अमीर बाप की औलाद का किस्सा, जिसने घाटा होने के बाद घर बेचकर वापिस 800 करोड़ का बिजनेस बनाया

एक अमीर बाप की औलाद का किस्सा सुनाता हूँ, जिसने अपनी रेस्टोरेंट चैन खोली और वह बुरी तरीके से फेल हुई, रेस्टोरेंट बिजनेस में फेल होना मतलब पब्लिक फेलियर होता है। उसके बाद उसने अपना घर बेचकर वापस से एक नया बिजनेस शुरू किया और आज उसका टर्नओवर 800 करोड़ के आसपास है।

राजीव बहल जिनका ब्रांड था फन फूड, उनके बेटे हैं विराज बहल। विराज अपने पिताजी का बिजनेस जॉइन करना चाहते थे, पर पिता ने मना कर दिया और कहा कि जाओ पहले 3 लाख रुपये खुद से कमाकर लेकर आओ, तब इस बिजनेस में एंट्री मिलेगी। जो कि आज लगभग 16 लाख रुपए के बराबर होते हैं तब उसने मर्चेंट नेवी में नौकरी करके 2002 में 3 लाख कमा लिये।

उसके बाद अगले 6 साल में बाप बेटे ने मिलकर फन फूड को एक बहुत बड़ा ब्रांड बना दिया। तब राजीव ने विराज को कहा कि मैं नहीं चाहता कि जिन कठिनाइयों के दौर से मैंने जीवन निकला है, उन कठिनाइयों को मेरे बेटा देखे और मैं चाहता हूँ कि मैं अपने बेटे को अच्छा खासा पैसा दूँ जिससे उसे आगे जीवन में कोई तकलीफ ना उठानी पड़े।

तब उन्होंने अपनी 25 वर्ष पुरानी फन फ़ूड कंपनी Dr Oetkar को ₹110 करोड़ में बेच दी।

तब विराज ने अपने हिस्से में आए पैसे से एक रेस्टोरेंट चैन खोलने का फैसला किया, जिसका नाम था पॉकेट फुल। 4 साल तक वह अपने रेस्टोरेंट चैन को प्रॉफिटेबल बनाने की कोशिश करता रहा लेकिन नहीं हुआ। इससे उसे भयंकर फाइनेंशियल नुकसान हुआ पर उसकी भी जिद थी कि वह कुछ अलग करेगा।

उसने अपनी आखिरी संपत्ति जो कि उसका घर था वह भी बेच दिया और उससे उसने एक बड़ी जमीन खरीद कर फैक्ट्री बनाई। जिसमें वह सॉस बनाने लगा। फैक्ट्री बनाने के बाद पहले साल तो रेस्टोरेंट बिजनेस से भी बुरा रहा और वह बड़े कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए तरसता रहा। यह इतना भयावह हो चुका था कि उसके पास सैलरी देने के लिए पैसे भी नहीं थे।

थोड़ी हिम्मत रखने के बाद और बार-बार कंपनियों को ऑर्डर के लिये परेशान (गिड़गिड़ाने के बाद) करने के बाद आखिर कर विराज को डोमिनोस से 70 टन सॉस का आर्डर मिला। उसके बाद तो विराज के पास केएफसी, पिज़्ज़ाहट, टैको बेल व अन्य कंपनियों से ऑर्डर की लाइन लग गई।

बिजनेस ही क्यों? क्योंकि यही विराज का लक्ष्य था और B2B में कैश फ्लो अच्छा होता है, जिसके कारण बिजनेस अच्छा चल पाता है।

अपने सॉस को अच्छा बनाने के लिए विराज ने जुगाड़ लगाई, आने वाले गेस्ट को वह अलग-अलग सॉस परोसता था और जो भी सॉस गेस्ट और लेते थे, तो इसका मतलब इस सॉस का स्वाद अच्छा होता था और उनका स्वाद बढ़ाने के लिए काम करता था। बिजनेस में जिन सॉस के आर्डर बड़े होते थे और जल्दी निकलते थे उन उत्पादों पर विराज ज्यादा ध्यान देने लगा।

अगर उनके प्रारंभिक प्रोडक्ट को देखें तो वे सब इंटरनेशनल टेस्ट के थे, हाँ उसमें भारतीय टेस्ट का ट्विस्ट डाल दिया गया था। क्योंकि भारत में तो हर 100 किलोमीटर में स्वाद ही बदल जाता है। भारत में सॉस का लीडर बनने के लिए उसे इंटरनेशनल स्वाद में लीडर बनाना था, जो कि विराज का इनोवेशन था सॉस का स्वाद शुद्ध हो हेल्दी हो, इसी के दम पर वह भारत में सॉस का लीडर बन गया।

विराज की इस कंपनी का नाम है Veeba।

भारत में लेबर लॉ लचर हैं

हमारे भारत में लेबर लॉ को और कड़ा करने की व कड़ाई से पालन करवाने की जरूरत है।

एक महीने में 3 मौतें हो चुकी हैं।

  1. एना सेबस्टियन EY
  2. सदफ फातिमा Hdfc Bank
  3. तरुण Bajaj Finance

और भी ऐसे कई केस होंगे जो पता ही नहीं चले
आजकल काम की जगहों पर स्ट्रेस इतना है, कि जान की कीमत बहुत सस्ती हो गई है।

तरुण वर्क प्रेशर के चलते 45 दिन सो नहीं पाया और अंततः आत्महत्या कर ली।

जीवन कठिन है, पर अगर वर्क प्रेशर है तो काम छोड़ दीजिये, पर अपने जीवन की हत्या न करें, कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा।

अमेजन से किराने का समान मंगवाने पर 20% छूट

अमेजन से किराने का समान मंगवाओ तो 4000 के समान पर 400 का तो कैशबैक देते हैं और कार्ड ऑफर अलग से जैसे इस बार sbi पर 10% अधिकतम 300 तो कुल 700 की बचत, मतलब 4000 का समान 3300 का मिला, वह भी बाजार से ज्यादा डिस्काउंट में और घर बैठे।

अमेजन हमसे कमाता कैसे है यह ढूँढना बड़ा पेचिदा काम है। पहले हम मेट्रो से समान लाते थे, पर कोविड के बाद से जाना बंद ही कर दिया। इतना डिस्काउंट न फ्लिपकार्ट दे पा रहा है न रिलायंस। जबकि फ्लिपकार्ट को जब से वॉलमार्ट ने लियाँ है, उनका बर्निंग ज्यादा है।

स्क्रीनशॉट में अभी तक का, 2024 का और सितंबर 2024 का सब अलग अलग कैशबैक का हिसाब अमेजन ने बताया है, जबकि कार्ड ऑफर जो मिले हैं, वे तो इसमें शामिल ही नहीं हैं।

अमेजन प्राईम के लगभग हर वर्ष 1500 देते हैं और इसके बदले प्राईम tv, प्राइम म्यूजिक, किंडल प्राइम, व जल्दी डिलीवरी भी मिलती है। मतलब कुल मिलाकर यह है कि कहीं लुटा रहे हैं तो कहीं तगड़ा कमा रहे हैं, जो कि कम्पनी लेवल पर अल्टीमेटली प्रॉफिट ही होता है।

IIT Dhanbad के दलित का केस

IIT Dhanbad के दलित का जो केस आया है जिसमें वह समय से फीस जमा नहीं कर पाया और इस कारण उसे एडमिशन नहीं दिया गया तब वह कोर्ट के पास गया और कोर्ट ने आदेश दिया की इस नौजवान को एडमिशन दिया जाए।

उस नौजवान के परिवार ने फीस के लिए पूरे गांव से चंदा लिया, इंग्लिश में जिसे क्राउड फंडिंग कहा जाता है, फीस भी मात्र ₹17,000 थी, कोई ऐसा सिस्टम जरूर होना चाहिए कि ऐसा हम लोगों को भी पता चले और हम उनकी मदद कर पायें।

हम सोचते हैं हम मदद कर देंगे लेकिन हमें सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती और बहुत सारे टैलेंटेड बुद्धिमान नौजवान इन सब चीजों से महरूम रह जाते हैं।

हालांकि हमारा सिस्टम इस मामले में बहुत तेज होना चाहिए लेकिन लचर है, इसके लिए कोई तो प्लेटफार्म होना चाहिए जिससे की मदद एकदम से मिल पाए और केस genuine है यह भी साबित हो पाए।

क्यों हमारे राजनेता इन सब में आकर मदद नहीं करते? उनका सामाजिक दायित्व सबसे पहले बनता है। क्या वे जनता को पढ़ा लिखा नहीं देखना चाहते?

ट्रेडर जिसने केवल इंट्राडे ट्रेड में 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा कमाया

BNF aka Takashi Kotegawa की कहानी बताते हैं, यह जापानी ट्रेडर हैं। जिसने केवल इंट्राडे ट्रेड में 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा कमाया।

इस बंदे को 18 साल की उम्र से ही शेयर बाजार में ट्रेडिंग का चस्का लग गया था जिसके लिए इसने बहुत मेहनत कर करके $16000 जोड़े और इन $16000 से वह बाजार में ट्रेडिंग करने उतरा और उसने अपनी पिछले 5-6 साल की चार्ट देखने की प्रेक्टिस को आजमाया।

लेकिन इसका एक भी स्ट्रेटेजी सही तरीके से काम नहीं कर रही थी, फिर उसने अपनी स्ट्रेटेजी बदली और लगातार फाइन ट्यून करते गया उसके बाद उसने 2 साल में एक मिलियन डॉलर बनाया फिर उसके अगले 2 साल में उसने दो मिलियन डॉलर बनाया।

इनकी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी मूलत बियर मार्केट की थी लेकिन जब बियर मार्केट से विश्व के सारे बाजार बुल मार्केट में तब्दील हो गए तो इन्हें घाटा होने लगा। तब उन्होंने अपनी बियर मार्केट की स्ट्रैटेजी छोड़कर बुल मार्केट में नई स्ट्रेटजी बनाई इन्होंने पैसा बनाया लेकिन को मजा नहीं आ रहा था क्योंकि वह स्वभाव के बियर थे।

फिर आया 2005 जिसके कारण यह विश्व प्रसिद्ध है उसे समय जापान की जीकॉम कंपनी लिस्ट हुई थी। जिसमें mizuho कारपोरेशन के एक डीलर ने एक गलत आर्डर लगा दिया उसे एक शेयर 6 लाख 10 हजार येन में लगाने को कहा गया था, लेकिन डीलर ने गलती से 6 लाख 10 हजार शेयर एक येन में बेचने में डाल दिए, इस बहती गंगा में बहुत सारे लोगों ने हाथ धोए और भर भर के शेयर खरीदे bnf ने भी 7100 शेयर खरीदे।

Bnf ने 1100 शेयर उसी दिन कुछ प्रॉफिट बुक करने के लिए बेच दिए और बाकी 6000 शेयर अपने पास रख लिए। mizuho ने उन सब शेयर ट्रेडर्स को अपने ऑफिस में बुलाया और उनको कन्वींस करके अपने शेयर वापस से उस भाव में खरीद लिए जिस भाव में बेचे गए थे। परंतु bnf ने ऐसा करने से मना कर दिया। तब mizuho ने bnf के साथ एक सेटलमेंट किया कि अगले दिन जिस भी भाव में जीकॉम का शेर खुलेगा उसे भाव में mizuho bnf से सारे शेयर खरीद लेगा अगले दिन सुबह एक शेयर का भाव 9 लाख 75 हजार येन खुला, और इस तरह bnf ने एक ट्रेड में लगभग दो बिलियन डॉलर कमाए।

कहानी लंबी है बाकी की कहानी कभी और।

गूगल की मनमानी, सब्सक्रिप्शन फीस 50-60% बढ़ाई

Google अभी तक फैमिली प्लान के हर महीने ₹189 ले रहा था, अक्टूबर से ₹299 कर दिये, हमने गूगल की यह शर्त नहीं मानी और अपना सब्सक्रिप्शन कैंसल कर दिया।

क्यों मानें गूगल की शर्त, अब वीडियो के बीच में विज्ञापन आयेंगे, तो ठीक है भई देख लेंगे, अगर ज्यादा विज्ञापनों ने परेशान किया तो फिर रिन्यू करवाने की सोचेंगे।

पर ऐसी मनमानी भी गजब है कि भाव 50% से ज्यादा ही बढ़ा दिये, 10-20% समझ में भी आती है, लगता है कि गूगल भी खुद की भारत सरकार समझने लगा। कि कोई कुछ नहीं कहेगा।

ये कोई इनकम टैक्स थोड़े ही है कि गूगल जबरदस्ती हमसे ले लेगा, यह सेवा है जो हमारी मर्जी पर निर्भर करती है, नेटफ्लिक्स भारत में ज्यादा चल नहीं रहा था तो उसने अपने दाम कम कर दिये, पर गूगल के जलवे ही अलग हैं।

दिल्ली होती है दिलवालों की।

जब दिल्ली में कनॉट प्लेस में अपना एक क्लाइंट के यहाँ काम कर रहे थे, तो जहाँ तक याद है मिडिल सर्कल में F ब्लॉक में उनका ऑफिस था, वहीं ग्राउंड फ्लोर पर किसी कार की डीलरशिप थी।

पास ही एक खोपचे में पुरानी दुकान सा छोटा सा रेस्टोरेंट था। खाना खाने का भी टाइम नहीं रहता था। कई बार रात रात भर काम करने के बाद सुबह या फिर देर रात को पास के ही इस खोपचे में जाते थे, कुछ न कुछ चाय के साथ खाने को मिल जाता था, एक बार गये तो ब्रेड भी खत्म थी, वो बोले कि आपको भूखा नहीं जाने दूँगा, अंडा खाते हैं तो आमलेट बना देता हूँ, हमने हाँ कही। बस अंकल तैयार करने लगे।

ऐसा मैंने केवल दिल्ली में ही देखा कि आपको भूखा नहीं जाने देंगे, वरना कितने ही शहरों में तो कह देते हैं कि दुकान बंद हो गई, समान खत्म हो गया।

इसलिये वो अंकल हमेशा याद रहते हैं, उनके कारण ही लगा कि दिल्ली होती है दिलवालों की।

विकसित भारत कैसा होगा? कोई जबाब नहीं देता

इस बार स्वतंत्रता दिवस पर यह कितने ही लोगों से सुना कि जो संकल्प लिया है वह पूरा करेंगे – 2047 तक विकसित भारत।

मैंने पूछना चाहा पर ऐसा लगा कि जबाब कोई नहीं देना चाहता, बस लोग भी जुमला पसंद हो गये हैं।

विकसित भारत में क्या जनता भी आती है, या इस विकसित भारत का मतलब केवल अर्थव्यवस्था से कि हम नम्बर 1 बन जायेंगे, पर 80 क्या उस समय हम 100 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देंगे।

कैसा होगा विकसित भारत, इसकी संकल्पना में जनता कहीं है या केवल जनता से टैक्स वसूल कर विकसित भारत बनना है।

जनता के लिये, विकसित भारत के लिये क्या क्या जतन किये जा रहे हैं, उसका कहीं उदाहरण नहीं मिला।

  • नये सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं।
  • नये सरकारी चिकित्सालय खोले जा रहे हैं।
  • नये सरकारी परिवहनों को उतारा जा रहा है, उनकी देखभाल ठीक से हो रही है।
  • नये एयरपोर्ट्स तक सार्वजनिक परिवहनों की बढ़िया पहुँच है।
  • सड़कों पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिये, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाया जा रहा है।
  • नौकरियों के लिये युवाओं को भरपूर रोजगार के मौके मिल रहे हैं।
  • व्यापार को खोलने की जरूरी प्रक्रिया में क्या पारदर्शिता लाई जा रही है, कोई टाईम लिमिट सेट की गई है।
  • स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल के लिये क्या किया जा रहा है।
  • बिजली 24 घण्टों मिले, इसके लिये क्या किया जा रहा है।

यह तो बहुत थोड़े से बिंदु हैं, इनकी सूची बहुत लंबी है, पर ऐसा कुछ हो रहा है जिससे लगे कि हम विकसित देश बन पायेंगे, अब केवल 22 साल ही बचे हैं 2047 आने में, 2024 तो गिन ही नहीं रहे क्योंकि लगभग निकल ही चुका है।

विकसितभारत

टाटा और तमिलनाडु सरकार का उपक्रम टाइटन

Titan का नाम सबने सुना है, पर एक बात जो कम लोग ही जानते हैं कि टाइटन टाटा और तमिलनाडु सरकार का संयुक्त उपक्रम है। तमिलनाडु सरकार टाइटन में 28% शेयर होल्डिंग है, जो कि टाइटन की आज की वेल्युएशन की हिसाब से ₹87,000 करोड़ रुपये होती है। Titan शब्द भी टाटा इंडस्ट्री और तमिलनाडु से बना है।

टाइटन 1984 में शुरू हुई थी, जब एमजीआर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे। उस समय के निवेश ने तमिलनाडु को क्या गजब रिटर्न दिया है। आज टाइटन या तनिष्क की दुकान से बिकने वाला हर समान तमिलनाडु सरकार की अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है।

टाइटन का चैयरमेन एक आईएएस ऑफिसर होता है जो कि तमिलनाडु सरकार द्वारा नामांकित होता है। अभी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिमान दास जो कि तमिलनाडु के आईएएस कैडर से हैं, वे भी टाइटन के चैयरमेन रह चुके हैं।

डॉलर येन के खेल में सब कुछ लालम लाल

आज जो शेयर बाजार में लाली छाई हुई है, इसका सबसे बड़ा कारण है करंसी, इसलिये इसे ट्रेजरी की भाषा में करंसी रिस्क कहते हैं।

तो हुआ यह कि USDJPY 165 चल रहा था, और जापान से 0% ब्याज पर लोन मिल जा रहा था। सनद रहे कि fd और loan दोनों पर जापान में पिछले 30 वर्षों से 0% ब्याज दर थी। इस कारण us के कई संगठनों, फंड हाउसों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने जापान से बड़ी मात्रा में लोन लिया और अमेरिका में निवेश कर दिया।इससे us के लोन लेने वालों को दोहरा लाभ हुआ। अब निवेश अधिक है तो अधिकतर हैज़ फंड्स येन को शार्ट करके रखते हैं।

30 सालों से सब ठीक चल रहा था, अमेरिका में ये लोग जापान के पैसों पर ऐश काट रहे थे, जमकर प्रॉफिट काट रहे थे। और इसी कारण जापान अमेरिका में सबसे बड़ा निवेशक भी है।

पर अभी हुआ क्या कि जापान सेंट्रल बैंक ने 25 बीपीएस से ब्याजदर बढ़ा दीं, और बस यही से सारा खेल पलट गया।

क्योंकि आप यह शून्य ब्याज वाला पैसा बिना ब्याज का नहीं रहा अब इस पर ब्याज लगेगा और अमेरिका का बाजार ऑलरेडी ओवरबॉट है, तो ज्यादातर फंड्स ने अमेरिका में अपनी चीजों को बेचना शुरू किया जिससे वह यह लोन बंद कर पायें।

ब्याज बढ़ाने के कारण यह डॉलर के मुकाबले तेजी से बढ़ने लगा और आज डॉलर के मुकाबले येन 141 हो गया तो अब अमेरिका के फंड्स और संगठनों पर यह दोहरी मार हो गई। क्योंकि एक तो उन्हें ब्याज भी देना है और दूसरा जो उन्होंने पैसा लिया था उसका एक्सचेंज रेट 166 था जो कि अब 141 है मतलब यह मान लीजिए की $100 उधार लिया था लेकिन येन वोलेटाइल होने के कारण अब उन्हें लगभग 113 डॉलर चुकाने पड़ेंगे साथ ही ब्याज अलग से चुकाना पड़ेगा।

अब इसका समाधान यह है कि अमेरिका के फेड को अपनी ब्याज दर कम करना पड़ेगी लेकिन तब भी फंड हाउस और संगठनों पर जो यह मार पड़ी है वह भारी रहेगी।