गरीब परिवार पर एक निबंध (An Essay on Gareeb Parivar) October 1, 2009UncategorizedईमेलVivek Rastogi Share this... Facebook Pinterest Twitter Linkedin Whatsappआज एक ईमेल मिला गरीब परिवार पर निबंध – चित्र बड़ा करने के लिये चित्र पर क्लिक कीजिये।
विवेक भाई, ये इंडिया के गरीब हैं…इन्हें कभी भारत के उन 70 करोड़ गरीबों से मिलवाने का जुगाड़ कीजिए जिनका रोज 20 रुपये से भी कम पर गुज़ारा चलता है… Reply
एक भिखारी से पूछा गया आपको कार दी जाये तो आप क्या करेंगे ? भिखारी के बच्चे खुश हो गये .. तब हम कार मे भीख मांगने जाया करेंगे । यह वही बात हुई " अरे रोटी नही है खाने को तो… केक खाओ । Reply
यदि इसे गरीबी कहते हैं तो कई मध्यामवर्गी भी ऐसा ही गरीब बनना चाहेगा !
बढ़िया लगा !
राहुल बाबा ने लिखा होगा यह प्रस्ताव, बहुत सुंदर
विवेक भाई, ये इंडिया के गरीब हैं…इन्हें कभी भारत के उन 70 करोड़ गरीबों से मिलवाने का जुगाड़ कीजिए जिनका रोज 20 रुपये से भी कम पर गुज़ारा चलता है…
एक भिखारी से पूछा गया आपको कार दी जाये तो आप क्या करेंगे ? भिखारी के बच्चे खुश हो गये .. तब हम कार मे भीख मांगने जाया करेंगे । यह वही बात हुई " अरे रोटी नही है खाने को तो… केक खाओ ।
बेचारे, इनकी गरीबी पर रहम के बदले ईर्ष्या हो आई.
अगर ये चुटकुला है तो …..वाह ,,,वाह
अगर व्यंग ….????
खुशदीप सहगल जी की बात पर तनिक मनन कीजिये
ईश्वर करे सब लोग ऐसे ही गरीब हो जाये.
रामराम.
ताऊ सही कह रहे है सारे लोग ऐसे ही गरीब हो जाये,फ़िर अमीर-गरीब का झगडा ही खतम
गरीब बनने की तलब सताने लगी है!
बहुत बढ़िया ऐसी ग़रीबी हो तो फिर क्या कहने…
अमीरनुमा गरीब पर लेख लिख दिया बेचारे ने…