Long Strangle – Short Strangle का opposite होता है, Short Strangle में हम OTM Call & Put बेचते हैं, और Long Strangle में हम OTM Call & Put खरीदते हैं।
अगर Short Strangle करते हैं तो हमारा मार्जिन लगभग 1 लाख रूपये का होता है, वहीं अगर हम साथ में Long Strangle भी बना लेते हैं तो हमारी Risk कम होने के कारण हमारी margin requirement भी कम हो जाती है। जो कि 50% तक कम हो सकती है।
इसे Ircon Condor कहते हैं, Short Strangle के Strike से 100-200 ऊपर Strike की Long Strangle लेने से हमारी Risk भी मैनेज आ जाती है, इससे हमारा जो unlimited risk होता है, वह limited risk में convert हो जाता है।
अभी जैसे निफ़्टी 17100 के आसपास है तो हम एक Iron Condor बनाते हैं –
इससे हमारी margin requirement 1 Lac से कम होकर केवल 43,000 हो गई। और आप इसका ये payoff chart देख सकते हैं –
तो हमारा Max Loss 8,680 और Max Profit 1,320 हो सकता है। अगर 5 May Weekly Expiry Nifty 16500-17500 के बीच होती है, तो हमें 1,320 का profit होगा।
और अगर profit ratio देखा जाये तो हमारी कैपिटल जो कि लगभग 43,000 लगी है, उसका 3% return होता है, और 3% profit मात्र 3-4 दिन में बहुत ही बढ़िया रिटर्न होता है।
अब मान लेते हैं कि Nifty में बड़ा Gap up या Gap down होता है तो उस केस में हमें लॉस होगा। मतलब कि अगर weekly expiry Breakeven जो कि 16473-17526 के बीच नहीं होता है तो हमें loss होगा। Breakeven में हमें न loss होगा न profit, हाँ हमारा loss केवल brokerage और Tax का होगा।
यहाँ पर Short Strangle से ज्यादा profit भी है और आपका loss भी Limited ही है, और margin कम होने से आप 1 की जगह 3 लॉट से काम कर सकते हैं, साथ ही अगर बाजार में बड़ा move आता है तो आपका max loss लगभग 25,000 होगा जो कि आपकी capital का लगभग 17% होता है, जिसकी संभावना बहुत ही कम है।
जैसा कि आपको पता होगा कि पहले अगर आप ऑप्श्न सैल करते थे तो आपका कैपिटल रिक्वायरमेंट कम से कम 20-25 लाख रूपयों का होता था, पर सेबी ने नियमों में बदलाव किया और अब अगर आपके पास कम से कम 50 हजार से 10 लाख की कैपिटल है तब भी आप ऑप्शन सैलिंग कर सकते हैं।
अगर आपके पास ज्यादा कैपिटल होगी तो आप अपने ऑप्श्न ट्रेड में ज्यादा एडजस्टमेंट कर सकते हैं, और अगर कम कैपिटल है तो आपको Risk & Reward Ratio पर खेलना होगा। ऐसी कोई भी स्ट्रेटेजी नहीं है जो कि हर समय आपको Profit दे भले Market Condition कैसी भी हो। हर Market Condition में अलग Strategy होती है। और यह हर किसी के साथ होता है।
अगर आपको शेयर बाजार में सफल होना है तो आपको ऑप्शन सैलिंग के साथ एडजस्टमेंट सीखना ही होगा।
यहाँ हम यह समझ रहे हैं कि आप अगर यह लेख पढ़ रहे हैं तो आपको ऑप्शन की Basic जानकारी है, कि अगर आप ऑप्शन बेच रहे हैं तो आपको मार्जिन मनी देनी होती है और अगर खरीद रहे हैं तो प्रीमियम देना होता है। Nifty is having weekly Expiry.
Short Strangle – Selling far OTM CE & far OTM PE
If Nifty is around 17200 जब आप Open Interest देखेंगे तो आपको Support & Resistance समझ में आयेगा।
यहाँ हम Support & Resistance के Call & Put sell कर देंगे।
Sell Nifty 16800 PE (Support) @ 12 Sell Nifty 17500 CE (Resistance) @ 12
Margin money will be required for these option selling is around 1 Lac, और अगर Expiry is after 2 days तो यहाँ पूरे चांस हैं कि ये प्रीमियम 0 हो जायेगा और 1 लाख के मार्जिन पर लगभग 1200 रूपयों का रिटर्न मिलेगा, जो कि 2 दिन में 1.2% होता है, और इससे अच्छा तो कोई बिजनेस हो ही नहीं सकता।
Short Strangle बनाने के बहुत से तरीके होते हैं, जैसे कि India Vix, Support & Resistance, Open Interest.
इसका PayOff chart आप अपने ट्रेडिंग एप्प के आईडी से सेंसिबुल पर लॉगिन करके देख सकते हैं –
यहाँ पर अगर बाजार 16800 के नीचे जायेगा और 17500 के ऊपर जायेगा तो हमें अनलिमिटेड लॉस होगा। मार्जिन कितना लगेगा, उसके लिये आप जीरोधा के बॉस्केट ऑर्डर में जाकर देख सकते हैं।
Here Breakeven is 16800-24 = 17756 to 17500+24 = 17524.
Required Margin – Amount must be in your Account. Final Margin – Final Blocked money in your Account.
तो अगर निफ्टी 16800 और 17500 के बीच रहता है तो हमें 1200 रूपयों का लाभ होगा।
जब आप PE & CE दोनों बेचते हैं तो आपको Margin benefit मिलता है। ये जो हम बेच रहे हैं यह Necked है, जिसमें अनलिमिटेड Loss हो सकता है पर Profit लिमिटेड होता है।
भारतीय बाजारों से पैसा भारत के बाहर के बाजारों में जा रहा है। यह रकम बहुत बड़ी है।
सेकेंडरी मार्केट – बाजार में 3 बड़े निजी बैंक जो एडवाइजर का भी काम करते हैं, उनकी सलाह है कि अपने पोर्टफोलियो का 20% विदेशी बाजारों में लगायें, वहीं 3 वर्ष पूर्व उनकी सलाह 0% की थी।
प्राइवेट मार्केट – भारत से सैकड़ों स्टार्टअप विदेश जा रहे हैं।
क्या असर पड़ेगा –
भारत $5 ट्रिलियन इकोनॉमी करना चाहता है किस्से भारत विश्व की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन जाये।
लेकिन भारत बहुत से मोर्चों पर असफल है, जैसे बढ़िया टैलेंट, कैपिटल, एंटरप्राइज, और यह एक बहुत बड़ी मुश्किल है।
हमारा सारा टेलेंट, पैसा और स्किल्स बाहर देशों में जा रहा है, उन देशों की इकोनॉमी को उन्नत, कुशल और समृद्ध बनाने में लगा हुआ है।
भारत के लिये यह सर से पानी गुजरने जैसा है और इस नकसीर को यहीं रोकना होगा, वरना तो बहुत देर हो चुकी होगी।
अमेरीका ही क्या कई अन्य देश व्यवस्थित ढंग से लालच देकर पूरे विश्व से अच्छे टैलेंट को चुरा रहे हैं। कितने ही अमेरीका के पॉपुलर पॉडकास्ट लगातार जॉब एक्ट, इमिग्रेशन एक्ट, स्पेशल परपज वीसा पर बातें करते हैं।
हो यह रहा है कि ये कुछ देश विश्व के हर कोने से टैलेंट को अपने यहाँ जगह दे रहे हैं, मतलब की पूरे विश्व के टैलेंट को चूस रहे हैं। भारत के बहुत ही गंभीरता से इस बारे में सोचना होगा और सबसे पहले टैलेंट को चिह्नित करके उनको अपने ही देश में अपने देश की उन्नति के लिये स्वीकार करना होगा।
राष्ट्रवादी और कट्टर देशभक्त होकर अमेरिका पर ऊँगली उठाना बहुत आसान है कि अमेरिका हमारा पूरा टैलेंट चुरा कर ले जाता है। असली प्रश्न तो यह है कि – भारत ऐसा होने कैसे दे रहा है। गाँधी जी ने भी कहा था कि अगर आप किसी पर ऊँगली उठाते हो तो वो एक ही होती है, परंतु तीन ऊँगलियाँ ख़ुद की तरफ़ उठती हैं।
भारत से पैसा बाहर जाने से रोकने के लिये म्यूचुअल फंड जो कि विदेशी बाज़ारों में निवेश करते हैं उनकी विदेशी मुद्रा की लिमिट ख़त्म हो चुकी है और नया पैसा इस तरह के फंड्स विदेश नहीं जा पा रहे हैं। पर यक़ीन मानिये यह पैसा है, पैसा पानी जैसा होता है, अगर पैसे को बाहर जाना है तो वह अपने तरीक़े ढूँढ लेगा, और बाहर के बाज़ारों में बह जायेगा।
स्टार्टअप को स्केल अप करने के लिये बड़े फंड की ज़रूरत है पर भारत में बड़े बिज़नेस घराने इस तरफ़ बहुत ज़्यादा एक्टिव नहीं हैं। Web3 मीटिंग दिल्ली, बैंगलोर या मुंबई में नहीं हुई यह हुई दुबई में और इसमें 75% प्रतिभागी भारतीय थे बाक़ी के रशिया और यूरोप के थे। अधिकतर स्टार्टअप या तो दुबई में जा चुके हैं या जाने की प्रोसेस में हैं। Web3 इंटरनेट का अगला वर्शन कहा जा रहा है, और उसके लिये दुबई में इसका प्लेटफ़ॉर्म तैयार है जो कि डिसेंट्रलाईज होगा और ब्लॉकचैन पर चलेगा। जबकि भारत में स्टार्टअप अभी भारतीय सरकारी व्यवस्था और उनके नियामकों से जूझ ही रहे हैं, जहाँ नियम कभी भी बदल जाते हैं और उसका किसी को अता पता नहीं होता है। भारत में हर तरफ़ टैक्स की मार भी है।
दरअसल यह बदलाव शुरू हुआ है नवंबर 2021 से, जब क्रिप्टोकरंसी के लिये क्रिप्टो बिल में ज़्यादा टैक्स और कठिन नियमों के चलते दुबई या किसी और देश जा रहे हैं, अब प्रश्न यह नहीं होता है कि “क्या तुम जा रहे हो?” बल्कि प्रश्न होता है कि “कब जा रहे हो?”
स्टार्टअप जब काम करना शुरू करते हैं तो वे आधुनिक तकनीक पर काम करते हैं और वह तकनीक सरकारी अमले को समझाना लगभग असंभव ही होता है और स्टार्टअप को भारतीय नियमों में बँधकर काम करना होता है, जबकि वे तकनीक विश्व के लिये बना रहे होते हैं, जब स्टार्टअप शुरू होते हैं तो प्रोसेस में कई चीजें ऐसी होती हैं कि उन्हें भी नहीं पता होता कि उन चीजों के लिये भारत में सरकार से बार बार हर चीज के लिये परमीशन लेना होगा। अगर किसी ने डिजिटल एसेट्स का ही काम शुरू कर दिया तो उस पर भारत में 30% टैक्स हो और 1% टीडीएस भी। हर स्टार्टअप के अपने प्रोटोकॉल होते हैं और उन्हें ही पता नहीं होता है कि वाक़ई क्या लीगल है और क्या नहीं, आप कोई NFT का उपयोग करना चाहते हैं, या डिजिटल कॉइन लाँच करना चाहते हैं, यह सब तो स्टार्टअप शुरू करते समय पता नहीं होता है।
वैसे भी ऐसा क्यों हो रहा है तो आप ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है, अपने टीवी खोलकर सामने देख लीजिये, या फिर अख़बारों के मुख्य पेज ही देख लें, फिर शायद यह प्रश्न नहीं पूछें।
हमने पिछले एक ब्लॉग में लिखा था कि शेयर बाज़ार में कैसे सीखें?, आज हम बात करेंगे कि शेयर बाज़ार में Future & Options कैसे सीखें? Future & Options को short में FnO भी कहा जाता है। जो भी शेयर आपको FnO में मिलेंगे, साधारणतया: उनमें जबरदस्त price action देखने को मिलता है, आज 199 कंपनियों को शेयर FnO में trade hote हैं। इसे Derivatives भी कहा जाता है।
Future & Options के बारे में आपको नेट पर बहुत सारा ज्ञान उपलब्ध है, इसलिये हम उस पर बात नहीं करेंगे, अगर आपको जानना है तो कमेंट में बताइयेगा, हम उसे भी explain कर देंगे।
हमेशा ध्यान रखें कि Options के price Future से derive होते हैं, न कि spot के price से। अगर future का price, option के price से ज्यादा है, तो हम उसे कहते हैं कि यह Future premium पर चल रहा है, और अगर Future का price, Spot से कम चल रहा है तो उसे कहते हैं कि यह Future discount पर चल रहा है। अब दोनों का अलग अलग मतलब होता है, हमेशा ही Future अच्छी कंपनियों का premium पर मिलेगा, इसका मतलब यह समझ सकते हैं कि बाजार में उस Future की demand है। हमेशा FnO में काम करते समय ध्यान रखना चाहिये कि उसमें Liquidity हो।
Future में काम करना शेयर बाज़ार में डेरिंग बाज लोगों का काम होता है, इसमें Trader जितनी जल्दी पैसा कमा नहीं पाता है, उससे ज़्यादा जल्दी वह अपना शेयर बाज़ार में स्वाहा कर सकता है, यह एक wild animal जैसे financial instrument है, जिसे कोई भी सँभाल नहीं सकता। Future में काम तभी करना चाहिये जब आप शेयर बाजार की छोटी छोटी चीजों को अच्छे से समझते हों। Future में सीखने के लिये आपको पता होना चाहिये कि Premium, Discount, lot size, liquidity, spot से कैसे derive होता है?, Roll Over इत्यादि। Future में पैसा ज्यादा लगता है, Risk ज्यादा है, और Profit & Loss भी उसी अनुपात में होता है।
Options सीखने के लिये Future & Spot दोनों के behaviour को सीखना जरूरी है, chart reading आनी चाहिये। Options Price Movement, Options Greeks, Options Pricing Models, Margins, Open Interest and Option Chain, PCR.
Options Strategies –
Long Call, Long Put, Naked Call Writing, Naked Put Writing
Spread Strategies (Bull Call Spread, Bull Put Spread, Bear Call Spread, Bear Put Spread)
Straddles & Strangles (Long Straddle, Short Straddle, Long Strangle, Short Strangle)
Butterfly & Condor (Iron Butterfly, Iron Condor)
Covered Call Writing, Ratio Covered Call Writing
Protective Put, Collor
इन सबका आपको पता होना ही चाहिये, साथ ही अगर आपकी strategy गलत होती है तो Adjustments कैसे करना है।
ध्यान रखें कि FnO अगर बिना पढ़े, बिना सीखे काम करना शुरू कर दिया तो यह Mr Market आपका पूरा पैसा खा जायेगा। यह एक नशा है, इसलिये इस नशे से तब तक दूर रहें जब तक कि इसे ढंग से समझ न लें। Paper Trade करें और अपनी learning को परखें।
पैसा धैर्य और शांति से FnO में बनता है, पर यह money meditation है, जहाँ ध्यान चूका, वहीं आपका पैसा गया, आपको बैंक में 5-6% ब्याज वर्षभर का मिलता है, अगर आप FnO को ढंग से समझ लेते हैं, सीख लेते हैं तो आप 5-6% का return अपनी capital पर आराम से monthly निकाल सकते हैं। अगर आपको FnO पर और समझना हो, तो कमेंट में बताईयेगा, क्योंकि FnO एक बहुत बड़ा विषय है, हम समय समय पर इसके बारे में लिखते रहेंगे।
Bollinger Band की Setting सब कुछ default, केवल Standard Deviation 2.5 बदलना है।
Time Frame – Day रखना है।
जब भी Day Candle Bollinger Band के नीचे बंद हो, मतलब कि Body के साथ, Wick के साथ नहीं। अगर Wick Band के बाहर है और Body Band से Touch कर रही है तो Entry नहीं करना है। अगले दिन Day low से 3% नीचे buy order लगाना है।
जैसे कि नीचे के इस चार्ट में देख सकते हैं –
इसमें हमारी Entry 27June 2018 को बनती है, न कि उसके पिछले दो दिनों में, यहाँ जैसे ही Body के साथ Candle Bollinger Band के बाहर बंद होती है, हम अगले दिन उस दिन का low 1215 का 3% नीचे buy order लगा देंगे, जो कि 1179 होता है, यहाँ हमारा Stop Loss अपनी खरीदी का 3% नीचे रख सकते हैं, यह बहुत ही safe traders के लिये है, क्योंकि यहाँ हमारा target minimum 10-15% का होगा।
हमें अगले दिन 28 June 2018 को Entry मिल गई, और हम अब candle को कम से कम 20 SMA याने कि Bollinger Band के Middle तक का Target रखेंगे, यहाँ ध्यान रखेंगे कि RSI जैसे ही 50 से ऊपर जाये, हमें अपना profit book कर लेना है। अगर यहाँ देखा जाये तो 6 July 2018 को 20 SMA पर 1283 पर exit मिल गया है। यहाँ profit हुआ 104 का, जो कि लगभग 9-10% profit होता है। हमारी रिस्क Stop Loss 3% याने कि 33 का होता तो यहाँ हमारा Risk & Reward Ratio 1:3 का होता है।
यह setup Day Time Frame में किसी भी Stock, Future, Indices पर लगाया जा सकता है, Entry करने के पहले अपने Confidence के लिये BackTest जरूर कर लें।
कोई प्रश्न है तो कमेंट में लिख सकते हैं।
Legal Declaimer – I am not SEBI Registered Research Analyst. All Posts, Views & Ideas are for Educational purpose only. I am not responsible for your Profit & Loss. Please consult your Financial Advisor before making any Investment / taking any trade position in market.
Anchored VWAP – मतलब की आप खुद अपने Anchor को decide कीजिये, आपको कहाँ कौन से point से अपनी trade journey की शुरूआत करनी है। जैसे समुद्र में जहाज को किनारे लगाने के लिये उसका कप्तान Anchor लगाता है, वैसे ही यहाँ आप अपने जहाज के कप्तान हैं।
Price की Average को जानने के लिये हम Anchored VWAP का पता होना चाहिये, तो हमें Day Time Frame में Hope और Fear के point में Anchor लगा लें। तो आपको AVWAP ले सकते हैं, इससे आप Interaday, swing, positional इत्यादि में Entry ले सकते हैं।
Interaday के लिये nearest AVWAP लगा लें, यहाँ पर Day Time Anchor लगाने से काम नहीं होगा। World में किसी भी बाजार में trade करने के लिये आप Anchored VWAP का उपयोग करिये।हमेशा ही हमें Fear के लिये सबसे lowest point पर लगा लें, अगर Nifty के दो lower price पर लगा दीजिये, तो अपने आप ही आपको हर किसी शेयर के लिये आपको AVWAP मिल जायेगा, और इस AVWAP की दोनों लाईनों को तोड़ना smart money के लिये बहु ही कठिन होगा।
Day Time Frame में जाकर अलग अलग fear के लिये लेवल को देखिये
27-10-2008
20-05-2020
14-03-2020
30-10-2020
ये dates पर Anchor लगाया जा सकता है, बाजार कितना भी गिर जाये तो इन Average को नहीं तोड़ेगा, यहाँ पर हमेशा ही smart money का support रहता है। पोर्टफोलियो हमेशा ही Fear वाले candle पर बनाना चाहिये, भले ही जब भी मौका मिले।
Option Selling में कैसे इसका उपयोग करेंगे –
AVWAP के नीचे Option Strike price पर put बेच देना है, यहाँ Time Frame 1H का रखना है। जैसे ही अगर Candle AVWAP के ऊपर एक candle close देता है, तो trade से exit कर जाना चाहिये।
Stock option पर भी इसे उपयोग किया जा सकता है, वैसे ही अगर Candle AVWAP के ऊपर है तो आप Put में long जा सकते हैं, या फिर Call को बेच सकते हैं।
Strike price chart लगा लीजिये और अगर AVWAP के ऊपर है तो खरीदना है, और नीचे है तो बेच देना है –
ज़्यादा फ़ायदा तभी होगा जब आप AVWAP के पास short करे दें।
Legal Declaimer – I am not SEBI Registered Research Analyst. All Posts, Views & Ideas are for Educational purpose only. I am not responsible for your Profit & Loss. Please consult your Financial Advisor before making any Investment / taking any trade position in market.
यह मेरी ख़ुद की Learning है जो कि मैं NK Sir के Content से सीख रहा हूँ। यह सारा Content NK Sir का copyright है।
हर कोई शेयर बाज़ार के बारे में जानना चाहता है, हम कहते हैं कि पहले आप शेयर बाज़ार को सीख लें समझ लें और फिर इस क्षैत्र में अपने आप को आज़माये, वरना तो ये सीखने की बहुत महँगी फ़ीस लेता है। जैसे आपको इंजीनियर बनना होता है तो आप 4 वर्ष उसकी पढ़ाई करते हो, डॉक्टर बनना हो तो 5 वर्ष और कुछ करना हो तो 3 वर्ष तो कॉलेज के स्नातक में पढ़ते ही हो। बस बिल्कुल वैसे ही शेयर बाज़ार को सीखने के लिये आपको समय देना होगा, यह भी एक स्किल है जिसे सीखने के लिये आपको कम से कम 2 से 3 वर्ष का समय देना चाहिये, वह भी रोज़ के कम से कम 4-5 घंटे।
इसी चक्कर में लोगों को पता ही नहीं होता है कि शेयर बाज़ार सीखने की शुरूआतें कैसे करें? हम किसी sequence में नहीं सीखे, जैसे जैसे चीजें आती गईं हम सीखते गये, आज तो फिर भी ऑनलाइन बहुत से study material उपलब्ध है, बताने वाले YouTube पर उपलब्ध हैं। बस आपके मन में सीखने की तमन्ना होनी चाहिये बाकी तो आगे वक्त बतायेगा, जब तक कि आप confidently 2-3 वर्ष सीख न लें, तब तक बेहतर है कि शेयर बाजार में हाथ न डालें, बस paper trade ही करें, ये काम बहुत boring होता है, क्योंकि इसमें emotion नहीं होता, जब आपका पैसा किसी deal में लगा होता है, तभी आपका emotion उसमें लगता है और आप बेहतर तरीके से सीखते हैं।
शेयर बाज़ार सीखने के लिये सबसे पहले तो आप concept पढ़ें, कि शेयर क्या होता है? क्यों होता है? कैसे होता है? फिर उसके structure को सीखें, बाजार कैसे काम करता है, Regulator का रोल क्या होता है? Corporate Actions को समझें, जैसे कि Merger, Demerget, Dividend, Bonus etc., और भी बहुत सी basic बातें होती हैं जैसे कि Face Value, Split etc. यहाँ एक बात बता दें कि अगर fundamental investor / trader बनना है तो Balance Sheet, Management Quality, P & L Statement, Cashflow वगैरह व सबसे महत्वपूर्ण खबरों को पढ़ना सीखें। वहीं अगर Technical Investor/ trader बनना है तो Chart पढ़ना आना चाहिये उसके लिये आप candle पढ़ना सीखें, chart पढ़ना तभी सीखेंगे, Moving Average, EMA, MACD, OI, VWAP, AVWAP, Bollinger Band, Super Trend जैसे इंडिकेटर भी पढ़ना सीखें।
उसके बाद इन Indicators से कैसे trade लेते हैं, यह सीखना बेहद जरूरी हैं, बहुत सारी pre-defined methods हैं, अगर आपको अपनी method बनानी है तो आप खुद भी बना सकते हैं, बस यह समझ लीजिये कि ज्ञान पाने के पथ लंबा है। जब एक बार ये बेसिक चीजें सीख लें, फिर उसके बाद आप FnO याने कि Future & Option जी जाने का plan करें। FnO में क्या और कैसे सीखें, इस पर अगली पोस्ट होगी।
कौन प्रवीण ताँबे फ़िल्म हम परिवार के साथ देख रहे थे, तो उसमें एक समय ऐसा बताया गया है कि प्रवीण रणजी की प्रेक्टिस दिन में करते थे और परिवार चलाने के लिेये रात में बार में वैटर का काम करते थे। एक दिन वहाँ वे पत्रकार आते हैं जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं, तो प्रवीण को अपने वैटर होने पर बहुत ही शर्म महसूस होती है और वह बाद में रोता हुआ भी दिखाया है।
इस पर बेटेलाल का कहना था कि इसमें शर्म की क्या बात है, प्रवीण कोई चोरी तो कर नहीं रहा और न ही कोई भीख माँग रहा है, प्रवीण तो शान से अपने परिवार के लिये पैसा कमा रहा है, और ये सब सेक्रिफाईज वो केवल अपने रणजी खेलने के लिये कर रहा है, जब प्रवीण को यह पता है तो उसे शर्म किस बात की करनी चाहिये, यह समझ नहीं आया। शर्म तो उन पत्रकारों को अपने बर्ताव पर आनी चाहिये और उन्हें प्रवीण की इज़्ज़त करनी चाहिये थी।
फ़िल्म में बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्हें गौर से समझने की ज़रूरत है, व्यक्ति जो सोचता है कि वह केवल इसी में comfortable है तो वह ग़लत हो जाता है और सफलता नहीं मिलती, क्योंकि वह अपनी ख़ुद की प्रतिभा को ही नहीं पहचानता, जैसा कि प्रवीण के साथ हुआ, वह ख़ुद को मीडियम पैसा बॉलर समझता था, पर कोच ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और कहा कि तुम लैग स्पिनर अच्छी करोगे, अपनी बॉलिंग बदलो, पहले प्रवीण ने कोच की बात नहीं मानी, पर जब ठोकर लगी तो प्रवीण ने नये जुनून से स्पिनर बॉलर की कला सीखी। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है, क्योंकि अपने आप में किसी एक समय के बाद बदलाव लाना वो भी बिल्कुल ABCD से बहुत मुश्किल होता है।
फ़िल्म बहुत अच्छी है, अगर न देखी हो तो ज़रूर देखें, अपने अंदर की कुछ कर गुजरने की आग कैसी होनी चाहिये, जुनून क्या होता है, यह देखने को मिलेगा। श्रैयस तलपा़ड़े का अभिनय ज़बरदस्त है, कई बार मेरी आँखों में आँसू आये, और उसके लिये उनका अभिनय ही ज़िम्मेदार है।
जिस कंपनी को देखो वही मेरे को लोन देने को पीछे पड़ा है।बजाज फाइनेंस वालों ने खूब परेशान किया, फिर हमने खूब परेशान किया, और एक एक शर्त को ईमेल पर लिखवाकर समझा, बेचारों को उसका जबाब देते पसीने आ गये, अब फोन नहीं करते, वो कहते हैं सर डॉक्यूमेंट दे दो तो लोन प्रोसेस करवा दें।इतना डिस्कशन किया कि बजाज फाइनेंस वालों ने सारे चार्जेस वगैरह सब फ्री कर दिए, ईमेल पर भी लिखकर दे दिया, अब हम कह रहे हैं, कि हमें तुम पर भरोसा नहीं, इसलिये अब यह लोन लेना ही नहीं।फिर एक फोन आया आज, सर बजाज फाइनेंस से बोल रहे हैं, हमने कहा दिया ईमेल पर सब कुछ है, पढ़ लो। अब सामने से कहा जाता है कोई बात नहीं टाटा कैपिटल से ले लो हमने कहा चलो करो डिटेल ईमेल, फिर तुम्हारा भी प्रोडक्ट समझते हैं। (हमारा फ़ेसबुक स्टेटेस)
बजाज फ़ाइनेंस का यह Flexi OD Loan आपको आपके CIBIL Score के आधार पर मिलता है, मतलब कि यह एक प्रकार से Line of Credit होती है। परंतु यहाँ एक बहुत बड़ा कैच भी है कि बजाज फाईनेंस इस लोन के लिये आपसे लगभग 6,999 रूपये Flexi Charges, 4,999 Processing Charges, 5,000 Cibil Fitment Charges और एक इंश्योरेंस भी बेचते हैं। हमें बताया गया कि आपके लोन में केवल Flexi Charges ही लिया जायेगा, जो कि Cashback के रूप में return भी हो जायेगा। हमने कहा कि आप जब Cashback दे ही दोगे तो आप इस Flexi Charge को Exceptional Approval लेकर लगाईये ही मत। पर इसका कोई जबाब नहीं आया। खैर इसके बाद हर वर्ष आप इस Flexi OD Loan को उपयोग करें या न करें, आपको .25% AMC Charges के रूप में भी भरना होंगे। वैसे ब्याज दर 1.25% प्रति माह होता है, जो कि हमें बताया गया कि 1.12% होता है।
खैर हमने फिर Decide किया कि हम यह Flexi OD Loan नहीं लेंगे।फिर एक मित्र से बात हुई वे एक निजी बैंक के कोर बैंकिंग IT Team में हैं, तो बोले बिजनेस से पूछ कर बताते हैं, अब वे कह रहे हैं, यार ये किस प्रकार का लोन है बिजनेस ने हमारा फोन भी उठाना बंद कर दिया है। लो बताओ।
अगर आप भी कोई लोन ले रहे हैं, तो ठोक बजाकर सोच समझकर लोन लें।
कोई भी कंपनी हो, हम हमेशा केवल price देखते हैं, कि price ऊपर जा रहा है या नीचे जा रहा है। हम कंपनी के बारे में कुछ जानने की कोशिश नहीं करते हैं। किसी भी स्टॉक को देखने के लिये Monthly, Weekly & Daily टाईमफ्रेम में सपोर्ट रेसिस्टेंस, ट्रेंड देखते हैं।
The master has failed more times, than the beginner has even tried.
हम लोग (Traders) निर्णय लेने के व्यवसाय में हैं, मतलब कि हमें रोज ही Buy ही Sell के लिये decision लेना होते हैं। Decision हमेशा ही सही नहीं हो सकते, परंतु अगर हम descpline follow करते हैं, किसी एक टेक्नीक को फॉलो करते हैं तो हमारे decision सही होने के chance ज्यादा हो जाते हैं, और गलत होने की probability कम हो जाती है।
The movement of the MARKET is the movement MASS Psychology.
किसी भी स्टॉक का Support & Resistance होता ही है।
इस दुनिया में रहने वाले हर प्राणी का एक pattern जरूर होता है। Trader
Charts are maps of collective human behavior.
Nothing gets plotted on a chart until people take action.
The art of Technical Analysis, is to identify a trend reversal at a relatively early stage and ride that trend, until the weight of the evidence shows or proves that the trend has reversed.
The farther back you can look, the farther forward you are likely to see. – Winston Churchill
इसलिये हमेशा हम किसी भी स्टॉक के price action को देखने के लिये historical data देखते हैं, हर स्टॉक का अपना अपना moving average, pattern होता है। अगर उस स्टॉक में काम करना है तो हमें उसे समझना जरूरी है। पर कोई तो ऐसा moving average होता ही होगा, जो हर स्टॉक के लिये काम करता ही होगा।
The index has corrected in every 2 year from the top.
These corrections are categorized –
11-17%
25-35%
40-60%
Historically, these corrections 13 to 21 months duration.
पिछले 20 वर्षों का data बताता है –
अक्टूबर नवंबर दिसंबर बाजार के लिये बढ़िया रहते हैं।
जनवरी, फरवरी, मार्च हमेशा ही bearish रहता है।
जब भी बाजार correct होता है तब वह उतनी ही तेजी से अपना high बनाता है।
जैसे कि मार्च 2020 – अक्टूबर 2020 के दौरान 39.57% correction हुआ था, परंतु केवल 18 महीनों में ही निफ्टी 147.69% बढ़ चुका था।
Rule of the Game –
Buy the strength and Exit the weakness
The stronger stocks always lead the market and forms new highs.
अगर benchmark स्टॉक 1% बढ़ता है तो Index 3-5% बढ़ता है, यह नियम 70% स्टॉक follow करते हैं। वहीं अगर Index 5% गिरता है तो benchmark स्टॉक 10% तक गिर जाते हैं।
Identify the stock which never made a lower low (1 low is ok) on a monthly chart / weekly for short term.
Every time, buy a stock only at life time highs.
कभी बाजार में आप अपना पैसा नहीं loss करेंगे You never lost money in market.
Exit –
जब भी स्टॉक अपने पिछले weekly average से नीचे आये तो partially profit बुक कर लें।
पिछले monthly average से नीचे आये तो 100% exit कर लें।
अगर अपने top से 5-8% correct होता है तो exit कर लें।
Intraday or Short term Exit Rules
Exit is Stop loss – You are a professional trader
Trailing Stop loss (Small or Big profit)
Booking profit at Target – You are GOD.
You buy high sell higher, you will never loose the money in market.
Stage 2 – Markup (Where retailers get in) – Termination
Stage 3 – Distribution – Holding
Stage 4 – Mark Down – Break Out – Consolidation / Pull Back – Continuation
हमेशा कोशिश करना है कि हम Stage 2 में ऐसे स्टॉक में Entry करें।
Step one –
Identify 3 most popular patterns –
Flat Base
Cup with handle or without handle
Double Bottom
When a market is in sideways (At high) or in a Downtrend – (Where to buy)
Fall at least 60% from the top – If 70-80% then very good to invest.
Longer the Base sharper the move – If consolidating for 6-9 months then move very sharp for up side.
Low Volume
Oscillates around 40/30 week average, several months.
Price makes higher low
Before the breakout 40/30 WMA truns up.
Tata Motors as an example corrected till 90% then see the move in 20 weeks.
Deepak Niterate –
Step Two –
A Breakout
Look for volume confirmation
Above – Average Volume (40-50%)
Better Relative Strength (RS) 60
Ashok Leyland
Atul – Moving Higher & Higher
Aarti Drugs
Step Three –
Post Breakout
Failed Breakout / below the Breakout level
Breakout Retest / Run Up
Buy at 1-5% above the Breakout level
BalkrisInd
Step Four –
The Run up
Sharp Run Up – Longer the base / consolidation.
50DMA / 10WMA, below the price (Exit)
Stronger Stocks always above this line.
A dip below this line with lower volume ignore. (Some big distribution is happening)
NavineFlour
Step Five –
The Toping
Slicing the 50DMA / 10WMA
50DMA / 10WMA with volume / distribution day.
7-8% from the top
Partial exit @25% gains, if closes above then previous month then exit fully.
अगर 50 DMA से नीचे आ जाता है तो इसका मतलब होता है कि अब correction stage में हैं।
The Setup – (Interaday / Positional) Moving Average Ribbon
Use 3 same period averages
Use 34 EMA of close
Use 34 EMA of high
Use 34 EMA of LOW
On bottom – Apply MACD line only.
जब भी आपको अपने ऐसे स्टॉक में 25% का profit हो रहा हो तो, अपना profit निकाल लें और वह profit ऐसे किसी और स्टॉक में invest कर दें। इस प्रकार से long term का portfolio बना पायेंगे।
निफ्टी नीचे जा रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि सारे स्टॉक्स भी उसके साथ correct होंगे, 30% स्टॉक्स हमेशा benchmark के opposite काम करेंगे।
Target निकालने के लिये Fibonacci retracements का उपयोग करें।