इस बार महाकालेश्वर महाराज के दर्शन करने गये तो पता नहीं क्यूँ हृदय तीव्र क्रंदन करने लगा और महाकालेश्वर के पुराने स्वरूप याद आ गये। आज जो भी स्वरूप महाकाल का है वह इस प्रकार का है, जिससे लगता है कि यहाँ भक्त नहीं, अपराधी आते हों, जहाँ कैदियों को रखने वाली बड़ी बड़ी सलाखें और बेरीकेड्स लगाये गये हैं।
पहले महाकाल के आँगन में ही फ़ूल वाले अपनी दुकानें लगाते थे, जहाँ अब चारों और गलियारे बना दिये गये हैं और उन्हें सलाखों से पाट दिया गया है, कुछ गलियारे भक्तों के लिये काम आते थे तो कुछ पुजारियों और प्रशासन के, परंतु जबसे महाकालेश्वर मंदिर में मुख्य द्वार से प्रवेश बंद कर दिया गया है, तब से ये गलियारे भुतहे हो गये हैं, अकेले चलने पर इन गलियारों में डर लगने लगता है।
पिछले सिंहस्थ में महाकालेश्वर के दर्शन के लिये आये भक्तों के लिये प्रशासन ने एक बड़ा हॉल रूपी पिंजड़ा बनवाया और कम से कम ५०० मीटर चलने के लिये मजबूर कर दिया, अब टनल बना रहे हैं, फ़िर ये सब भी बेमानी हो जायेगा । महाकालेश्वर मंदिर पूर्ण तरह से व्यावसायिक स्थल बन चुका है, जहाँ महाकालेश्वर की भक्ति बिकती है, यह लिखते हुए हृदय में गहन वेदना हो रही है, परंतु सच्चाई कड़वी ही होती है और कभी ना कभी किसी ना किसी को लिखनी ही पड़ती है और सोचना पड़ती है।
महाकाल के सारे पंडे (जितने हमने देखे) धनलौलुप और ब्रोकर बन चुके हैं, महाकाल में प्रवेश द्वार से दर्शन तक ये ब्रोकर जगह जगह तरह तरह की बातें करते हैं, आईये पूजा करवा देते हैं, ऐसे लाईन में लगा रहने पड़ेगा, हमारे साथ आ जाईये १५ मिनिट में ही दर्शन हो जायेंगे और पूजन भी हो जायेगा। पंडे पूजा कराते कराते एक हाथ से मोबाईल पर ही दूसरे भक्तों से पूजा की बुकिंग भी कर रहे हैं।
पुलिस व्यवस्था में लगे कर्मियों में महाकाल का रौद्र रूप ही देखने को मिलता है, पता नहीं बाबा महाकाल अपना भोलेपन स्वरूप को कब इन्हें देंगे जिससे ये कर्मी दर्शनार्थियों से भोलेपन और सौम्य रूप से बात करेंगे।
विशेष दर्शन के लिये १५१ रूपये का प्रवेश शुल्क है, वहीं पर ये ब्रोकर मिल जाते हैं कि हम आपको सीधे गर्भगृह तक ले चलेंगे और पूजा और अभिषेक करवा देंगे, आप अपने १५१ रूपये इस ब्राह्मण को दान कर दीजियेगा। यह है महाकालेश्वर में भ्रष्टाचार, और यह सब वहाँ ड्य़ूटी कर रहे पुलिसकर्मी देखते रहते हैं।
बाहर इतने बेरीकेड्स लगा दिये गये हैं कि भक्त शिखर दर्शन से महरूम ही रह जाते हैं, महाकाल के दर्शन के बाद शिखर दर्शन करना चाहिये ऐसा कहा जाता है महाकाल बाबा के दर्शन से जितना पुण्य मिलता है, शिखर दर्शन से उसका आधा पुण्य मिलता है।
उज्जैन यात्रा, महाकाल बाबा की शाही सवारी के दर्शन…
वैसे इतने सारे धार्मिक स्थलों पर जाने के बाद यह तो समझ में आ गया कि भगवान सबसे बड़े भ्रष्टाचारियों और पापियों को अपने पास ही रखते हैं और ये पाखंडी अपने आप को भगवान के करीब पाकर धन्य होते हैं।
भक्त और दर्शनार्थी इन सबको नजरअंदाज करते हुए निकल जाते हैं जैसे भारत की जनता, सरकार को नजरअंदाज करते हुए निकल जाती है।
प्रशासन पता नहीं कब जागेगा और महाकालेश्वर के भक्त धन्य होंगे और मन में जिस श्रद्धा को लेकर आते हैं, उतनी ही श्रद्धा वापिस लेकर जायें, मन में असंतोष लेकर ना जायें।