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टीपीए क्या होता है, मेडिक्लेम में टीपीए के इंटिमेशन को लेकर नियामक की खामियाँ या उच्च स्तर की मिलीभगत (What is TPA ? Intimation related problem with TPA)

रमेश और टी.पी.ए. के बारे में पहले की पोस्ट यहाँ चटका लगाकर पढ़िये।

टीपीए कौन सा हो, यह जानना भी जरुरी है मेडिक्लेम लेते समय, बीमा नियामक की लगाम भी जरुरी है टीपीए पर (Choose right TPA for Claim Settelment)

इस लेख पर डॉ. महेश सिन्हाजी ने पूछा था कि टीपीए क्या होता है ?
    टीपीए याने कि थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर, जो कि बीमा कंपनियों से संबद्ध रहते हैं, और बीमा दावे से भुगतान तक की प्रक्रिया को निपटाते हैं। जैसे कि अगर किसी सरकारी या गैर सरकारी कंपनी से मेडिक्लेम लिया तो उसके दावे और भुगतान के लिये दो प्रक्रियाएँ हैं –
१. बीमा कंपनी का खुद का टीपीए हो, याने कि आंतरिक टीपीए, बीमा कंपनी खुद ही दावे और भुगतान की प्रक्रिया निपटाये।
२. बीमा कंपनी आईआरडीए से अधिकृत टीपीए को यह कार्य दे दे, जैसे ही मेडिक्लेम लिया तो पॉलिसी में ही टीपीए का नाम और उसके प्रधान कार्यालय का नाम पता आता है, साथ ही कैशलेस कार्ड के पीछे टीपीए का स्थानीय कार्यालय का पता, फ़ोन नं. और फ़ेक्स की जानकारी होती है।
    यानि कि जिस बीमा कंपनी से आपने मेडिक्लेम लिया उसकी जिम्मेदार पॉलिसी आपको देने के बाद खत्म और वह चाहकर भी बीमित की मदद नहीं कर सकती।
    आईआरडीए के अंतर्जाल पर टीपीए की सूची भी मिलती है, ज्यादा जानकारी के लिये आप टीपीए सूची पर चटका लगाकर देख सकते हैं।
 
अब पिछली पोस्ट से आगे –
    रमेश ने फ़िर सप्ताह भर इंतजार करने के बाद वापिस से टीपीए को फ़ोन लगाया कि हमारे स्वास्थ्य बीमा भुगतान का क्या हुआ और हमें चैक कब तक मिलेगा। टीपीए के कार्यालय से जबाब मिला कि आपने बीमार होने पर हमें याने कि टीपीए को इसकी जानकारी (Intimation) नहीं दी थी, इसलिये आपका दावा रिजेक्ट कर दिया गया है। तब टीपीए को बताया गया कि हमने आपके दिये हुए फ़ैक्स नंबर पर २४ घंटों के अंदर ही इंटीमेशन फ़ैक्स कर दी थी और बाद में आपके कार्यालय में इंटीमेशन की एक प्रति स्पीडपोस्ट से भी भेजी है, साथ ही सरकारी बीमा कंपनी को भी इंटीमेशन दी है।
    पर टीपीए कार्यालय से जबाब मिला कि हमें आपकी तरफ़ से कोई फ़ैक्स नहीं मिला और न ही कोई स्पीड पोस्ट, तो रमेश ने उन्हें बताया कि हमारे पास फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट है, जो कि वापिस से आपको फ़ैक्स कर रहे हैं, तो पता चला कि टीपीए कार्यालय ने वह फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट भी मानने से इंकार कर दिया क्योंकि उस ओके रिपोर्ट पर टीपीए कार्यालय का फ़ैक्स नंबर प्रिंट नहीं था, तो रमेश ने उनसे कहा कि अभी जो ओके रिपोर्ट की ओके रिपोर्ट आयी है उसमें भी आपका फ़ैक्स नंबर नहीं है। अब टीपीए ने बोला कि आप साबित कीजिये कि आपने हमें इंटीमेशन दी थी, तो रमेश ने अपनी बीमा कंपनी में बात की तो वहाँ से बताया गया कि उन्होंने भी इंटीमेशन फ़ैक्स की है और कभी भी टीपीए को किये गये फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट में कभी भी उनका फ़ैक्स नंबर नहीं आता है,टीपीए ने फ़ैक्स मशीन में ही कोई गड़बड़ी कर रखी है, और साथ ही जो प्रति रमेश ने बीमा कंपनी को भेजी थी वो उनके आवक रजिस्टर में चढ़ी हुई है, और साथ ही बीमा कंपनी ने भी स्पीड पोस्ट से टीपीए को जानकारी (Intimation) भेजी है, जो कि उनके जावक रजिस्टर में चढ़ी हुई है।
    जब टीपीए कार्यालय को यह जानकारी दी गई तो वहाँ से कहा गया कि इंटिमेशन की कॉपी जो कि बीमा कंपनी ने प्राप्त की थी, उनके सील और साईन के साथ वाली इंटीमेशन की कॉपी फ़ैक्स करिये और एक फ़ोटोकॉपी स्पीडपोस्ट के द्वारा भेजिये। फ़ैक्स करने के बाद टीपीए कार्यालय से फ़ोन करके पक्का कर लिया कि फ़ैक्स मिल गया है और बीमा कंपनी द्वारा भी अधिकारी अधिकृत पत्र उनको भेजा जा रहा है।
    इसी बीच रमेश ने टीपीए को इंटिमेशन के बारे में टीपीए और आईआरडीए से जानकारी ली तो बहुत सी खामियाँ नजर आईं।
 
    टीपीए को इंटिमेशन – टीपीए के स्थानीय कार्यालय आपातकाल की स्थिती में २४ घंटों के अंदर इंटिमेशन फ़ैक्स करना होता है और फ़िर फ़ोन पर इस बाबद पक्का कर लिया जाये कि उन्हें इंटिमेशन मिल गई है। अगर पहले से ही किसी चिकित्सा को प्लॉन किया गया है तो भर्ती करने के पहले टीपीए को इंटिमेशन देकर स्वीकृति ले ली जाये।
 
    खामियाँ – जब रमेश ने टीपीए से पूछा कि हमने आपको इंटिमेशन दी पर हमें इसकी प्राप्ति रसीद नहीं मिली और फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट पर भी आपका फ़ैक्स नंबर नहीं है, दो महीने बाद जब हम भुगतान के लिये दावा करेंगे तो आप इंटिमेशन न करने को लेकर हमारा केस रिजेक्ट कर सकते हैं और इंटिमेशन दिया है इसे साबित करने को कह सकते हैं। जब उनसे इस बाबत जबाब मांगा गया तो कार्यालय का जबाब था कि प्राप्ति की रसीद का कोई प्रावधान नहीं है। फ़िर रमेश ने उनसे टीपीए में उनसे संबद्ध उच्च अधिकारी का फ़ोन नंबर मांगा ताकि इस स्थिती को स्पष्ट किया जा सके परंतु टीपीए कार्यालय ने किसी भी उच्च अधिकारी का नंबर देने से मना कर दिया।
    रमेश ने हैदराबाद स्थित आईआरडीए कार्यालय को फ़ोन किया और उनके अधिकारियों से टीपीए को इंटीमेशन के संबंध में जानकारी चाही गई तो उनके भी हाथ बंधे हुए ही नजर आये, वहाँ से भी यही जबाब मिला कि आपके पास फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट और कूरियर या स्पीड पोस्ट की रसीद रखना चाहिये। उन्हें कहा गया कि फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट में टीपीए का फ़ैक्स नंबर नहीं आता है, तो आईआरडीए के अधिकारी कुछ भी कहने की स्थिती में नहीं थे। और कूरियर और स्पीडपोस्ट से इंटीमेशन में टीपीए यह कहकर क्लेम रिजेक्ट कर सकता है कि २४ घंटों के अंदर सूचित नहीं किया गया, इस पर भी आईआरडीए के अधिकारी कुछ भी कहने की स्थिती में नहीं थे, बस इतना ही कहा गया कि हम इसमें आपकी कोई सहायता नहीं कर सकते हैं, इसके लिये आपको संबद्ध बीमा लोकापाल से संपर्क करना होगा।
    मेडिक्लेम के लिये बीमा कंपनियाँ इतने रुपये लेती हैं परंतु टीपीए के लिये आईआरडीए का कोई भी दिशा निर्देश साफ़ नहीं है, या तो काफ़ी उच्च स्तर पर मिलीभगत है या फ़िर आईआरडीए और बीमा कंपनियों को यह साफ़ नहीं है कि टीपीए के लिये क्या दिशा निर्देश होना चाहिये। बीमा लोकापाल को या नियामक को टीपीए से संबंधित दिशा निर्देशों पर ध्यान देकर इन कमजोरियों को दूर किया जाना चाहिये।
    यहाँ पर टीपीए है हैरिटेज हैल्थ प्राईवेट लिमिटेड, कोलकाता और बीमा कंपनी है यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स।
    अब भी अगर कुछ नहीं होता है तो रमेश इस गंदे सिस्टम से लड़ाई का मन बना चुका है, जिसके तहत पहले वह बीमा लोकापाल, भोपाल में शिकायत दर्ज करवायेगा और फ़िर एक इस संबद्ध में जनहित याचिका।

टीपीए कौन सा हो, यह जानना भी जरुरी है मेडिक्लेम लेते समय, बीमा नियामक की लगाम भी जरुरी है टीपीए पर (Choose right TPA for Claim Settelment)

    रमेश ने मेडिक्लेम ले लिया और खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित महसूस करने लगा, टीपीए क्या होता है, कौन सा टीपीए होना चाहिये, यह सब न उनको उनके बीमा एजेन्ट ने बताया न उन्होंने जानने की कोशिश की, उन्हें लगा व्यक्तिगत मेडिक्लेम से अच्छा फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम पॉलिसी अच्छी है।

    रमेश का सोचना बिल्कुल सही है कि फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम पॉलिसी अच्छी है, क्योंकि उस बीमा राशि का उपयोग परिवार का कोई भी व्यक्ति कर सकता है। और फ़ैमिली फ़्लोटर में कैशलेस स्कीम ली जिसके लिये उन्होंने कुछ ज्यादा प्रीमियम भी दिया, कि जब भी आपात स्थिती आयेगी तो कम से कम उन्हें अपनी जेब से भुगतान नहीं करना होगा।

    एक दिन रमेश को कुछ समस्या हुई, और उन्हें आपात स्थिती मॆं अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, रमेश ने अपने टीपीए को २४ घंटे के अंदर ही खबर कर दी परंतु उनके टीपीए ने कैशलेस का फ़ायदा देने से इंकार कर दिया, वह भी बिना कारण बताये। रमेश को कहा गया कि आप अभी अपने खर्चे पर इलाज करवाईये और बाद में क्लेम करिये, तब भुगतान कर दिया जायेगा। रमेश विकट परिस्थिती में फ़ँस चुका था, क्योंकि ये टीपीए  वाला झंझट उसे पता ही नहीं था, और उसके पास उतना नगद भी नहीं था, पर जैसे तैसे करके उसने इलाज के लिये नकद जुटा लिया और इलाज करवा लिया।

    पॉलिसी के नियमानुसार उन्होंने निर्धारित समय में सारे कागजात उन्होंने टीपीए को भेज दिये और अपने क्लेम के भुगतान का इंतजार करने लगे, पर उनकी राह शायद उतनी आसान नहीं थी। टीपीए से क्लेम का भुगतान १५ से ४५ दिन में हो जाना चाहिये जो कि आई.आर.डी.ए. का नियम है, परंतु बहुत ही कम क्लेम में ऐसा होता है। साधारणतया: टीपीए द्वारा बहुत परेशान किया जाता है या फ़िर क्लेम का भूगतान देने से मना कर दिया जाता है या फ़िर क्लेम भुगतान में बहुत सारी चीजों का भुगतान रोक दिया जाता है।

    रमेश को कागजात जमा करवाये लगभग डेढ़ महीना गुजर गया परंतु क्लेम का भुगतान नहीं आया और न ही टीपीए की तरफ़ से कोई जानकारी का पत्र कि उन्हें कोई जानकारी चाहिये या देरी होने की वजह । रमेश ने अपने एजेन्ट से बात की तो उसने भी हाथ खड़े कर दिये, क्योंकि एजेन्ट के हाथ में भी कुछ नहीं था, क्लेम तो टीपीए को पास करना था। रमेश ने टीपीए के फ़ोन नंबर हासिल किये और संपर्क साधा, तो पता चला कि फ़ाईल अभी डॉक्टर के पास से ही नहीं आयी है, उन्हें एक सप्ताह का इंतजार करने को कहा गया, और बताया गया कि अगर उन्हें किसी कागजात की जरुरत होगी तो बता दिया जायेगा।

    टी.पी.ए. से ४५ दिन बाद रमेश को यह जबाब मिला है, उनकी मुश्किलों का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है, परंतु उन्होंने इस विषय में बीमा कंपनी के प्रबंधक से बात की, तो प्रबंधक ने उन्हें बताया कि व्यक्तिगत मेडिक्लेम में इनहाऊस टीपीए होता है तो क्लेम का भुगतान १५-३० दिन में ही हो जाता है और चूँकि यह लोकल होता है तो बीमाधारक बीमा कंपनी में जाकर पूछताछ कर सकता है और प्रगति की जानकारी ले सकता है।

    आईआरडीए ने बहुत सारी कंपनियों को टीपीए का लाईसेंस दिये हैं और आप अपना बीमा करवाने से पहले यह जान लें कि कौन सी टीपीए अच्छा है जो कि क्लेम का भुगतान समय पर करता है, तो आप अपना टीपीए खुद भी चुन सकते हैं, पर अच्छा यही होगा कि बीमा कंपनी और बीमा प्लॉन चुनते समय  देख लें अगर इनहाऊस टीपीए है तो बहुत ही अच्छा है, इनहाऊस टीपीए वाली कुछ कंपनियाँ आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, स्टार हेल्थकेयर इत्यादि। जिससे आप मेडिक्लेम से सुरक्षित भी रहें और क्लेम का भुगतान भी समय पर मिले।

    अब अगली बार जब भी मेडिक्लेम का नवीनीकरण करवायें तब इस संदर्भ में पूरी जानकारी प्राप्त करें और उचित बीमा कंपनी से उचित बीमा लें, कौन सा बीमा लेना है यह सबकी अपनी अपनी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

    वैसे सरकारी बीमा कंपनियाँ टीपीए का विरोध कर रही हैं, क्योंकि बीमा कंपनियाँ केवल बीमा जारी करने तक की प्रक्रिया में ही शामिल होती हैं, कब क्लेम किया गया और कब उसका भुगतान कर दिया गया यह उनको पता बाद में चलता है जब टीपीए से क्लेम भुगतान का पत्र बीमा कंपनियों के पास पहुँचता है। ये टीपीए कंपनियाँ, इसके पीछे बहुत बड़ा खेल चला रही हैं, और बीमा कंपनियों को करोड़ों का चूना भी लगा रही हैं, मेडिक्लेम बीमा के क्षेत्र में बीमा कंपनियाँ इसी कारण से ३००% की हानि में हैं, बीमा नियामकों को इस तरफ़ ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है, नहीं तो जल्दी ही बीमा कंपनियाँ मेडिक्लेम करने से कतराने लगेंगी।