सब जगह बस यही हंगामा हो रहा है क्या हो गया है हमारी ब्लॉग दुनिया को । अरे भई इन सबको नजरअंदाज कर दो और अपने काम पर लगे रहो, जब कोई इन्हें पढ़ेगा ही नहीं तो ये कैसी भी धार्मिक, घटिया, असहिष्णुता या सांप्रदायिक बातें कर लें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। टिप्पणी में मोडरेशन का अधिकार प्रयोग करें, उसके लिये मोडरेशन लागू करने की जरुरत नहीं जहाँ धार्मिक विज्ञापनबाजी देखो वहीं उसका उपयोग कर लें। और जो मानसिक बीमार है उन्हें कितना भी ज्ञान दे दो, बेईज्जती कर दो उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। केवल इसका एक मात्र इलाज यह है कि इन लोगों के ब्लॉग पर न जायें, टिप्पणी देकर इनका और हौंसला न बढ़ायें। इनके ऊपर पोस्ट न लिखी जाये, और जहाँ भी इनकी टिप्पणी देखें उसकी भर्त्सना करें। जय हिंद
कुछ पोस्ट मैंने देखीं जिससे मन विचलित हो गया।
सलीम खान मै मुस्लिम धर्म अपनाना चाहती हूँ बशर्ते
मेरा ब्लॉग न हुआ कूड़ा घर हो गया हो उन्होंने चेलेंज के साथ १३ बार मेरे ब्लॉग पर गंदगी फैलाई
ये क्या हो रहा है?
हम तुम्हें गाली दें, तुम हमारे मुँह पे थूको
इस्लाम में महात्मा गाँधी जैसा कोई व्यक्तित्व क्यों नहीं होता
मन बहुत दुखी है और दुखते हुए मन से यह पोस्ट ठेल रहा हूँ इसके विरोध में सात दिन ब्लॉग पर पोस्ट पब्लिश नहीं करुँगा।
इंसानियत का धर्म…
बेशक मंदिर,मस्जिद ढाह दो,
बु्ल्ले शा ये कहता…
पर प्यार भरा दिल कभी न तोड़ो,
जिस दिल में ईश्वर रहता…
जय हिंद…
मेने भी यही करने की कोशिश की थी तो मुझे एक पक्ष बना दिया गया . क्या करू ?
बिलकुल सही कहा है आपने कुछ लोगों ने इस माध्यम को बस अपनी स्वार्थ सिद्धी का साधन ही बना लिया है शुभकामनाये
कोई धर्म बुरा नहीं होता .. सब अच्छी अच्छी बातें सिखाता है .. इसी को देखते हुए मैने यह कवितापोस्ट की थी .. पर कोई समझते ही नहीं !!
आपने गाँधीजी का मार्ग अपनाया है. शुभकामनाएं.
आप दिल छोटा ना कीजिये बस यह मान लीजिये कि सबको अपनी बात कहने का हक है.. यह बात और है कि कोई क्या लिख रहा है..
शायद यही उसकी मानसिकता है..
आप लिखते रहिये… आपके न लिखने से ऐसे लोग बदल नहीं जायेंगे… यह बात तय है.
प्रतिवाद न करना भी एक तरह से जुर्म में शामिल होने जैसा ही है..
कौन कर रहा है धर्म प्रचार? किसने शुरुवात की हिन्दी ब्लॉग जगत में वैमनस्यता फैलाने की? आपने जो चार लिंक्स दिये हैं इस पोस्ट में क्या आप बतायेंगे कि वहाँ क्या गलत लिखा है? क्या उन पोस्ट में कोई हिन्दू धर्म का प्रचार है? जहाँ वास्तव में इस्लाम धर्म का प्रचार हो रहा है क्या वह लिंक आपको नहीं पता है? क्या चिपलूनकर जी अपने लेखों में हिन्दू धर्म का प्रचार करते हैं? तो फिर उनके लेखों की टिप्पणियों में किसी धर्म से सम्बन्धित लिंक्स क्यों दिये जाते हैं?
क्या रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने हनुमान जी के मुख से "जिन मोहि मारा ते मैं मारे" कहलवाया है वह गलत है? क्या कृष्ण का अर्जुन को उपदेश कि "शस्त्र उठा, जो तुझे मारे उसे मार" गलत है?
विवेक जी उनके लिये क्यों मन विचलित करना जिनका न धर्म है न ईमान्।हमे क्यों हटना चाहिये,आप देखिये कचरा खुद ब खुद साफ़ हो जायेगा।मेरा निवेदन है कि आप अपने फ़ैसले पर फ़िर से विचार कर लें।
मेरी आपसे सिर्फ एक राय है आप ब्लॉग लिखना बंद मत करे असी ब्लॉग को पढ़ना बंद कर दे और हां पढ़ भी ले तो टिप्पणी कभी मत करिए . और अपने ब्लॉग पर कमेन्ट मेडेरेसन लगा कर रखिये अगर ऐसी कोई भी टिप्पणी आये कजिसमे किसी ऐसे ब्लॉग का लिंक हो सिग्नेचर हो
उसे छापिये मत
उड़नतस्तरी जी के ब्लॉग पर आपको ऐसा क्या दिखा जो मन बिचलित हो गया जान सकता हु ?
astitav aur asmitaa ki laadaii mae peeth kyun dikhaa rahey aap
रचनाजी की टिप्पणी देख अच्छा लगा. भारतीय अभी इतने भिरू भी नहीं हुए जितना लगता है.
भाई जी , आपके ब्लॉग पर जो भी पोस्ट आती है सारगर्भित होती है.आजकल कई जगह कुछ ब्लॉगर भाई इन जैसे अन्य कुकर्मियो के कृत्य से दुखी होकर उनके नाम से पोस्ट पर पोस्ट ठेल रहे हैं . ऐसे में उनका ही प्रचार हो रहा है . कृपा कर अब सभी लोग इस दो पागल धर्मभिरुओं के ऊपर लिखना बंद करें सब ठीक हो जायेगा . मुद्दों की कमी नहीं है हम खुद कहते हैं धर्म पर इस तरह अनर्गल बहस बंद हो परन्तु दूसरे ही दिन इसी बहस में कूद पड़ते हैं ! क्या हमारे दिन इतने फ़िर गये हैं कि किसी कट्टरपंथी के नाम से पोस्ट लगनी पड़े . मैंने अपने दिल की बात कह दी आशा है आप आग्रह को ठुकरायेंगे नहीं
मेरी एक पोस्ट पर अर्ज ज्ञानदत्त जी की टिप्पणी में ही सार है |
ज्ञानदत्त पाण्डेय ने कहा .
जितना इस तरह के लोगों का उल्लेख करो, उतना भाव खाते हैं। इनकी खराब पब्लिसिटी इनकी पब्लिसिटी है!
@धीरु सिंह जी- बात किस और मुड़ जाये ये कोई नहीं कह सकता।
@संजय जी-हमने गाँधीजी का मार्ग अपनाया है और उस पर दृढ़ हैं।
@मोहिन्दर सिंहजी – हमने केवल अपना विरोध दर्ज करवाया है, अगर हम विरोध भी दर्ज नहीं करवा सकते तो लानत है।
@अवधियाजी – आपने बिल्कुल सही कहा है कि हमने जो लिंक्स दिये हैं वे प्रचार के नहीं वरन उनके हैं जिनके दिल दुखे हैं, कुछ विरोध करेंगे तो कुछ उसके विरोध में विरोधी को कुछ कहेंगे। कृष्ण जी वाली बात "शस्त्र उठा, जो तुझे मारे उसे मार" मुझे पता है उस पर भी जल्दी ही एक पोस्ट लिखूँगा।
@अनिलजी – विरोध सांकेतिक है अगर इस विरोध से कुछ नहीं होता है, हालात नहीं सुधरते हैं तो हमें कुछ और सोचना पड़ेगा ।
@पंकजजी – मैंने तो उस ब्लॉग को पढ़ना बंद कर दिया है और उसे अपने ब्राऊजर में sensor कर दिया है। उड़नतश्तरी जी की पोस्ट पर आप मेरा कमेंट देख लें और उनकी पोस्ट की पहली कुछ लाईन पढ़ लें।
@रचना जी – हम पीठ नहीं दिखा रहे हैं हम केवल विरोध कर रहे हैं अगर कुछ न हुआ तो इससे भी तीव्र मारक कुछ और सोचा जायेगा। हम भीरु नहीं हुए हैं।
@जयराम जी – वाकई मुद्दों की कमी नहीं है परन्तु इन दो सिरफ़िरों ने हमारा सब्र तोड़ दिया अगर इस पर भी न माने तो हम भी कमर कस कर तैयार हो रहे हैं और मुँहतोड़ जबाब देंगे।
विवेक जी,
उत्तेजित होना हमारा धर्म नहीं सिखाता…. अपनी बात मजबूती से कहो और दूसरों को प्रतिक्रिया देने के हक से वंचित मत करो….अगर वह भमित है, कुंठित है तो कहाँ जाएगा चिल्लाने..सब को इसी देश में रहना है…हमें बिना कमज़ोर हुए सब को सौहार्द सिखाना होगा….श्री राम सब को निश्चित ही सद् बुद्धि देंगे …आप जैसे सशक्त पहरुओं को विवेक से काम लेने के लिए ही हिन्दुत्व का कार्य ईश्वर ने सौंपा है…
अरे भाई इन के ब्लांग पर जाने की जरुरत ही क्या है?, दुसरा जिन् की प्रोफ़ाईल नही ओर वो अभी नया न्या आया है, ओर धर्म पर बाते करता हो उसे भी भाव मत दो, जब हम कीचड के पास ही नही जायेगे तो छींटे केसे पड सकते है, ओर अगर आप के ब्लांग पर कोई टिपण्णी करता है है तो उस टिपण्णी को मत हटाओ, उस से दो लाभ है, एक तो पढने वाले को उस व्यक्ति कि मान्सिकता का पता चलता है, दुसरा कल कोई लफ़डा होता है तो आप के पास सबुत है, हा आप अपनी टिपण्णीयां अपने मेल से जरुर जोडे, ताकि अगर बतमीजी टिपण्णी देने वाला अपनी टिपण्णी मिटाना चाहे तो सबुत आप के पास फ़िर भी है.
डरे नही लेकिन इन्हे अन्देखा करे, जेसे यह यहां है ही नही.िन के बारे कोई लेख भी ना लिखे
धन्यवाद
Raj Dada Ji
upawas/vrat/satyagrah/
ko kayarta samajhaten hain jo log
ishavar ko apane ishaare pe chalaanaa chahaten hain
"sabaka malik ek "
kuch bhi ker lo.
ताली एक हाथ से नहीं बजती