Tag Archives: बहू

नई पीढ़ी की भारतीय पुत्रवधु (आज की प्रगतिशील भारतीय महिला)

यह तो कटु सत्य है कि जब घर में लड़के की शादी होती है और नई बहू आती है, सब कुछ बदल जाता है।
नई बहू (आज की प्रगतिशील भारतीय महिला), का पति के घर में परंपरागत भारतीय तरीके से स्वागत किया जाता है।
जैसी कि उम्मीद थी, नई बहू ने भाषण दिया, “मेरे प्रिय परिवार, मैं आप सब का धन्यवाद देती हूँ कि मेरे नये घर और नये परिवार में आपने मेरा स्वागत किया, अब मेरे यहाँ आ जाने से आप यह मत समझियेगा कि मैं आपके जिन्दगी जीने के तरीके को, या आपकी दिनचर्या बदलूँगी।
“नहीं मैं ऐसा कभी नही करुँगी, लाखों सालों में भी नहीं”।
“बेटी इसका क्या मतलब है ?” ससुर जी ने पूछा ।
ससुर जी की और देखते हुए बोली “मेरा मतलब है कि…

जो भी अभी तक बर्तन धोता था वो उन्हे धोता रहे।

जो भी कपड़े धोता था वो ही धोता रहे।

जो भी खना पकाता था कृपया मेरे लिये रुके नहीं, और जो भी सफ़ाई करते है वे अपना काम करते रहें।

“तो बहुरानी फ़िर तुम यहाँ क्या करोगी ?” सास ने पूछा ।
“जहा तक मेरी बात है, मैं यहाँ आपके बेटे का मनोरंजन करने आयी हूँ !!!”

ब्लोगर्स के विचारों के इंतजार में – क्या नई बहू को थोड़े दिन ससुराल में रुकना चाहिये और नई व्यवस्था को समझना चाहिये ?

नई बहू को थोड़े दिन ससुराल में रुकना चाहिये और नई व्यवस्था समझना चाहिये। ससुराल में साथ में रहने से नये परिवार के प्रति अपनापन भी आयेगा और उनकी व्यवस्थाएं भी समझ में आयेंगी।

ज्यादातर ब्लागर्स इस बात से सहमत हैं कि नई बहू को ससुराल में कुछ वक्त गुजारना चाहिये और कुछ का कहना है कि आजकल नई बहू से सास ससुर ने कुछ उम्मीद लगाना ही छोड़ दिया है।

आपकी महत्वपूर्ण राय की प्रतीक्षा है इस पोस्ट पर –

नई बहू का कुछ समय ससुराल में रहना जरुरी है !!

Technorati टैग्स: {टैग-समूह},

चिट्ठाजगत टैग्स: ससुराल, बहू

नई बहू का कुछ समय ससुराल में रहना जरुरी है !!

जब कोई भी माता पिता अपने लड़के की शादी करते हैं तो मन में कहीं न कहीं ये आस होती है कि नई बहू आयेगी और हमारी सेवा करेगी और हम उसे बेटी मानकर प्यार देंगे।

 

अक्सर लड़का घर से दूर होता है तो शादी के तुरंत बाद ही वह उनकी नई बहू को अपने साथ ले जाता है और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करता है। परंतु छोटी छोटी बातों पर झगड़ा या मनमुटाव होता है या फ़िर दोनों में से किसी एक को दूसरे की आदतों के साथ समझौता करना पड़ता है। हमेशा आशा ये की जाती है कि बहू घर में आयी है तो घर सम्भालेगी, और अपने नये घरवालों की हर छोटी बड़ी बातों का ध्यान रखेगी

 

ससुराल में बहू को कुछ समय इसीलिये ही बिताना चाहिये कि वह सभी घरवालों को भली भांति समझ लें और घरवाले अपनी नई बहू को जान लें और अपने अनुकूल ढाल लें, जो संस्कार और जिन नियमों में उन्होंने अपने लड़के को पाला है बहू उन नियमों से भली प्रकार परिचित हो जाये जिससे नई दंपत्ति को असुविधा न हो। लड़के को क्या क्या चीजें खाने में पसंद हैं क्या नापसंद हैं। कैसे मूड में उससे कैसा व्यवहार करना है यह तो केवल ससुरालवाले ही बता सकते हैं। ससुराल में रहने से उसका घरवालों के प्रति अपनापन पैदा होता है, नहीं तो अगर वो कुछ दिनों के लिये ही ससुराल जायेगी तो केवल मेहमान बनकर मेजबानी करवाकर आ जायेगी,  अपनेपन से सेवा नहीं कर पायेगी।

 

आप अपनी राय से जरुर अवगत करायें।

Technorati टैग्स: {टैग-समूह},,
चिट्ठाजगत टैग्स: बहू, शादी, ससुराल