भारत में संसद और विधानसभा के सत्र

हर देश के विकास में संसद और विधानसभा का बहुत महत्व होता है, वैसे ही भारत में संसद और विधानसभा के सत्र का महत्व है। सांसद १५ लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, और वैसे ही विधायक अपने क्षैत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
हमारी संसद ३६५ दिन में केवल ७० दिन कार्य करती है, और कई रिकमंडेशंस में कहा गया है कि कम से कम संसद को १२० दिन कार्य करना चाहिये। हम इस मामले में बहुत पीछे हैं, अमेरिका में संसद १५० दिन और कई यूरोपीय देशों में संसद का औसत १३५ दिन है।
 
हमारे यहाँ भारत में किसी भी मुद्दे पर गहन विश्लेषण और बहस नहीं की जाती है, भले ही एक राजनैतिक दल की बहुमत वाली सरकार हो।
 
वैसे ही राज्य की विधानसभा ३६५ दिन में मात्र ३० दिन कार्य करती है, और कई कई रिकमंडेशंस में कहा गया है कि इन्हें कम से कम ७० दिन तो कार्य करना ही चाहिये, जिससे मुद्दों पर अच्छे से बातें हो सकें।
 
हालांकि संसद में कई समितियाँ होती हैं जो कोई भी प्रस्ताव संसद में आने के पहले बहस और गहन विश्लेषण करती हैं, पर वह सारा डिस्कसन ऑफ द रिकॉर्ड होता है, संसद में बहस न होने के कारण कई अच्छी राय आने से रह जाती हैं।
 
अगर आपकी भी राय है कि किसी विधेयक पर, तो आप भी ईमेल करके राय व्यक्त कर सकते हैं। PRS नाम का छोटा सा एप है, जहाँ सरकार के सारे कार्य की जानकारी आपको इस छोटे से एप पर मिल जाती है, और यह किसी भी प्रकार की निजी जानकारी नहीं माँगती है।
 
आपका सांसद कितना काम का है, वह आप MPTRACK वेबसाईट पर जाकर देख सकते हैं, कि उसने कितने दिन संसद की कार्यवाही में हिस्सा लिया है और कितने प्रश्न पूछे हैं, व कितने मुद्दों पर अपनी राय दी है।
 
सांसद या विधायक का कार्य सड़कों को ठीक करवाना या बिजली नहीं आ रही है तो ठीक करवाना नहीं है, बल्कि भारत के विकास में किये जाने वाले कार्यों पर सतत अपनी राय देना और चल रहे कार्यों को कैसे और अच्छे से किया जा सकता है, उसको अच्छे से सदन में उठाना है।
 
तो देर किस बात की है, PRS एप डाऊनलोड कीजिये और नये विधेयकों पर अपनी राय देना शुरू कीजिये। हम घोड़े को पानी तक लेकर जा सकते हैं, परंतु पानी तो घोड़े को खुद ही पीना होगा।
 
MPTRACK वेबसाईट पर जाकर आप अपने MP के बारे में जानकारी देखिये और अगर वह सतत योगदान नहीं कर रहा है तो आप उन्हें अपनी राय बताईये, जो कि वे संसद सदन में रख सकते हैं।

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