Tag Archives: शेयर मार्केट
ब्लॉग पर शेयर बाजार
मैंने अपने ब्लॉग पर शेयर बाजार पर लिखना शुरु किया है, पर मेरी सलाह पर अमल करने से पहले अपने निवेश सलाहकार से सलाह जरुर लें। धन्यवाद
बैंक शेयर औसत कीमत से नीचे [खरीदें]
अभी ४-५ दिन में बैंक शेयर औसत कीमत से नीचे आ गये हैं। सभी बैंकों के शेयर अभी बहुत ही अच्छी कीमत में उपलब्ध हैं, अगर आज निवेश करें तो अल्पावधि में ही अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है। क्योंकि बैंक शेयरों के भाव उतनी तेजी से बढे नहीं थे, जितनी तेजी से सेन्सेक्स व निफ्टी बढा था, तुलना कर देखने से पता चलता है कि अभी बैंकिंग सेक्टर में बहुत तेजी से मंदी आई है। औसत कीमत देखें कीमत में अंतर –
बैंक औसत कीमत आज के भाव
देना बैंक ३२ २४
बैंक ऑफ बडोदा २५० २०५
इलाहाबाद बैंक ८१ ६३
पंजाब नेशनल बैंक ४०० ३४०
एस.बी.आई. ८९० ७८०
बैंक ऑफ महाराष्ट्र २३ १९
बैंक ऑफ इंडिया १३० १०८
आई.डी.बी.आई ८० ५४
ओरियेन्टल बैंक २२० १६५
यूनियन बैंक ११५ ९६
विजया बैंक ५२-५५ ४१
शेयर बाजार और आम निवेशक
शेयर मार्केट के उतार चढाव जारी हैं और अब तो साफतौर पर यह देखा जा सकता है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों के हाथ की कठ्पुतली हो चुका है हमारे भारत का शेयर बाजार। अब सुबह टी.वी. पर विदेशी बाजारों के हाल देखकर ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज बाजार का क्या हाल होने वाला है। टी.वी. चैनल जिस भी शेयर की टिप देते हैं, अब तो ऐसा लगने लगा है कि उन्हें उस कंपनी से टिप मिलती है। कुछ चैनल तो नामी गिरामी हैं पर लगातार आप उनकी खबरों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं, और तो और एक चैनल ने तो अपने जालघर को ही पैसा कमाने का जरिया बना लिया है। सरकार को इन पर त्वरित कार्यवाही करनी चाहिये न कि बेवजह ब्लॉगरों पर। उनके विश्लेषक भी गुमराह करने की कोशिश ही करते हैं पता नहीं कब हमारा शेयर बाजार वापस पटरी पर आ पायेगा।
भारत में शेयर बाजार का रुख
अंग्रेज तो १९४७ में भारत छोड़कर चले गये पर उनकी हुकुमत आर्थिक रुप से अभी तक चलती है, जिसका प्रभाव भारत के शेयर बाजार पर हम साफ साफ देख सकते हैं हमारी सरकार अभी तक मानसिक रुप से उनकी गुलाम है, उन विदेशी संस्थागत निवेशकों पर लगाम न कस कर उन्हें और सुविधाएँ देना इस तथ्य को सिद्ध करता है हमारे फाइनेंस मिनिस्टर पी. चिदम्बरम कैसे कैसे बयान देते हैं जैसे कोई प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढा रहे हों, बयान भी निति संगत होने चाहिये, न कि किसी नौसिखिये नेताओं जैसे १२००० सेन्सेक्स छू लेने के बाद सभी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बाजार में इस प्रकार का भ्रम उत्पन्न किया कि बस भारत की आर्थिक व्यवस्था विश्व में अपना अग्रणी स्थान बनाती जा रही है और फिर एक दिन उनके मन का लुटेरा जागृत हो गया और अपने निवेश बेचकर, अपना लाभ कमाकर बाजार को इतिहास बनने के लिये छोड़कर अपने देश चल दिये बेचारा भारतीय सीधा साधा, अपना पूरा धन बाजार में लगाकर धन्य था कि वह भी अब तक के उच्चतम स्तर को छूने वाले इंडेक्स के इतिहास का भागीदार था हमारी सरकार तो पैसे खाकर बैठ गयी है, उसे क्या मतलब निवेशकों से, सरकार के ठेकेदारों ने तो अपनी जेबें भर ली हैं अगर सही तरीके से बाजार की स्थिती का आकलन किया जाये, तो निवेश गुरु मार्क फेबर की बात सही प्रतीत होती है कि भविष्य में बाजार का रुख ६००० से ८००० तक हो सकता है, तो अब आम भारतीय निवेशक क्या करे, और उसके हितों की रक्षा कौन करेगा ये भारत सरकार को निश्चित करना है, देखते हैं कि सरकार का क्या रुख होता है और बाजार का क्या रुख होता है निवेशकों मनन करो और अभी गर्मी की छुट्टियाँ मनाओ बाकी सब विदेशी संस्थागत निवेशकों पर छोड़ दो