिये, कि बाजार में क्या हो रहा है, जिससे उसकी range कितनी बढ़ सकती है और कितना move कर सकती है।

FII-Money-Outflow

भारत का पैसा विदेशों में क्यों जा रहा है?

भारतीय बाजारों से पैसा भारत के बाहर के बाजारों में जा रहा है। यह रकम बहुत बड़ी है।

सेकेंडरी मार्केट – बाजार में 3 बड़े निजी बैंक जो एडवाइजर का भी काम करते हैं, उनकी सलाह है कि अपने पोर्टफोलियो का 20% विदेशी बाजारों में लगायें, वहीं 3 वर्ष पूर्व उनकी सलाह 0% की थी।

प्राइवेट मार्केट – भारत से सैकड़ों स्टार्टअप विदेश जा रहे हैं। 

क्या असर पड़ेगा –

भारत $5 ट्रिलियन इकोनॉमी करना चाहता है किस्से भारत विश्व की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन जाये।

लेकिन भारत बहुत से मोर्चों पर असफल है, जैसे बढ़िया टैलेंट, कैपिटल, एंटरप्राइज, और यह एक बहुत बड़ी मुश्किल है।

हमारा सारा टेलेंट, पैसा और स्किल्स बाहर देशों में जा रहा है, उन देशों की इकोनॉमी को उन्नत, कुशल और समृद्ध बनाने में लगा हुआ है।

भारत के लिये यह सर से पानी गुजरने जैसा है और इस नकसीर को यहीं रोकना होगा, वरना तो बहुत देर हो चुकी होगी।

अमेरीका ही क्या कई अन्य देश व्यवस्थित ढंग से लालच देकर पूरे विश्व से अच्छे टैलेंट को चुरा रहे हैं। कितने ही अमेरीका के पॉपुलर पॉडकास्ट लगातार जॉब एक्ट, इमिग्रेशन एक्ट, स्पेशल परपज वीसा पर बातें करते हैं।

हो यह रहा है कि ये कुछ देश विश्व के हर कोने से टैलेंट को अपने यहाँ जगह दे रहे हैं, मतलब की पूरे विश्व के टैलेंट को चूस रहे हैं। भारत के बहुत ही गंभीरता से इस बारे में सोचना होगा और सबसे पहले टैलेंट को चिह्नित करके उनको अपने ही देश में अपने देश की उन्नति के लिये स्वीकार करना होगा। 

राष्ट्रवादी और कट्टर देशभक्त होकर अमेरिका पर ऊँगली उठाना बहुत आसान है कि अमेरिका हमारा पूरा टैलेंट चुरा कर ले जाता है। असली प्रश्न तो यह है कि – भारत ऐसा होने कैसे दे रहा है। गाँधी जी ने भी कहा था कि अगर आप किसी पर ऊँगली उठाते हो तो वो एक ही होती है, परंतु तीन ऊँगलियाँ ख़ुद की तरफ़ उठती हैं।

भारत से पैसा बाहर जाने से रोकने के लिये म्यूचुअल फंड जो कि विदेशी बाज़ारों में निवेश करते हैं उनकी विदेशी मुद्रा की लिमिट ख़त्म हो चुकी है और नया पैसा इस तरह के फंड्स विदेश नहीं जा पा रहे हैं। पर यक़ीन मानिये यह पैसा है, पैसा पानी जैसा होता है, अगर पैसे को बाहर जाना है तो वह अपने तरीक़े ढूँढ लेगा, और बाहर के बाज़ारों में बह जायेगा।

FII Fund Outflow from India

स्टार्टअप को स्केल अप करने के लिये बड़े फंड की ज़रूरत है पर भारत में बड़े बिज़नेस घराने इस तरफ़ बहुत ज़्यादा एक्टिव नहीं हैं। Web3 मीटिंग दिल्ली, बैंगलोर या मुंबई में नहीं हुई यह हुई दुबई में और इसमें 75% प्रतिभागी भारतीय थे बाक़ी के रशिया और यूरोप के थे। अधिकतर स्टार्टअप या तो दुबई में जा चुके हैं या जाने की प्रोसेस में हैं। Web3 इंटरनेट का अगला वर्शन कहा जा रहा है, और उसके लिये दुबई में इसका प्लेटफ़ॉर्म तैयार है जो कि डिसेंट्रलाईज होगा और ब्लॉकचैन पर चलेगा। जबकि भारत में स्टार्टअप अभी भारतीय सरकारी व्यवस्था और उनके नियामकों से जूझ ही रहे हैं, जहाँ नियम कभी भी बदल जाते हैं और उसका किसी को अता पता नहीं होता है। भारत में हर तरफ़ टैक्स की मार भी है।

दरअसल यह बदलाव शुरू हुआ है नवंबर 2021 से, जब क्रिप्टोकरंसी के लिये क्रिप्टो बिल में ज़्यादा टैक्स और कठिन नियमों के चलते दुबई या किसी और देश जा रहे हैं, अब प्रश्न यह नहीं होता है कि “क्या तुम जा रहे हो?” बल्कि प्रश्न होता है कि “कब जा रहे हो?”

स्टार्टअप जब काम करना शुरू करते हैं तो वे आधुनिक तकनीक पर काम करते हैं और वह तकनीक सरकारी अमले को समझाना लगभग असंभव ही होता है और स्टार्टअप को भारतीय नियमों में बँधकर काम करना होता है, जबकि वे तकनीक विश्व के लिये बना रहे होते हैं, जब स्टार्टअप शुरू होते हैं तो प्रोसेस में कई चीजें ऐसी होती हैं कि उन्हें भी नहीं पता होता कि उन चीजों के लिये भारत में सरकार से बार बार हर चीज के लिये परमीशन लेना होगा। अगर किसी ने डिजिटल एसेट्स का ही काम शुरू कर दिया तो उस पर भारत में 30% टैक्स हो और 1% टीडीएस भी। हर स्टार्टअप के अपने प्रोटोकॉल होते हैं और उन्हें ही पता नहीं होता है कि वाक़ई क्या लीगल है और क्या नहीं, आप कोई NFT का उपयोग करना चाहते हैं, या डिजिटल कॉइन लाँच करना चाहते हैं, यह सब तो स्टार्टअप शुरू करते समय पता नहीं होता है।

वैसे भी ऐसा क्यों हो रहा है तो आप ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है, अपने टीवी खोलकर सामने देख लीजिये, या फिर अख़बारों के मुख्य पेज ही देख लें, फिर शायद यह प्रश्न नहीं पूछें।

Learn Future and Optoins

Future & Options कैसे सीखें?

हमने पिछले एक ब्लॉग में लिखा था कि शेयर बाज़ार में कैसे सीखें?, आज हम बात करेंगे कि शेयर बाज़ार में Future & Options कैसे सीखें? Future & Options को short में FnO भी कहा जाता है। जो भी शेयर आपको FnO में मिलेंगे, साधारणतया: उनमें जबरदस्त price action देखने को मिलता है, आज 199 कंपनियों को शेयर FnO में trade hote हैं। इसे Derivatives भी कहा जाता है।

Future & Options के बारे में आपको नेट पर बहुत सारा ज्ञान उपलब्ध है, इसलिये हम उस पर बात नहीं करेंगे, अगर आपको जानना है तो कमेंट में बताइयेगा, हम उसे भी explain कर देंगे।

हमेशा ध्यान रखें कि Options के price Future से derive होते हैं, न कि spot के price से। अगर future का price, option के price से ज्यादा है, तो हम उसे कहते हैं कि यह Future premium पर चल रहा है, और अगर Future का price, Spot से कम चल रहा है तो उसे कहते हैं कि यह Future discount पर चल रहा है। अब दोनों का अलग अलग मतलब होता है, हमेशा ही Future अच्छी कंपनियों का premium पर मिलेगा, इसका मतलब यह समझ सकते हैं कि बाजार में उस Future की demand है। हमेशा FnO में काम करते समय ध्यान रखना चाहिये कि उसमें Liquidity हो।

Future में काम करना शेयर बाज़ार में डेरिंग बाज लोगों का काम होता है, इसमें Trader जितनी जल्दी पैसा कमा नहीं पाता है, उससे ज़्यादा जल्दी वह अपना शेयर बाज़ार में स्वाहा कर सकता है, यह एक wild animal जैसे financial instrument है, जिसे कोई भी सँभाल नहीं सकता। Future में काम तभी करना चाहिये जब आप शेयर बाजार की छोटी छोटी चीजों को अच्छे से समझते हों। Future में सीखने के लिये आपको पता होना चाहिये कि Premium, Discount, lot size, liquidity, spot से कैसे derive होता है?, Roll Over इत्यादि। Future में पैसा ज्यादा लगता है, Risk ज्यादा है, और Profit & Loss भी उसी अनुपात में होता है।

Options सीखने के लिये Future & Spot दोनों के behaviour को सीखना जरूरी है, chart reading आनी चाहिये। Options Price Movement, Options Greeks, Options Pricing Models, Margins, Open Interest and Option Chain, PCR.

Options Strategies –

Long Call, Long Put, Naked Call Writing, Naked Put Writing

Spread Strategies (Bull Call Spread, Bull Put Spread, Bear Call Spread, Bear Put Spread)

Straddles & Strangles (Long Straddle, Short Straddle, Long Strangle, Short Strangle)

Butterfly & Condor (Iron Butterfly, Iron Condor)

Covered Call Writing, Ratio Covered Call Writing

Protective Put, Collor

इन सबका आपको पता होना ही चाहिये, साथ ही अगर आपकी strategy गलत होती है तो Adjustments कैसे करना है।

ध्यान रखें कि FnO अगर बिना पढ़े, बिना सीखे काम करना शुरू कर दिया तो यह Mr Market आपका पूरा पैसा खा जायेगा। यह एक नशा है, इसलिये इस नशे से तब तक दूर रहें जब तक कि इसे ढंग से समझ न लें। Paper Trade करें और अपनी learning को परखें।

पैसा धैर्य और शांति से FnO में बनता है, पर यह money meditation है, जहाँ ध्यान चूका, वहीं आपका पैसा गया, आपको बैंक में 5-6% ब्याज वर्षभर का मिलता है, अगर आप FnO को ढंग से समझ लेते हैं, सीख लेते हैं तो आप 5-6% का return अपनी capital पर आराम से monthly निकाल सकते हैं। अगर आपको FnO पर और समझना हो, तो कमेंट में बताईयेगा, क्योंकि FnO एक बहुत बड़ा विषय है, हम समय समय पर इसके बारे में लिखते रहेंगे।

शेयर बाज़ार सीखने की शुरूआत कहाँ से करें ?

शेयर बाज़ार सीखने की शुरूआत कहाँ से करें ?

हर कोई शेयर बाज़ार के बारे में जानना चाहता है, हम कहते हैं कि पहले आप शेयर बाज़ार को सीख लें समझ लें और फिर इस क्षैत्र में अपने आप को आज़माये, वरना तो ये सीखने की बहुत महँगी फ़ीस लेता है। जैसे आपको इंजीनियर बनना होता है तो आप 4 वर्ष उसकी पढ़ाई करते हो, डॉक्टर बनना हो तो 5 वर्ष और कुछ करना हो तो 3 वर्ष तो कॉलेज के स्नातक में पढ़ते ही हो। बस बिल्कुल वैसे ही शेयर बाज़ार को सीखने के लिये आपको समय देना होगा, यह भी एक स्किल है जिसे सीखने के लिये आपको कम से कम 2 से 3 वर्ष का समय देना चाहिये, वह भी रोज़ के कम से कम 4-5 घंटे।

इसी चक्कर में लोगों को पता ही नहीं होता है कि शेयर बाज़ार सीखने की शुरूआतें कैसे करें? हम किसी sequence में नहीं सीखे, जैसे जैसे चीजें आती गईं हम सीखते गये, आज तो फिर भी ऑनलाइन बहुत से study material उपलब्ध है, बताने वाले YouTube पर उपलब्ध हैं। बस आपके मन में सीखने की तमन्ना होनी चाहिये बाकी तो आगे वक्त बतायेगा, जब तक कि आप confidently 2-3 वर्ष सीख न लें, तब तक बेहतर है कि शेयर बाजार में हाथ न डालें, बस paper trade ही करें, ये काम बहुत boring होता है, क्योंकि इसमें emotion नहीं होता, जब आपका पैसा किसी deal में लगा होता है, तभी आपका emotion उसमें लगता है और आप बेहतर तरीके से सीखते हैं।

शेयर बाज़ार सीखने के लिये सबसे पहले तो आप concept पढ़ें, कि शेयर क्या होता है? क्यों होता है? कैसे होता है? फिर उसके structure को सीखें, बाजार कैसे काम करता है, Regulator का रोल क्या होता है? Corporate Actions को समझें, जैसे कि Merger, Demerget, Dividend, Bonus etc., और भी बहुत सी basic बातें होती हैं जैसे कि Face Value, Split etc. यहाँ एक बात बता दें कि अगर fundamental investor / trader बनना है तो Balance Sheet, Management Quality, P & L Statement, Cashflow वगैरह व सबसे महत्वपूर्ण खबरों को पढ़ना सीखें। वहीं अगर Technical Investor/ trader बनना है तो Chart पढ़ना आना चाहिये उसके लिये आप candle पढ़ना सीखें, chart पढ़ना तभी सीखेंगे, Moving Average, EMA, MACD, OI, VWAP, AVWAP, Bollinger Band, Super Trend जैसे इंडिकेटर भी पढ़ना सीखें।

उसके बाद इन Indicators से कैसे trade लेते हैं, यह सीखना बेहद जरूरी हैं, बहुत सारी pre-defined methods हैं, अगर आपको अपनी method बनानी है तो आप खुद भी बना सकते हैं, बस यह समझ लीजिये कि ज्ञान पाने के पथ लंबा है। जब एक बार ये बेसिक चीजें सीख लें, फिर उसके बाद आप FnO याने कि Future & Option जी जाने का plan करें। FnO में क्या और कैसे सीखें, इस पर अगली पोस्ट होगी।

आपका कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।

Praveen Tambe

कौन प्रवीण ताँबे

कौन प्रवीण ताँबे फ़िल्म हम परिवार के साथ देख रहे थे, तो उसमें एक समय ऐसा बताया गया है कि प्रवीण रणजी की प्रेक्टिस दिन में करते थे और परिवार चलाने के लिेये रात में बार में वैटर का काम करते थे। एक दिन वहाँ वे पत्रकार आते हैं जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं, तो प्रवीण को अपने वैटर होने पर बहुत ही शर्म महसूस होती है और वह बाद में रोता हुआ भी दिखाया है।


इस पर बेटेलाल का कहना था कि इसमें शर्म की क्या बात है, प्रवीण कोई चोरी तो कर नहीं रहा और न ही कोई भीख माँग रहा है, प्रवीण तो शान से अपने परिवार के लिये पैसा कमा रहा है, और ये सब सेक्रिफाईज वो केवल अपने रणजी खेलने के लिये कर रहा है, जब प्रवीण को यह पता है तो उसे शर्म किस बात की करनी चाहिये, यह समझ नहीं आया। शर्म तो उन पत्रकारों को अपने बर्ताव पर आनी चाहिये और उन्हें प्रवीण की इज़्ज़त करनी चाहिये थी।

फ़िल्म में बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्हें गौर से समझने की ज़रूरत है, व्यक्ति जो सोचता है कि वह केवल इसी में comfortable है तो वह ग़लत हो जाता है और सफलता नहीं मिलती, क्योंकि वह अपनी ख़ुद की प्रतिभा को ही नहीं पहचानता, जैसा कि प्रवीण के साथ हुआ, वह ख़ुद को मीडियम पैसा बॉलर समझता था, पर कोच ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और कहा कि तुम लैग स्पिनर अच्छी करोगे, अपनी बॉलिंग बदलो, पहले प्रवीण ने कोच की बात नहीं मानी, पर जब ठोकर लगी तो प्रवीण ने नये जुनून से स्पिनर बॉलर की कला सीखी। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है, क्योंकि अपने आप में किसी एक समय के बाद बदलाव लाना वो भी बिल्कुल ABCD से बहुत मुश्किल होता है।

फ़िल्म बहुत अच्छी है, अगर न देखी हो तो ज़रूर देखें, अपने अंदर की कुछ कर गुजरने की आग कैसी होनी चाहिये, जुनून क्या होता है, यह देखने को मिलेगा। श्रैयस तलपा़ड़े का अभिनय ज़बरदस्त है, कई बार मेरी आँखों में आँसू आये, और उसके लिये उनका अभिनय ही ज़िम्मेदार है।

आपका मोबाईल लेने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है

जी हाँ मैं भी इस समाचार को पढ़कर चौंका कि यह क्या बात हो रही है, कि आपका मोबाईल लेने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है, बिल्कुल नहीं है, पर कहाँ ऐसा हो रहा है और क्यों ऐसा हो रहा है, यह जानने के लिये नम्मा बैंगलुरू के ट्विटर हैंडल पर ट्वीट था –

और वहाँ बैंगलोर पुलिस कमिश्नर ने न्यूज़ लॉंड्री की एक न्यूज़ पर ट्वीट किया था –

तो यहाँ पुलिस के लूटने के हैरतअंगेज़ क़िस्से समाचार में भी लिखे हैं और इस ट्वीट के रिप्लाई में भी कई लोगों ने बताया है कि पुलिस फ़ालतू में परेशान करके उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश में रहती है, नहीं तो मार पिटाई तक पर उतर आते हैं।

अगर आप बैंगलोर में हैं तो इस तरह के पुलिस वालों से बचकर रहें, ये ऊपर के पुलिस अधिकार याने कि Top Cop केवल ट्विट करेंगे, पर आपके पास उस समय मदद के लिये कोई नहीं होगा, जब आपको पुलिस से बचाने के लिये किसी की मदद की जरूरत होगी। और तो और कोई एवीडेंस भी नहीं होगा। अपनी सुरक्षा अपने हाथ, पुलिस के हाथ नहीं।

शेयर बाज़ार में टिप्स से नहीं सीखकर काम करिये

कई लोगों का मेरे INBOX में हमेशा यही मैसेज रहता है कि क्या टिप है, कुछ शेयर के नाम बता दीजीये, और कम ही लोग यह पूछते हैं कि शेयर बाज़ार को कैसे सीखें, समझें।


टिप पूछने वाले तो खैर अपने पैर पर ख़ुद ही कुल्हाड़ी मार रहे होते हैं, क्योंकि उनको ही नहीं पता है कि वे क्या ख़रीदने वाले हैं अपनी उस रक़म से जो कि उन्होंने दिन रात काम करके, परिवार के समय के साथ समझौता करके, किसी न किसी अपनी इच्छा को मारकर, किसी ऐसे व्यक्ति के कहने पर कहीं भी पैसा लगाने को तैयार रहते हैं जिन्हें वे मार्केट एक्सपर्ट समझते हैं। यहाँ शेयर बाज़ार में ऐसा कोई नहीं जो कि हमेशा ही लाभ में होता हो, सभी को घाटा होता है, यह भी एक व्यापार ही है।

बस हमें अपने लाभ को घाटे से ज़्यादा रखना होता है, तो हम शेयर बाज़ार में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। नहीं तो जो रक़म गाढ़ी कमाई की है उसे बाज़ार में आकर गँवा देंगे। बाज़ार में कोई भी एक्सपर्ट नहीं है, शेयर बाज़ार सर्वोपरि है, भगवान है, कब क्या हो जाये कोई भी प्रिडिक्ट नहीं कर सकता है।

मैं ख़ुद उतने वर्षों से बाज़ार में रहते हुए, सीखने के लिये लालायित रहता हूँ, जो तरकीबें आज से १० साल पहले काम करती थीं, वे अब काम नहीं करती, बाज़ार में काम करने का तरीक़ा, बाज़ार का ट्रेंड बदलता रहता है, और जब सीखेंगे तभी कुछ अच्छा कर पायेंगे।

बाज़ार को सीखने के लिये रोज़ समय देना होता है, मैं आज भी लगभग रोज़ २ घंटे बाज़ार को सीखने के विश्लेषण करने के देता हूँ, तभी आज थोड़ा बहुत सफल हो पाता हूँ। बाज़ार ऐसी जगह है जहाँ सभी तरह के लोग हैं कोई ट्रेडर है तो कोई निवेशक, सबकी अपनी अपनी ज़रूरत और सीखने की अपनी प्रक्रिया होती है। सीखना एक लंबी प्रक्रिया है, फिर उसे प्रेक्टिस करके, बैकटेस्ट करके ही कुछ सफलता हाथ लग सकती है।

अब तो यूट्यूब चैनल हैं सीखने के लिये, मैं अमूमन जब सीखता हूँ, तो मुझे १ घंटे के वीडियो को ख़त्म करने में ही ४ घंटे से ज़्यादा वक़्त लग जाता है, क्योंकि मैं साथ ही प्रैक्टिस भी करता जाता हूँ। शेयर बाज़ार जितना आसान है, उतना ही मुश्किल। बस एक बात अपनी जोखिम क्षमता को ज़रूर परख लें, और शेयर बाज़ार लत है, रोज़ ट्रेड नहीं करने की आदत भी डालनी चाहिये, मार्केट ट्रेंड के साथ कभी कभी ट्रेड करके अपने पैसे को मात्र ४-५ घंटे में १०-११ गुना भी बनाया जा सकता है, बस आपकी स्टडी अच्छी होनी चाहिये, और सबसे बड़ी बात कि अपनी स्टडी पर ख़ुद को ही कॉन्फ़िडेंस होना चाहिये।

पुनीत राजकुमार की असामयिक मृत्यु

कल कन्नड़ अभिनेता पुनीत राजकुमार की ह्रदयाघात से मृत्यु हो गई, उनकी उम्र केवल 46 वर्ष थी, मतलब कि बिल्कुल मेरी उम्र के थे। हालाँकि मैंने शायद उनकी एक ही फ़िल्म देखी थी, उनके भाई शिवा राजकुमार के साथ हमने बेटेलाल की एक फ़ोटो बैंगलोर एयरपोर्ट पर ली थी। कन्नड़ फ़िल्में न देखने के कारण हमें बहुत ज़्यादा कुछ पता नहीं हैं, परंतु एक बात देखी है कि दक्षिण भारत में अपने नेताओं के लिये ज़बरदस्त प्यार देखने को मिलता है, जिसकी मिसाल इसी बात से है कि कई अभिनेताओं व अभिनेत्रियों को राजगद्दी पर वर्षों तक बैठाये रखा।

कल जब बैंगलोर के फेसुबक पेज पर जहाँ कि पुनीत राजकुमार के बारे में जानकारी दी जा रही थी वहीँ कमेंट पढ़ रहा था, कई लोगों ने कमेंट में लिखा था कि वैक्सीन के बाद के साइड इफ़ेक्ट हैं, और वैक्सीन के बाद बहुत सी गंभीर बीमारियों का लोगों को सामना करना पड़ रहा है।वहीं मेरा मत भी यही है कि वैक्सीन लगने के बाद मेरे अपने ही कई परिचितों को मैंने खोया, इससे मैं कई दिनों तक टूटा रहा। वैक्सीन के इन साइड इफेक्टों की सरकार को या किसी स्वतंत्र एजेंसी को जाँच करनी चाहिये।

कल शाम को बाज़ार गये थे, तो वहाँ चौक पर पुनीत राजकुमार की फ़ोटो और कर्नाटक का झंडा शोक स्वरूप झुका रखा था। बैंगलोर में लगभग हर क्षैत्र में किसी एक चौक पर इवेंट के लिये जगह है, जहाँ लोकल लोग इकठ्ठे होकर कन्नड़ त्योहार मनाते हैं। वहीं आसपास अच्छे से सजाया भी जाता है। अब दो दिन बाद १ नवंबर को कर्नाटक राज्योत्सव है, जिसकी लगभग हर कंपनी में छुट्टी होती है उस दिन हर चौक पर सजाया जाता है, ऑटो टैक्सी पर फूलों की मालायें व उन पर कर्नाटक राज्य का झंडा लगाकर रैली भी निकालते हैं, साथ ही दिनभर ऐसे ही घूमते हैं। हमें भी अच्छा लगता है, क्योंकि इस तरह से त्योहारों को जब आनंददायक बनाया जायेगा, तब ही लोग इस तरह के इवेंट से जुड़ेंगे।

पुनीत राजकुमार की इस असामयिक मृत्यु पर हमें भी बहुत दुख हुआ, वे बहुत से ऐसे सामाजिक कार्यों में मदद करते थे, कई जगह चंदा देते थे, उनकी मदद से कई लोगों के जीवन चल रहे थे, वे अब अपने आपको अनाथ मान रहे हैं।

ज़िंदगी कितनी भी हो, छोटी या बड़ी बस उसका इंपेक्ट लोगों पर लंबे समय तक रहना चाहिये, वह भी अच्छे स्वरूप में, ऐसी कोशिश हर किसी को करनी चाहिये।

QNET कंपनी से बचकर रहें

QNET कंपनी का टाईम्स ऑफ इंडिया में दो दिन पहले ही पूरे मुख्य पेज का एक विज्ञापन आया था, मैं तो उस विज्ञापन को देखकर ही हतप्रभ था, कि फिर एक बड़ी पैसे घुमाने वाली कंपनी, उत्पादों के सहारे कैसे भारत में एक बड़ी एन्ट्री कर रही है। यह सब पौंजी स्कीम कहलाती है, जिसमें कि आपको कुछ लोगों को अपने नीचे लोगों को जोड़ना होता है, जिसके बदले आपको उन पैसों से कमीशन दिया जाता है जिन पैसों से वे लोग आपके नीचे उस कंपनी के लिये आपसे जुड़ते हैं। अगर उस कंपनी के उत्पाद भी देखेंगे तो आपको पता चल जायेगा कि यह कंपनी उत्पाद के लिये नहीं बल्कि सीधे सीधे मनी रोटेटिंग का काम मल्टी लेवल मार्केटिंग के सहारे कर रही है। Continue reading QNET कंपनी से बचकर रहें

मोर्निग सोशल नेटवर्किये

मोर्निग सोशल नेटवर्किये सुबह उठे और सोच रहे थे कि आज कुछ पुराने लेख जो क्रेडिट कार्ड और डेरिवेटिव पर लिख रहा था उन्हें पूरा लिख दूँगा, परंतु सुबह उठकर हमने मोबाईल हाथ में क्या ले लिया जुलम हो गया, फेसबुक और ट्विटर तो अपने अपडेट हमेशा ही करते रहते हैं, किस किस ने क्या क्या लिखा है और उनके मन में क्या विचार थे। दिल कह रहा था कि क्या टाईम पास लगा रखा है, अपना काम करो, परंतु मन जो था वो अपनी रफ्तार से भागता जा रहा था और कह रहा था नहीं पहले दूसरे के विचार पढ़ो और उनके स्टेटस पर अपनी टिप्पणी सटाओ। फिर दिनभर तो तुम्हें समय मिलने वाला है नहीं, रात को 9 बजे तो मुँह फटने लगता है। हम भी मन के बहकावे में आ गये और आज पूरी सुबह मोर्निग सोशल नेटवर्किये हो गये।

Morning Social Networker
Morning Social Networker

आजकल फेसबुक और ट्विटर पता नहीं कौन से वीडियो फार्मेट में दिखाते हैं कि नेट की रफ्तार कम हो या ज्यादा पर वीडियो अपने आप ही चलने लगता है। और अब वीडियो भी इस तरह के ही बनने लगे हैं कि आपको आवाज सुनने की जरूरत ही न पड़े, कुछ लोग या तो अपने एक्शन से ही समझा देते हैं या फिर वीडियो में टाइटल लगा देते हैं। अब बिना आवाज के वीडियो  भी देखा जाना मुझे वैसा ही जबरदस्त चमत्कार लगता है जैसा कि बिना आवाज के टीवी देखते थे कि किसी को पता नहीं चले हम टीवी देख रहे हैं, बस समस्या यह होती थी कि टीवी में रोशनी ज्यादा होती थी तो पूरे कमरे में अंधेरे में फिलिम जैसी दिखती थी और रोशनी कम ज्यादा होने से हमेशा ही पकड़े जाने की आशंका बनी रहती थी। पर मोबाइल में यह सुविधा आने से यह समस्या लगभग खत्म सी हो गई है।

अपना मोर्निग सोशल नेटवर्किये होने का भी एक कारण है कि अपने को सुबह ही समय मिल पाता है, बाकी दिनभर जीवन के दंद फंद चलते रहते हैं और हम उनमें ही उलझे रहते हैं। कई बार फेसबुक या ट्विटर पर कुछ अच्छे शेयर पढ़ने को मिल जाता है जो हमारी विचारधारा को बदल देता है, हमेशा ही निगाहें कुछ न कुछ ऐसा ढ़ूँढती रहती हैं कि पढ़ने पर या देखने पर कुछ ज्ञान बढ़े तो आत्मा को शांति भी मिल जाये। मोर्निग सोशल नेटवर्किये होने का एक और फायदा है कि हम विभिन्न विचारधारा के व्यक्तियों से जुड़े होते हैं और उनके विचारों में कई अच्छे तो कई बुरे होते हैं, उन विचारों के मंथन के लिये दिनभर हमें मिल जाता है।

मोर्निग सोशल नेटवर्किये होने का एक मुख्य नुकसान है कि हम हमारी तय की गई गतिविधि से भटक जाते हैं और हम कुछ और ही कर लेते हैं बाद में पछताते हैं कि हमने अपना बहुत सारा समय व्यर्थ ही गँवा दिया, काश कि हम मन पर थोड़ा संयम रख लेते तो हम अपने उस समय का अच्छा उपयोग कर लेते परंतु हम शायद ही मन से कभी जीत पायें, मन हमेशा ही दिल की बातों पर भारी होता है और हमेशा ही जीतता है।