अब तो मेरा मन भी ब्लागर हो चला है, क्योंकि मन का ब्लागर होना बहुत जरुरी है ब्लाग लिखने के लिये, ब्लागर मन आखिर क्या चाहता है कुछ विश्लेषण –
१.आज कौन से नए विषय पर लिखा जाये कि पाठकों का असीम स्नेह मिले और ब्लागर मन की तड़पन को शांति मिल सके।
२.आसपास और अपनी जिंदगी में झांककर, घटी हुई घटनाओं को शब्दों के जादू से बुनकर अपनी जिंदगी के रंग सब को दिखा
दूँ।
३.साहित्यिक भाषा का उपयोग करुँ, जिससे ब्लागर मन के किसी कोने में बैठे साहित्यकार को दुनिया को दिखा सकूँ। (पहले
मैं कविताएँ लिखता था परंतु कार्य की व्यस्तता में सब खत्म हो गया।)
४.तंत्रजाल पर बहुत कुछ नया उपलब्ध है उसके बारे में खोजबीन कर अपने ब्लाग पर जानकारी प्रकाशित करुँ।
५.हिन्दी में अपने प्रोफ़ेशन के बारे में कुछ लिखूँ । ( लिखा था पर न ज्यादा हिट्स आये और न ही प्रतिक्रिया)
६.घरवाली ब्लाग लिखने पर काश झगड़ा न करे और यह भी सुनने को न मिले कि तुम मेरा समय चिठ्ठाकारी को दे देते हो।
(कई बार तो बड़े और तगड़े झगड़े हो चुके हैं। अब घरवाली को भी चिठ्ठाकारी के लिये राजी कर लिया है। अब वह भी जल्दी
ही चिठ्ठाजगत में प्रवेश करने वाली है।)
७.रिटायरमेंट के बाद फ़ुल टाईम ब्लागिंग करुँ।
हमने अपना सब लिख डाला प्यार तेरा पाने को…
भाई आपके ५ न्म्बर फ़ार्मुले का जवाब यह है कि ये टीपणिबाजी तो शादी मे लिये दिये गये लिफ़ाफ़े का व्यवहार है. आप दोगे तो कोई आपको देगा, वर्ना यहां कोई पूछने का समय नही रखता.
अगए पोईंट मे आपने लिखा है कि बीबी को ब्लागरी के लिये तैयार कर लिया तो भाई अब आपको कोई भी सफ़ल ब्लागर बनने से नही रोक सकता. आपने आखिरी बाधा भी हटा ही ली. बधाई.
रामराम.
भूल सुधार :
अगए = अगले
घर वाली को भी ब्लॉगिंग में लगा रहे हो- खाने का इन्तजाम क्या किया है? जब दोनों ही ब्लॉगिंग करोगे तो खाना तो नमस्ते ही समझो!! 🙂
@ताऊ – आपकी राय से पूर्ण सहमत टीपणीबाजी के लिये।
@उड़न तश्तरी जी – ब्लागरी का समय अलग अलग होगा और ब्लाग का विषय भी, इसलिये खाने की कोई समस्या नहीं होगी।
अगर आगामी पोस्ट में ये जानकारी दे सकें कि घरवाली को चिट्ठाकारी के लिए राजी कैसे किया, तो शायद यहां बहुत से ब्लागरों का उद्धार हो जाए.
उडऩ तश्तरी की बात पर गौर करें बंधु, नहीं तो खाने के लाले पड़ जाएंगे, फिर ब्लाग ही खाना और पीना पड़ेगा…
भूखे भजन न होए गोपाला :):)
वीनस केसरी