प्रार्थनाचाटुकार: – प्रिया के रमण करने से थक जाने पर प्रेमी फ़िर रमण करने के लिये उसकी खुशामद करता है, मीठी-मीठी बातें करता है तथा थकान को दूर कर शरीर में ताजगी उत्पन्न करता है, उसी प्रकार शिप्रा नदी का पवन प्रेमियों के समान रमणियों की सम्भोग-थकान को दूर कर रहा है।
खण्डिता नायिका – जो पति के चरित्र पर सन्देह करती है
तो नायक उसे प्रसन्न करने के लिए मीठी-मीठी बातें बनाते हैं। साहित्य दर्पण में खण्डिता नायिका का लक्षण इस प्रकार किया है –
पार्श्वमेति प्रियो यस्या अन्यसंयोगचिह्नित:।
सा खण्डितेति कथिता धीरैरीर्ष्याकषायिता॥
अर्थात दूसरी स्त्री से संभोग से चिह्नित होकर प्रिय जिसके पास जाता है, ईर्ष्या से युक्त उस नायिका को ’खण्डिता’ कहते हैं।
परन्तु आचार्य मल्लिनाथ ने पूर्वोक्त खण्डिता नायिका की कल्पना का खण्डन किया है। उनका कथन है कि खण्डिता नायिका के साथ पहले जब रति ही नहीं हुई, फ़िर रति की थकावट दूर करने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता।
कवि ने उज्जयिनी के वैभव का वर्णन करते हुए लिखा है –
समुद्र में जल तो रहता ही है तथा उसमें रत़्न भी रहते हैं, परन्तु विशाला के बाजारों में रत़्नों के ढेरों को देखकर ऐसा अनुमान होता है कि समुद्र के सारे रत़्न निकालकर इस बाजार में ही रख दिये गये हैं। अब समुद्र में केवल जलमात्र ही शेष बचा है और उसका रत़्नाकर नाम अयथार्थ हो गया है।
नलगिरि: – प्रद्योत के हाथी का नाम नलगिरि बताया है, जबकि कथासरित्सागर में नलगिरि के स्थान पर नडागिरि बताया है और यह राजा चण्डमहासेन का हाथी था।
प्राचीन काल में स्त्रियाँ सिर धोने के बाद केशों को सुगन्धित द्रव्यों के धुएँ से सुखाती थीं।
महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धक जानकारियाँ मिल रही हैं मेघदूत के बहाने ।
बेहतरीन श्रृंखला!!
कभी संस्कृत साहित्य की षोडशी १६ नायिकाओं के बारें में भी बताएं !
सुंदर जानकारी.
रामराम.
अभी अभी यह पोस्ट देखी…
शुक्रिया इस श्रंखला को प्रस्तुत करने का.