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त्रिफला जबरदस्त औषधि

त्रिफला जबरदस्त औषधि है, आयुर्वेद में लिखा है जो 10 साल तक त्रिफला लगातार ले लेता है। उसका कायाकल्प हो जाता है। हाँ इसके सेवन करने के तरीके मौसम के अनुसार बदल जाते हैं।

1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला 1:2:3 मात्रा वाला त्रिफला ही लेना चाहिये, हम अमेजन से मंगवाते हैं, लोकल में इधर अत्तार नहीं हैं। हमने थोड़े दिन पहले शुरू किया जबरदस्त फायदा है।

फायदे जो गिनाये जाते हैं वे इस प्रकार हैं –

एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।

दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।

तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।

चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है।

पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।

छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।

सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।

आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वृद्धाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।

नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है और सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।

दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है यानी गले में सरस्वती का वास हो जाता है

₹80 में नार्थ कर्नाटका थाली, जिसे जोलड़ा रोटी उटा भी कहते हैं।

लोग कहते हैं कि इधर सबसे सस्ती थाली मिलती है या उधर, पर मैंने बैंगलोर से सस्ती थाली कहीं नहीं खाई, मात्र ₹80 में नार्थ कर्नाटका थाली मिलती है, जिसे जोलड़ा रोटी उटा (oota) मील कहते हैं। oota का मतलब कन्नड़ में भोजन होता है।

इसमें पतली पतली ज्वार की 2 रोटी, 1 सब्जी, 1 दाल, चटपटी चटनी, स्प्रोउट सलाद, दही, चावल और सांभर मिलता है, साथ ही प्याज व तली हुई हरी मिर्च। सब्जी, दाल, चटनी व सांभर अनलिमिटेड होता है।

रोटी व चावल की मात्रा इतनी होती है कि आराम से एक व्यक्ति का पेट भर जाता है, क्योंकि चावल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, हम 2 लोग जाते हैं तो एक थाली का चावल लौटा ही देते हैं।

साथ ही अगर ज्वार रोटी और चाहिये तो भी ₹20 की और मिल जाती है। इन रेस्टोरेंट्स के नाम बसवेश्वरा काना वाली के नाम से होते हैं, कुछ ब्राह्मिन के नाम से भी होते हैं। पर जो स्वाद बसवेश्वरा रेस्टोरेंट्स में मिलता है, वह ब्राह्मिन में नहीं मिलता। हमारे घर के पास कम से कम 5-6 रेस्टोरेंट हैं। पर अधिकतर लोग इनको एक्सप्लोर ही नहीं कर पाते, क्योंकि उनको पता ही नहीं होता।

क्या आपके शहर में ₹80 में या इससे कम में थाली मिलती है?

#bengaluru

कानों का चक्कर

कई बार कान वही सुनते हैं जो सुनना चाहते हैं और इस चक्कर में कई बार गड़बड़ियां हो जाती हैं।

आज की गड़बड़ी बड़ी जबरदस्त रही, एक पारिवारिक आयोजन में जाना था। जिसकी डेट हमें आज की याद थी। पर मम्मी जी बोली कि बुधवार को जाना है और फिर तुरंत उन्होंने फोन लगाकर कंफर्म भी कर लिया।

हम गाड़ी धो रहे थे तब उन्होंने पूछा था कि आज गाड़ियां क्यों धो रहे हो तो हमने बोला कि आज वहां जाना है तो गाड़ी थोड़ी साफ सुथरी होगी तो अच्छा लगेगा।

अब जब बात हुई तब पता चला आयोजन आज नहीं चल ही है अपने ऊपर थोड़ा क्षोभ हुआ, सोचा कहीं बुढ़ा तो नहीं गए हैं या फिर अपने हिसाब से अपना मन अपनी बातें करने लगता है आजकल क्या हो गया है मुझे!

ऐसे ही अभी फ्लिपकार्ट मिनिट्स से ऑर्डर किया और तैयार होने के बाद पापाजी से पूछा समान आ गया क्या? वो बोले – नहीं आया। मैंने फिर एप्प पर देखा कि वाकई ऑर्डर हो भी गया था या नहीं, क्योंकि पेमेंट कन्फर्म होने के बाद मैंने मोबाईल का स्क्रीन बंद कर दिया था, देखा तो पता चला कि ऑर्डर तो हो गया है, पर फ्लिपकार्ट ने मिनिट्स का आधा घँटा कर दिया है। यह भी कन्फ्यूजन रहा।

हर शख्स के होते हैं कई चेहरे

कई बार सोचता हूँ जिनके बारे में ऐसा लगता है कि इनको मैं अच्छे से जानता हूँ, तो क्या सही लगता है?

जीवन का कोई एक पहलू नहीं होता, ऐसे ही चेहरे का, हर शख्स के होते हैं कई चेहरे, ऑफिस में किसी के सामने कुछ किसी ओर के सामने कुछ, बाहर कुछ, बाजार में कुछ, घर में पत्नी के सामने कुछ, माँ बाप के सामने कुछ, बच्चों के सामने कुछ।

शख्स एक ही है, पर वह दिखाता अलग अलग शख्सियत है। कहीं सीधा सादा, कहीं जालिम क्रूर, कहीं बेवकूफ, कहीं बुद्धिमान कहीं कमजोर, कहीं पागल प्रेमी, तो कहीं आज्ञाकारी।

बस ऐसे ही चोले ओढ़े जीवन बीतता जाता है, और ऐसे ही अपने आपको बड़ा आदमी समझते हुए एक दिन खुद को रहस्यमयी दिखाता हुआ,इस दुनिया से वह चल देता है।

भारत में लेबर लॉ लचर हैं

हमारे भारत में लेबर लॉ को और कड़ा करने की व कड़ाई से पालन करवाने की जरूरत है।

एक महीने में 3 मौतें हो चुकी हैं।

  1. एना सेबस्टियन EY
  2. सदफ फातिमा Hdfc Bank
  3. तरुण Bajaj Finance

और भी ऐसे कई केस होंगे जो पता ही नहीं चले
आजकल काम की जगहों पर स्ट्रेस इतना है, कि जान की कीमत बहुत सस्ती हो गई है।

तरुण वर्क प्रेशर के चलते 45 दिन सो नहीं पाया और अंततः आत्महत्या कर ली।

जीवन कठिन है, पर अगर वर्क प्रेशर है तो काम छोड़ दीजिये, पर अपने जीवन की हत्या न करें, कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा।

IIT Dhanbad के दलित का केस

IIT Dhanbad के दलित का जो केस आया है जिसमें वह समय से फीस जमा नहीं कर पाया और इस कारण उसे एडमिशन नहीं दिया गया तब वह कोर्ट के पास गया और कोर्ट ने आदेश दिया की इस नौजवान को एडमिशन दिया जाए।

उस नौजवान के परिवार ने फीस के लिए पूरे गांव से चंदा लिया, इंग्लिश में जिसे क्राउड फंडिंग कहा जाता है, फीस भी मात्र ₹17,000 थी, कोई ऐसा सिस्टम जरूर होना चाहिए कि ऐसा हम लोगों को भी पता चले और हम उनकी मदद कर पायें।

हम सोचते हैं हम मदद कर देंगे लेकिन हमें सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती और बहुत सारे टैलेंटेड बुद्धिमान नौजवान इन सब चीजों से महरूम रह जाते हैं।

हालांकि हमारा सिस्टम इस मामले में बहुत तेज होना चाहिए लेकिन लचर है, इसके लिए कोई तो प्लेटफार्म होना चाहिए जिससे की मदद एकदम से मिल पाए और केस genuine है यह भी साबित हो पाए।

क्यों हमारे राजनेता इन सब में आकर मदद नहीं करते? उनका सामाजिक दायित्व सबसे पहले बनता है। क्या वे जनता को पढ़ा लिखा नहीं देखना चाहते?

Limitless Review

Book – Limitless
Writer – Radhika Gupta

जब राधिका गुप्ता को मैंने पहली बार शार्क टैंक में देखा और आत्मविश्वास से भरपूर आवाज सुनी तो अच्छा लगा, फिर किसी पॉडकास्ट में सुन रहा था तो पता चला कि इन्होंने एक किताब भी लिखी है, पर इस पॉडकास्ट में राधिका नहीं थीं, किसी और ने इस किताब का नाम लिया था। सोचा चलो पढ़ते हैं, देखते हैं कि एक एंटरप्रेन्योर की यात्रा कैसी रही और उनके क्या अनुभव रहे।

हम किंडल पर पढ़ते हैं, किताब में अब वह फील नहीं आती, आदत की बात है।

किताब में बहुत ही अच्छे से कई महत्वपूर्ण चीजों को विस्तार में लिखा गया है, क्यों कुछ चीजें जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, डर सबको लगता है, पर जीत आपको ही पाना होगी। मुझे लगता था हो upenn से पढ़ा है, उसको कैसा डर, पर पता चला डर तो उसको भी था। जीवन में कभी कोई मौका न छोड़ना, आपको लग रहा है कि इतने सारे लोगों में मेरा ही क्यों होगा, पर हो सकता है कि वह मौका केवल आपके लिये ही हो।

रिजेक्शन, हर कोई रिजेक्ट होता है और उससे तकलीफ होती है, पर हार न मानकर बस आप गैंडे की खाल पहनकर परिस्थितियों का सामना करते जाओ, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। हाँ बचपन से अपने अंदर कोई न कोई एक शौक जरूर रखें और उस शौक को पैशन जैसा जीवन में रखें।

कितनी रिस्क कहाँ लेनी चाहिये, छोटी छोटी चीजें कैसे आपके लिये पावरफुल हो सकती हैं। हर बार दुनिया ही यही नहीं होती, आपको अपने लिये दुनिया को ठीक करना होता है।

नेटवर्किंग क्यों जरूरी है, इसके क्या फायदे होते हैं, इसके बारे में विस्तार से उदाहरणों के साथ लिखा है, जॉब क्यों बदलना चाहिये, पैसे के बारे में कैसे सोचना चाहिये, अगर आपको इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के हिसाब से पैसे कम मिलते हैं, तो भी कोई बात नहीं, जब तक कि आपको लगता है कि अब ज्यादा ही फायदा उठाया जा रहा है।

कैसे कुछ लोग वर्क लाइफ बेलेंस की जगह अब इंटीग्रेशन की बात कर रहे हैं, जिससे वे परिवार और ऑफिस के बीच सामंजस्य बनाये रख सकें।

मुझे लगता है कि उन चंद क़िताबों में से है, जिसे सभी लोगों को पढ़ना चाहिये, खासकर जो बच्चे अपनी प्रोफेशनल लाईफ शुरू करने जा रहे हैं।

सुपर शूज़ की लड़ाई में Nike आगे बढ़ी

सुपर शूज़ की लड़ाई में Nike आगे बढ़ी, और किप्टम ने Nike के डेव 163 प्रोटोटाइप पहनकर दौड़ते हुए मैराथन विश्व रिकॉर्ड तोड़ा।

अभी दो सप्ताह पहले, दौड़ की दुनिया में तब हड़कंप मच गया जब टाइगस्ट असेफा ने बर्लिन मैराथन में 2:11:53 के समय में महिला मैराथन विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। असेफा ने हाल ही में जारी एडिडास सुपर शू, एडिज़ेरो एडिओस इवो प्रो 1 पहनकर यह मैराथन दौड़ी थी। और उसके बाद असेफ़ा को गर्व से जूते को अपने सिर के ऊपर उठाते हुए और फिनिश लाइन पर चूमते हुए भी देखा गया था।

रेस से पहले उन्होंने कहा, ‘यह अब तक का सबसे हल्का रेसिंग जूता है जो मैंने पहना है।’ ‘उसे पहनकर दौड़ना एक अद्भुत अनुभव है – जैसा मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया।’

लेकिन अब, ठीक दो हफ्ते बाद, नाइकी ने पलटवार किया है। इस वीकेंड शिकागो मैराथन में, केल्विन किप्टम ने 2:00:35 टाइमिंग में पुरुषों के मैराथन रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

इन सुपर शूज में कार्बन की एक परत लगा दी गई है, जिससे ये शूज बेहद हल्के हो गये हैं और इसकी शुरुआत nike ने की थी, जिसे बाद में सभी कम्पनियों ने अपना लिया।

जीवन की भागदौड़

सुबह अलसाई थी, आँख खुलने के पहले ही अहसास था और बारिश की आवाज आ रही थी। बारिश की आवाज से ओर आलस आ गया, फ्रेश होने के बाद घूमने जाना मुश्किल था। पर पेट कभी मन की नहीं सुनता, न खाली होने पर और न ही खाली होने के लिये, दोनों ही स्थिति में पेट को प्रायोरिटी चाहिए। पेट ही हमारे जीवन का केंद्रबिंदु है। पेट कम हो तो कम क्यों है, ज्यादा हो तो कम कैसे करें। सारी बीमारियों की जड़ भी पेट ही है, खाना खाता मुँह है, पर सजा पेट को भुगतना पड़ती है। बेचारा पेट सुबह कराह रहा होता है, पर मुँह है कि मानता ही नहीं।

मानसिक तंद्रा भंग होने के बाद, जब ध्यान में बैठे, तो आजकल ज्यादा देर बैठते भी नहीं बन रहा। मन और विचार कम से कम 2 या 3 गुना तेजी से चल रहे हैं जैसे प्लेयर पर बटन होता है ff1, ff2, या 1.5x, 2x etc बस मन और दिमाग भागे ही जा रहा है, जो रफ्तार जीवन ने पकड़ी है, उस रफ्तार पर ध्यान नहीं होता। ध्यान करने के लिये सहज होना होता है, और सहज स्थिति प्राप्त तभी होगी जब हम प्राकृति के तय समयानुसार अपने जीवनचक्र पर चलें।

एक साथ कई काम करना भी एक मजबूरी ही है, दिमाग अभी 3 अलग अलग तरह से बंटकर काम कर रहा था, तभी फोन बजा और एक चौथा स्थान उसने बना लिया। सभी को अपने कार्य प्रायोरिटी पर चाहिये। ऐसे ही कल जब प्रेशर में कुछ डॉक्यूमेंट रिव्यू के लिये आये तो तुनककर इतने अच्छे से रिव्यू किये कि अब वापिस रिव्यू के लिये शायद ही मुझे डॉक्यूमेंट भेजेंगे। काम तो सभी को परफेक्ट चाहिये, पर दूसरे से, अगर कोई दूसरा उसमें ढ़ेर गलती निकाल दे तो मुँह छोटा कर लेते हैं।

खैर जब एक कड़वी कॉफी पी, तभी जाकर थोड़ा दिमाग रिसेट हुआ है, अब लंच के बाद आज की आगे की लड़ाई, वो अलग बात है कि हम लंच नहीं करते।

पुराना मोबाईल कैसे बेचें, अब एक्सचेंज बंद है।

इस बार के अमेजन प्राइम डे में बेटेलाल के लिए नया फोन तो ले लिया। पुराने फोन के साथ एक्सचेंज ऑफर उपलब्ध तो थे, परंतु जब पेमेंट पेज पर आते थे तो लिखा हुआ आता था कि यह फोन बिना एक्सचेंज के आपके पिनकोड पर उपलब्ध है, मतलब कि बेंगलुरु में एक्सचेंज उपलब्ध नहीं था।

फिर हमने अमेजन कस्टमर केयर पर बात करी, पर समस्या का हल नहीं निकला, उन्होंने कहा कि यह कूरियर की प्रॉब्लम है। कूरियर वाले एक्सचेंज को सपोर्ट नहीं कर रहे है। हमने कई और पिन कोड पर एक्सचेंज के साथ डिलीवरी करने का ट्राई किया, तो लगभग सब जगह वही मैसेज हमें दिखाई दिया।

फोन लेना जरूरी था तो हमने ले लिया। फिर उसके बाद हम यह सोचने लगे अब इस पुराने फोन को कैसे ठिकाने लगाया जाए, क्योंकि कुछ ही दिनों में वह बेकार हो जाता फोन 6 वर्ष पुराना हो चुका था और बॉडी तथा स्क्रीन में थोड़ा डैमेज भी था।

इंटरनेट पर घूमते हुए हमें रिसाइकल डिवाइस कंपनी का पता चला और हमने ऑनलाइन पुराने फोन के डिटेल डाल दिये, जिसमें कि हमारे पुराने फोन की कीमत लगभग ₹3100 दिखा रहा था और अमेजॉन वाउचर लेने पर 10% एक्स्ट्रा दे रहा था तो लगभग हमें ₹3400 का एस्टीमेट मिला।

आज रीसाइकिल डिवाइस (recycledevice) से उनका बंदा आया और फोन चेक करने के बाद हमें बताया की बॉडी ज्यादा ही डैमेज है, इसके लिए हम टोटल ₹3000 दे पाएंगे हमने तत्काल ही हाँ कर दी और उन्होंने हमारा आधार कार्ड लिया और आधार कार्ड का ओटीपी भेजकर आधार कार्ड से वेरीफाई किया। हमने पूछा ऐसा क्यों कर रहे हो तब वे बोले रेगुलेटरी अथॉरिटी का नया फरमान है कि एक्सचेंज के समय ओरिजिनल मोबाइल का डब्बा, चार्जर मोबाइल के साथ लेना जरूरी है। यह कदम इसलिए है इससे चोरी का मोबाइल एक्सचेंज में नहीं जा सकेगा साथ ही सेकंड हैंड मार्केट में चोरी का मोबाइल कोई खरीद नहीं पाएगा।

तब हमें ध्यान आया कि फ्लिपकार्ट ने अब ओरिजिनल मोबाइल के डब्बे के साथ चार्जर भी लेना शुरू कर दिया है इसके बिना वह एक्सचेंज नहीं लेते।

हमने उनसे पूछा आप इस मोबाइल का आखिर करोगे क्या? तो वह बोले इसके अंदर के पार्ट्स जो सही सलामत हैं उसकी वैल्यू बहुत ज्यादा है, इसलिए हमें इसमें भी बहुत फायदा है।