आज कई फेसबुकवीरों को भद्दे वाक्य कहते सुन रहा हूँ, कि तुम तो कुत्तों की मौत मरोगे, कीड़े की मौत मरोगे, कांग्रेसी हो, अरे भई सबका अपना मत है। भले आप कितना चाहो पर सीमा पर लड़ाई करने की अपनी एक क्वालिफिकेशन है, जो तुम्हारे पास नहीं है, तुम्हारी क्वालीफिकेशन नहीं होने के कारण ही तो तुम जो हो, वही काम कर रहे हो।
ये बंदूकें बहुत रोमांच पैदा करती हैं, जब २४ घंटे ३६५ दिन जब सैनिक बिना थके अपनी ड्यूटी करता है, तो वे सारे हालात उस सैनिक को ही पता होते हैं। कुर्सी पर टिककर ८ घंटे बैठ नहीं सकते, औऱ चले हैं सीमा पार युद्ध करने की बात करने।
सैनिकों को तपाकर सीमा पर लड़ाई के लिये तैयार किया जाता है, यह मैंने सीधे NCC के आर्मी अटैचमैंट कैंप में देखा था, ग्रेनेडियर्स के साथ बहुत कुछ सीखऩे का मौका मिला था। इन फेसबुक वीरों को ग्रेनेडियर्स क्या होता है औऱ उनकी रेजीमेंट ने कितने परमवीर चक्र जीते हैं, क्यों उनको इतने परमवीर चक्र मिले, ये सब पता नहीं होगा।
बस इनको तो उचकने से मतलब है, युद्ध उन्माद है, और हर क्षैत्र में तबाही लाता है, केवल एक दिन का युद्ध पूरे राष्ट्र को दस वर्ष पीछे ले जाता है। सोशल मीडिया के दौर में यह देखने को मिल रहा है कि जनता सरकार के ऊपर युद्ध थोपना चाह रही है। और उस युद्ध से न पाकिस्तान खत्म होगा न नेस्तनाबूद होगा, केवल दोनों पक्षों का भारी नुक्सान होगा, औऱ चीन चुपचाप नहीं बैठा रहेगा, उसका भारी निवेश पाकिस्तान में है व हम भी चीन से एक सीमा पर सामना करते हैं।
उऩ्माद में मत आईय़े, बहकाने में न आईय़े, अपनी अक्ल लगाईये, सरकार और सेना को अपना काम करने दीजिये। आपसी संबंध मधुर रखिये। यह पोस्ट केवल इसलिये लिखी गई है कि आप अपने दोस्तों से युद्ध न करिये, क्योंकि आपको सीमा पर लड़ाई का मौका नहीं मिल रहा है।