कल एक मित्र ने फेसबुक पर कहा कि आजकल फिर से ब्लॉग लिखना बंद कर दिया, दरअसल यह शिकायत बहुत से लोगों की है, मैं पहले अपने अनुभव या कुछ चिंतन मनन करता रहता था, लिख देता हूँ, पर यह सब आज नहीं हो पा रहा है। ऐसा नहीं कि प्रक्रिया स्थगित हो गई है, इसके पीछे केवल और केवल मेरी थोड़ा सा आलसीपन है। इस आलसीपन को भगाने के लिये मैंने अपने ट्रेड भी शेयर करना शुरू किया था, परंतु सुबह 9 से शाम 9 बजे तक कंप्यूटर में आँखें गढ़ाये इतनी थकान हो जाती है कि उसके बाद और उसके पहले कुछ भी कंप्यूटर पर करने की इच्छा ही नहीं होती।
ब्लॉग पर लिखना एक शांत दिमाग से होता है, जब तक दिमाग अशांत है लिखना मुश्किल हो जाता है, बहुत दिनों से कोशिश भी कर रहा हूँ कि अब नियमित रहूँ, परंतु केवल इसी चक्कर में ब्लॉग लेखन व साथ ही यूट्यूब चैनल पर भी कंटेंट नहीं डाल पा रहा हूँ, अब फिर से कोशिश करेंगे, वो एक कविता भी है कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
आजकल दिमाग कहीं न कहीं किसी न किसी चक्रव्यूह को तोड़ने में ही फँसा रहता है, दिमाग भी इन जालों को समझ समझकर तोड़ने में थक तो जाता ही है। और ब्लॉग लिखना या कुछ भी अपने मन को लिखना हमेशा ही सुकून देता है, ऐसा लगता ही नहीं कि हम कोई काम कर रहे हैं, बल्कि यह थकान मिटाता है तथा अपने आपको ऊर्जा से भरने वाला भी होता है। कि हमने अपने मन की बात, दिल की बात कहीं लिख दी है, अब वो हर कोई पढ़ सकता है जो हमारे मानसिक तार से तार जोड़ पा रहा होगा।
आजकल सुबह ध्यान वापस से करने की कोशिश कर रहा हूँ, परंतु नहीं हो पा रहा है, कहीं सुना भी है पढ़ा भी है कि ध्यान पर अभ्यास निरंतर होना चाहिये, जो कि कम से कम रोज एक घंटा होना चाहिये, जब हमारे पास ध्यान का 10 हजार घंटों का अनुभव होगा, तब हम उचित रूप से ध्यान का लाभ ले पायेंगे, यह बरसों की साधना है, जिसे एक दिन, एक महीने या एक वर्ष में नहीं पाया जा सकता है। वैसे तो हर कार्य के लिये साधना की जरूरत होती है, कोई भी कार्य बेहद सरल नहीं होता है, जब तक किसी काम में हाथ न डालो तब तक सब सरल लगता है, जटिलतायें तो तभी पता चलती हैं जब उसक कार्य को करना शुरू करते हैं।
पहले भी लिखना बेहद आसान नहीं था, अब भी नहीं है, दिल की बात लिखने में ज्यादा समय नहीं लगता, टाईपिंग की रफ्तार बहुत बढ़िया है, बस मन होना चाहिये, जिसके लिये बहुत समय लगता है। कोशिश करेंगे कि सुबह थोड़ा समय निकालकर अब रोज ही कुछ न कुछ ब्लॉग लिखें। कोशिश यह भी करेंगे कि शाम को अपने शेयर बाजार के ट्रेड भी शेयर करें, यह हमारे लिये डायरी का काम भी करेगी, साथ ही कोई सीखना चाहेगा तो उसके लिये सीखने की कुछ सामग्री उपलब्ध होगी। विस्तार से ट्रेडिंग के बारे में उसकी मनोस्थिती के बारे में लिखना बोलना संभव नहीं, क्योंकि यह बहुत ही जटिल विषय है और शायद हम उसे अच्छे से लिखने में सक्षम नहीं हैं। क्योंकि यह विषय हमने अनुभव से सीखा है, कहीं किसी कक्षा में नहीं सिखाया गया, तो यह भी नहीं पता कि इस बारे में लिखना भी कैसे शुरू करें।
अंत में एक बात कहना चाहूँगा कि अगर ब्लॉग न लिख पायें तो जैसे भी हो टोका मारते रहें, फेसबुक पर मित्र हैं तो फेसबुक पर, ट्विटर पर हैं तो ट्विटर पर, या यहीं टिप्पणी पर, जब कहीं लिखा दिखता है कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ, तो मेरे दिमाग के सेल एक्टिव होकर मुझसे वह काम करवा लेते हैं।
वैसे यह ब्लॉग पोस्ट सुबह 7 बजे छत पर ध्यान के बाद दरी पर बैठकर लिखी गई है।