मुंबई में नहीं सुधरा तो वो आदमी कहीं भी नहीं सुधर सकता – एक ऑटो वाले का डायलॉग

कल हम ऑफ़िस से आ रहे थे तो जिस ऑटो में हम आये वह एक जौनपुरी ड्रायवर चला रहा था। हम हमारे मित्र जो कि हमारे साथ ही था उससे बात कर रहे थे। तो ड्रायवर बोला कि हमें रास्ता बता देना क्योंकि हम इस जगह केवल एक बार ही गये हैं। बस थोड़ी देर में तो वह हमसे खुल गया।
मैं अपने मित्र को किस्सा बता रहा था कि बोरिवली में जिस जगह पर हम पहले रहते थे मैं एक बार ऑटो में बैठ्कर गया तो वह ऑटो वाला हमसे बोला कि “साहब हम पिछले पंद्रह सालों से ऑटो चला रहे है,

कहते हुए शर्म आती है कि पंद्रह सालों से ऑटो चला रहे हैं पर इस जगह हम आज तक नहीं आये हैं।” बस वो ऑटो वाला उचक पड़ा कि कुछ लोग बोलते हैं कि हमने मुंबई का कोना कोना छान लिया है परंतु अपने कमरे के बगल में कौन रहता है उसका नाम भी नहीं पता होता है।

मुंबई में आकर सबको ईमानदार बनना पड़ता है अनुशासन में रहना पड़ता है नहीं तो उसका कुछ नहीं हो सकता है। और जो मुंबई में नहीं सुधरा तो वो आदमी कहीं भी नहीं सुधर सकता है। हमने भी अच्छे अच्छे उज्जड़ों को यहां सुधरते देखा है। तभी तो हम कहते हैं कि “मुंबई मेरी जान”।
mumbaimerijaan

14 thoughts on “मुंबई में नहीं सुधरा तो वो आदमी कहीं भी नहीं सुधर सकता – एक ऑटो वाले का डायलॉग

  1. असल में मुंबई जैसे महानगर मे आपको समय की पाबंदी का खयाल रखना मजबूरीवश जरुरी हो जाता है और जो समय का पाबंद होगया वो तो कहीं भी सुधर जायेगा.

    रामराम.

  2. बिलकुल सही… दिल्ली में बैठे मीडिया वाले क्या जानें मुम्बई क्या चीज़ है, दिल्ली में सड़कों पर 6 इंच पानी भरा तो हाय-तौबा होने लगी…

  3. सही बात ताऊजी वहा लोग बिना कहे हर जगह अपने आप लाईन लगा लेते है
    और बाकी जगह पुलिस के आने पर भी लोग लाईन मे खडे होना अपनी तौहिनता समझते है

  4. bhaai sahib har jagah Mumbai ho yaa jhoomritalaiyaa yaa sanfransisko ek sistam kaa honaa zaroori .Dilli me koi sistam nahin hai,sirf chodi chodi sadken hain ,flaai -ovars hain ,zindgi jeene ke liye ek saleekaa bhi to chaahiye yaar .
    veerubhai1947.blogspot.com
    (virendra sharma )

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