आज मन धीर है, गंभीर है…… मेरी कविता…..विवेक November 29, 2009Uncategorizedमेरी कविताVivek Rastogi Share this... Facebook Pinterest Twitter Linkedin Whatsappआज मन धीर है, गंभीर है, भविष्य के गर्भ में, क्या है, वो जानने के लिये, अधीर है, कोई चिंता नहीं है, फ़िर भी, बहुत ही बैचेन है, जाने क्यों, जिंदगी की धार में, बहते हुए, जिंदगी की धार पर, चलते हुए, आज मन धीर है, गंभीर है।
आज मन धीर है, गंभीर है, भविष्य के गर्भ में, क्या है, वो जानने के लिये, अधीर है, यह हम गंभीरता से ही जान सकते हैं। Reply
कभी कभी ऐसा भी होता है।भविष्य की चिंता नही, बस चिंतन कीजिये।अच्छा लिखा है, इस बार गंभीर।कभी पधारो म्हारे देश। Reply
सही है कई बार ऐसा होता है यही वो क्षण है जब आदमी अपने आप मे लौट आता है। चिन्तन के लिये यही क्षण सुन्दर हैं शुभकामनायें Reply
जिंदगी की धार पर, चलते हुए, आज मन धीर है, गंभीर है।यह सब तो होता ही है जी, चलिये आप को इस सुंदर कविता के लिये बहुत बहुत बधाई Reply
man ki bechaini ko achhi tarah shbdon me piroya hai…aksar paate hai ham sab khud ko,aisi manahsthiti me.. Reply
आज मन धीर है,
गंभीर है,
भविष्य के गर्भ में,
क्या है,
वो जानने के लिये,
अधीर है,
यह हम गंभीरता से ही जान सकते हैं।
कभी कभी ऐसा भी होता है।
भविष्य की चिंता नही, बस चिंतन कीजिये।
अच्छा लिखा है, इस बार गंभीर।
कभी पधारो म्हारे देश।
सही है कई बार ऐसा होता है यही वो क्षण है जब आदमी अपने आप मे लौट आता है। चिन्तन के लिये यही क्षण सुन्दर हैं शुभकामनायें
कोई चिंता नहीं है,
फ़िर भी,
बहुत ही बैचेन है,
जाने क्यों ?
वाकई कई बार ऐसा होता है
का करें भैया ….ये मने तो सब फसादन की जड़ है !!
aisa bhi hota hai……..vaise aapne karn ki jeevan gatha beech mein hi kyun chod di?
@ वन्दना जी – कर्ण की जीवनगाथा बीच बीच में जारी रहेगी, अभी थोड़ा अंतराल हो गया।
जिंदगी की धार पर,
चलते हुए,
आज मन धीर है,
गंभीर है।
यह सब तो होता ही है जी, चलिये आप को इस सुंदर कविता के लिये बहुत बहुत बधाई
man ki bechaini ko achhi tarah shbdon me piroya hai…aksar paate hai ham sab khud ko,aisi manahsthiti me..
इस मनोस्थिति में भी कविता आ गई, वाह. बधाई.