कल ऑफिस से आते समय सोचा कि गाड़ी में पेट्रोल भरवा लिया जाये, पर कोहरा इतना जबरदस्त था कि जाने की इच्छा होते हुए भी सोचा कि कल सुबह पेट्रोल भरवा लिया जायेगा। और फिर नाईट्रोजन भी टायरों में चैक करवानी थी, और नाईट्रोजन के हवा वाला पंप केवल सुबह 9 से शाम 8 बजे तक खुलता है। इसलिये भी यह निर्णय लिया गया कि कल सुबह ही भरवा लिया जाये क्योंकि उस समय रात के 10 बज रहे थे।
सुबह तैयार होकर कुछ कागजों की स्पाइरल बाईंडिंग करवानी थी, तो उनको बाईंडिंग के लिये देकर पेट्रोल भरवाने के लिये चल पड़े, हाईवे की और पास में ही पेट्रोल पंप हैं, पर इस जयपुर हाईवे पर कब कितना समय लग जाये कह नहीं सकते इसलिये शहर के अंदर ही लगभग 3 किमी दूर पेट्रोल पंप पर ही हमेशा से पेट्रोल भरवाते हैं।
एच.पी. का पेट्रोल पंप हमें हमेशा से ही अच्छा लगता है, कारण पता नहीं परंतु हम शुरू से ही एच.पी. से पेट्रोल लेते आये हैं। हमने पेट्रोल पंप पर कहा कि पेट्रोल भरना, ये पेट्रोल गाड़ी है, कह देना ठीक होता है, उन्हें थोड़े ही ध्यान रहता है कि पेट्रोल गाड़ी है या डीजल, और हमने फ्यूल के ढक्कन पर लिखवा भी नहीं रखा है, फिर पेट्रोल भरने के पहले हमें 0 रीडिंग पढ़वा दी गई, और हम अपने बेटे के साथ बात में मस्त हो गये। थोड़ा समय ही बीता था कि देखा इतनी देर में तो 25 लीटर पेट्रोल भर सकता है, और अभी तक केवल 4.5 लीटर ही हुआ था, सो हमें कहा गया कि 300 रू. का करके फिर से शुरू करते हैं, कभी कभी मशीन धीरे चलती है, हमने कहा ठीक है, हम फिर से बेटेलाल से बात करने लग गये, फिर ध्यान आया कि कितना पेट्रोल भर गया है देख तो लें। देखा कि 900 रू. का भर चुका है, फिर लगभग 25.5 लीटर पेट्रोल भर गया फुल टैंक। हमने पूछा कि कितना बिल हुआ, हमें कहा गया कि 1900 रूपया हुआ, 300रू पहले का और 1600 रू. बाद का, हमने अपना HDFC Bank Credit Card स्वाईप करने को दे दिया।
इधर हम मन ही मन गणित कर रहे थे कि गाड़ी में लगभग 33-35 लीटर की टंकी है और पहले से ही पेट्रोल के कांटे के हिसाब से लगभग 7 लीटर पेट्रोल होगा तो इन्होंने 30 लीटर पेट्रोल कैसे भर दिया, पीछे लाईन लंबी थी, सो हमें कहा गया कि जब तक स्वाईप होकर आपका क्रेडिट कार्ड आता है, तब तक आप थोड़ा आगे हो जायें, हम गाड़ी लेकर वहीं पर नाईट्रोजन टायरों में चैक करवाने लगे, हमें पहले हाथ से बनाया हुआ बिल दिया, तो हमें शक हुआ, कि हमेशा तो ये लोग मशीन का बिल देते हैं, और हमारा मन ही मन गणित भी ठीक नहीं हो रहा था, सो हमने उनसे कहा कि मुझे तो मशीन का बिल ही चाहिये, जब मुझे मशीन का बिल दिया तो एक 300 रू. का और दूसरा 1605 रू. का था, हमने ध्यान से दोनों बिलों को देखा तो पेट्रोल पंप की लूट या कर्मचारियों की लूट समझ आ गई।
300 रू. के बिल पर समय अंकित था 10.26 और 1605 रू. के बिल पर 10.24, दोनों बिलों के अटेंडरों के नाम भी अलग थे, दोनों बिलों पर भरने वाली मशीन का आई.डी. भी होता है, वह भी अलग अलग था, इस विश्लेषण तक नाईट्रोजन भर चुकी थी, हमने गाड़ी रिवर्स करी, पार्किंग करके बेटेलाल को साथ लिया और मैनेजर के केबिन की और चल दिये, तो पता चला कि मैनेजर अभी तक आये नहीं हैं, वहाँ खड़े एक व्यक्ति ने कहा कि मैं सुपरवाईजर हूँ बताईये क्या समस्या है, उसे हमारी बात में तर्क लगा, उसने दोनों बिल ले लिये और पीछे हमारी गाड़ी का नंबर लिखा, हमने अपना मोबाईल नंबर भी लिखवाया और कहा कि मैनेजर से हमारी बात करवाईयेगा, उसने चुपचाप हमें 300 रू. नगद वापस कर दिये।
चाहते तो हम पेट्रोल पंप वाले को लंबा नाप सकते थे, परंतु हमने अपनी सतर्कता से अपनी मेहनत की कमाई को लुटने से बचा लिया। आप भी आगे से ध्यान रखियेगा कि कहीं आप भी तो ऐसी लूट का शिकार नहीं हो रहे हैं।