हमारे एक मित्र नीरज आनंद के जीमेल स्टेटस से ये पंक्तियां ली गई हैं –
A team of Lion lead by donkey can be defeated by a team of donkies lead by a Lion…
एक शेर के समूह का नेतृत्व अगर गधा करता है तो वो अवश्य हारेगा, उस गधों के समूह से जिनका नेतृत्व एक शेर कर रहा है….
जहाँ नेतृत्व ही न हो तो?
शेर गधों का नेतृत्व करेगा ही क्यों, और शेर गधों को नेतृत्व करने ही क्यों देंगे?
@ Rajey Sha ji
लोकतंत्र में सब हो सकता है
शेरों का नेतृत्व गधा भी कर सकता है …उल्लू भी !
काफी गूढ़ मन्त्र दे दिया आपने हमारे राजनैतिक दलों को 🙂
एक शेर के समूह का नेतृत्व अगर गधा करता है तो वो अवश्य हारेगा, अरे यह सच क्यो लिख दिया आप ने आज ……
यह गधा कोन है??:)
मंत्र गांठ बाँध कर धरने लायक है.
इसका अर्थ यह हुआ कि नेतृत्व में क्षमता नहीं होती है, कार्यकर्ताओं में होती है। बिना लीडर के कोई भी समाज नहीं चल सकता। जब हम चार-पांच लोग भी बाते कर रहे होते हैं तब भी कोई एक नेतृत्व कर रहा होता है। शेरों का नेतृत्व कभी भी गधा नहीं कर सकता।
बिलाशक!
Raje Shah ji – Aajkal aisa hi ho raha hai kahin bhee nigahen pher kar dekh lijiye.
ये तो कार्पोरेट कल्चर में आप देख सकते हैं कि इन गधों की संख्या दिन ब दिन बड़ती ही जा रही है।