अवचेतन मस्तिष्क subconscious mind

शुक्रवार को सुबह मन अनमना था, कुछ न कुछ उधेड़बुन मन में लगी हुई थी। उठने के बाद से ही लग रहा था कि आज कुछ गड़बड़ होने वाली है, ऐसा मेरे साथ पहली बार नहीं हो रहा था, पहले भी कई बार हो चुका है। मुझे कई बार पूर्वाभास हो जाता है, मेरे अवचेतन मस्तिष्क में यह बात चौंकी भी थी कि आज बाईक फिसल सकती है और कुछ चोट लग सकती है। ऑफिस जाने से पहले मैंने कई बार सोचा कि आज कार से जाया जाये, परंतु बैंगलोर का यातायात ऐसा है कि जितना देर होते जाता है, उतना ही कठिन गाड़ी चलाना होता जाता है। हमें तैयार होते होते थोड़ी देर हो ही गई, बाईक से ही जाने का निश्चय किया। बारिश का भी मौसम था, सोचा था कि बारिश से भी थोड़ा बच लेंगे, परंतु भाग्य से पूरे रास्ते बारिश नहीं मिली।

हम बाईक को बहुत ही आराम और सावधानीपूर्वक चला रहे थे, घर से निकले 15 मिनिट हो चुके थे और तभी एक जगह बाईक फिसल ही गई, पता ही नहीं चला कि गलती किसकी थी, पर यह समझ आ गया कि जो होना होता है वह होकर ही रहता है। सीधे हाथ की हथेली में, सीधे पैर के घुटने में और एड़ी में थोड़ी चोट लगी, पर जींस होने के कारण चोट कम ही लगी। जहाँ हम फिसले वहाँ गिट्टी थी, तो थोड़ी सी चुभ गई। जैसे तैसे ऑफिस पहुँच गये, एक जरूरी मीटिंग थी, जिसके कारण ही हमें जल्दी घर से निकलना पड़ा था, मीटिंग खत्म करने के बाद काम में समय का पता नहीं नहीं चला और दोपहर में थोड़ा दर्द महसूस हुआ।

बहुत ज्यादा सूजन तो नहीं थी, परंतु हाँ दर्द का अहसास था। घर वापिस आये, और तेल मालिश की, अब आराम है। दुख की बात यह है कि शनिवार को 10 किमी की दौड़ में हमने पंजीकरण करवा रखा था, उन्हें ईमेल करके मना किया कि पैर में चोट लग गई है, आप किसी और को मेरी जगह दौड़ने की जगह दे दें, क्योंकि बहुत सी दौड़ों में सीमित स्थान होते हैं।

ऑफिस में एक सहकर्मी को भी हमने यह बात बताई थी, तो वे ज्योतिष के ज्ञाता हैं, कहने लगे कि गुरूवार को ही शाम साढ़े सात बजे गृह बदले हैं, आपके ऊपर शनि भारी है, और शनि सीधे पैर पर ही वार करता है, यह तो अच्छा है कि राहु की नजर नहीं है, नहीं तो खून खच्चर हो जाता याने कि रक्तवाहिकाओं की समस्या भी संभावित थी। हम चुपचाप उनकी बातें सुनते रहे, क्योंकि हमें तो ज्योतिष का क ख ग भी पता नहीं है। हमें तो जो भी कुछ कह देता है, हम या तो मान लेते हैं या फिर चुपचाप दूसरे कान से निकल जाने देते हैं।

अब इस हालत में चल तो पा रहे हैं, आज भी आराम से लगभग 4-5 किमी चल लिये, और कोई समस्या भी नहीं है। पहले लग रहा था कि अगर सूजन हुई तो एक्सरे करवाना होगा, परंतु बाबा महाकाल की कृपा से सब ठीक है। बस अब दौड़ना अगले 15-20 दिन के लिये स्थगित हो गया है।

बाबा महाकाल के भक्तों के लिये एक कहावत है –

“अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चंडाल का,

काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का”

2 thoughts on “अवचेतन मस्तिष्क subconscious mind

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *