यह तो कटु सत्य है कि जब घर में लड़के की शादी होती है और नई बहू आती है, सब कुछ बदल जाता है।
नई बहू (आज की प्रगतिशील भारतीय महिला), का पति के घर में परंपरागत भारतीय तरीके से स्वागत किया जाता है।
जैसी कि उम्मीद थी, नई बहू ने भाषण दिया, “मेरे प्रिय परिवार, मैं आप सब का धन्यवाद देती हूँ कि मेरे नये घर और नये परिवार में आपने मेरा स्वागत किया, अब मेरे यहाँ आ जाने से आप यह मत समझियेगा कि मैं आपके जिन्दगी जीने के तरीके को, या आपकी दिनचर्या बदलूँगी।
“नहीं मैं ऐसा कभी नही करुँगी, लाखों सालों में भी नहीं”।
“बेटी इसका क्या मतलब है ?” ससुर जी ने पूछा ।
ससुर जी की और देखते हुए बोली “मेरा मतलब है कि…
जो भी अभी तक बर्तन धोता था वो उन्हे धोता रहे।
जो भी कपड़े धोता था वो ही धोता रहे।
जो भी खना पकाता था कृपया मेरे लिये रुके नहीं, और जो भी सफ़ाई करते है वे अपना काम करते रहें।
“तो बहुरानी फ़िर तुम यहाँ क्या करोगी ?” सास ने पूछा ।
“जहा तक मेरी बात है, मैं यहाँ आपके बेटे का मनोरंजन करने आयी हूँ !!!”
काफी तीखा व्यंग है
आज की प्रगतिशील भारतीय महिला .. बेटे का मनोरंजन करने आती है .. तो फिर उसकी महत्वाकांक्षा ??
“जहा तक मेरी बात है, मैं यहाँ आपके बेटे का मनोरंजन करने आयी हूँ !!!" –> बिलकुल सत्य वचन है ये | थोड़े दिनों बाद इसमें थोडा बदलाव आएगा और ये वचन शायद कुछ ऐसा हो जाएगा " चुकी मेरे मनोरंजन की सामग्री (पति) यहाँ रहते हैं बस इसीलिए मैं यहाँ आई हूँ "…
सही लिखा है आपने, और बिल्कुल सहमत हूँ।
इसे कहते हैं कटाक्ष!
बी एस पाबला
भई अब तो पूरा परिवार करता है मनोरंजन..बहूरानी का…मस्त लगा!!
अजी अब तो पुरा मोहल्ला, मुफ़त मै मनोरंजन देखता है, बहुत सुंदर
बहुत खूब काफी तीक्ष्ण व्यंग है….
kisi ki bahu kisi ki beti bhi hotee haen aur bahu kyaa kewal aur kewal manoranjan kaa saman hotee haen . kyaa pati kae liyaue elk patni ki jarurat kewal aur kewal shaarirk sambandh kae liyae hi haen
एकदम सटीक !!
hahahahahahahahaha,………….
bahut hi tekha vyang hai …………
@ रचनाजी – मैंने ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है जो आपने लिखा है, मैं तो केवल पारिवारिक बाते कर रहा था। पता नहीं आपको बस एक वही दिशा दिखाई दी। संगीता जी ने जैसे कहा कि महत्वाकांक्षा का क्या होगा कृपया स्वच्छ मन से विचार कीजिये।