वैसे मैं महाकाल की व्यवस्था पर लिखने से हमेशा ही बचता हूँ, क्योंकि लगता है कि इससे लोगों की आस्था कम होती है।
परंतु फिर भी इस पर आज लिख रहा हूँ, मैं हमेशा ही महाकाल में वीआईपी दर्शन करता हूँ, पहले इसका शुल्क 151 रूपये था और अब सुविधाओं के नाम पर इसे बढ़ाकर 250 रूपये कर दिया गया है। वीआईपी दर्शन इसलिये करता हूँ, कि इसमें दिया गया धन का दुरूपयोग नहीं हो सकता है, इसका हिसाब ऑडिट वगैराह में देखा जाता है, अगर दान पात्र में हम दान देते हैं तो हमें कोई सुविधा नहीं मिलती है एवं अगर पंडे पंडितों को सीधे देते हैं तो वह उनकी जेब में जाता है।
वीआईपी दर्शन का टिकट लेने के बाद वहीं पर जूते चप्पल स्टैंड पर हमने जूते उतारे, यहाँ पता चला कि अब ये जूता चप्पल स्टैंड केवल वीआईपी दर्शन के टिकट वालों के लिये ही है। दर्शन करने के बाद जब महाकाल से बाहर आने की बात आई तो पता चला कि बाहर जाने का एक ही रास्ता है, और वहाँ पर पैर न जलें इसके लिये कोई व्यवस्था नहीं है। हालत यह है कि मुझे और मेरे परिवार को अभी तक पैरों में जलन की तकलीफ सहन करना पड़ रही है।
जब वापिस जूते चप्पल लेने पहुँचे तो वहाँ पर सहायक प्रशासनिक अधिकारी का कार्यालय दिखा, हम पहुँचे वहाँ कि हमें शिकायत पुस्तिका दें, हमें शिकायत करनी है, तो हमें कहा गया कि यहाँ शिकायत पुस्तिका नहीं है, आपको 3 मंजिला महाकाल के प्रशासनिक भवन में जाना होगा। अधिकारी तो वहाँ थे नहीं, परंतु उनके बात करने के अंदाज से यह जरूर लगा कि बहुत से वीआईपी टिकट वाले लोग वहाँ आकर शिकायत करते हैं, परंतु शिकायत पुस्तिका के अभाव में बात सही जगह तक नहीं पहुँच पाती है। वहाँ बैठे सारे लोग अपने मोबाईल में सिर घुसाये मिले।
बाबा महाकाल के हम भक्त हैं, और महाकाल में प्रशासन के नाम पर लूटने वाले लोग और मानवीयता को शर्मसार करने वाले प्रशासनिक अधिकारी जो कि अपने अपने ए.सी. केबिन में बैठकर सुस्ताते रहते हैं, उम्मीद है कि वे भी महाकाल के भक्त होंगे और भक्तों की तकलीफ को समझेंगे। शिकायत पुस्तिका केवल महाकाल प्रशासनिक कार्यालय में ही क्यों उपलब्ध है, यह तो वीआईपी दर्शन के दरवाजे पर भी उपलब्ध होनी चाहिये, जहाँ टिकट मिलते हैं उस काऊँटर पर भी उपलब्ध होनी चाहिये।
वीआईपी काऊँटर पर लिखा हुआ है कि कार्ड से भी भुगतान स्वीकार किया जाता है, परंतु जिस समय हम पहुँचे तो काऊँटर क्लर्क किसी और को बैठाकर कहीं चला गया था और उन सज्जन को कार्ड की स्वाईप मशीन ही नहीं मिल रही थी, और हमें यह भी कहा कि उन्हें कार्ड की स्वाईप मशीन का उपयोग करना ही नहीं आता है। समझ नहीं आता कि महाकाल प्रशासन हर जगह महाकाल भक्तों से शुल्क वसूलने में लगा है, जैसे कि भस्मारती पर अब ऑनलाईन 100 रूपये और ऑफलाईन 10 रूपये का शुल्क वसूला जा रहा है। परंतु भक्तों को सुविधाओं के नाम पर केवल असुविधा ही मिल रही है।
महाकाल केवल अब वीआईपी लोगों के लिये ही सुविधाजनक है, सामान्य भक्त के लिये प्रशासन सारी मानवीय मूल्यों को भूल चुका है। उम्मीद है कि मेरी यह शिकायत महाकाल प्रशासक और उज्जैन कलेक्टर तक जरूर पहुँचेगी।