अनुगूँज १८ :-: मेरे जीवन में धर्म का महत्व

पहली कोशिश कर रहा हूँ आप सभी महारथियों के बीच में धर्म एक बहुत बड़ा विषय है पर आज सभी लोग अपने अपने स्वार्थानुसार परिभाषित करते हैं मेरे लिये तो धर्म ऐसा है जैसे कि मेरी श्वास शायद बिना धर्म के जीवन नहीं होता मेरे धर्म की मेरी परिभाषा यही है

4 thoughts on “अनुगूँज १८ :-: मेरे जीवन में धर्म का महत्व

  1. भाई विवेक जरा अनुगूंज का लोगो भी चस्पा दो. वैसे इस विषय पर सबसे छोटी प्रविष्टी होगी आपकी 🙂
    हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत हैं.

  2. जो आपके लिए अर्थ स्‍पष्‍ट कर भाव बना दे, वही परिभाषा उपयुक्‍त है.

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